किसानों को बदनाम करने की साजिश का एसकेएम ने किया बड़ा खुलासा, जारी रहेगा किसान आंदोलन

जो कुछ जनता द्वारा देखा गया, वह पूरी तरह से सुनियोजित था, 26 जनवरी को हुई कुछ अफसोसजनक घटनाओं के लिए नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए एक फरवरी के लिए निर्धारित संसद मार्च को स्थगित करने का लिया फैसला, साथ ही 30 जनवरी को गांधीजी के शहादत दिवस पर शांति और अहिंसा पर जोर देने के लिए पूरे देश में एक दिन का रखेंगे उपवास

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Politalks.News/FarmersProtest. संयुक्त किसान मोर्चा ने (एसकेएम) 26 जनवरी की घटना को लेकर बड़ा बयान दिया है. बुधवार को संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने कहा है कि पिछले 7 महीनों से चल रहे शांतिपूर्ण आंदोलन को बदनाम करने की साजिश अब जनता के सामने उजागर हो चुकी है. मोर्चा के नेताओं ने कहा, ‘कुछ व्यक्तियों और संगठनों मुख्य तौर पर दीप सिधु और सतनाम सिंह पन्नू की अगुवाई में किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के सहारे सरकार ने इस आंदोलन को हिंसक बनाया. हम फिर से स्पष्ट करते हैं कि हमारा लाल किले और दिल्ली के अन्य हिस्सों में हुई हिंसक कार्रवाइयों से कोई संबंध नहीं है. जो कुछ जनता द्वारा देखा गया, वह पूरी तरह से सुनियोजित था. हमलोग 26 जनवरी को हुई कुछ अफसोसजनक घटनाओं के लिए नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए एक फरवरी के लिए निर्धारित संसद मार्च को स्थगित करने का फैसला लिया है. साथ ही 30 जनवरी को गांधीजी के शहादत दिवस पर शांति और अहिंसा पर जोर देने के लिए पूरे देश में एक दिन का उपवास रखेंगे.’

एसकेएम ने जताया खेद करेंगे पश्चाताप, आंदोलन रहेगा जारी

संयुक्त किसान मोर्चा ने दीप सिद्धू और किसान मजदूर संघर्ष समिति का नाम लेते हुए कहा कि सरकार ने आंदोलन को खत्म करने के लिए किसान मजदूर संघर्ष कमेटी पंजाब और दीप सिद्धू मिलकर साजिश की और इस घटना को अंजाम दिया. पीसी के दौरान नेताओं ने कहा कि तिरंगा और देश सबकी शान है और यह हमेशा रहेगा. संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि चूंकि यह ट्रैक्टर परेड किसान मोर्चा के द्वारा बुलाया गया था, इसलिए वे लोग घटना की जिम्मेदारी लेते हुए खेद जताते हैं और पश्चाताप के लिए गांधी जी की पुण्यतिथि 30 जनवरी को व्रत रखेंगे. मोर्चा ने बताया कि किसान आंदोलन जारी था, जारी है और जारी रहेगा. हालांकि कल की घटना के बाद अब बजट के दिन एक फरवरी को आहूत संसद मार्च के कार्यक्रम को स्थगित कर दिया है.

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एसकेएम का खुलासा इस तरह रची गई साजिश

किसान मोर्चा ने दिल्ली पुलिस और सरकार पर स्पष्ट आरोप लगाते हुए कहा कि किसान मजदूर संघर्ष कमेटी को सरकार ने साजिशन आगे बैठाया, सुबह आसानी से बैरिकेडिंग तोड़कर उन्हें निकलने दिया गया, जबकि इस दौरान पुलिस ने बहुत ही मामूली प्रतिरोध किया. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि इसके बाद संयुक्त किसान मोर्चा के ट्रैक्टर रूट को दिशा भ्रमित किया गया, सबको लाल किले और आईटीओ की तरफ जाने दिया गया ताकि किसान अंदर जाएं और विवाद और बड़ा हो.

राष्ट्रीय प्रतीकों के अपमान की कड़ी निंदा

संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा, ‘किसानों की परेड मुख्य रूप से शांतिपूर्ण और एक निर्धारित मार्ग पर होनी थी. हम राष्ट्रीय प्रतीकों के अपमान की कड़ी निंदा करते हैं, लेकिन किसानों के आंदोलन को ‘हिंसक’ के रूप में चित्रित नहीं किया जा सकता, क्योंकि हिंसा कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा की गई थी, जो हमारे साथ जुड़े नहीं हैं. सभी सीमाओं पर किसान कल तक शांतिपूर्ण तरीके से अपनी-अपनी परेड पूरी करके अपने मूल स्थान पर पहुंच गए थे.

संयुक्त किसान नेताओं ने कहा, ‘हम प्रदर्शनकारियों पर पुलिस की बर्बरता की भी कड़ी निंदा करते हैं. पुलिस और अन्य एजेंसियों का उपयोग करके इस आंदोलन को खत्म के लिए सरकार द्वारा किए गए प्रयास अब उजागर हो गए हैं. हम कल गिरफ्तार किए गए सभी शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों को तुरंत रिहा करने की मांग करते हैं. हम परेड में ट्रैक्टर और अन्य वाहनों को नुकसान पहुंचाने के प्रयासों की भी निंदा करते हैं.’

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राष्ट्रीय प्रतीकों को नुकसान पहुंचाने वालों के खिलाफ कार्रवाई हो
किसान नेताओं ने कहा, ‘हम उन लोगों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की मांग करते हैं, जिन्होंने राष्ट्रीय प्रतीकों को नुकसान पहुंचाया है. किसान सबसे बड़े राष्ट्रवादी हैं और वे राष्ट्र की अच्छी छवि के रक्षक हैं. हम जनता से दीप सिद्धू जैसे तत्वों का सामाजिक बहिष्कार करने की अपील करते हैं.

दो संगठनों ने अपने आप को अलग कर खत्म किया आंदोलन

इससे पहले कृषि कानून के खिलाफ दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन से दो किसान संगठनों हटने का फैसला लिया. बुधवार 27 जनवरी को राष्‍ट्रीय किसान मजदूर संगठन के नेता वीएम सिंह ने खुद और अपने संगठन को इस आंदोलन से अलग करने का फैसला लिया है. उन्‍होंने कहा कि हम अपना आंदोलन यहीं खत्‍म करते हैं.

राष्‍ट्रीय किसान मजदूर संगठन के नेता वीएम सिंह ने कहा कि ‘हम किसी ऐसे व्यक्ति के साथ विरोध को आगे नहीं बढ़ा सकते जिसकी दिशा कुछ और हो. इसलिए, मैं उन्हें शुभकामनाएं देता हूं, लेकिन वीएम सिंह और अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति इस विरोध को तुरंत वापस ले रही है अब हम और हमारा संगठन इस आंदोलन से अलग है.

वहीं भारतीय किसान यूनियन (भानू गुट) ने भी खुद को इस आंदोलन से दूर कर लिया है. एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान भानू के राष्ट्रीय अध्यक्ष भानु प्रताप सिंह ने बताया कि चिल्ला बार्डर जो धरना करीब दो महीने से चला आ रहा है उसे खत्‍म किया जा रहा है. खत्म करने की घोषणा करने के दौरान भानु प्रताप सिंह ने 26 जनवरी को लालकिले पर हुई घटना की निंदा की.

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