पॉलिटॉक्स ब्यूरो. सीएए और एनआरसी के खिलाफ दिल्ली के शाहीन बाग पर पिछले 53 दिनों से चल रहे धरने-प्रदर्शन की आवाज अब देश के अन्य हिस्सों से भी उठना शुरू हो गई है. शाहीन बाग की तर्ज पर राजस्थान की राजधानी जयपुर के शहीद स्मारक (Shaheen Bagh in Jaipur) पर भी 31 जनवरी से चला धरना-प्रर्दशन छठे दिन बुधवार को भी जारी है. मुस्लिम व अन्य संगठनों द्वारा दिये जा रहे इस धरने में सैंकड़ों की संख्या में महिलाएं, युवक और बुजुर्ग हिस्सा ले रहे हैं. इस धरने को विभिन्न समाज के प्रतिनिधि भी शहीद स्मारक पर पहुंचकर अपना समर्थन दे रहे हैं. मंगलवार को राजस्थान सरकार के किशनपोल विधायक अमीन कागजी, आदर्श नगर विधायक रफीक खान भी धरना स्थल पर पहुंचे और शांतिपूर्ण धरना प्रदर्शन करने की अपील की.
विधायक अमीन कागजी ने शहीद स्मारक (Shaheen Bagh in Jaipur) पर दिए जा रहे इस धरने पर कहा कि जो लोग फिक्रमंद हैं, वो लोग पूरे देश में आंदोलन पर है. इस देश को आजादी दिलाने वाले लोगों ने आज जिस हालात में देश है, उसकी परिकल्पना भी नहीं की थी. हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने कभी सोचा भी नहीं था कि हमारे संविधान पर संकट होगा. इस मौके पर उन्होंने केंद्र सरकार से देशवासियों की भावनाओं को समझने और इस कानून को वापस लेने की अपील की.
शहीद स्मारक पर दिये जा रहे धरने पर अल्पसंख्यक मामलात मंत्री साले मोहम्मद ने कहा कि लोकतंत्र में सभी को अपनी बात रखने का अधिकार है. आज पूरे देश में सीएए का विरोध हो रहा है. दिल्ली में डेढ महीने से महिलाएं धरने पर बैठी हैं. केंद्र सरकार उनकी आवाज को दबा रही है. हमारा देश धर्मनिरपेक्ष देश है. सभी धर्म के लोग एक साथ मिलकर चलते है. केंद्र सरकार देश को धर्म के नाम पर बांटना चाहती है जो कि देश के लिए अच्छी बात नहीं है. विरोध करने का अधिकार सभी को है. केंद्र सरकार को लोगों की बात सुननी और समझनी चाहिए. महिलाएं अपने घर का कामकाज छोड़कर धरने पर बैठी है, लेकिन बीजेपी उनके उपर ही पैसे लेकर धरने में बैठने का आरोप लगा रही है. पूरे देश में शाहीन बाग इसलिए बन रहे है क्योंकि केंद्र सरकार महिलाओं की आवाज को दबा रही है.
उप मुख्य सचेतक महेंद्र चौधरी ने इस धरने (Shaheen Bagh in Jaipur) पर कहा कि सीएए और एनआरसी कानून में जो भी खामियां है, उस पर पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को सोचना चाहिए कि इस कानून में जो भी खामियां है, उसे कैसे दूर किया जा सकता है. देश में जगह जगह धरने हो रहे है, विधानसभाओं में प्रस्ताव लाए जा रहे हैं, फिर भी केंद्र में बैठे मोदी और शाह कह रहे हैं कि हमने जो कर दिया वह फाइनल है. पूरे देश में इस कानून को लेकर विरोध हो रहा है. केंद्र सरकार को इस पर पुर्नविचार करना चाहिए.
शहीद स्मारक पर ज्वाइंट एक्शन फोरम के कन्वीनर हाफिज मंजूर अली खान ने धरने में मौजूद लोगों से केंद्र सरकार द्वारा लाए गए सीएए, एनआरसी व एनपीआर के बारे में बताते हुए आह्वान किया कि वे ऐसे किसी काले कानून को नहीं मानेंगे. मंजूर अली खान ने आगे कहा कि देश के संवैधानिक लोकतांत्रिक ढांचे को मजबूती देते हुए अपने उत्तरदायित्व का निर्वहन करें.
शहीद स्मारक पर आयोजित सभा को संबोधित करते हुए मुफ्ती अखलाक अहमद ने कहा कि केन्द्र सरकार की ओर से लाया गया सीएए कानून देश व समाज को जाति और धर्म के आधार पर बांटने वाला तथा संविधान और लोकतांत्रिक प्रणाली के खिलाफ है, जिसका हम पुरजोर विरोध कर रहे है. हम देश की गंगा-जमुनी तहजीब को हर हाल में मजबूती प्रदान करेंगे और साम्प्रदायिक सौहार्द बिगाडने वालों का मुहतोड जवाब देंगे. न्याय मिलने तक हमारा आंदोलन अनवरत जारी रहेगा.
शहीद स्मारक (Shaheen Bagh in Jaipur) पर चल रहे इस धरने को भारतीय क्रांति मोर्चा, भीम सेना, तन्जीम-ए-मिल्लत, जेएएफ जयपुर, जमाअत-ए-ईस्लामी हिन्द, जमिअत उलमा-ए-हिन्द, बामसेफ, पीएफआई, ईमाम्स कोन्सिल, मिल्ली कोन्सिल, एसडीपीआई, वेलफेयर पार्टी ऑफ इण्डिया, जाट महसभा, अम्बेडकर वेलफेयर सोसायटी, राजस्थान मुस्लिम फोरम, दलित मुस्लिम एकता मंच, मुस्लिम महासभा, मेघवाल महासभा, सामाजिक न्याय सभा, राजपूत सेवादल, वूमेन इण्डिया मूवमेन्ट, ऑल इण्डिया मसाइख बोर्ड, युवा जमिअतुल कुरैष सहित अन्य कई संगठनों ने धरने को समर्थन दिया है.