जयपुर नगर निगम (Jaipur Municipal Corporation) के वार्डों का परिसीमन होने के बाद अब शहर में पार्षदों की सीटें बढ़कर 150 हो गई है. भाजपा और कांग्रेस दोनों ही नगर निगम चुनाव (Jaipur Municipal Election) जीतने के लिए जोर लगाएंगी. नगर निगम में कांग्रेस की स्थिति कुछ मजबूत है और उसे उम्मीद है कि इस बार कांग्रेस (Congress) बहुमत के साथ नगर निगम बोर्ड बना सकती है. लेकिन दिक्कत यह है कि जयपुर (Jaipur) में तमाम कांग्रेस नेता दो धड़ों में बंटे नजर आ रहे हैं. ऐसे में कांग्रेस के सामने अपना महापौर (Jaipur Mayor) बनाने में रुकावट आ सकती है.

विधानसभा चुनाव में राज्य में भाजपा की वसुंधरा राजे (Vasundhara Raje) की सरकार के खिलाफ जनभावना बनने लगी थी, जिसकी वजह से जयपुर में कांग्रेस को पांच विधानसभा सीटें मिल गईं. उसके बाद से कांग्रेस एकजुट नहीं हो पा रही है. कांग्रेस ने अब तक विभिन्न वार्डों में पार्षद के प्रत्याशियों को टिकट देना का सिलसिला शुरू नहीं किया है, उससे पहले विभिन्न गुटों में भारी खींचतान देखी जा रही है, जिसका खुलासा पार्टी के ब्लॉक सम्मेलनों में हो रहा है.

राजस्थान के सह प्रभारी और AICC के सचिव विवेक बंसल पिछले पांच दिनों से विभिन्न ब्लॉकों में बैठकें बुला रहे हैं, जिसमें पार्टी के सभी स्थानीय नेताओं की मौजूदगी होनी चाहिए. लेकिन इन बैठकों से गैरहाजिर रहने वालों में विधानसभा चुनाव हारे कांग्रेस के पूर्व प्रत्याशी, पार्टी के पदाधिकारी, जिला कांग्रेस के पूर्व प्रधानमंत्री, पूर्व ब्लॉक अध्यक्ष जैसे नेता शामिल हैं.

ब्लॉक कांग्रेस के उन सम्मेलनों में विधानसभा चुनाव जीते और हारे विधायकों का दबदबा दिखाई देता है. कांग्रेस के पराजित पूर्व प्रत्याशियों के खिलाफ कई कांग्रेसी विवेक बंसल के सामने खुलकर विरोध दर्ज करा रहे हैं. जयपुर में 150 वार्ड बन जाने के बाद सबसे ज्यादा वार्ड सांगानेर और विद्याधर नगर विधानसभा क्षेत्रों में है. इन दो क्षेत्रों में कांग्रेस के विधायक होने के बावजूद पार्टी लोकसभा चुनाव में यहां कांग्रेस करीब एक लाख वोटों से पिछड़ गई थी. इसके बावजूद इन क्षेत्रों से चुनाव हार चुके नेताओं को नगर निगम चुनाव से पहले इन क्षेत्रों का प्रभार सौंपा गया है. मालवीय नगर और बगरू क्षेत्र की स्थिति भी कमोबेश ऐसी ही है.

बगरू में हाल ही एक ब्लॉक में हुए कांग्रेस के सम्मेलन में विधायक गंगादेवी (MLA Ganga Devi) और उनके समर्थक मौजूद थे, जबकि पूर्व प्रत्याशी डॉ. प्रह्लाद रघु और उनके समर्थक बैठक में शामिल नहीं हुए. सांगानेर विधानसभा (Sanganer Assembly) क्षेत्र में हुए ब्लॉक सम्मेलन में विधानसभा चुनाव हार चुके पुष्पेन्द्र भारद्वाज (Pushpendra Bhardwaj) और उनके समर्थक मौजूद थे, जबकि पूर्व प्रत्याशी सुरेश मिश्रा और संजय बाफना नदारद रहे.

विद्याधर नगर में हुए ब्लॉक सम्मेलन में पिछला विधानसभा चुनाव हारे सीताराम अग्रवाल और उनके समर्थक मौजूद थे, जबकि पहले दो बार कांग्रेस के उम्मीदवार रहे नेताओं सहित क्षेत्र के स्थानीय कांग्रेस नेता बैठक में नहीं दिखे. जब इन नेताओं से पूछा गया कि ब्लॉक कांग्रेस सम्मेलन में क्यों नहीं पहुंचे, तो उन्होंने कहा, जब बुलाया ही नहीं जा रहा है, तो हम बैठकों में क्यों जाएं.

जब कांग्रेस में नगर निगम चुनाव में टिकट बंटने से पहले ही इस कदर मतभेद सामने आ रहे हैं तो टिकट वितरण के बाद नेताओं की भीतरी खींचतान और बढ़ेगी. जयपुर नगर निगम में कांग्रेस लंबे समय से अपना बोर्ड नहीं बना पाई है. इस बार वह कोशिश कर रही है कि इस बार उसका बोर्ड बन सकता है. लेकिन मौजूदा खींचतान से संकेट मिल रहा है कि इस बार भी कांग्रेस यहां अपना बोर्ड बनाने का मौका एक बार गंवा सकती है. विवेक बंसल (Vivek Bansal) पार्टी के अंदरूनी मतभेदों को समाप्त नहीं कर पा रहे हैं.

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