देश में आम चुनाव होने में अब कुछ सप्ताह रह गए हैं लेकिन इससे पहले यूपी की सियासत में उठा पटक तेज हो चली है. प्रदेश में कई नेता अपने आलाकमान के साथ नाराज चल रहे हैं. खासतौर पर समाजवादी पार्टी पर झटके पर झटके लग रहे हैं. कुछ ही दिनों पहले सपा के राष्ट्रीय महासचिव और पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपने पद से इस्तीफा देकर सभी को चौंका दिया. अब पांच बार के सांसद रहे सलीम शेरवानी ने पार्टी पर नाराजगी जाहिर करते हुए अपना इस्तीफा पार्टी सुप्रीमो अखिलेश यादव को सौंपा है. इस नाराजगी की वजह शेरवानी का राज्यसभा न भेजा जाना बताया जा रहा है. फिलहाल उनकी इस कवायद को पीडीए की रणनीति पर काम कर रही समाजवादी पार्टी पर दबाव बनाने के रूप में देखा जा रहा. वहीं चर्चा यह भी है कि वह एक बार फिर किसी अन्य सियासी दल में स्थान तलाश सकते हैं.
इससे पहले सलीम शेरवानी ने अखिलेश को लिखे पत्र में कहा, ‘आप लगातार पीडीए का नाम लेते रहते हैं, लेकिन राज्यसभा की उम्मीदवारों के नाम देखकर लगता नहीं कि आप पीडीए को बहुत महत्व देते हैं. एक मजबूत विपक्षी गठबंधन को लेकर कोई भी गंभीर नहीं दिख रहा है. ऐसा लग रहा है कि जैसे विपक्षी गठबंधन में शामिल दल सत्ता पक्ष से लड़ने की बजाय आपस में लड़ रहे हैं.’
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सलीम शेरवानी ने आरोप लगाते हुए कहा कि यूपी में मुसलमान लगातार उपेक्षित महसूस कर रहा है. राज्यसभा चुनाव के लिए तीन उम्मीदवार सपा ने घोषित किए, जिनमें से एक भी मुस्लिम नहीं है. उन्होंने कहा कि बेशक मेरे नाम पर विचार नहीं होता लेकिन किसी मुसलमान को तो सीट मिलनी चाहिए थी. शेरवानी ने यह भी कहा कि मुसलमान एक रहनुमा की तलाश में हैं. मुझे लगता है कि सपा में रहते हुए मैं मुस्लिमों की हालत में बड़ा परिवर्तन नहीं ला सकता हूं. दरअसल, पिछले लोकसभा चुनाव के वक्त सलीम शेरवानी सपा छोड़कर कांग्रेस में चले गए. बाद में वह सपा में लौट आए. इस बार राज्यसभा के लिए वह पार्टी टिकट के भी दावेदार थे लेकिन उनके नाम पर विचार नहीं किया गया.
गौरतलब है कि पांच बार के सांसद रहे सलीम इकबाल शेरवानी को पिछले साल जनवरी में सपा का राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया था. विधानसभा चुनाव से पहले ही वे सपा में शामिल हुए थे. 2019 के लोकसभा में वे बदायूं से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा. इसके बाद वे कांग्रेस छोड़कर सपा में शामिल हुए. पार्टी ने सपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की घोषणा के बाद पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उन्हें राष्ट्रीय महासचिव नामित किया. जिले में सपा शासन काल में करीब दो दशक तक जिले में सलीम शेरवानी का दबदबा रहा है. वह सपा के टिकट पर यहां से लगातार सांसद बनते रहे.
स्वामी प्रसाद मौर्य भी दे चुके इस्तीफा
समाजवादी पार्टी का जनाधार बढ़ाने के बाद अपने साथ हो रहे व्यवहार से खफा होकर सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने पांच दिन पहले ही राष्ट्रीय महासचिव पद से इस्तीफा दिया है. उन्होंने सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव को भेजे पत्र में कहा था कि पद के बिना भी पार्टी रह कर उसे सशक्त बनाने के लिए काम करेंगे.