Politalks.news. JEE-NEET परीक्षा पर अब सियासी संक्रमण छाने लगा है. कोरोना संकट के बीच नीट और जेईई परीक्षा को टालने की स्टूडेंट्स की मांग के समर्थन में खड़े हुए 6 राज्यों की सरकारों ने केंद्र सरकार से इस परीक्षा को टालने की गुहार लगाई लेकिन केंद्र सरकार ने स्पष्ट तौर पर ऐसा करने से मना कर दिया. इस पर मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा गया है. विपक्ष के सांसदों ने संयुक्त प्रवेश परीक्षा (JEE) और राष्ट्रीय पात्रता एवं प्रवेश परीक्षा (NEET) को फिलहाल टालने का पक्ष रखा है. वहीं महाराष्ट्र सरकार ने ने पुनर्विचार याचिका दायर की है. कांग्रेस परीक्षा टालने को लेकर सड़कों पर उतर आई है और जगह जगह धरना प्रदर्शन किए जा रहे हैं. इधर, बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी भी बच्चों के समर्थन में उतर आए हैं. उन्होंने स्टूडेंट्स को द्रौपती और राज्यों के मुख्यमंत्रियों को कृष्ण की संज्ञा देते हुए अपने आपको विधुर बताया है. (JEE-NEET Exam 2020)
सुब्रमण्यम स्वामी ने शुक्रवार को किए गए अपने ट्वीट में कहा, ‘आज NEET और JEE परीक्षा के मामले में क्या छात्रों को द्रौपदी जैसे अपमानित किया जा रहा है? सीएम कृष्ण की भूमिका निभा सकते हैं. एक छात्र के रूप में और फिर 60 वर्षों तक प्रोफेसर के रूप में मेरे अनुभव बताते है कि कुछ गलत होने वाला है. मुझे विदुर जैसा लगता है.’ इससे पहले सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि जब 11 राज्यों के मुख्यमंत्री नीट और जेईई परीक्षा कराए जाने का विरोध कर रहे हैं तो फिर कोर्ट जाने की क्या जरूरत है. क्या मुख्यमंत्रियों के पास कोई ताकत नहीं है.
गैर-बीजेपी राज्य पहुंचे सुप्रीम कोर्ट, रिव्यू पिटिशन दाखिल
वहीं कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बुधवार को NEET और JEE परीक्षा को लेकर 6 गैर बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाई, जिसमें फैसला लिया गया कि वे सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे. इसके बाद गुरुवार को 6 राज्यों की सरकारों और सांसदों ने परीक्षा को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. महाराष्ट्र सरकार सहित राज्यों ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल कर सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसले पर पुनर्विचार की अपील की है.
इन 6 राज्यों में पश्चिम बंगाल, झारखंड. राजस्थान, छत्तीसगढ़ पंजाब और महाराष्ट्र शामिल हैं. इन राज्यों के मंत्रियों ने सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटिशन दायर कर अदालत के 17 अगस्त के आदेश की समीक्षा करने और सितंबर में होने वाली JEE-NEET को स्थगित करने की मांग की है.
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इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 17 अगस्त को NEET और JEE परीक्षा को स्थगित करने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया था, जिसे सितंबर-2020 में आयोजित किया जाना था. अपने फैसले में अदालत ने कहा था कि छात्रों के कैरियर को लंबे समय तक खतरे में नहीं डाला जा सकता है.
जेईई और नीट परीक्षाओं के आयोजन को लेकर अलग-अलग राज्यों का रुख अलग-अलग है. एक तरफ जहां कई राज्य परीक्षाओं के आयोजन को लेकर तैयार हैं तो कुछ राज्य परीक्षाएं आयोजित करने में असमर्थता जता रहे हैं. देशभर में जेईई-नीट परीक्षाओं को लेकर दो गुट बन चुके हैं. एक खेमा परीक्षा के खिलाफ है तो दूसरा इसे आयोजित कराने के पक्ष में है.
यूपी के उप-मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने केंद्र सरकार से परीक्षाओं के आयोजन के लिए सहमति जताई है तो वहीं झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक को पत्र लिखकर परीक्षाओं के आयोजन को फिलहाल स्थगित करने की मांग की है. देश-विदेश के 150 से ज्यादा शिक्षाविदों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर अपील की है कि परीक्षाएं रोक दी जाएं. हालांकि केंद्र इस मामले में अपना रूख रख चुका है.
