Suvendu Adhikari Latest News – बंगाल की राजनीति देश के अन्य क्षेत्रो की राजनीति से अलग हट कर होती है. वहां एक बात यह देखी गई है कि वहां की सरकारें जिन भी पार्टियों की बनी हो, वे सभी के सभी दिल्ली में बनने वाली सरकार की विरोधी ही रही है. दूसरी बात यह है कि वहां एक ही पार्टी की सरकार लम्बे समय तक शासन प्रशासन में बनी रहती है. एक समय वहां वामपंथी पार्टी का शासन था तो उसके हटने के बाद ममता बनर्जी आ गई और यह भी लम्बे समय से शासन में बनी हुई है. ममता तीसरे टर्म में मुख्यमंत्री बनी है. ममता बनर्जी पहली बार 20 मई 2011 को, दूसरी बार 27 मई 2016 को तो तीसरी बार 5 मई 2021 को मुख्यमंत्री पद के लिए शपथ ली.
शुरूआती वर्षो में वामपंथी सरकार को उखाड़कर राज्य में ममता राज्य स्थापित करने में कई नेताओ की भूमिका मानी जाती है. उनमें एक का नाम है-‘शुभेंदु अधिकारी.‘ यह आश्चर्य की बात है कि जो शुभेंदु अधिकारी एक समय ममता की पार्टी के प्रमुख नेता हुआ करते थे वही अब भाजपा के नेता है और वह भी बंगाल विधानसभा में विरोधी दल के नेता के तौर पर. इस लेख में हम आपको पश्चिम बंगाल के नंदीग्राम विधानसभा सीट से भाजपा के विधायक श्री शुभेंदु अधिकारी की जीवनी (Suvendu Adhikari Biography in Hindi) के बारें में जानकारी देने वाले है.
शुभेंदु अधिकारी की जीवनी (Suvendu Adhikari Biography in Hindi)
पूरा नाम | शुभेंदु अधिकारी |
उम्र | 54 साल |
जन्म तारीख | 15 दिसंबर 1970 |
जन्म स्थान | पश्चिम बंगाल के पूर्व मेदिनीपुर |
शिक्षा | स्नातकोत्तर |
कॉलेज | नेताजी सुभाष चंद्र मुक्त विश्वविद्यालय |
वर्तमान पद | पश्चिम बंगाल के नंदीग्राम विधानसभा सीट से भाजपा के विधायक |
व्यवसाय | राजनीतिज्ञ, व्यापार |
राजनीतिक दल | भारतीय जनता पार्टी |
वैवाहिक स्थिति | अविवाहित |
पिता का नाम | शिशिर कुमार अधिकारी |
माता का नाम | गायत्री |
पत्नी का नाम | – |
बच्चे | – |
बेटें का नाम | – |
बेटी का नाम | – |
स्थाई पता | पश्चिम बंगाल |
वर्तमान पता | पश्चिम बंगाल |
फोन नंबर | – |
ईमेल | – |
शुभेंदु अधिकारी का जन्म और परिवार (Suvendu Adhikari Birth & Family)
शुभेंदु अधिकारी का जन्म 15 दिसंबर 1970 को पश्चिम बंगाल के पूर्व मेदिनीपुर जिले के पास स्थित कस्बा करकुली में हुआ था.
उनके पिता का नाम शिशिर कुमार अधिकारी और माता का नाम गायत्री है.
शुभेंदु अधिकारी के पिता भी राजनीति में रह चुके है. वह पहले कांग्रेस में और फिर तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए थे. शिशिर कुमार अधिकारी कांथी लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से एमपी रह भी चुके है और मनमोहन सिंह सरकार के दूसरे कार्यकाल में केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्य मंत्री का पद भार भी संभाला था. एमपी बनने से पहले वह बंगाल के एगरा विधान सभा से सदस्य हुआ करते थे.
