Politalks.News/Vikas Dubey Encounter. यूपी कानपुर का गैंगस्टर विकास दुबे उज्जैन में महाकाल के मंदिर तक तो पहुंच गया लेकिन यूपी पुलिस के एनकाउंटर से नहीं बच सका. यूपी पुलिस से बचने के लिए विकास दुबे ने तीन राज्यों का 1200 किलोमीटर का सफर तय किया. विकास दुबे के एनकाउंटर से पहले यूपी पुलिस पिछले 8 दिनों में उसके 5 साथियों का एनकाउंटर कर चुकी थी. दुबे के गावं स्थित मकान को जेसीबी से ध्वस्त कर चुकी थी.
विकास दुबे की गिरफ्तारी कहें या सरेंडर
मध्य प्रदेश पुलिस ने उसे यूपी पुलिस को कल शाम को सौंप दिया. एमपी पुलिस ने विकास को गिरफ्तार करने के बाद स्थानीय कोर्ट में पेश नहीं किया. कोई ट्रांजिट रिमांड नहीं हुआ. कल यानी बुधवार शाम यूपी एसटीएफ पुलिस की गाड़ियों का काफिला विकास दुबे को लेकर कानपुर के लिए रवाना हो गया. कानपुर से पहले एसटीएफ की एक गाडी पलटा खा जाती है. इसी दौरान विकास दुबे पुलिस कर्मी की बंदूक लेकर भागने की कोशिश करता है और कुछ ही देर में उसका एनकाउंटर हो जाता है. दुबे के कमर में गोली लगती है और वो मारा जाता है.
नाटकीय अंदाज में दुबे हुआ ढेर, सवाल उठे
इमने खतरनाक अपराधी को आखिर ऐसे कैसे ले जाया जा रहा था कि उसने पुलिस की बंदूूक छीन ली. एसटीएफ के इतने बड़े घेरे से निकरकर भागने में सफल रहा और उसने पुलिस पर गोली भी चलाई, लेकिन किसी भी पुलिसकर्मी को गोली नहीं लगी. जवाबी कार्रवाई में वो पुलिस गोली से मारा गया. यहां यह सवाल अहम है कि उसकी गिरफतारी के 24 घंटे पूरे होने जा रहे थे, पुलिस को कुछ ही घंटे बाद उसे कोर्ट में पेश करना जरूरी था. लेकिन कोर्ट पहुंचने से पहले ही वो नाटकीय अंदाज में ढेर हो गया.
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि पुलिस की बंदूक लेकर भागने के बाद उसे आत्म समर्पण के लिए कहा गया था, लेकिन उसने आत्म समर्पण करने के बजाय पुलिस पर गोेलियां चलनी शुरू कर दी. जवाबी कार्रवाई में पुलिस को भी गोली चलानी पड़ी, जिसमें दुबे मारा गया.
कोर्ट से पहले ही न्याय होता रहा है देश में
विकास दुबे एनकाउंटर किन परिस्थितियों में हुआ है, इसकी परतें खुलने में अभी थोड़ा समय लगेगा. लेकिन देश में कोर्ट पहुंचने से पहले पुलिस द्वारा अपराधियों के एनकाउंटर की बात नई नहीं है. अभी हाल ही में दक्षिण भारत में एक महिला के साथ बलात्कार और फिर उसकी मौत के बाद पुलिस ने चार आारोपियों का एनकाउंटर किया था. अभी हाल ही में विकास दुबे के 5 साथियों का भी पुलिस ने एनकांउटर किया है.
विकास को जिसका डर था, हुआ भी वही
आखिरकार वही हुआ, जिसका गैंगस्टर विकास दुबे को डर था. विकास दुबे के एनकाउंटर से जुडे़ जिस तरह के संदेह पिछले 8 दिनों से चर्चा में थे, आखिरकार हुआ भी वही. इस घटना ने एक बार फिर साबित किया है कि न्यायपालिका से पहले भी पुलिस न्याय कर सकती है. खासतौर सेे ऐसे अपराधियों का एनकाउंटर, जिनके पकड़े जाने के बाद पुलिस, राजनीति और अपराध के बीच के गठजोड़ के कई खुलासे हो सकते हैं.
