कर्नाटक और गोवा में कांग्रेस विधायकों को भाजपा की तरफ खींचने का जो अभियान चला, उससे राजस्थान और मध्यप्रदेश में हाई अलर्ट की स्थिति है. इन दोनों राज्यों में कांग्रेस की सरकारें हैं और बहुत ही मामूली बहुमत के आधार पर टिकी हुई है. दोनों जगह कांग्रेस सरकारें बाहरी समर्थन की बदौलत चल रही हैं.
मध्यप्रदेश में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार के पास पूर्ण बहुमत नहीं है. सपा-बसपा के एक-एक और कुछ निर्दलीय विधायकों के समर्थन से कमलनाथ सरकार चल रही है. यही स्थिति राजस्थान में है. राजस्थान में भी कांग्रेस का पूर्ण बहुमत नहीं है. करीब एक दर्जन निर्दलीय विधायकों ने अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बनाने की शर्त पर कांग्रेस सरकार को समर्थन दे रखा है.
फिलहाल मप्र और राजस्थान में कांग्रेस एकजुट नजर आ रही है, लेकिन स्थिति कभी भी डांवाडोल हो सकती है. मप्र में मुख्यमंत्री कमलनाथ और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह कांग्रेस विधायकों पर नजर बनाए हुए हैं. दोनों को लग रहा है कि बीजेपी कभी भी कांग्रेस के विधायकों को तोड़ सकती है. कांग्रेस को भाजपा के इरादों में अब कोई संदेह नहीं है. बीजेपी ने जिस तरह कर्नाटक में जदएस-कांग्रेस की सरकार को डांवाडोल करने का खेल खेला है और गोवा में कांग्रेस के तमाम ईसाई विधायकों को भाजपा में शामिल किया है, वह साधारण नहीं है. यह बीजेपी का कांग्रेस की सरकारें गिराने का एक नया तरीका है.
दरअसल बीजेपी ने देश को कांग्रेस मुक्त बनाने का अभियान चला रखा है और जहां भी कांग्रेस मजबूत है, उसे कमजोर करना बीजेपी का लक्ष्य है. इस अभियान में बीजेपी अपनी पूरी ताकत लगा रही है. कांग्रेस को बीजेपी की रणनीति समझ में आने लगी है. गुरुवार को कांग्रेस सांसदों ने अन्य विपक्षी सांसदों के साथ इस मुद्दे पर बैठक की और महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने भाजपा के ऑपरेशन पोचिंग के खिलाफ विपक्षी पार्टियों का धरना आयोजित करने का फैसला किया. इसके बाद उन्होंने लोकसभा में यह मुद्दा उठाया.