पॉलिटॉक्स न्यूज/एमपी. मध्यप्रदेश का सियासी खेल अब अब खूनी संघर्ष में बदलता दिख रहा है. आज सियासी घटनाक्रम में चारों तरफ कुछ न कुछ घटते हुए नजर आया. एक तरफ फ्लोर टेस्ट और बागियों के इस्तीफे को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही थी तो दूसरी तरफ बैंगलुरु में कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह बागियों से मिलने की बात पर अड़ गए और भूख हड़ताल पर उतर गए और गिरफ्तार कर लिए गए. यही नहीं, उन्होंने कर्नाटक हाईकोर्ट में बागियों से मिलने के लिए याचिका तक लगा दी. वहीं दूसरी ओर, भोपाल के भाजपा कार्यालय में कांग्रेस-बीजेपी कार्यकर्ता आपस में भिड़ गए, जिसमे कई घायल हुए हैं और कई कार्यकर्ताओं को पुलिस ने पकड़ हिरासत में लिया है.
इधर मुख्यमंत्री आवास में कमलनाथ भी हाथ पर हाथ रखकर नहीं बैठे और उन्होंने कर्नाटक मुख्यमंत्री और केंद्रीय गृहमंत्री से मिलने का समय मांगा. हालांकि कमलनाथ ने कहा कि कई बार फोन करने के बाद भी दोनों ने ही उनका कॉल नहीं उठाया. वहीं मप्र की सियासी उठापटक को देखते हुए कर्नाटक में भी सत्तापक्ष ने विधायक दल की बैठक बुलाई है. हालांकि इसे कोरोना वायरस के संबंध में बताया जा रहा है.
ताजा घटनाक्रम के तहत बेंगलुरु में कांग्रेस नेताओं को पुलिस हिरासत में लिए जाने के विरोध में भोपाल बीजेपी कार्यालय का घेराव करने जा रहे कांग्रेस कार्यकर्ता बीजेपी के कार्यकर्ताओं से भिड़ गए. बुधवार शाम कांग्रेसी कार्यकर्ता बैरीकेड तोड़कर बीजेपी कार्यालय की तरफ बढ़े. इसी बीच दोनों ओर से पहले तनातनी और उसके बाद जमकर पत्थरबाजी हुई. इसमें कई लोगों के घायल होने की सूचना है. पुलिस ने दोनों पार्टी के कुछ कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया है.
मौके पर बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात है. पुलिस ने बैरिकेट्स लगाकर आस पास के इलाके में धारा 144 लागू कर दी है. दोनों तरफ का ट्रैफिक भी रोक दिया गया है. घटना में बीजेपी प्रवक्ता राहुल कोठारी को भी चोट आई है. इस पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए पूर्व सीएम शिवराज सिंह ने इसे कांग्रेस की हुंदंग नीति बताया.
वहीं बेंगलुरु में बुधवार सुबह बागी विधायकों से मिलने गए दिग्विजय सिंह और कांतिलाल भूरिया समेत 10 कांग्रेस नेताओं को पुलिस ने हिरासत में ले लिया था. इसके विरोध में कांग्रेस ने दोपहर में राजभवन तक मार्च निकाला और राज्यपाल को ज्ञापन सौंपकर बागी विधायकों को बंधक बनाए जाने का आरोप लगाया. पुलिस ने राजभवन के बाहर प्रदर्शन कर रहे 10 कांग्रेस कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया है.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में फ्लोर टेस्ट कराने और बागी विधायकों के इस्तीफे को लेकर चल रही सुनवाई के दूसरे दिन कांग्रेस के वकील दुष्यंत दवे ने एक बार फिर 22 विधायकों को जबरन बंधक बनाने का आरोप लगाया. इस पर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड ने कहा कि केवल वीडियो और कुछ कागजों के जरिए ये नहीं माना जा सकता कि विधायकों ने अपनी सहमति से इस्तीफा दिया. दो जजों की बैंच ने स्पीकर को बागी विधायकों के इस्तीफे स्वीकार करने को कहते हुए ये भी कहा कि हर हाल में स्पीकर को भी संतुष्ठ करना होगा.