8 पुलिस कर्मियों की हत्या करने वाले गैंगस्टर विकास दुबे का एनकाउंटर होना निश्चित था. यह बात घटना के बाद पुलिस के हाथों मारे गए विकास दुबे के 5 साथियों के एनकाउंटर के बाद से ही चर्चा में थी. एनकाउंटर का यही डर विकास दुबे को भी सता रहा था, वह बचने के लिए एक राज्य से दूसरे राज्य का सफर तय कर रहा था
इन तथ्यों को समझा जाना भी है जरूरी
- 8 पुलिस कर्मियों की हत्या के बाद से फरार चला रहे विकास दुबे को गिरफ्तार करने के लिए यूपी पुलिस रात दिन पसीना एक कर रही थी.
- पुलिस विकास दुबे से कितनी नाराज नजर आ रही थी कि उसकी गिरफ्तारी से पहले ही दुबे के 5 साथियों को एनकाउंटर कर चुकी थी.
- विकास दुबे के गांव में स्थित उसके मकान को जेसीबी से ध्वस्त करा दिया गया.
- विकास दुबे के राजनीतिक और पुलिस से गठजोड़ के कई किस्से सामने आ रहे थे, जिनकी जांच जरूरी थी.
- कानुपर सहित अन्य कोर्ट के बाहर पुलिस ने बड़ा जाल बिछा रखा था, जिससे विकास दुबेे कोर्ट में जाकर सरेंडर नहीं कर सके.
- विकास दुबे से जुड़े वकीलों को भी पाबंद किया गया था कि अगर दुबे उनसे कोर्ट में सरेंडर के लिए संपर्क करें तो जानकारी पुलिस को देनी होगी.
- एनकाउंटर से पहले रास्ते में एसटीएफ की गाडियों के पीछे चल रही मीडिया कर्मियों को भी रोके जाने के समाचार हैं.
- कई सफेदपोश लोगों की असलियत सामने आती, कई राज दफन हो गए, यही सिस्टम चाहता था.
SC में कल शाम लगाई गई थी याचिका
उज्जैन में विकास दुबे की गिरफतारी के बाद सुप्रीम कोर्ट के एक वकील घनश्याम उपाध्याय ने गुरुवार देर रात याचिका दायर करते हुए विकास दुबे का एनकाउंटर किये जाने की आशंका जाहिर की थी.याचिका में यूपी पुलिस की भूमिका की जांच की मांग की गई है. याचिकाकर्ता आज ही सुनवाई की मांग कर सकते हैं. याचिका में कहा गया है कि मीडिया रिपोर्ट से लग रहा है कि विकास दुबे ने महाकाल मंदिर में गार्ड को खुद ही जानकारी दी. मध्य प्रदेश पुलिस को खुद ही गिरफ्तारी दी ताकि मुठभेड़ से बच सके.
याचिका में आशंका जताई गई थी कि यूपी पुलिस विकास का एनकाउंटर कर सकती है. याचिका में मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में सीबीआई से कराने की मांग की गई है. याचिका में कहा गया है कि दूबे का घर, शॉपिंग मॉल व गाडियां तोड़ने पर यूपी पुलिस के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर मामले की जांच समय सीमा में की जाए. ये सुनिश्चित किया जाए की कि पुलिस विकास दूबे का एनकाउंटर ना कर सके और उसकी जान बचाई जा सके. लेकिन इस याचिका पर सुनवाई से पहले ही विकास दुबे मारा गया.
कुछ सवाल… जो मांग रहे हैं जवाब
एनकाउंटर के बाद कई ऐसे अहम सवाल खड़े हो गए हैं, जिनका जवाब पुलिस और यूपी सरकार को देने होंगे.
- गाड़ियों के काफिले में आखिर जिसमें विकास दुबे था.. वो ही गाड़ी क्यों पलटी, जबकि आगे पीछे गाड़ियां थीं?
- कानपुर की सीमा में आने के बाद एसटीएफ के काफिले की गाड़ी का एक्सीडेंट कैसे हुआ?
- गाडी पलटी कैसे?
- क्या विकास दुबे इस हालत में था कि उसने एक्सीडेंट होते ही पुलिस के हथियार छीन लिए?
- क्या एसटीएफ ने विकास दुबे को लाते समय सावधानी नहीं बरती, जो उसने पुलिस से भिड़ने की हिम्मत जुटाई?
- विकास दुबे ने पहले पुलिस पर फायर किए या पुलिस ने उसे रोकने के लिए गोली चलाई?
