Politalks.News/Hariyana. पंजाब कांग्रेस में उठापटक थमने के साथ ही हरियाणा कांग्रेस विधायक दल के नेता भूपिंदर सिंह हुड्डा ने बुधवार को चंडीगढ़ में सीएलपी की बैठक बुलाई है. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने बताया कि हुड्डा ने पार्टी आलाकमान को एक स्पष्ट संदेश में ताकत दिखाने के उद्देश्य से सीएलपी बैठक बुलाई है. इस बैठक से वह शीर्ष नेतृत्व को यह बताना चाहते हैं कि हरियाणा में पार्टी के अधिकांश विधायक उनके पक्ष में हैं. हुड्डा हरियाणा पीसीसी चीफ शैलजा कुमारी को हटाने के लिए कई बार पहले भी बना दबाव बना चुके हैं. भूपेन्द्र हुड्डा के घर पर ही ये बैठक बुलाई गई है.
हरियाणा कांग्रेस विधायक दल के नेता हैं हुड्डा
90 सदस्यीय हरियाणा विधानसभा में कांग्रेस के पास वर्तमान में 31 विधायक हैं. वहीं, भाजपा के 40 और जजपा के 10 विधायक साथ मिलकर सरकार चला रहे हैं. इसके अलावा हरियाणा लोकहित पार्टी के सात और एक निर्दलीय विधायक हैं. हुड्डा हरियाणा विधानसभा में विपक्ष के नेता भी हैं. किसान आंदोलन के नाम पर एक विधायक ने हाल ही में इस्तीफा दे दिया था.
कृषि कानून सहित विभिन्न मुद्दों पर होगी बात!
भूपेन्द्र हुड्डा की इस बैठक में औपचारिक एजेंडे के अनुसार, कांग्रेस मुख्य रूप से तीन केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन के अलावा सार्वजनिक महत्व के अन्य मुद्दों पर चर्चा करेगी, जिसमें आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि, बिगड़ती कानून व्यवस्था और ईंधन की कीमतों में वृद्धि शामिल है. कांग्रेस के एक विधायक ने बताया कि, ‘निश्चित रूप से, इस बैठक में मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य पर भी चर्चा की जाएगा’.
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पार्टी की रणनीति पर होगा मंथन!
वहीं एक अन्य कांग्रेस विधायक ने बताया कि पंजाब में नेतृत्व परिवर्तन होने से पहले ही सीएलपी की बैठक बुलाई गई थी. यह एक आम बैठक है जिसे सीएलपी नेता सभी विधायकों के साथ बातचीत करने और विभिन्न चल रहे मुद्दों और पार्टी की रणनीतियों पर चर्चा करने के लिए एक बार बुलाता है. उन्होंने कहा कि इसके पीछे कोई राजनीतिक एजेंडा नहीं है.
कुमारी शैलजा को हटाने के लिए बनाते रहे हैं दबाव
मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उनके समर्थक विधायक कांग्रेस की प्रदेशाध्यक्ष कुमारी सैलजा को हटवाने के लिए कई बार दबाव बना चुके हैं. हुड्डा चाहते हैं कि उनकी पसंद का प्रदेशाध्यक्ष हो. इतना ही नहीं कई साल से हरियाणा में कांग्रेस का संगठन तैयार नहीं होने को लेकर भी सवाल उठाते रहे हैं. अब विधायक दल की बैठक के बहाने अपनी ताकत दिखाने समेत विधायकों को और सक्रिय होने को लेकर मंथन किया जाएगा.
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2019 के चुनाव में हुड्डा ने किया था विद्रोह
2019 के विधानसभा चुनाव से पहले, हुड्डा ने भी अपनी पार्टी के खिलाफ विद्रोह शुरू कर दिया था, जब उन्हें पार्टी आलाकमान द्वारा सीएम उम्मीदवार घोषित नहीं किया गया था. रोहतक में एक बड़ी रैली को संबोधित करते हुए हुड्डा ने खुद को अपनी पार्टी के साथ या बिना मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया था. उन्होंने अनुच्छेद 370 को रद्द करने पर कांग्रेस के रुख पर हमला किया था. उस रैली में, हुड्डा ने अपने अगले कदम पर विचार करने के लिए कांग्रेस के तत्कालीन 17 विधायकों में से 12 और 13 अन्य नेताओं की 25 सदस्यीय समिति की भी घोषणा की थी.
हुड्डा को कांग्रेस में दी जा रही है तरजीह
हालांकि, पार्टी आलाकमान के साथ उनके समीकरणों में बाद में काफी सुधार हुआ था. 2019 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को भाजपा से सिर्फ नौ सीटें ही कम मिलीं. हाल ही में हुड्डा के बेटे दीपेंद्र हुड्डा, जो राज्यसभा सांसद भी हैं, को AICC द्वारा उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनावों के लिए पार्टी की स्क्रीनिंग कमेटी के सदस्यों में से एक के रूप में नामित किया गया है. AICC स्क्रीनिंग कमेटी में जितेंद्र सिंह और वर्षा गायकवाड़ अन्य दो सदस्य हैं. प्रियंका गांधी, अजय कुमार लल्लू, आराधना मिश्रा मोना और उत्तर प्रदेश के सभी एआईसीसी सचिवों को स्क्रीनिंग कमेटी के पदेन सदस्य के रूप में नामित किया गया है.