शिक्षकों ने खोली पोल तो गहलोत सरकार पर बिफरी भाजपा- न गांव न शहरों के संग, प्रशासन रिश्तेदारों संग

शिक्षकों के ट्रांसफर में 'भ्रष्टाचार के खुलासे' के बाद गहलोत सरकार पर बरसे भाजपाई दिग्गज, पूनियां बोले- सीएम गहलोत और शिक्षामंत्री की मौजूदगी में खुल गई सरकार की पोल, आकंड भ्रष्टाचार में डूबी है गहलोत सरकार, राठौड़ ने कहा- राजस्थान में बह रही है भ्रष्टाचार की गंगोत्री

शिक्षकों ने खोली पोल तो भाजपा को मिला मौका
शिक्षकों ने खोली पोल तो भाजपा को मिला मौका

Politalks.News/Rajasthan. नवाचार के लिए जाने जाने वाले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा मंगलवार को किए गए नवाचार के बाद जो कुछ हुआ और जो सुनने को मिला, उसकी तो खुद सीएम ने भी उम्मीद नहीं की होगी. दरअसल, राज्यस्तरीय शिक्षक सम्मान समारोह को संबोधित करते हुए अचानक सीएम गहलोत शिक्षकों से पूछ बैठे, ट्रांसफर में पैसे देने पड़ते हैं क्या? इसके जवाब में शिक्षकों ने जो कहा उसे सुनकर मुख्यमंत्री गहलोत खुद ही झेंप गए. शिक्षामंत्री की उपस्थिति में हुए इस वाकये से एक बार तो सीएम गहलोत के चेहरे का रंग ही उड़ गया. हालांकि सीएम गहलोत ने इसे दुखदायी बताया, मगर मौके की ताक में बैठी भाजपा ने सरकार को ही कटघरे में खड़ा कर दिया है. भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां और उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने सरकार पर जमकर जुबानी हमला बोला. पूनियां ने कहा कि, ‘शिक्षकों ने सरकार की पोल खोल दी है. इस सरकार में न शहरों के संग और न गांवों के संग बल्कि प्रशासन रिश्तेदारों के संग अभियान चल रहा है’. वहीं राठौड़ ने कहा कि, ‘गहलोत सरकार में भ्रष्टाचार की गंगोत्री बह रही है‘. सोशल मीडिया पर भी इस वाक्ये को लेकर कई कमेंट आ रहे हैं.

सीएम गहलोत और शिक्षा मंत्री की मौजूदगी में हुआ भ्रष्टाचार का खुलासा- पूनियां
शिक्षक सम्मेलन में शिक्षकों के खुलासे के बाद भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां ने कहा कि,’मुख्यमंत्री अशोक गहलोत नए-नए प्रयोग करते हैं, उन्होंने आज प्रयोग किया कि उनकी अपनी सरकार के शिक्षा मंत्री और पीसीसी चीफ गोविन्द डोटासरा की मौजूदगी में अध्यापकों से पूछा कि ट्रांसफर के लिए पैसे देने पड़ते हैं या नहीं, तो अध्यापकों ने कहा कि, राजस्थान सरकार के शासन में पैसे देकर ट्रांसफर होते हैं’.

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आकंठ भ्रष्टाचार में डूबी है गहलोत सरकार- पूनियां
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष पूनियां ने कहा कि, ‘राजस्थान की कांग्रेस सरकार में भ्रष्टाचार अब शिष्टाचार हो गया है, प्रशासन गांवों और शहरों के संग नहीं, रिश्तेदारों के संग है, इसलिए प्रत्यक्ष को प्रमाण की आवश्यकता नहीं है. कांग्रेस सरकार आकंठ भ्रष्टाचार में डूबी हुई है’. पूनियां ने कहा कि,’राजस्थान सरकार के भ्रष्टाचार के प्रमाण इनकी सरकार के विधायक भरत सिंह से लेकर हेमाराम चौधरी और दीपेंद्र सिंह शेखावत इत्यादि तमाम नेताओं ने समय-समय पर दिए हैं. कभी मंथली की बात होती है तो कभी खनन घोटाले की बात होती है, और अब राजस्थान के बड़े वर्ग शिक्षकों ने इस बात पर मुहर लगा दी की राजस्थान में भ्रष्टाचार अब शिष्टाचार है’.

गहलोत सरकार में बह रही है भ्रष्टाचार की गंगोत्री- राठौड़
उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने भी गहलोत सरकार को आड़े हाथ लिया है. राठौड़ ने कहा कि, ‘जन घोषणा पत्र में ‘Zero Discretion, Zero Corruption & Zero Tolerance’ के सिद्धांत पर काम करने का वादा करने वाली गहलोत सरकार के शासन में भ्रष्टाचार की गंगोत्री बह रही है, जिसमें सभी गोते लगा रहे हैं. आज हमारे शिक्षकों ने मुखियाजी को इस हकीकत से भी रूबरू करवा दिया है’. राठौड़ ने कहा कि,’कांग्रेस राज में किसी भी सरकारी विभाग में बिना रिश्वत के कोई काम नहीं होता. ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की रिपोर्ट में प्रदेश के 64 प्रतिशत नागरिकों ने भी स्वीकारा है कि सरकार में बिना रिश्वत के कोई काम नहीं करवाया जा सकता है’.

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ट्रांसफर के लिए पैसे देने पड़ते हैं क्या- गहलोत
जयपुर के बिड़ला सभागार में शिक्षक सम्मान समारोह के दौरान जब मुख्यमंत्री गहलोत ने पूछा कि, ‘क्या अब प्रदेश में ट्रांसफर और पोस्टिंग के लिए पैसे देने पड़ते हैं तो इसके जवाब में सभी शिक्षकों ने ‘हां’ कह दिया. इसके बाद सीएम थोड़े असहज नजर आए. हालांकि शिक्षकों का जवाब सुनकर गहलोत ने कहा, कमाल है, यह बहुत ही दुखदायी बात हैं कि शिक्षकों को पैसे देकर ट्रांसफर करवाना पड़ा. ऐसी कोई ट्रांसफर पॉलिसी बन जाए जिससे सबको मालूम रहे कि उसका ट्रांसफर कब होना है? तब फिर न पैसे चलेंगे न शिक्षकों को ट्रांसफर के लिए किसी विधायक के पास पड़ेगा. सीएम के बयान से राज्य के शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा के लिए भी मुश्किल पैदा हो गई. राज्य में तीन साल की सरकार के बाद अब तक ऐसी कोई पॉलिसी क्यों नहीं आ सकी? इस सवाल को विपक्ष मुद्दा बना सकता है. यही वजह रही कि डोटासरा ने अपने बयान में कहा कि, ‘सीएम और मंत्रालय ऐसी नीति लाना चाहते हैं जिसके तहत किसी भी शिक्षक को ट्रांसफर के लिए पैसे न देने पड़ें’.

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