सतीश पूनियां आखिर कहना क्या चाहते हैं? कौन है वो, जिसने भाजपा विधायकों को किया अप्रोच?

विधानसभा सत्र के बाद क्यों, अभी बताएं राजस्थान की जनता को? अगर गहलोत खेमे ने भाजपा विधायकों को अप्रोच किया है तो वो बताएं, यदि पायलट खेमे ने किया है तो वो बताएं और यदि उनकी ही पार्टी में बने किसी विभीषण ने किया है तो वो बताएं

भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां

Politalks.News/Rajasthan. यह समय राजस्थान के सियासी समय का सबसे नाजुक दौर है. कुछ मामले हाईकोर्ट में हैं, कुछ मामले सुप्रीम कोर्ट में. तो कुछ विधानसभा में तय होने हैं. यानि इस स्थिति को देश की सबसे टिपिकल राजनीतिक स्थिति कहा जा सकता है. जहां एक नहीं बल्कि संविधान के तीन इंस्टीटयूशन की गाइडलाइन से सारा मामला तय होना है. यहां सिर्फ विधानसभा की विधायक गणित तक का मामला नहीं हैं बल्कि कांग्रेस के पायलट खेमे का मामला और बीएसएपी के 6 विधायकों के मामले को अभी सुप्रीम कोर्ट को तय करना है. यह सियासी मामला केवल सियासत ही नहीं बल्कि देश के न्यायालयों पर भी पूरी तरह निर्भर हो गया है.

आज जो बीएसपी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है, उसके पीछे बड़ा गहरा विषय जुड़ा हुआ है. याचिका में सुप्रीम कोर्ट से निवदेन किया गया है कि वो मर्जर की परिभाषा को तय करे. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में गोवा मामले में दूसरी पार्टियों के विधायकों ने बीजेपी में मर्जर कर लिया था. उसी समय से वो मामला लंबित चल रहा है. बीएसपी विधायकों ने अपने मर्जर का मामला उसी से जोड़ दिया है. बीएसपी के विधायक सुप्रीम कोर्ट से मर्जर शब्द की स्पष्टता के लिए गए हैं.

यह भी पढ़ें: सोमनाथ देव की शरण में राजस्थान के भाजपा विधायक, अब गुजरात से तय होगी आगे की रणनीति!

वाकई यह सारा मामला बहुत ही संवैधानिक और कानूनी पेचीदगियों से भरा हुआ है. सबको समझना पड़ेगा कि यह मामला केवल विधानसभा तक नहीं बल्कि संवैधानिक व्यवस्था को भी सुनिश्चित करना है.

14 तारीख को विधानसभा सत्र शुरू होगा. अभी तक तो यह ही नहीं पता कि कौन वोटिंग कर पाएगा और कौन नहीं? अभी सवाल बना हुआ है कि कांग्रेस से नाराज होकर गए खेमे के 19 विधायक वोटिंग कर पाएंगे या नहीं, या फिर बीएसपी के 6 विधायक वोटिंग कर पाएंगे? इन सवालों का जवाब ना तो किसी राजनीतिक दल के नेता के पास हैं, ना ही राज्यपाल और ना ही विधानसभा स्पीकर के पास.

तो सवाल उठता है कि कौन तय करेगा कि यह सब लोग वोटिंग कर पाएं या नहीं. करेंगे तो उसका आधार क्या होगा? नहीं कर पाएंगा तो उसका आधार क्या होगा? जवाब है, न्यायालय तय करेगा. दोनों मामले सुप्रीम कोर्ट के विचारार्थ प्रस्तुत हो चुके हैं.

यह भी पढ़ें: शुरू हुआ भाजपा केंद्रीय नेतृत्व और वसुंधरा राजे के बीच फाइनल टकराव! अबकी बार आर-पार

अब बात करते हैं राजस्थान के राजनीतिक घमासान की, तो बहुत कुछ अभी तय होना बाकी है. कौन अपने घर का विभिषण या फिर कौन अपनी पार्टी को डुबाएगा या तैराएगा. जो भी है अब कुछ ही दिनों में सबकी सच्चाई सामने आ जाएगी. जनता यह भी जानना चाहती है कि कल तक कांग्रेस की बाड़ेबंदी का मजाक उडाने वाली भाजपा अपने विधायकों की बाड़ेबंदी करने पर मजबूर क्यों हुई है?

यह भी पढ़ें: वसुंधरा-नड्डा मुलाकात के बाद शुरू हुई भाजपा विधायकों की बाड़ेबंदी? विधायकों को गुजरात पहुंचने के निर्देश

आज मीडिया से बातचीत में भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां ने कहा कि हमारे कुछ विधायकों को अप्रोच किया गया. जिसके कारण उन्होंने अपने विधायकों को गुजरात देवदर्शन को भेज दिया. तो अब जनता भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष से भी जानना चाहती है कि वो कौन है, जिसने पहले राज्यसभा चुनाव के समय और अब विधानसभा सत्र से पहले अभी भाजपा के विधायकों को अप्रोच किया. क्या गहलोत खेमे ने किया या पायलट खेमे ने किया अप्रोच? या बीजेपी के ही किसी विधायक ने विभीषण बन अपने ही विधायकों को किया अप्रोच? राजनीति का खेल अपनी जगह है लेकिन सच सामने आना चाहिए. यह सबकी जिम्मेदारी है.

Leave a Reply