शुभेंदु अधिकारी चार भाई है. इनके तीन भाइयों में कृष्णेंदु अधिकारी, दिब्येंदु अधिकारी और सौमेंदु अधिकारी है. दिव्येंदु अधिकारी और सौमेंदु अधिकारी भी राजनीति में सक्रिय है. दिव्येंदु अधिकारी तामलुक से पूर्व सांसद है जबकि सौमेंदु अधिकारी कांथी से सांसद हैं. कृष्णेंदु अधिकारी बंगाली फिल्म में अभिनेता, निर्माता व निर्देशक है.
शुभेंदु अधिकारी की शादी नहीं हुई है.शुभेंदु अधिकारी पर एक आपराधिक मामला दर्ज है.
शुभेंदु अधिकारी की शिक्षा (Suvendu Adhikari Education)
शुभेंदु अधिकारी ने नेताजी सुभाष चंद्र मुक्त विश्वविद्यालय, बंगाल से वर्ष 2011 में स्नातकोत्तर (MA) किया था.
शुभेंदु अधिकारी का शुरूआती जीवन (Suvendu Adhikari Early Life)
शुभेंदु अधिकारी राजनैतिक घराने से आते है और उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी रही है. उनके पिता और बाद में भाइयों का भी बंगाल की राजनीति में महत्वपूर्ण स्थान रहा है. इस कारण अधिकारी का शुरुआत से ही राजनीति से लगाव रहा है और इसी कारण आगे चलकर वह बंगाल की राजनीति में सक्रिय हो गए.
शुभेंदु अधिकारी का राजनीतिक करियर (Suvendu Adhikari Political Career)
शुभेंदु अधिकारी बंगाल की राजनीति में महत्वपूर्ण स्थान रखते है और वह वहां के एक लोकप्रिय नेता के रूप में भी जाने जाते हैं. उन्हें उग्र आंदोलन करने के लिए भी जाना जाता है. चूँकि शुभेंदु वैसे घराने से आते है जहां के परिवेश में ही राजनीति शामिल थी इस कारण वह युवा काल में ही राजनीति में आ गए थे. उनका 25 वर्ष की कम आयु में राजनीति में इंट्री हो गई थी, जब वह 1995 में कांग्रेस के टिकट पर काठी नगर पालिका के नगर पार्षद चुने गए थे. उसके बाद वह लगातार राजनीति में सक्रिय रहे.
शुभेंदु अधिकारी 2007 में बंगाल के नंदीग्राम में टाटा ग्रुप के द्वारा प्रस्तावित भूमि अधिग्रहण के विरोध में आयोजित किये गए विभिन्न आंदोलनों में भी बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया था. उस समय तत्कालीन राज्य की वामपंथी सरकार ने राज्य के विकास हेतु प्राइवेट सेक्टर के आने के लिए राज्य में मार्ग सुगम करने पर ध्यान दिया था और इसी कड़ी में गांव के दस एकड़ जमीन प्राइवेट सेक्टर को देने का निर्णय लिया था ताकि वहां फैक्टरी स्थापित हो और पर उस समय राज्य में ममता बनर्जी जो विरोधी थी, उसका जमकर विरोध किया. शुभेंदु अधिकारी उस समय ममता के ही साथ थे और उन्होंने उस आंदोलन को खुलकर हवा दिया. शुभेंदु अधिकारी पर राज्य की जाँच एजेंसी सीआईडी ने यह भी आरोप लगाया था कि उस आंदोलन में अधिकारी ने राज्य सरकार व समाज के विरुद्ध हिंसा फैलाने में माओवादी जैसे खूंखार उग्रवादी संघठन से सहयोग लिया था.
उसी आंदोलन के बाद ममता बनर्जी राज्य में प्रमुख नेत्री के रूप में उभरी थी. इसलिए कहा जा सकता है कि ममता बनर्जी को इस ऊंचाई तक पहुंचाने में शुभेंदु अधिकारी की बड़ी भूमिका रही है.
