उत्तर प्रदेश की रायबरेली संसदीय सीट की पहचान सोनिया गांधी से है. बीते दो दशकों से सोनिया गांधी की इस क्षेत्र में साख रही है. साल 2004 से 2024 तक सोनिया गांधी ने रायबरेली से चुनाव लड़ा और चारों लोकसभा चुनावों में एक तरफा जीत दर्ज की. इस बार सोनिया गांधी चुनाव नहीं लड़ रही हैं. रायबरेली सीट से राहुल गांधी चुनावी मैदान में है. प्रियंका गांधी अपने भाई और पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के लिए जोर लगा रही हैं. शुक्रवार को प्रियंका-राहुल गांधी और अखिलेश यादव चुनावी सभा करने वाले हैं. इसके विपरीत आखिरी समय पर दांव खेलते हुए सोनिया गांधी ने भी रायबरेली पहुंच गयी है. सोनिया रायबरेली में एक बड़ी चुनावी सभा को संबोधित करने वाली है.
यह भी पढ़ें: राहुल गांधी ने अमेठी छोड़ रायबरेली को चुना, प्रियंका केवल प्रचारक, क्या हैं इनके मायनें?
इसमें कोई दोराय नहीं कि कांग्रेस में सोनिया गांधी का एक खास ओहदा है. पिछले साल कर्नाटक में हुए लोकसभा चुनाव में सोनिया गांधी ने अंतिम समय में एंट्री मारी थी. उनकी केवल एक चुनावी सभा ने बीजेपी का बना बनाया खेल बिगाड़ दिया था. सोनिया गांधी के भाषण ने पार्टी के कार्यकर्ताओं में जोश फूंकने का काम किया. यही काम सोनिया गांधी अब रायबरेली में करने जा रही है. इससे पहले सोनिया गांधी ने भुएमऊ में कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर रायबरेली में माहौल का जायजा भी लिया.
गांधी परिवार का गढ़ रहा है रायबरेली
रायबरेली संसदीय क्षेत्र गांधी परिवार का गढ़ रहा है. इस सीट से गांधी परिवार के कई सदस्य चुनाव जीतकर संसद पहुंचे हैं. सोनिया गांधी ने भी रायबरेली सीट का 2004 से 2024 तक प्रतिनिधित्व किया है. पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को पूरे उत्तर प्रदेश में केवल रायबरेली सीट पर ही जीत मिली थी. दूसरी परंपरागत सीट अमेठी से राहुल गांधी चुनाव हार बैठे थे.
पूर्व पीएम इंदिरा गांधी और सोनिया गांधी जैसे कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को संसद में पहुंचाने वाली इस सीट पर पार्टी ने 16 बार जीत हासिल की है. बीजेपी के अशोक सिंह (1996, 98) को दो बार और 1977 में जनता पार्टी को एक बार जीत मिली है. रायबरेली सीट 1952 में अस्तित्व में आयी और फिरोज गांधी ने यहां से लगातार दो बार चुनाव जीता. पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भी तीन बार इस सीट का नेतृत्व किया. इंदिरा गांधी 1967, 71 और 1980 में यहीं से जीतकर सदन में पहुंची. जनता पार्टी के राज नारायण ने 1977 में पहली बार रायबेरली में कांग्रेस के विजयी चक्र को तोड़ा.
यह भी पढ़ें: कन्नौज में अखिलेश यादव की विरासत की जंग को जीत पाएंगे सुब्रत पाठक!
उसके बाद 1980 से 91 तक कांग्रेस ने फिर से इस सीट पर कांग्रेस का झंडा फहराया. 1996-98 में पहली बार भारतीय जनता पार्टी यहां काबिज हुई. उसके बाद 1999 में कांग्रेस के सतीश शर्मा और 2004 से 2024 तक सोनिया गांधी रायबरेली का नेतृत्व कर रहे हैं. इस बार रायबरेली में कांग्रेस के राहुल गांधी, बीजेपी से दिनेश प्रताप सिंह, बसपा से ठाकुर प्रसाद यादव और एडीके से हाफ़िज़ मोहम्मद मोबीन मैदान में हैं. सपा कांग्रेस के साथ गठबंधन में है. सियासी गलियारों में राहुल गांधी के लिए रायबरेली सीट सुरक्षित मानी जा रही है.
रायबरेली में सपा अधिक मजबूत
रायबरेली संसदीय क्षेत्र में 5 विधानसभाएं आती है. इनमें से इकलौती रायबरेली विधानसभा में बीजेपी का राज है. यहां अदिति सिंह मौजूदा विधायक है. अन्य बछरावां, हरचंदपुर, सरेनी एवं ऊंचाहार विधानसभाओं में सपा के विधायक काबिज हैं. बात करें जातिगत समीकरण की तो यहां कुल मतदाताओं की संख्या 7 लाख 79 हजार 813 है. यहां 34 फीसदी एससी, 11 फीसदी ब्राह्मण, ठाकुर 9 फीसदी, 6-6 फीसदी लोध एवं मुस्लिम, 4 फीसदी कुर्मी और शेष 23 फीसदी आबादी अन्य है. ब्राह्मण, वैश्य और क्षत्रिय जातियों के लोकल नेता निकाय चुनाव, विधानसभा से लेकर लोकसभा चुनाव तक प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं. हालांकि, सोनिया गांधी और गांधी परिवार के नाम पर जातीय समीकरण खास फर्क नहीं डाल पाते हैं.
रायबरेली में 5वें चरण के लिए 20 मई को मतदान होना है. यूपी में सपा और कांग्रेस का गठबंधन है. ये दोनों ही दल ‘इंडिया अलायंस’ का हिस्सा है. इसी के चलते इस सीट पर कांग्रेस और सपा कार्यकर्ता एकजुट होकर चुनाव प्रचार में जुटे हैं. यहां राहुल गांधी की एकतरफा जीत नजर आ रही है.