पॉलिटॉक्स न्यूज/बिहार चुनाव स्पेशल. बिहार की राजनीति में कहना गलत तो न होगा कि विधानसभा चुनाव से पहले दोनों बड़े गठबंधनों के हालचाल ठीक नहीं है और सितारे गर्दिश में हैं. एक ओर महागठबंधन में तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री चेहरा बनाने पर अनबन चल रही है, वहीं नीतीश कुमार खेमे में चिराग पासवान सेंध लगाने का काम कर रहे हैं. चिराग पहले से ही सीएम नीतीश कुमार की कार्यशैली से हटकर विचारधारा रखते हैं, वहीं हाल में दिया उनका बयान इस बात में मुहर लगा रहा है कि वे बिहार में तीसरा धड़ा खड़ा कर सकते हैं. हालांकि बिहार में राजद व जेडीयू को छोड़कर क्षेत्रप पार्टियों का इतना वर्चस्व नहीं है लेकिन अगर चिराग पासवान कुछ अच्छा करने में सफल होते हैं तो किंग मेकर के तौर पर उनकी भूमिका नजर आ सकती है.
दरअसल, लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और जमुई से सांसद चिराग पासवान ने बिहार चुनाव से पहले एक चौंकाने वाला बयान देते हुए सियासी गलियारों में हलचल वाला माहौल तैयार कर दिया है. उन्होंने अपने पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा, ‘बिहार में गठबंधन का स्वरूप बदल रहा है और पार्टी कार्यकर्ताओं को हर स्थिति के लिए तैयार रहना चाहिए.’ मतलब साफ है कि उनका इशारा सीधे तौर पर जदयू और बीजेपी गठबंधन की तरफ है.
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वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए चिराग पासवान ने ये भी कहा, ‘लोजपा को बिहार चुनाव को लेकर अपनी तैयारी पूरी रखनी चाहिए. नेताओं और कार्यकर्ताओं को चुनाव में किसी भी परिस्थिति का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए. अगर जरूरत पड़ी तो पार्टी को अकेले चुनाव लड़ने के लिए भी तैयार रहना चाहिए.’ चिराग ने इस बयान से बिहार में आने वाले चुनाव से पहले एक बार फिर से कयास लगने शुरू हो गए हैं. साथ ही ये भी सामने आ गया है कि गठबंधन में मतभेद राजद खेमे में ही नहीं बल्कि जदयू और बीजेपी खेमे में भी हैं.
माना जा रहा है कि एनडीए बैनर में सीटों के बंटवारे को लेकर लोजपा अध्यक्ष नाराज चल रहे हैं. चिराग चाहते हैं कि उनकी पार्टी आगामी विधानसभा चुनाव में कम से कम 42 सीटों पर चुनाव लड़े, लेकिन एनडीए उनकी पार्टी को 25 से 30 सीटों से ज्यादा देने में बिलकुल भी तैयार नहीं है. अगर जदयू की माने तो सीएम नीतीश कुमार तो जदयू के लिए 20 सीटें छोड़ने तक को तैयार नहीं हैं लेकिन बीजेपी के सम्मान के खातिर 20 से 25 तक सहमति दे सकते हैं. नीतीश के विचारों से चिराग पूरी तरह वाकिफ हैं और यही वजह है कि वे जदयू से नाराजगी छुपाए नहीं छुपा पा रहे हैं.
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चिराग की नाराजगी अभी से नहीं बल्कि पिछले 5 सालों से जदयू के खिलाफ बनी हुई है. दरअसल, मौजूदा विधानसभा में लोक जनशक्ति पार्टी के दो विधायक हैं, बावजूद इसके सरकार में पार्टी की कोई भी भागीदारी नहीं है. यही वजह है कि अब चिराग कम सीटों पर चुनाव लड़ने के मूड में बिलकुल नहीं हैं. वे न केवल ज्यादा सीटें मांग रहे हैं, साथ ही सरकार में भागीदारी भी चाहते हैं. सूत्रों की माने तो न जदयू और न ही एनडीए उनकी मांग को ज्यादा सीरियस ले रहा है. ऐसे में चिराग और सत्ताधारी गठबंधन के बीच धुंआ उठता दिख रहा है.
अब विपक्ष भी दोनों के बीच आ रहे मतभेद को भुनाने और एनडीए गठबंधन के बीच दरार को बढ़ाने की कोशिश में लगा हुआ है. इसी कड़ी में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि बिहार एनडीए में चुनाव से पहले खटपट शुरू हो गई है. चिराग पासवान ने अपने कार्यकर्ताओं से संबोधित करते हुए इसके संकेत दे दिए हैं.
आग में घी डालते हुए मृत्युंजय तिवारी ने कहा, ‘चिराग पासवान ने कई मौकों पर नीतीश की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए हैं और बिहार सरकार को आईना दिखाने का काम किया है. यही बात नीतीश कुमार को नागवार गुजर रही है जिसकी वजह से एनडीए में लोजपा को भाव नहीं दिया जा रहा है. नीतीश कुमार चुनाव में एलजेपी को सस्ते में निपटाना चाह रहे हैं और कम से कम सीट देना चाह रहे हैं. चिराग पासवान का गुस्सा स्वाभाविक है और अब में एनडीए के घर में चिराग से ही आग लगनी है.’
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राजद नेता की बातों में कहीं न कहीं दम तो है क्योंकि चिराग युवा और गुस्सैल स्वभाव के नेता हैं. चाहें उनकी पार्टी की हैसियत रामविलास के नेतृत्व छोड़ने के बाद कितनी भी कम हो गई हो लेकिन पिछले दो लोकसभा चुनावों में 7 में से 6 सीटें जीत पार्टी ने अपनी जड़ों को मजबूत किया है. अगर चिराग एनडीए से अलग होते हैं तो महागठबंधन में तो शामिल नहीं होंगे, ये तय है. ऐसे में अगर चिराग के नेतृत्व में लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) स्वतंत्र विधानसभा चुनाव लड़ती है और 30 से 40 सीटें जीतने में सफल हो जाती है तो अगर ऐसा हो जाता है तो निश्चित तौर पर राजद और एनडीए का राजनीतिक समीकरण बिगड़ेगा. ऐसे में चिराग बिहार की सरजमीं पर न केवल वे तीसरा धड़ा खड़ा करेंगे, साथ ही किंगमेकर की भूमिका में सरकार में सहभागिता तय है.