Politalks.News/UttarpradeshChunav. उत्तरप्रदेश (Uttar Pradesh Assembly eleciton) में चुनावी तारीखों की घोषणा के साथ ही सत्ता के महासंग्राम के लिए सभी राजनीतिक दलों ने अपने-अपने प्रत्याशियों की एक या दो लिस्ट जारी कर दी हैं. इस बीच समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने ऐलान किया है कि उन्नाव में गैंगरेप पीड़िता की मां और कांग्रेस प्रत्याशी आशा सिंह (Unnao rape victim’s mother Asha Singh) के खिलाफ पार्टी अपना प्रत्याशी नहीं उतारेगी और उनका समर्थन करेगी. इसके बाद सियासी गलियारों में चर्चा है कि क्या कांग्रेस (Congress) और सपा में अंदरखाने कोई तालमेल है? वहीं दूसरी ओर कांग्रेस द्वारा जारी प्रत्याशियों की सूची की गणित आप समझेंगे तो लगता है कि कांग्रेस ने भाजपा के वोट काटने के लिए प्रत्याशी उतारे हैं, जो कि सीधे-सीधे सपा को फायदा पहुंचाने वाले हैं. जबकि उन्नाव का उदाहरण तो तस्वीर को साफ कर ही रहा है. लेकिन सवाल एक और है कि क्या इसके एवज में सपा किसी तरह से कांग्रेस की कोई मदद उत्तराखंड (Uttarakhand Assembly Election) में करेगी?
उन्नाव रेप पीड़िता की मां और कांग्रेस प्रत्याशी आशा देवी के खिलाफ उम्मीदवार नहीं उतारेगी सपा
सियासी गलियारों की खबर है कि समाजवादी पार्टी ने भी उन्नाव में रेप पीड़ित युवती की मां के खिलाफ उम्मीदवार नहीं उतारने का फैसला किया है. कांग्रेस ने उन्नाव रेप पीड़िता की मां आशा देवी को प्रत्याशी बनाया है. सपा का अब आशा देवी के खिलाफ प्रत्याशी नहीं उतारना कांग्रेस के प्रति सद्भाव दिखाना ही है. अखिलेश के फैसले पर आशा देवी का बयान आया है कि, ‘अखिलेश भैया ने हमेशा मेरा साथ दिया है. पार्टी ने भी हमेशा मेरा साथ दिया है. मुझे पता चला है कि यहां से सपा से किसी को चुनाव मैदान में नहीं उतारेंगे‘.
यह भी पढ़ें- उत्तरप्रदेश भाजपा में ‘भगदड़’ के बीच केशव मौर्या की ‘पुनर्विचार’ की अपीलें बनी सियासी चर्चा का विषय
सियासी चर्चा- कांग्रेस भाजपा के वोट बैंक में लगाएगी सेंध और सपा को होगा फायदा
वहीं कांग्रेस महासचिव और उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा की ओर से जारी कांग्रेस के 125 उम्मीदवारों की पहली सूची देख कर यह गणित समझा जा रहा है कि इससे किसको फायदा होगा और किसको नुकसान? प्रियंका गांधी ने 32 सीटों पर दलित उम्मीदवारों की घोषणा की है. इसमें कुछ नया नहीं है क्योंकि अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीटों पर दलित उम्मीदवार ही देने हैं. लेकिन असली बात यह है कि प्रियंका ने 20 ब्राह्मण उम्मीदवार उतारे हैं. वहीं अगर कुल सवर्ण उम्मीदवारों की बात करें तो कांग्रेस की सूची में 47 सवर्ण हैं. इसमें ब्राह्मण, ठाकुर, वैश्य और सिखों के अलावा एक-एक भूमिहार और कायस्थ भी हैं. ऐसे में सियासी जानकारों का कहना है कि, ‘यूपी में ये सभी भाजपा का कोर वोट
माने जाते हैं, जिसमें अगर कांग्रेस थोड़ी भी सेंध लगाती है तो उसका सीधा फायदा समाजवादी पार्टी को होगा.
महिलाओं को टिकट देकर कांग्रेस काटेगी भाजपा के वोट!
इसके साथ ही प्रियंका गांधी ने अपना वादा पूरा करते हुए 125 सीटों में से 40 फीसदी सीटों पर महिला प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है. ऐसा माना जा रहा है कि सपा और रालोद के कोर वोट की महिलाओं से ज्यादा मध्यवर्गीय महिलाएं इस फैसले से ज्यादा प्रभावित होंगी और अगर उनका वोट टूटा तो उसका नुकसान भी भाजपा को ही होगा, जबकि फायदा सपा और रालोद को.
यह भी पढ़ें- देवभूमि में टिकटों का घमासान, BJP में 28 नाम तय, 25 सीटों पर फंसा पेंच, 10 से ज्यादा का कटेगा टिकट
कांग्रेस ने उतारे कमजोर प्रत्याशी!
सियासी जानकारों का यह भी कहना है ऐसा नहीं है कि कांग्रेस ने सपा के कोर वोट से जुड़े उम्मीदवार नहीं उतारे हैं लेकिन एक तो उनकी संख्या बहुत कम है और दूसरे वो उम्मीदवार बहुत कमजोर बताए जा रहे हैं. कांग्रेस ने पहली सूची में 20 मुस्लिम उम्मीदवार दिए हैं लेकिन एकाध को छोड़ कर कोई उम्मीदवार ऐसा नहीं है, जो सपा के वोट काट सके, इसी तरह पहली सूची में सिर्फ पांच यादव उम्मीदवार हैं. जाहिर है सपा के कोर वोट का ख्याल रखा गया है. अन्य पिछड़ी जातियों के नेता सपा में जा रहे हैं इसलिए कांग्रेस ने अन्य पिछड़ी जाति के सिर्फ 18 उम्मीदवार दिए हैं. कांग्रेस की लिस्ट को लेकर सियासी गलियारों में चर्चा है कि क्या कांग्रेस और सपा में अंदरखाने को तालमेल तो नहीं हो गया है. जिसके बदले में कांग्रेस उत्तराखंड में सपा की मदद लेने वाली है.