कर्नाटक में फोन टेपिंग का नया मुद्दा जोर पकड़ रहा है. बेंगलुरु के मौजूदा पुलिस आयुक्त भास्कर राव की फोन पर की गई बातचीत टेप की गई थी. मीडिया के एक हिस्से में इस बातचीत को प्रसारित किया जा रहा है. इससे एक बार फिर कर्नाटक में राजनीतिक विवाद शुरू हो गया है. गौरतलब है कि लंबे राजनीतिक नाटक के बाद हाल ही जदएस-कांग्रेस सरकार का पतन हुआ है और येदियुरप्पा ने भाजपा की सरकार बना ली है. मुख्यमंत्री येदियुरप्पा ने मुख्य सचिव से इस मामले की रिपोर्ट मांगी है.

पुलिस की जांच में पता चला है कि पिछले कुछ महीनों के दौरान कई नेताओं, अफसरों और पत्रकारों के फोन टेप किए गए थे. उस समय एचडी कुमारस्वामी मुख्यमंत्री थे. कुमारस्वामी ने फोन टेप करने में अपनी भूमिका से इनकार किया है. यह मामला उस समय सामने आया था, जब कर्नाटक पुलिस के अफसरों के आपसी मतभेद सतह पर आने लगे थे. उस समय बेंगलुरु के नए पुलिस आयुक्त की नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही थी. तब फोन पर होने वाली बातचीत मीडिया में उजागर होने लगी थी.

फोन पर होने वाली बातचीत मीडिया में आने के बाद कांग्रेस नेता सिद्धारमैया, पूर्व गृहमंत्री एमबी पाटिल, मल्लिकार्जुन खड़गे और पूर्व गृहमंत्री भाजपा के आर अशोक ने इस मामले की जांच कराने की मांग की थी. फोन पर होने वाली यह बातचीत नवंबर 2018 के आसपास टेप की गई थी. उस समय तत्कालीन जदएस-कांग्रेस सरकार के खिलाफ कुछ विधायक बगावत कर रहे थे और भाजपा भी सरकार गिराने का प्रयास कर रही थी.

फोन टेप करने के आरोप पिछले हफ्ते से लग रहे हैं, जब कर्नाटक के एक स्थानीय टीवी चैनल ने भास्कर राव की कांग्रेस हाईकमान से जुड़े एक नेता के साथ हुई बातचीत प्रसारित की थी. येदियुरप्पा ने भास्कर राव को दो अगस्त को बेंगलुरु पुलिस आयुक्त नियुक्त किया था. इससे पहले 26 जुलाई को येदियुरप्पा ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. मीडिया में वायरल हो रही टेप की गई कथित बातचीत में एडीजी स्तर के 1980 बैच के आईपीएस भास्कर राव फराज नामक बिचौलिए से बातचीत करते हुए बेंगलुरु पुलिस आयुक्त पद के लिए अपने पक्ष में लॉबिंग करने का अनुरोध करते हुए दिखाई देते हैं. हालांकि इस टेप की अभी तक अधिकृत तौर पर पुष्टि नहीं हुई है.

कुमारस्वामी ने 17 जून को 1994 बैच के हाल ही एडीजीपी पदोन्नत हुए आलोक कुमार को बेंगलुरु पुलिस आयुक्त नियुक्त किया था. इस नियुक्ति में आलोक कुमार से वरिष्ठ 21 आईपीएस अफसरों की वरिष्ठता को दरकिनार कर दिया गया था. इससे न सिर्फ पुलिस महकमें में, बल्कि जदएस-कांग्रेस गठबंधन में भी उथल-पुथल होने लगी थी. पुलिस आयुक्त पद पर नियुक्ति से पहले आलोक कुमार शहर के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (अपराध) पद पर थे और उनके पास फोन टेप करवाने के अधिकार थे. हालांकि आलोक कुमार पुलिस आयुक्त पद नहीं संभाल सके. आयुक्त बनने के लिए कतार में खड़े भास्कर राव को सरकार बदलने के बाद मौका मिल गया और येदियुरप्पा ने उन्हें बेंगलुरु पुलिस आयुक्त नियुक्त कर दिया.

भास्कर राव के पद संभालते ही फोन पर की गई बातचीत के टेप मीडिया में वायरल होने लगे, जिनमें वह कांग्रेस से जुड़े किसी मध्यस्थ से बातचीत करते प्रतीत होते हैं. गौरतलब कि आलोक कुमार बेंगलुरु पुलिस आयुक्त पद पर नियुक्ति और पदभार संभालने से पहले ही तबादले का मुद्दा केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) में ले गए हैं. इसी बीच फोन बर बातचीत के टेप मीडिया में आने लगे.

भास्कर राव ने पूरे मामले की जांच संयुक्त आयुक्त (अपराध) संदीप पाटिल को सौंपी है, जो यह पता लगाएंगे कि फोन पर हुई बातचीत टेप होने के बाद मीडिया में लीक कैसे हुई. आलोक कुमार ने कहा किय यह बातचीत उस समय टेप की गई थी, जब पुलिस फराज की संदिग्ध गतिविधियों की जांच कर रही थी. फराज पर पोंजी स्कीम घोटाले के आरोपों की जांच चल रही थी. उस समय भास्कर राव के फोन टेप नहीं किए जा रहे थे.

भास्कर राव ने इस मुद्दे पर कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की है. उन्होंने कर्नाटक के डीजीपी नीलमणि राजू से शिकायत करते हुए बातचीत लीक होने के समय पर सवाल उठाए हैं. बेंगलुरु के संयुक्त पुलिस आयुक्त की एक रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि जो बातचीत टेप हुई थी, उसके बाद भी करीब छह महीने तक संदिग्ध अपराधियों के ही नहीं, बल्कि राजनीतिज्ञों और अफसरों के फोन भी टेप किए जाते रहे हैं. पुलिस सूत्रों का कहना है कि विधायकों और अफसरों के फोन अवैध रूप से टेप किए गए थे. मुख्यमंत्री के निकट सहयोगियों और अन्य नेताओं की भी निगरानी की जा रही थी.

बहरहाल पुलिस फोन टेप मुद्दे की जांच करने में जुट गई है. इस बिदु पर भी जांच की जाएगी कि यह बातचीत उसी समय कैसे लीक हुई, जब दो अगस्त को नए पुलिस आयुक्त पद संभाल रहे थे. पुलिस सूत्रों का कहना है कि फोन पर बातचीत के टेप मीडिया तक पहुंचाने में किसी आईपीएस अधिकारी की भूमिका हो सकती है. प्राथमिक जांच की रिपोर्ट मिलने के बाद डीजीपी इस मामले की जांच सीआईडी से करवा सकते हैं.

इस बीच शुक्रवार को आलोक कुमार ने भास्कर राव की बेंगलुरु पुलिस आयुक्त पद पर नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका वापस ले ली है. पूर्व मुख्यमंत्री कुमारस्वामी ने खुद को इस पूरे मामले से यह कहते हुए अलग कर लिया है कि मैं मुख्यमंत्री था और मुझे मालूम था कि कोई भी पद स्थायी नहीं होता है. मुझे सत्ता में रहने के लिए किसी के फोन टेप करवाने की जरूरत नहीं थी. उन्होंने अपने पर लग रहे आरोपों से साफ इनकार कर दिया है.

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