इसी के बाद ममता शुभेंदु से खुश होकर उन्हें पश्चिम मेदिनीपुर, पुरुलिया और बांकुरा जिलों का पार्टी प्रभारी बना दिया. यही से शुभेंदु को एक नई राजनीतिक पहचान मिली जो उनके राजनैतिक कैरियर के लिए वरदान साबित हुई. इसी के बाद 2009 के लोक सभा चुनाव में शुभेंदु तामलुक निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा सांसद चुने गए. तामलुक लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र बंगाल के पूर्वी मेदनीपुर जिले का मुख्यालय है और यह देश का एक लोक सभा क्षेत्र भी है. उस चुनाव में शुभेंदु अधिकारी ने भारतीय कम्पुनिस्ट पार्टी के उम्मीदवार लक्ष्मण सेठ को लगभग 1,73,000 मतों के अंतर से हराया था.
बाद में वह ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस से वर्ष 2016 में राज्य के विधानसभा में खड़े हो गए और नंदीग्राम विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से जीत दर्ज की थी. जीत के बाद अधिकारी ने एमपी के पद से त्यागपत्र दे दिया और राज्य की ममता बनर्जी की दूसरे कार्यकाल वाली सरकार के मंत्रिमंडल में शामिल हो गए. उस समय अधिकारी को ममता की सरकार में परिवहन मंत्री बनाया गया था.
शुभेंदु अधिकारी के राजनैतिक कैरियर में वर्ष 2020 महत्वपूर्ण था क्योकि इसी वर्ष इन्होने अपनी उस पार्टी को अलविदा कह दिया जिसमें रहते हुए अधिकारी ने एक नेता के तौर पर राज्य में अपनी पहचान बनाई थी. उन्होंने इसी वर्ष 27 नवंबर को राज्य के परिवहन मंत्री के पद से त्यागपत्र दे दिया और बाद में विवाद बढ़ने पर अगले महीने 16 दिसंबर 2020 को बंगाल की विधानसभा से और 17 दिसंबर 2020 तृणमूल कांग्रेस से भी त्यागपत्र दे दिया. बाद में वह 19 दिसंबर 2020 को भाजपा प्रमुख व देश के गृह मंत्री अमित शाह की उपस्थिति में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए.
वर्ष 2021 भी शुभेंदु अधिकारी के लिए जीवन के एक महत्वपूर्ण वर्ष में से एक था क्योकि इसी वर्ष राज्य में विधान सभा के चुनाव हुए थे और इस चुनाव में शुभेंदु पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव पहली बार भाजपा के उम्मीदवार के तौर पर खड़े हुए थे. यह चुनाव उनके जीवन का अब तक का सबसे महत्पूर्ण चुनाव था क्योकि उनके प्रतिद्वंदी और कोई नहीं तृणमूल पार्टी सुप्रीमो ममता बनर्जी से सामना था. चुनाव हुए और परिणाम आये. पर परिणाम ममता के लिए चौकाने वाला जबकि शुभेंदु के लिए सरप्राइज देने वाला था. शुभेंदु अधिकारी ने 2021 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में नंदीग्राम विधानसभा सीट पर पश्चिम बंगाल की मौजूदा मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को 1,956 मतों से हरा दिया था. इसी के बाद मई 2022 को भाजपा ने शुभेंदु अधिकारी को बंगाल विधानसभा में पार्टी का नेता घोषित कर दिया. जिसके बाद शुभेंदु बंगाल में विपक्ष के नेता बन गए.
वर्त्तमान में, शुभेंदु अधिकारी पश्चिम बंगाल के नंदीग्राम विधानसभा सीट से भाजपा के विधायक है और पश्चिम बंगाल विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष है.
शुभेंदु अधिकारी की संपत्ति (Suvendu Adhikari Net Worth)
2021 में बंगाल विधानसभा चुनाव के समय दाखिल किये गए घोषणापत्र के अनुसार शुभेंदु अधिकारी की चल-अचल मिलाकर कुल संपत्ति 1 करोड़ 5 लाख हैं, जबकि उनपर कोई कर्ज नहीं है.
इस लेख में हमने आपको पश्चिम बंगाल के नंदीग्राम विधानसभा सीट से भाजपा के विधायक शुभेंदु अधिकारी की जीवनी (Suvendu Adhikari Biography in Hindi) के बारे में जानकारी दी है. अगर आपका कोई सुझाव है तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं.