अयोध्या मामला-38वां दिन: मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट पर जड़ दिया पक्षपात करने का आरोप

अयोध्या राम मंदिर सुनवाई खत्म होने में बचे केवल तीन दिन, संभावित फैसले को देखते हुए इलाके में हाई अलर्ट घोषित, चप्पे चप्पे पर पुलिस का कड़ा पहरा, धारा 144 लागू

अयोध्या मामला (Ayodhya Case) की सुनवाई एक बार फिर से सुप्रीम कोर्ट में शुरू हो गई. अंतिम दौर में चल रही अयोध्या राम मंदिर (Ayodhya Ram Mandir) और बाबरी मस्जिद जमीन विवाद की सुनवाई के 38वें दिन मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) पर पक्षपात का आरोप जड़ते हुए कहा कि संविधान पीठ मुस्लिम पक्ष से सवाल कर रही है लेकिन हिंदू पक्ष से कोई सवाल नहीं पूछ रही. धवन ने कहा, ‘मैंने इस सुनवाई के दौरान कुछ दिलचस्प बात देखी हैं. आपने सभी सवाल मुझसे किए लेकिन हिंदू पक्ष से नहीं. काश लॉडशिप ने उनसे भी कुछ सवाल किए होते.’ धवन ने कहा कि मैं सभी प्रश्नों के जवाब देने के लिए बाध्य हूं लेकिन सभी प्रश्न हमसे ही क्यों? इस आरोप के जवाब में CJI रंजन गोगोई (Ranjan Gogoi) की अगुवाई वाली संविधान पीठ ने आरोपों को नकारते हुए कहा कि आपको सभी सवालों के जवाब देने होंगे.

इससे पहले मुस्लिम पक्ष की दलीलें सोमवार को खत्म हो गई. हालांकि मुस्लिम पक्ष और सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील राजीव धवन (Rajiv Dhawan) ने जिरह पेश करने के लिए डेढ़ घंटे का समय अतिरिक्त मांगा लेकिन सीजेआई ने इसे पूरी तरह नकार दिया. इसके बाद धवन और रामलला पक्ष के वकील सीएस वैद्यनाथन ने लिखित दलीलें कोर्ट को पेश की. अब सुनवाई खत्म होने में केवल तीन दिन बचे हैं. संभावित फैसले को देखते हुए प्रशासन ने भारी सुरक्षा बलों की तैनाती के साथ हाई अलर्ट घोषित कर दिया है. इलाके के चप्पे चप्पे पर पुलिस का कड़ा पहरा है. इलाके में धारा 144 भी लागू कर दी गई है.

अयोध्या मामला की 38वें दिन की सुनवाई शुरू करते हुए मुस्लिम पक्ष के सीनियर वकील राजीव धवन ने कहा कि हमारी यही मांग है कि हमें 5 दिसम्बर, 1992 की स्थिति में जिस तरह का ढांचा था, उसी स्थिति में हमें मस्जिद सौंपी जाए. उन्होंने ये भी कहा कि इस बात के कोई सबूत नहीं है कि केंद्रीय गुंबद के नीचे राम जन्म होने या श्रद्धालुओं के फूल प्रसाद चढ़ाने का कोई भी दावा सिद्ध हो सके. कभी भी मंदिर तोड़कर मस्जिद नहीं बनाई गई. वहां लगातार नमाज अता होती रही.

धवन ने कहा कि हिंदू पक्ष ने सभी दलीलों को बिना किसी तथ्यात्मक आधार और स्पष्टीकरण के प्रस्तुत किया. 1854 से ही बाबरी मस्जिद के रखरखाव के लिए ब्रिटिश सरकार द्वारा अनुदान दिए जाते रहे. धवन ने ये भी कहा कि पुरात्तव सर्वेक्षण रिपोर्ट में कभी ये नहीं बताया गया कि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई. हिंदूओं ने 1934 में जमीन पर कब्जा होने का दावा किया जिसके कोई सबूत नहीं है. हिंदूओं को सिर्फ भूमि उपयोग और पूर्वी दरवाजे से प्रवेश करने एवं पूजा करने का अधिकार दिया गया.

धवन की इस दलील पर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड ने ​उनसे हिंदुओं के बाहरी अहाते पर कब्जे के बारे में पूछा तो वरिष्ठ अधिवक्ता ने जवाब दिया कि 1858 के बाद के दस्तावेजों से पता चलता है कि राम चबूतरा की स्थापना की गई थी, उनके पास अधिकार था.

पुरानी सुनवाई के लिए यहां पढ़ें

बता दें, पूर्व की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने हिंदू पक्ष, ​मुस्लिम पक्ष और निर्मोही अखाड़ा पक्ष को अपनी दलीलें रखने के लिए 17 अक्टूबर तक का समय निश्चित किया है. इसके बाद फैसला सुनाने के लिए एक महीने का समय रिजर्व रखा है. सीजेआई रंजन गोगोई 17 नवंबर को रिटायर्ड हो रहे हैं. ऐसे में वे चाहते हैं कि 25 साल से अधिक पुराना ये महत्वपूर्ण मामला अपने अंतिम अंजाम तक पहुंचा सकें. संविधान पीठ में मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एस.ए.बोबडे, न्यायमूर्ति डी.वाई.चंद्रचूड, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस.अब्दुल नजीर शामिल हैं.

सुब्रमण्यम स्वामी के बैठने पर सवाल

सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील राजीव धवन ने हिंदू पक्षकारों के साथ पहली कतार में राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी के बैठने पर आपत्ति जाहिर की. धवन ने कहा कि मुझे तो संसद के भीतर दर्शक दीर्घा में भेजा गया था. इस पर सीजेआई ने कहा कि यदि वह राज्यसभा में बैठना चाहते हैं तो उन्हें सांसद बन जाना चाहिए. हालांकि टिप्पणी पर सुब्रमण्यम ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी.

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