बीते एक साल से महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा उलटफेर देखने को मिल रहा है. ये कहना गलत न होगा कि प्रदेश की सियासत में कब किस पल क्या घट जाएगा, इसका अंदाजा लगाना राजनीतिक विशेषज्ञों के लिए भी मुश्किल हो रहा है. पिछले साल शिवसेना और अब एनसीपी दो फाड़ में बंट गई है. शिवसेना के एक गुट के प्रमुख उद्धव ठाकरे हैं तो दूसरे गुट के सीएम एकनाथ शिंदे. उसी तरह राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के एक गुट में शरद पवार हैं तो दूसरे में अजित पवार. शिवसेना के एकनाथ शिंदे जिस राह पर थे, अब उसी राह पर अजित पवार चल पड़े हैं. उन्होंने भी मुख्य पार्टी पर अधिकारिक दावा पेश कर दिया है जिससे पार्टी में टूट हो चुकी है. इन कठिन परिस्थितियों में शिवसेना (UTB) के मुखिया उद्धव ठाकरे और एनसीपी के अध्यक्ष शरद पवार दोनों मिलकर सियासी रणनीति तैयार कर रहे हैं ताकि शिंदे और अजित ग्रुप को मुंह तोड़ जवाब दिया जा सके.
एकनाथ शिंदे और अजित पवार से मुकाबले के लिए शरद पवार और उद्धव ठाकरे ने रणनीति तैयार कर ली है. इस रणनीति के तहत अब वे आगे का कार्य करेंगे. अजित पवार की बगावत के बाद एनसीपी प्रमुख शरद पवार अब अपने वर्करों को एकजुट करने के लिए राज्य भ्रमण में निकल पड़े हैं. शरद पवार एक बार फिर कार्यकर्ताओं और समर्थकों को एकजुट करने के लिए सड़कों पर उतर गए हैं. शरद पवार ने अपनी जनसभा की शुरूआत नासिक के येओला से की जहां एनसीपी के बागी छगन भुजबल विधायक हैं और अजित पवार से जा मिले हैं.
यहां शरद पवार ने एक इमोशनल स्पीच देते हुए वहां के लोगों से कहा कि यह रैली किसी पर कोई आरोप लगाने के लिए नहीं है. मैं यहां आप सभी से माफी मांगने आया हूं. मेरा फैसला गलत था. आपने मुझ पर विश्वास किया और मेरी पार्टी को वोट दिया, लेकिन येवला से छगन भुजबल को विधायक बनाने का मेरा फैसला विफल रहा. अत: आपसे क्षमा मांगना मेरा कर्तव्य है. उन्होंने कहा कि अगली बार जब मैं दोबारा यहां आऊंगा तो वादा करता हूं कि गलती नहीं दोहराऊंगा.
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वहीं दूसरी ओर, उद्धव ठाकरे भी पार्टी को मजबूत करने और अपने कार्यकर्ताओं को एकत्रित करने के लिए राज्य के दौरे पर निकलने की तैयारी में हैं. मातोश्री में पिछले दिनों पार्टी नेता और कार्यकर्ताओं की हुई बैठक में यह सहमति बनी थी. इस पर काम करते हुए पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे ने पूरे महाराष्ट्र में रैली और जनसभा की शुरूआत कर दी है. शिवसेना में एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़नी पड़ी थी. इसके बाद शिंदे ने बीजेपी के साथ मिलकर राज्य में सरकार बनाई और खुद मुख्यमंत्री बन बैठे.. अब यही हाल एनसीपी में है, जहां अजित पवार अपने कुछ विधायकों के साथ शिंदे-फडणवीस सरकार में शामिल हो गए और खुद डिप्टी सीएम बन गए.
अब मुकाबला यहां विपक्ष और बीजेपी के बीच नहीं रह गया है. अब मुकाबला महाराष्ट्र की सबसे मजबूत स्थानीय पार्टियों के बीच है. यहां शिवसेना और एनसीपी दो मजबूत राजनीतिक पार्टियां अपने वास्तविक स्वरूप पर एक दूसरे के सामने खड़ी हैं. जहां एकनाथ शिंदे को उद्धव ठाकरे तो अजित पवार को शरद पवार अपने अनुभव से राजनीतिक पटखनी देने की तैयारी में हैं. वहीं अजित और शिंदे दोनों को ही अपनी पार्टी से ज्यादा बीजेपी का समर्थन है. अब देखना ये है कि क्या उद्धव ठाकरे और शरद पवार अपनी ही पार्टी के बागियों एकनाथ शिंदे और अजित पवार को सबक सिखा पाते हैं या नहीं.