Politalks.News/KisaanAandolan. 26 जनवरी को किसान ट्रैक्टर रैली के दौरान भड़की हिंसा को लेकर यही माना जा रहा था कि यह हमारे खुफिया तंत्र की नाकामयाबी है, लेकिन सूत्रों की माने तो खुफिया एजेंसियों को करीब 20 दिन पहले से ही यह अंदेशा था कि प्रदर्शनकारी लाल किले में सेंध लगा सकते हैं. जनवरी के पहले हफ्ते में इंटेलिजेंस ब्यूरो के स्पेशल डायरेक्टर की अध्यक्षता में उच्च-स्तरीय बैठक की गई थी. इस बैठक के दौरान यह ब्रीफिंग दी गई थी कि प्रतिबंधित संगठन सिख फॉर जस्टिस (SFJ) लाल किले पर खालिस्तानी झंडा फहरा सकता है.
आपको बता दें, अलगाववादी संगठन सिख फ़ॉर जस्टिस (SFJ) साल 2007 में बना था. अमेरिका में स्थित सिखों का यह संगठन सिखों के लिए शुरू से अलग खालिस्तान की मांग करता रहा है. इससे पहले इस संगठन SFJ ने गणतंत्र दिवस के दिन लाल किले पर खालिस्तानी झंडा फहराने वाले के लिए 3 लाख 50 हजार डॉलर की इनाम राशि की घोषणा की थी.
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इंटेलिजेंस ब्यूरो के स्पेशल डायरेक्टर की अध्यक्षता में हुई उच्च-स्तरीय बैठक में इस स्थिति से निपटने के लिए प्रबंधों पर भी चर्चा की गई थी. मीटिंग में रॉ, एसपीजी, हरियाणा पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों के अलावा दिल्ली पुलिस के 8 शीर्ष अधिकारी, इंटेलिजेंस ब्यूरो के 12 टॉप ऑफिसर शामिल थे. सूत्रों के मुताबिक, बैठक के दौरान यह भी चर्चा की गई कि थी कि लाल किले को 20 से 27 जनवरी के बीच बंद कर दिया जाए और इसको लेकर दिल्ली पुलिस से भी जवाब मांगा गया था.
सुरक्षा एजेंसियों को भी दिल्ली की ऐतिहासिक और राष्ट्रीय महत्व रखने वाली इमारतों पर सुरक्षा बढ़ाने के निर्देश थे ताकि कट्टरपंथी सिख और एसएफजे की ओर से किसी भी तरह की गलत गतिविधि को होने से रोका जा सके. एक शीर्ष अधिकारी ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया, ‘बैठक के दौरान अधिकारियों ने कहा कि सिख हर साल गणतंत्र दिवस को ‘ब्लैक डे’ के तौर पर मनाते हैं और इस साल इन संगठनों के कई नेता देश में चल रहे किसान आंदोलन में मौजूद हैं. दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों को भी इन कट्टरपंथी नेताओं की तरफ से आर्थिक फंडिंग मिल रही है.’
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यही नहीं सूत्रों की मानें तो 26 जनवरी को दोपहर 12 बजे के आसपास एजेंसियों को यह इनपुट भी मिला था कि ट्रैक्टर रैली निकाल रहे किसान पीएम आवास, गृह मंत्री आवास, राजपथ, इंडिया गेट और लाल किले की तरफ भी बढ़ सकते हैं. यह मेसेज दिल्ली की सुरक्षा में लगे सभी पुलिस अधिकारियों को समय रहते मिल गया था. ऐसे में अब सवाल उठता है कि-
- दिल्ली पुलिस ने लाल किले की सुरक्षा के लिए तुरन्त अतिरिक्त फ़ौज क्यों नहीं मंगवाई?
- जब उच्चस्तरीय बैठक में अनहित की आशंका के चलते लाल किले को 20 से 27 जनवरी के बीच बंद करने के लिए दिल्ली पुलिस को सलाह दी गई थी तो दिल्ली पुलिस ने इस पर अमल क्यों नहीं किया या उसे किसने ऐसा करने से रोका? यहां आपको बता दें, हाल ही में पहले कोरोना और उसके बाद बर्ड फ्लू के चलते लाल किले को बंद किया गया था, तो देश की आन तो इससे ज्यादा जरूरी थी.
- दीप सिधू या अन्य कुछ युवाओं की वायरल हो रही तस्वीरों को देखें तो यह साफ पता चलता है कि यह लोग पहले से लाल किले में मौजूद थे और पुलिस वालों ने इन्हें रोका नहीं बल्कि पुलिस वाले इन फोटोज़ में बहुत सामान्य स्थिति में खड़े नजर आ रहे हैं.
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- सबसे बड़ा सवाल जब हमारी खुफिया एजेंसियों ने इतना बड़ा इनपुट दे दिया था तो फिर आईटीओ और लाल किले पर पैरा मिलिट्री फोर्स को पहले आए तैनात क्यों नहीं किया गया?
- क्यों इतनी आसानी से कुछ किसान रूपी उग्रवादियों को लाल किले वाले रास्ते पर जाने दिया, लाल किले में घुसने दिया और बाद में विरोध किया?
- लगभग सारे किसान नेताओं पर तत्काल एफआईआर दर्ज की गई जो वहां मौजद भी नहीं थे, जबकि जो वहां मौजूद था, स्वीकार कर रहा है कि मैंने झंडा फहरवाया उस दीप सिधू और लक्खा सिधाना के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने में बहुत समय लग गया दिल्ली पुलिस को?