पॉलिटॉक्स ब्यूरो. गृहमंत्री अमित शाह ने सदन में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) लागू करने की बात क्या कही, देशभर में केवल यही बहस शुरु हो गई. कई नेताओं ने बयान दिए, कईयों ने खिलाफत की. अब ये मुद्दा राजनीति के पटल से उछलकर सोशल मीडिया पर आ पहुंचा है. यहां नेताओं की बहस हो रही है, बयान दिए जा रहे हैं. इस बयानबाजी की जंग में अब ममता बनर्जी के रणनीतिकार और विशेष सलाहकार प्रशांत किशोर भी उतर आए हैं.
प्रशांत किशोर ने सोशल मीडिया पर एक ट्वीट पोस्ट करते हुए लिखा, ’15 से अधिक राज्यों में गैर भाजपाई मुख्यमंत्री हैं और ये ऐसे राज्य हैं जहां देश की 55 फीसदी से अधिक आबादी है. आश्चर्य यह हे कि उनमें से कितने लोगों के से एनआसी पर विमर्श किया गया और कितने राज्य इसे लागू करने को तैयार हैं.
15 plus states with more than 55% of India’s population have non-BJP Chief Ministers. Wonder how many of them are consulted and are on-board for NRC in their respective states!!
— Prashant Kishor (@PrashantKishor) November 20, 2019
ऐसा नहीं है कि प्रशांत किशोर ने पहली बार NRC पर सवाल उठाया है. इससे पहले भी प्रशांत ने एक ट्वीट कर कहा था कि NRC ने अपने देश में लाखों लोगों को विदेशियों के रूप में छोड़ दिया!
A botched up NRC leaves lakhs of people as foreigners in their own country!
Such is the price people pay when political posturing & rhetoric is misunderstood as solution for complex issues related to national security without paying attention to strategic & systemic challenges.
— Prashant Kishor (@PrashantKishor) September 1, 2019
उनके इस ट्वीट और सोच को सुनकर गिरिराज सिंह कहां चुप रहने वाले हैं. केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने पलटवार करते हुए कहा, ‘अमित शाह जब बोलते हैं तो कई लोगों को बुरा लगता है. कोई कहता है कि हम अपने राज्य में इसे लागू नहीं होने देंगे. इसमें सहमति और आम सहमति का क्या सवाल है? एनआरसी के माध्यम से तो उन्हें निकाला जाएगा जो अवैध हैं.
केंद्रीय मंत्री ने ट्वीट करते हुए लिखा, ‘गृहमंत्री अमित शाह के अनुसार, हिंदू, बौद्ध, सिख, जैन, ईसाई, पारसी शरणार्थियों को नागरिकता मिलनी चाहिए, इसीलिए नागरिकता संशोधन विधेयक की आवश्यकता है ताकि पाकिस्तान, बांग्लादेश या अफगानिस्तान में धर्म के आधार पर भेदभाव करने वाले इन शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता मिल सके.’
गृहमंत्री अमित शाह जी : हिंदू, बौद्ध, सिख, जैन, ईसाई, पारसी शरणार्थियों को नागरिकता मिलनी चाहिए, इसीलिए नागरिकता संशोधन विधेयक की आवश्यकता है ताकि पाकिस्तान, बांग्लादेश या अफगानिस्तान में धर्म के आधार पर भेदभाव करने वाले इन शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता मिल सके। pic.twitter.com/FD2ErquWxp
— Shandilya Giriraj Singh (@girirajsinghbjp) November 20, 2019
एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा, ‘एक देश एक कानून और एक नागरिकता, यही है हिंदुस्तान की पहचान. NRC है हिंदुस्तान की मांग’
एक देश एक कानून और एक नागरिकता, यही है हिंदुस्तान की पहचान।
NRC है हिंदुस्तान की मांग।
— Shandilya Giriraj Singh (@girirajsinghbjp) November 22, 2019
इस मसले पर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी अपनी राय रखी. सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए उन्होंने कहा, ‘गृहमंत्री अमित शाह का NRC फॉर्मूला असम में विफल रहा. यहां तक कि राज्य भाजपा इकाई ने भी इसके खिलाफ विद्रोह किया है. असम में एनआरसी के कार्यान्वयन की हर पार्टी आलोचना कर रही है. एनडीए ने इस पर करोड़ों खर्च किए और इसका परिणाम असफल रहा’.
HM Amit Shah ji’s #NRC has failed in #Assam. Even State BJP unit has revolted against it. Every party is criticizing the implementation of NRC in Assam. NDA spent crores on it and the result has been a failure. pic.twitter.com/M712f5xxY1
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) November 21, 2019
वहीं सोशल मीडिया पर #BoycottNRC हैशटैग जोरो शोरों से ट्रेंडिंग कर रहा है. इस हैशटैग से सोशल मीडिया के यूजर्स ‘एनआरसी क्यों लागू नहीं होना चाहिए’ पर अपनी राय ट्वीटर पर पोस्ट कर रहे हैं.
एक सोशल मीडिया यूजर ने पोस्ट किया, ‘जिस गरीब के पास खाने के लिए दो वक़्त की रोटी नहीं होती है, वो अपनी कागजात कहां से खोजेंगे? एनआरसी में सिर्फ असम में हजारों करोड़ रुपए फूंक दिए गए 5 साल का वक्त लगा लेकिन हासिल कुछ नहीं हुआ’.
जिस गरीब के पास खाने के लिए दो वक़्त की रोटी नहीं होती है , वो अपनी कागजात कहां से खोजेंगे ?
एनआरसी में सिर्फ असम में हजारों करोड़ रुपए फूंक दिए गए 5 साल का वक्त लगा .. लेकिन कुछ हासिल नहीं हुआ .. और अब वहां भी फिर से लागू होगी #NRC
RT करें !!#BoycottNRC— Hasnat (@hasnat_sk1) November 21, 2019
वहीं एक अन्य यूजर ने कहा, ‘#BoycottNRC के प्रति देशव्यापी जागरूकता होनी चाहिए क्योंकि ये एक तमाशा है’.
There must be a nationwide awareness to #BoycottNRC.
Its a farce.The NRC executed in Assam was done as per order SC orders. The Assam govt. wants to reject it now to be part of the national NRC process. Because the results do not suit their vested interests.
— Surabhi (@SurabhiHom) November 20, 2019
एक राजनीतिक पार्टी के ट्विटर हैंडल से पोस्ट किया गया, ‘एनआरसी अभ्यास की ऐसी आश्चर्यजनक सफलता है कि असम सरकार ने केंद्र से हाल ही में प्रकाशित राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) को अस्वीकार करने का अनुरोध किया. हमें विभाजन से ठीक होने में लंबा समय लगा. अपने विभाजनकारी राजनीति के नाम पर हमारे देश को अलग मत करो’.
Such is the astounding success of NRC exercise that Assam govt has requested Centre to reject recently published National Register of Citizens (NRC).
It took us a long time to heal from partition. Don’t rip apart our country in the name of your divisive politics. https://t.co/9fU622zllO
— All India Mahila Congress (@MahilaCongress) November 21, 2019