- दोनों तरफ से इस एनकाउंटर के दौरान कितने राउंड गोली चली?
- जिस विकास दुबे ने खुद उज्जैन में चिल्ला चिल्लाकर मीडिया के सामने गिरफ्तारी दी थी. अचानक शुक्रवार की सुबह उसका मन कैसे बदल गया?
- खुद सरेंडर करने वाला विकास दुबे क्यों एक हथियार लेकर भागने की कोशिश करेगा?
- क्या विकास को हथकड़ी नहीं लगाई गई थी? क्या किसी और तरह की सावधानी नहीं बरती गई थी?
- आखिर कानपुर सीमा में आकर ही क्यों भागने लगा था विकास दुबे?
- क्या मुठभेड़ में सीने पर गोली मारी जाती है?
- क्या पुलिस का मकसद उसे रोकना नहीं, जान से मारना था ?
ऐसे ही कई सवाल विकास दुबे की मौत के बाद खड़े हो गए है, जिनका यूपी पुलिस का कोई भी अधिकारी फिलहाल जवाब नहीं दे रहा है. फिलहाल, इस पूरे घटनाक्रम पर सियासी बयानबाजी शुरू हो गई है.
एनकाउंटर पर सियासी बयानबाजी तेज
एनकाउंटर के बाद समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सवाल उठाते हुए तंज किया है. उन्होंने एक लाइन का ट्वीट किया है कि दरअसल ये कार नहीं पलटी है, राज खुलने से सरकार पलटने से बचाई गयी है. इससे पहले कल ही अखिलेश ने यादव ने विकास दुबे की गिरफ्तारी के बाद ट्वीट किया था कि खबर आ रही है कि ‘कानपुर-काण्ड’ का मुख्य अपराधी पुलिस की हिरासत में है. अगर ये सच है तो सरकार साफ करे कि ये आत्मसमर्पण है या गिरफ्तारी. साथ ही उसके मोबाइल की डिटेल सार्वजनिक करे जिससे सच्ची मिलीभगत का भंडाफोड़ हो सके..
दरअसल ये कार नहीं पलटी है, राज़ खुलने से सरकार पलटने से बचाई गयी है.
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) July 10, 2020
कांग्रेस महासचिव और यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी ने ट्वीट कर लिखा कि अपराधी का अंत हो गया, अपराध और उसको सरंक्षण देने वाले लोगों का क्या?
अपराधी का अंत हो गया, अपराध और उसको सरंक्षण देने वाले लोगों का क्या?
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) July 10, 2020
बसपा सुप्रीमो मायावती ने इस कांड की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में निष्पक्ष जांच की मांग की है.
2. यह उच्च-स्तरीय जाँच इसलिए भी जरूरी है ताकि कानपुर नरसंहार में शहीद हुए 8 पुलिसकर्मियों के परिवार को सही इन्साफ मिल सके। साथ ही, पुलिस व आपराधिक राजनीतिक तत्वों के गठजोड़ की भी सही शिनाख्त करके उन्हें भी सख्त सजा दिलाई जा सके। ऐसे कदमों से ही यूपी अपराध-मुक्त हो सकता है। 2/2
— Mayawati (@Mayawati) July 10, 2020
कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ.उदितराज ने कहा कि विकास दुबे ने पोलीस की हत्या करने की गलती कर दी वर्ना मारा न जाता. हो सकता है कि एक दिन MP या MLA बनता.
विकास दुबे ने पोलीस की हत्या करने की गलती कर दी वर्ना मारा न जाता।हो सकता है कि एक दिन MP या MLA बनता।कितने बड़े अपराधी उप्र में पड़े हैं लेकिन वो चतुर हैं।@INCIndia
— Dr. Udit Raj (@Dr_Uditraj) July 10, 2020
जिसका शक था वह हो गया। विकास दुबे का किन किन राजनैतिक लोगों से, पुलिस व अन्य शासकीय अधिकारियों से उसका संपर्क था, अब उजागर नहीं हो पाएगा। पिछले 3-4 दिनों में विकास दुबे के 2 अन्य साथियों का भी एनकाउंटर हुआ है लेकिन तीनों एनकाउंटर का पैटर्न एक समान क्यों है?
— digvijaya singh (@digvijaya_28) July 10, 2020