एमपी: शिवराज मंत्रिमंडल का विस्तार 30 जून को! सिंधिया के 9 और बीजेपी के 19 मंत्री होंगे नई केबिनेट में

मंत्रिमंडल में चार से पांच पद खाली रखने पर प्रदेश स्तर पर सहमति बनी, सभी नामों पर प्रदेश स्तर और हो चुका है फैसला, बस अब अमित शाह और जेपी नड्डा की मुहर लगना है बाकी, अगले महीने शुरू होने वाले मॉनसून सत्र से पहले संवैधानिक रूप से मंत्रिमंडल विस्तार करना हुआ जरूरी

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पॉलिटॉक्स न्यूज़/मध्यप्रदेश. आखिर वो घड़ी आ ही गई जिसका बीजेपी के नेताओं के साथ-साथ विपक्ष को भी इंतजार है. सूत्रों की मानें तो मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान 30 जून को मंत्रिमंडल का विस्तार कर रहे है. जिसके लिए संभावित नामों को लेकर प्रदेश स्तर पर सहमति बन गई है, बस केन्द्रीय नेतृत्व की मुहर लगना बाकी है. नए चेहरों में प्रेम सिंह पटेल, चेतन कश्यप, मोहन यादव और अरविंद भदौरिया के नामों की चर्चा है. सीएम शिवराज सिंह चौहान की पुरानी टीम से गोपाल भार्गव, विजय शाह, गौरीशंकर बिसेन, यशोधरा राजे, राजेंद्र शुक्ला, रामपाल सिंह और भूपेंद्र सिंह ठाकुर को सूची में शामिल किया गया है. भोपाल से विश्वास सारंग, इंदौर से रमेश मेंदोला, मालिनी गौड़ के नामों की भी चर्चा है.

सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा और संगठन मंत्री सुहास भगत के साथ मुलाकात कर मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने वाले संभावित भाजपा विधायकों और ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थकों के नाम तय कर लिए हैं. सूत्रों की मानें तो शिवराज सिंह चौहान 30 जून को मंत्रिमंडल का विस्तार कर सकते हैं. इसी सिलसिले में वह रविवार को दिल्ली रवाना होंगे. उन्होंने केंद्रीय नेतृत्व से मिलने का समय मांगा है. इधर लालजी टंडन की अस्वस्थता के चलते छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुइया ऊइके को मध्य प्रदेश का प्रभार दिया जा सकता है.

जानकारों की मानें तो बीजेपी चाहती है कि शिवराज सिंह चौहान के मंत्रिमंडल में मौजूदा 5 मंत्रियों को मिलाकर कुल इतने ही मंत्री बनाए जाएं कि 4 से 5 स्थान रिक्त रहें. इसका मतलब कि 24 से 25 लोगों को शिवराज की टीम में जगह मिल सकती है. गोविंद सिंह राजपूत और तुलसी सिलावट के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक 9 अन्य नेताओं को मंत्रिमंडल में स्थान मिलने की संभावना है. ऐसे में भाजपा के अपने 18 से 19 मंत्री मंत्रिमंडल में शामिल होंगे.

बताया यह भी जा रहा है कि मंत्रिमंडल में चार से पांच पद खाली रखने पर प्रदेश स्तर पर सहमति बन गई है. बसपा से संजीव कुशवाह और निर्दलीय प्रदीप जायसवाल को भी मंत्रिमंडल में लिए जाने पर विचार हुआ, लेकिन यह दूसरे मंत्रिमंडल विस्तार तक टल सकता है. हालांकि इसका निर्णय भी केंद्रीय नेतृत्व को लेना है. अभी मुख्यमंत्री और पांच मंत्री मिलाकर छह हैं, जबकि कैबिनेट में मुख्यमंत्री को मिलाकर ज्यादा से ज्यादा 35 संख्या हो सकती है.

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बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह कभी भी दिल्ली जा सकते हैं, जहां उनकी केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष से मुलाकात होगी. इस बैठक में मध्यप्रदेश में तय किए गए नामों पर फाइनल मुहर लगा दी जाएगी. इधर, पार्टी के प्रदेश नेतृत्व ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख और संघ की ओर से मध्यप्रदेश के पालक अधिकारी बनाए गए अरुण कुमार और क्षेत्रीय प्रचारक दीपक विस्पुते को जानकारी दे दी है. साथ ही संभावित नामों की सूची भी तैयार कर ली. मुख्यमंत्री और पार्टी की ओर से संकेत हैं कि दिल्ली में सीनियर नेताओं से मुलाकात के बाद 30 जून को मंत्रिमंडल विस्तार हो सकता है.

बता दें, शनिवार को देर शाम भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और संगठन महामंत्री सुहास भगत के बीच लम्बी वार्ता हुई. उसके बाद ये सभी नेता मंत्रालय में मुख्यमंत्री से मिलने पहुंचे. इनके बीच देर रात तक मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर दिल्ली के सामने रखे जाने वाले पक्ष पर चर्चा हुई. गौरतलब है कि पहले मंत्रिमंडल विस्तार मई के आखिर और जून के पहले सप्ताह में संभावित था, जिसमें पहले ही देरी हो चुकी है, लेकिन अब अगले महीने मानसून सत्र होना है, ऐसे में संवैधानिक रूप से मंत्रिमंडल विस्तार करना जरूरी हो गया है.

इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट के वकील और सांसद विवेक तन्खा का कहना है कि बिना कैबिनेट के बजट का अनुमोदन नहीं हो पाएगा. संविधान के अनुच्छेद 164 (1ए) के अनुसार मंत्रिमंडल में कम से कम 12 मंत्रियों का होना जरूरी है, लेकिन मुख्यमंत्री को आपातकालीन शक्तियां भी मिली हैं. वहीं संसदीय मामलों के जानकार सुभाष कश्यप का कहना है कि अभी मुख्यमंत्री के साथ पांच मंत्री हैं. मुख्यमंत्री को चाहिए कि वे कम से कम 12 मंत्री बनाएं, लेकिन बजट के अनुमोदन का जहां तक प्रश्न है तो यह गैर संवैधानिक नहीं है. पांच मंत्रियों के साथ भी यह हो सकता है, बात सिर्फ औचित्य की है, इसलिए मंत्रिमंडल विस्तार होना चाहिए.

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