सड़कों पर उतरी कांग्रेस, NSUI नेता भूख हड़ताल पर बैठे
इसी मसले को लेकर कांग्रेस आज देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन के तहत ‘स्पीक फॉर स्टूडेंट सेफ्टी अभियान’ चला रही है. दिल्ली के शास्त्री भवन के बाहर बड़ी संख्या में कांग्रेस कार्यकर्ता जुटे हैं. चेन्नई में भी कांग्रेस कार्यकर्ता प्रदर्शन कर रहे हैं. बेंगलुरु और अहमदाबाद में भी प्रदर्शन हो रहे हैं. राजस्थान के कई जिलों में कांग्रेस धरना प्रदर्शन कर परीक्षा के आयोजन का विरोध कर रही है. प्रदेश की राजधानी जयपुर में भी कांग्रेस नेताओं ने जेएलएन मार्ग पर एमएनआईटी के सामने नारेबाजी कर धरना प्रदर्शन किया. पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट और परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास भी धरना प्रदर्शन में पहुंचे.
पूर्व पीसीसी चीफ सचिन पायलट ने कहा, ‘लाखों बच्चों को आप संक्रमण के खतरे में डालना चाहते हैं. आज अमीर, गरीब सभी को संक्रमण हो रहा है. हम सभी बचने की कोशिश करते हैं. आप लाखों बच्चों को देशभर के सेंटर्स पर भेजेंगे. आप लाखों बच्चों को संक्रमण के खतरे में डालना चाहते हो इसलिए कांग्रेस पूरी ताकत के साथ इस मुद्दे को रख रहे हैं. केंद्र सरकार से मांग करते हैं कि जिद करना बुरा है. केंद्र सरकार ने जो जिद और हट है, इसलिए हम यहां खड़े हैं.’ वहीं प्रदर्शन में पहुंचे मुख्य सचेतक महेश जोशी बोले- छात्रों के हित में हर आंदोलन का समर्थन किया जाएगा. हम जनता के स्वास्थ्य से खिलवाड़ नहीं होने देंगे. केंद्र सरकार को जिद नहीं पकड़नी चाहिए.
इससे पहले गुरूवार को भी प्रदेश यूथ कांग्रेस की तरफ से राजस्थान के सभी 33 मुख्यालयों पर विरोध प्रदर्शन कर नीट जेईई परीक्षाओं को स्थगित करने की मांग के साथ ही मोदी सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया गया था. इसमें प्रदेशाध्यक्ष गणेश घोगरा खुद सैंकड़ों कार्यकर्ताओं के साथ बांसवाड़ा में मौजूद रहे. कांग्रेस नेताओं का कहना है कि केंद्र सरकार कोरोना महामारी के व्यापक प्रभाव के बावजूद परीक्षा कराने पर अडिग है. एक ओर असम और बिहार राज्य में अत्यधिक बारिश के कारण बाढ़ जैसी स्थिति है, वहीं कोरोना महामारी के कारण सीमित यातायात की व्यवस्थाएं एवं ठहरने की सुविधाएं भी छात्र छात्राओं के लिए परेशानी का कारण है. केंद्र सरकार के इस फैसले के कारण छात्र-छात्राओं ने जहां मानसिक तनाव व्याप्त हो गया है.
केसीआर को चुप्पी पड़ी भारी, कांग्रेस नेता ने बताया बीजेपी सीएम
तेलंगाना के मुख्यमंत्री और तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के प्रमुख के चंद्रशेखर राव ने इस परीक्षा को लेकर अब तक कोई बयान नहीं दिया है. केसीआर की चुप्पी को लेकर अब कांग्रेस ने उनपर निशाना साधा और बीजेपी के सीएम की तरह व्यवहार करने का आरोप लगाया. तेलंगाना कांग्रेस के नेता गुडुर नारायण रेड्डी ने कहा कि जेईई के लिए तेलंगाना के 67319 और नीट के लिए 55800 छात्र पंजीकृत हैं लेकिन टीआरएस सरकार मौन है. उन्हें छात्रों की सेहत की चिंता नहीं है.
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कांग्रेस नेता ने अमेरिका का उदाहरण दिया और कहा कि स्कूल दोबारा खोले जाने के बाद 15 दिन के अंदर ही एक लाख से अधिक छात्र कोरोना संक्रमित हो गए. अब तक मेट्रो ट्रेन, परिवहन निगम की बस जैसे सार्वजनिक साधनों का परिचालन अब तक शुरू नहीं हो सका है. ऐसे माहौल में कोई भी परीक्षा आयोजित करना उनके अभिभावकों और पड़ोसियों के जीवन से खेलने जैसा है.
बता दें, नीट और जेईई की परीक्षा एक सितम्बर से 13 सितम्बर के बीच आयोजित हो रही हैं. जेईई की परीक्षा एक से 6 सितम्बर के बीच और नीट की परीक्षा 13 सितम्बर को आयोजित होनी है. इन दोनों परीक्षाओं में देशभर के 25 लाख स्टूडेंट्स भाग लेंगे. हालांकि राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी का कहना है कि 99 फीसद छात्रों को परीक्षा केंद्र के लिए उनके पहली प्राथमिकता का शहर दिया गया है. महामारी को ध्यान में रखते हुए सेंटर्स की संख्या को बढ़ाया गया है. परीक्षा के दौरान सोशल डिस्टेन्सिंग बनाए रखने की अपील की गई है.