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इस पर कांग्रेस के वकील ने कहा कि देश-दुनिया में कोरोना की गंभीर परेशानी चल रही है. ऐसे में फ्लोर टेस्ट करना जरूरी नहीं. इस पर बीजेपी वकील मुकुल रोहितगी ने इसे केवल समय खराब करने वाली बात कही. जवाब देते हुए कांग्रेस की ओर से पहले सभी 22 सीटों पर उपचुनाव और उसके बाद फ्लोर टेस्ट कराने की मांग की गई. लंच के बाद बैंच ने फैसले को कल तक के लिए टालते दिया. अगले सुनवाई गुरुवार को सुबह 10:30 बजे होगी.
इधर सीएम कमलनाथ ने मप्र के सियासी संकट को सुलझाने के लिए कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी.एस.येदियुरप्पा और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात के लिए समय मांगा. कमलनाथ ने आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने तीन पर कर्नाटक सीएम को फोन लगाया लेकिन वे फोन पर नहीं आए. वहीं गृहमंत्री ने भी उनका कॉल रिसीव नहीं किया. इस पर उन्होंने खुद कर्नाटक जाकर येदियुरप्पा से बात करने को कहा. कमलनाथ कल बैंगलुरु के लिए रवाना हो सकते हैं.
इसी बीच सभी कांग्रेस विधायक 16 विधायकों के बंधक होने और उन्हें छुड़वाने की मांग को लेकर राजभवन पहुंचे और गवर्नर लालजी टंडन से मुलाकात कर इस बाबत ज्ञापन सौंपा. विधायकों ने गवर्नर ने बीजेपी द्वारा बागी विधायकों को जबरन बैंगलुरु में बंधन बनाने का आरोप लगाया.
वहीं आज सुबह बागी विधायकों से मिलने बैंगलुरु पहुंचे राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह और अन्य 8 मंत्रियों को कर्नाटक पुलिस ने हिरासत में ले लिया. दिग्गी राजा बागियों से मिलने पर अड़ गए और भूख हड़ताल पर बैठ गए. बाद में उन्होंने इस संबंध में बैंगलुरु हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल करते हुए मांगी की कि उन्हें कांग्रेस विधायकों से मिलने दिया जाए. हालांकि उनकी याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया. वहीं उक्त 16 विधायकों ने दिग्विजय सिंह से न मिलने की बात कहते हुए कर्नाटक पुलिस को चिट्ठी लिखकर सुरक्षा की मांग की. इधर कांग्रेस सांसद और मंत्रियों की गिरफ्तारी को लेकर राज्यसभा में जमकर हंगामा हुआ जिसकी वजह से सदन को स्थगित करना पड़ा.
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इधर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि आज पूरे देश की जनता देख रही है कि किस प्रकार प्रजातंत्र से खिलवाड़ किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि हम तो आज भी चाहते हैं कि फ्लोर टेस्ट हो लेकिन नियम प्रक्रिया, संविधान और विधानसभा के नियमों के अनुसार हो. सीएम ने कहा कि बीजेपी तो अविश्वास प्रस्ताव दे चुकी है लेकिन अब मुकर रहे हैं. वे कह रहे हैं कि हमने नहीं दिया लेकिन वह तो कागज के रूप में उपलब्ध है. वह तो लिखा हुआ है लेकिन अब भाग रहे हैं. मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि अब क्यों भाग रहे हो?
वहीं शिवराज सिंह पर निशाना साधते हुए मप्र प्रदेशाध्यक्ष ने कहा कि उन्हें मुख्यमंत्री बनने के सपने आ रहे हैं इसलिए उनको नींद नहीं आ रही. कमलनाथ ने चुटकी लेते हुए कहा कि वे ही नहीं, बीजेपी के और कइयों को भी नींद नहीं आ रही है. सब सपने देख रहे हैं जो मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं. इनकी ओर से 3-4 इस रेस में हैं लेकिन इनका सपना साकार कभी नहीं होने वाला. मप्र सीएम ने कहा कि ये बड़ी भूल में है कि बहुमत इनके पास है. ये 16 विधायकों को वापस लाने में क्यों घबरा रहे हैं? इन्होंने विधायकों को 500 से 1000 पुलिसवालों की कैद में रखा है. बंधक बनाकर कुछ भी लिखवा सकते हैं, कहलवा सकते हैं. इन्हें अपने क्षेत्र में जाने दो और फ्री छोड़ दो. पता चल जाएगा वे किसके पक्ष में हैं.