Politalks.News/Chattisgarh. देश के सिर्फ दो राज्यों में बची कांग्रेस की सरकारों में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार में पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग की जिम्मेदारी संभाल रहे टीएस सिंह देव ने शनिवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया. बताया जा रहा है कि पहले से नाराज चल रहे टीएस सिंह देव को बगैर विश्वास में लिए उनके विभाग से संबंधित फैसले लिए जा रहे थे, इसका जिक्र उन्होंने सीएम भूपेश बघेल को लिखी चिट्ठी में किया है. शनिवार को टीएस सिंह देव ने पंचायत मंत्री के पद से इस्तीफा देने के साथ ही यह कहते हुए खलबली मचा दी है कि, ‘उनके धैर्य की परीक्षा ली जा रही है. हालांकि पारिवारिक पृष्टभूमि कांग्रेस की है और फिलहाल वे कांग्रेस में ही रहेंगे, लेकिन जीवन में कुछ निर्णय लेने पड़ते हैं.’ टीएस सिंहदेव के इस निर्णय ने छत्तीसगढ़ की सियासत में भूचाल ला दिया है. टीएस सिंहदेव अगर सख्त रूख अपनाते हैं तो छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को बड़ा नुकसान होने से इनकार नहीं किया जा सकता.
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को लिखी चिट्ठी में टीएस सिंह देव लिखा कि, ‘पीएम आवास योजना के अंतर्गत आवास विहीन लोगों को घर बनाकर दिया जाना था जिसके लिए मैंने कई आपसे चर्चा कर राशि आवंटन का अनुरोध किया लेकिन इस योजना में राशि उपलब्ध नहीं कराई जा सकी. इसलिए प्रदेश के 8 लाख लोगों के लिए आवास नहीं बनाए जा सके.’ चिट्ठी में टीएस सिंहदेव ने आगे कहा, ‘जनघोषणा पत्रों में किए वादों में पंचायत प्रतिनिधियों के अधिकारों को पूर्ण रूप से लागू करना भी है जिसके लिए मैंने आपसे कई बार चर्चा की और विभागीय तौर पर पहल की लेकिन यह निराशा के साथ कहना पड़ रहा है कि आज तक इस पर कोई सहमति नहीं बन पाई.’ ऐसे में टीएस सिंहदेव के इस्तीफे के बाद छत्तीसगढ़ कांग्रेस में लम्बे समय से चल रही खींंचतान एक बार फिर बाहर आ गई है. इस इस्तीफे से संगठन और सरकार में हलचल मच गई है. बताया जा रहा है कि इसकी सूचना पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को भी दे दी गई है.
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आपको बता दें कि टीएस सिंहदेव छत्तीसगढ़ में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर कई बार कह चुके हैं. कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व को अब निर्णय ले लेना चाहिए. पिछले साढ़े 3 साल के भूपेश सरकार के कार्यकाल में न सिर्फ टीएस सिंहदेव की लगातार उपेक्षा की गई, बल्कि उन्हें कमजोर भी किया गया. टीएस के समर्थक विधायकों ने पाला बदल लिया. सिंहदेव के खास समर्थक माने जाने वाले विधायक भी अब उनके साथ नहीं हैं. अपने विभागों के कई कामकाज को लेकर उन्होंने भूपेश बघेल को पत्र लिखा, जिस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया. ऐसे में लगातार हो रही उपेक्षा से टीएस सिंह देव ने अब सख्त रूख अपना लिया है.
आपको याद दिला दें कि छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार में में ढाई-ढाई साल के सीएम फार्मूले पर हमेशा चर्चा होती रही है. भूपेश बघेल इससे हमेशा इनकार करते रहे, लेकिन टीएस सिंहदेव ने इशारों-इशारों में ढाई-ढाई साल के फार्मूले पर केंद्रीय नेतृत्व को निर्णय लेने को लेकर जोर दिया. हालांकि इस पर कोई निर्णय नहीं होने व लगातार सरकार में उपेक्षा से वे खासे नाराज चल रहे हैं. कई बार इसे लेकर वे दिल्ली भी पहुंचे, लेकिन अब तक निर्णय नहीं सका है. इस राजनीतिक खींचतान के बीच यह भी कयास लग रहे थे कि टीएस सिंहदेव पार्टी से इस्तीफा देकर भाजपा या आप ज्वाइन कर सकते हैं. हालांकि टीएस सिंहदेव ने स्पष्ट किया है कि वे फिलहाल कांग्रेस नहीं छोड़ रहे हैं. अगला निर्णय भविष्य की गर्त में है. जीवन में कुछ निर्णय लेने पड़ते हैं. टीएस सिंहदेव ने स्पष्ट कहा कि उनके धैर्य की परीक्षा ली जा रही है.
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यहां आपको बता दें कि टीएस सिंहदेव सरगुजा क्षेत्र के अंबिकापुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं. वह छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में से एक हैं और राज्य में मुख्यमंत्री पद के ढ़ाई-ढ़ाई साल के बंटवारे की चर्चा के दौरान सिंहदेव का नाम प्रमुखता से लिया जा रहा था. सिंहदेव के समर्थकों का कहना है कि आलाकमान ने उनसे ढाई वर्ष मुख्यमंत्री पद का वादा किया था. हालांकि, आलाकमान से भूपेश बघेल के नाम की हरी झंडी मिलने के बाद से दोनों नेताओं के बीच दूरियां बढ़ती गईं. अब हालात यह हैं कि प्रदेश में तबादलों के लिए बनी मुख्यमंत्री समन्वय समिति में भी उनकी फाइलें डंप की जाती रहीं. हाल ही में मुख्यमंत्री के प्रदेश दौरे के दौरान संगठन के पदाधिकारियों ने भी शिकायत की है कि सरकार में कार्यकर्ता एवं पदाधिकारियों की न तो प्रशासन सुन रहा है, न मंत्री व विधायक. इससे स्पष्ट है कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार में सब कुछ कम से कम ठीक तो नहीं चल रहा है.