क्या वाराणसी संसदीय सीट से भारी अंतर से जीत दर्ज करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपनी सीट खोनी पड़ सकती है? क्या लोकसभा चुनाव के परिणाम के दो महीने बाद उन्हें वहां से हारा हुआ घोषित किया जा सकता है? ऐसे कुछ सवाल सभी के दिमाग में चल रहे हैं. अब सवाल ये हैं कि आखिर ऐसे सवाल उठे क्यों? इसका भी जवाब हमारे पास है. दरअसल, सेना के बर्खास्त जवान तेज बहादुर यादव ने हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में वाराणसी सीट से सांसद चुने गए पीएम नरेंद्र मोदी के निर्वाचन को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. यादव का मानना है कि अगर वे चुनावी मैदान में होते तो परिणाम कुछ और ही होता.
दायर की गई याचिका में कहा गया है कि वाराणसी के डीएम व रिटर्निंग अफसर ने पीएम नरेंद्र मोदी के दबाव में मनमाने तरीके से उनका नामांकन पत्र खारिज किया था. पर्चा खारिज होने की वजह से वह चुनाव नहीं लड़ सके. तेज बहादुर का दावा है कि अगर वह चुनाव मैदान में होते तो फैसला बदल जाता. ऐसे में वाराणसी सीट पर निष्पक्ष चुनाव नहीं हुआ, इसलिए पीएम मोदी के निर्वाचन को रद्द कर वाराणसी सीट पर नये सिरे से चुनाव कराया जाना चाहिए. यादव ने अर्जी में अपने नामांकन पत्र को खारिज किए जाने को आधार बनाया है.
तेज बहादुर ने अपनी यह अर्जी हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल के सामने दाखिल की है. हालांकि अभी उनकी यह अर्जी मंजूर नहीं हुई है. उम्मीद है कि तेज बहादुर की इस अर्जी पर अदालत अगले हफ्ते सुनवाई कर सकती है. हालांकि इस तरह का किस्सा कोई नया नहीं है. 2014 के लोकसभा चुनाव में भी वाराणसी सीट से पीएम मोदी के निर्वाचन को चुनौती दी गई थी. उस वक्त तत्कालीन कांग्रेस उम्मीदवार अजय राय ने चुनाव याचिका दाखिल कर गंभीर आरोप लगाए थे, जिसे सालों चली सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था.