Politalks.News/Rajasthan. गुर्जर समाज की तीन अहम मांगें मान लेने के बावजूद गुर्जर समाज अपनी बात पर अड़ा हुआ है. गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला ने स्पष्ट तौर पर सरकार से किसी भी तरह की बातचीत की अटकलों को सिरे से खारिज करते हुए एक नवंबर को आंदोलन की चेतावनी दे दी. साथ ही गुर्जरों से एक नवंबर को पीलूपुरा पहुंचने का आव्हान किया है. हिण्डौन के वर्धमान नगर स्थित अपने आवास पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मीडिया से रूबरू होते हुए कर्नल किरोडी सिंह बैंसला ने ये बात कही. गुर्जर नेता ने इस दौरान राज्य सरकार पर गुर्जरों की मांगों को अनदेखा करने का आरोप भी लगाया.
गुर्जरों के इस बयान के बाद अब एक नवंबर को आंदोलन की ये आग सुलगना तय हो चुका है. गुर्जर समाज पहले ही एक नवंबर को चक्काजाम करने की चेतावनी दे चुका है. इधर, सरकार ने प्रस्तावित आंदोलन की संभावना को देखते हुए मुस्तैदी बढ़ा दी है. आधा दर्जन से अधिक अधिकारियों को मौके पर भेजा गया है, साथ ही हथियारबंद 30 कंपनियों को बुलाया गया है. केंद्र से भी दो एक्शन रैपिड टीम की मांग की गई है.
अपने खराब स्वास्थ्य के बावजूद गुर्जर नेता और आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला ने अपने निवास पर प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि अब सरकार से कोई बातचीत नहीं होगी. बैंसला ने कहा कि गुर्जर आरक्षण पर पहले भी कई बार वार्ता हो चुकी है लेकिन इतने सालों में अब तक कोई हल नहीं निकल पाया. अब सरकार हमारी सभी मांगों को पूरा करे या फिर आंदोलन के लिए तैयार रहे.
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उन्होंने कहा कि हम न्यौते से नहीं नियुक्तियों से मानेंगे. पिछले पौने दो साल से सरकार से समझौते की पालना कर रहे हैं लेकिन अभी तक हमारे मुद्दों को सॉल्व नहीं किया गया. बैंसला ने सरकार से मांग है कि जल्द से जल्द इस मामले में फैसला लें. हम आश्वासन देते है कि सरकार को पूरा सहयोग करेंगे. अन्यथा मुझे ऐसा लगता है कि आंदोलन निश्चित है.
किरोड़ी बैंसला ने एक बार फिर एक नवंबर को राजस्थान भर में चक्काजाम करने की चेतावनी दी. बता दें कि एक नवंबर को ही जयपुर ग्रेटर, कोटा और जोधपुर के तीन नगमों में पार्षदों के चुनाव होने हैं. आंदोलन की आहट को देखते हुए सरकार अभी भी सुलह के रास्ते तलाश रही है.
इससे पहले गुर्जर नेता विजय बैंसला ने आभानेरी में भुणा बाबा के मंदिर में गुरुवार को गुर्जरों की एक बैठक ली जिसमें उन्होंने कहा कि एक नवंबर को पीलूपुरा से आंदोलन की शुरुआत करने की बात कही. उन्होंने समाज के लोगों से आह्वान किया कि आगामी एक नवंबर को समुदाय के सभी लोग लाठियों के साथ पीलूपुरा स्थित शहीद स्थल पर इकट्ठे हो. गुर्जर समाज के लोग लाठियां लेकर पीलूपुरा स्थित शहीद स्थल पर सुबह 10 बजे इकट्ठे होंगे. यहां से आंदोलन की शुरुआत की जाएगी.
गौरतलब है कि गुरुवार को सरकार की ओर से गुर्जर प्रतिनिधि मंडल को जयपुर वार्ता के लिए बुलाया गया था लेकिन यहां प्रतिनिधिमंडल से कोई व्यक्ति वार्ता के लिए जयपुर नहीं पहुंचा. इससे पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के इशारे पर वरिष्ठ आईएएस नीरज के. पवन, पुलिस अधिकारी बीजू जॉर्ज, करौली जिला कलक्टर सिद्धार्थ सिहाग और भरतपुर एसपी अमनदीप कपूर बुधवार को हिंडौन सिटी पहुंचे. यहां अधिकारियों ने आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक कर्नल किरोड़ी सिंह बैसला समेत अन्य गुर्जर नेताओं से बैंसला के वर्धमान नगर स्थित आवास पर मुलाकात की और पूरे मामलात पर विस्तार से चर्चा की. अधिकारियों ने गुर्जर नेताओं को वार्ता के लिए जयपुर आने का आमंत्रण निमंत्रण दिया लेकिन गुर्जर नेताओं ने सभी अधिकारियों को ये कहते हुए बैरंग लौटा दिया कि अब जयपुर जाकर कोई वार्ता नहीं होगी.
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वहीं जयपुर में गुर्जर पैनल का इंतजार करने के बाद चिकित्सा मंत्री डॉ.रघु शर्मा और खेल मंत्री अशोक चांदना ने पत्रकार वार्ता आयोजित कर गुर्जरों की तीन मांगों को स्वीकृत करने का ऐलान किया. इनमें 1252 अभ्यर्थियों को नियमित पे स्केल, आंदोलन के दौरान तीन मृतकों के परिजनों को पांच पांच लाख रुपये का मुआवजा और गुर्जर समाज को 9वीं अनुसूची में शामिल करने के लिए केंद्र को एक बार फिर पत्र लिखने जैसी बातें शामिल हैं.
इसके बाद मंत्री रघु शर्मा ने कहा कि मामला अदालत में विचाराधीन है. अन्य बातें मान ली गई हैं. ऐसे में आंदोलन का कोई मतलब नहीं रह जाता. हालांकि गुर्जर अभी भी मानने को तैयार नहीं हैं. राज्य में 5 फीसदी आरक्षण को लेकर भी गुर्जर आरपार की लड़ाई के मूड में हैं.
इधर, राज्य सरकार ने आंदोलन को देखते हुए अपनी तैयारियां करनी शुरु कर दी है. जयपुर मुख्यालय में वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक चल रही है. सरकार ने जैसलमेर, गंगानगर और बाड़मेर बॉर्डर से 30 हथियारबंद टीमें बुलाई हैं. 7 होमगार्ड टीमों को भी तैनात किया गया है. आधा दर्जन से अधिक पुलिस अधिकारी पहले ही पहुंच चुके हैं. एक तरफ गुर्जर समाज ने 5 फीसदी आरक्षण के साथ अपनी 6 सूत्री मांग सरकार के समक्ष रखी है तो सरकार ने कोरोना काल और आर्थिक संकट को देखते हुए आंदोलन टालने का अनुरोध किया है.