पॉलिटॉक्स ब्यूरो. केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने INX मीडिया मामले में चिदंबरम (Chidambaram) पिता-पुत्र सहित 14 लोगों/कंपनियों के खिलाफ चार्जशीट पेश कर दी. पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम पर आरोप है कि उन्होंने आईएनएक्स मीडिया और आईएनएक्स न्यूज प्रा.लि. को विदेशी निवेश जुटाने की मंजूरी देने में पद का दुरुपयोग किया. सीबीआई ने यह मामला 15 मई, 2017 को दर्ज किया था.
जांच एजेंसी को पता चला कि पी.चिदंबरम (Chidambaram) के पुत्र कार्ति चिदंबरम की कंपनी एडवांटेज स्ट्रैटजिक कंसल्टिंग प्रा.लि. (एससीपीएल) को कथित तौर पर 9.96 लाख रुपए का अवैध भुगतान किया गया था. इस मामले में जिन पर आरोप लगाए गए हैं, उनमें आईएनएक्स मीडिया, उसकी सहयोगी कंपनी आईएनएक्स न्यूज, दोनों कंपनियों के तत्कालीन निदेशक पीटर मुखर्जी, चेस मैनेजमेंट सर्विसेस प्रा.लि., एएससीपीएल और कार्ति चिदंबरम के चार्टर्ड एकाउंटेंट एस भास्कररमन शामिल हैं.
सीबीआई जांच कर रही है कि 2007 में आईएनएक्स मीडिया को विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड (एफआईपीबी) से 4.62 करोड़ रु. का विदेशी निवेश जुटाने की अनुमति मिली थी, लेकिन आईएनक्स मीडिया ने 403.07 करोड़ रुपए का विदेशी निवेश जुटा लिया था. इसमें से 40.91 करोड़ रुपए की राशि अवैध रूप से आईएनक्स मीडिया की सहयोगी कंपनी आईएनक्स न्यूज में जमा कराई गई थी.
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सीबीआई का आरोप है कि इस मामले को रफा दफा करने के लिए कंपनी के मालिक मुखर्जी ने चिदंबरम पिता-पुत्र और एफआईपीबी के तत्कालीन अधिकारियों के साथ मिलकर साजिश रची थी. इसमें विदेशी विनिमय प्रबंधन कानून (एफईएम एक्ट) का उल्लंघन किया गया, जिसके तहत अवैध रूप से निवेश जुटाने पर 300 फीसदी तक पेनल्टी का प्रावधान है. चार्जशीट के मुताबिक इस कानून से बचने के लिए मुखर्जी ने चिदंबरम को रिश्वत दी थी.
सीबीआई के मुताबिक पीटर मुखर्जी से अवैध रूप से राशि लेने के लिए कार्ति चिदंबरम (Chidambaram) ने एससीपीएल नामक एक नई कंपनी बना ली थी. पीटर मुखर्जी ने सलाह, शुल्क, भुगतान आदि के रूप में इस कंपनी को 9.96 लाख रुपए दिए थे जबकि कंपनी ने मुखर्जी को किसी भी तरह की सेवा उपलब्ध नहीं करवाई थी.
कार्ति चिदंबरम ने चार्जशीट पेश होने के बाद ट्वीट किया है कि यह चार्जशीट सिर्फ इसलिए पेश की गई है कि उनके पिता की न्यायिक हिरासत की अवधि दो माह है. इस दरमियान अगर चार्जशीट पेश नहीं हुई तो वह अपने आप रिहा हो जाएंगे, इसलिए उन्हें ज्यादा से ज्यादा समय तक जेल में रखने के लिए यह कदम उठाया गया है. हम कानून के मुताबिक आरोपों का सामना करेंगे.
आईएनएक्स मीडिया की पूर्व निदेशक इंद्राणी मुखर्जी इस मामले में पिछले साल ही एप्रूवर बन चुकी है. उसने बताया कि चिदंबरम के कहने पर विदेशों में स्थित विभिन्न कंपनियों में 50 लाख रुपए जमा कराए थे और मार्च-अप्रैल 2007 में एफआईपीबी के मुद्दे पर तत्कालीन केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम से मुलाकात की थी.
इस मामले में सीबीआई की चार्जशीट में तत्कालीन अतिरिक्त सचिव सिंधुश्री खुल्लर, संयुक्त सचिव (विदेश व्यापार) अनूप के पुजारी और विदेशी मामलात विभाग में तत्कालीन ओएसडी प्रदीप कुमार बग्गा, एफआईपीबी के तत्कालीन निदेशक प्रबोध सक्सेना, अधीनस्थ सचिव रवीन्द्र प्रसाद और विभागीय अधिकारी अजित कुमार डुंगडुंग के नाम भी शामिल हैं. इन लोगों पर धारा 120-बी (आपराधिक साजिश), 420 (जालसाजी), 468 (धोखाधड़ी के लिए जालसाजी) और 471 (दस्तावेजों में हेराफेरी) सहित भ्रष्टाचार निरोधक कानून अन्य धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं. सीबीआई ने इस मामले में तथ्य जुटाने के लिए सिंगापुर, मारीशस, बरमूडा, यूके और स्विटजरलैड को लैटर रोगेटरी (न्यायिक अनुरोध पत्र) भेजे हैं, जिनके जवाब मिलना बाकी है.