पॉलिटॉक्स न्यूज/मप्र. मध्य प्रदेश में सत्ता के लिए मचे सियासी घमासान में बीजेपी और कांग्रेस के बीच शह और मात का खेल बदस्तूर जारी है. जहां बीजेपी ने सत्ताधारी पार्टी के एक विधायक का इस्तीफा करा प्रदेश की राजनीति को एक झटका दिया तो वहीं कमलनाथ ने अपनी लंबे राजनीतिक अनुभव का फायदा उठा बीजेपी के दो दिग्गज विधायकों से देर रात मुलाकात कर प्रदेश की राजनीति में भूचाल ला दिया है. ऐसे में अब लगने लगा है कि बीजेपी का ऑपरेशन लोट्स उसी पर भारी पड़ने वाला है. प्रदेश के पीडब्ल्यूडी मंत्री सज्जन सिंह वर्मा के बयान की, ‘अभी हमारा एक विकेट गिरा है लेकिन हम एक के बदले तीन विकेट गिराएंगे’, ने इस बात को पुख्ता कर दिया है.
ताजा जानकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री निवास पर बीजेपी विधायक नारायण त्रिपाठी और संजय पाठक ने देर रात सीएम कमलनाथ से मुलाकात की. वहीं, बीजेपी के तीसरे विधायक शरद कोल पहले से ही बगावत का रुख अपनाए हुए हैं और कांग्रेस खेमे में खड़े हैं. कमलनाथ सरकार के पर्यटन मंत्री सुरेन्द्र सिंह बघेल हनी बीजेपी ने इन विधायकों के देर रात लेकर मुख्यमंत्री आवास पहुंचे. बीजेपी के दोनों विधायक लगभग एक घंटे तक मुख्यमंत्री आवास पर रहे. मजे की बात ये है कि कांग्रेस अभी तक संजय पाठक पर ही हॉर्स ट्रेंडिंग का आरोप जड़ रही थी, वे ही कांग्रेस खेमे की ओर चले आ रहे हैं.
जानकरों की मानें तो बीजेपी ऑपरेशन लोटस के जरिए मध्यप्रदेश में कांग्रेस को मात देने की पूरजोर कोशिश कर रही है. बीते बुधवार देर रात कांग्रेस के 10 विधायकों को अपने खेमे में करने की कोशिश सफल हो गई होती तो कमलनाथ सरकार का गिरना तय था लेकिन ऐन मौके पर 6 विधायकों को छुड़ा लिया गया. ऐसे में लगने लगा था कि अब ऑपरेशन लोटस धीमा पड़ जाएगा लेकिन गुरुवार देर रात कांग्रेस विधायक हरदीप सिंह डंग ने इस्तीफा देकर इस बात को झुठला दिया.
इसके बाद खुद मौर्चा सम्भालने उतरे मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपनी लंबे राजनीतिक अनुभव का फायदा उठा बीजेपी के तीन विधायकों को कांग्रेस के खेमे में लाकर राजनीतिक हलचल को बढ़ा दिया है. बीजेपी के इन तीन विधायकों में संजय पाठक जैसे दिग्गज नेता का नाम भी शामिल है. मप्र में राजनीतिक परिस्थितियां इस कदर पलटी मार सकती हैं, ये तो शायद बीजेपी के नेताओं ने भी नहीं सोचा होगा. इन परिस्थितियों में कहना बिलकुल भी गलत नहीं कि कमलनाथ की राजनीति पूर्व सीएम शिवराज सिंह पर भारी पड़ती दिख रही है.
मुख्यमंत्री कमलनाथ के आवास से निकलने के बाद बीजेपी विधायक नारायण त्रिपाठी ने अपने इस्तीफे दिए जाने वाली संभावित खबरों को गलत बताया और अपने क्षेत्र की समस्याओं को लेकर मुख्यमंत्री से मिलने आए की बात कही. लेकिन वसुधैव कुटुम्बकम और सर्व धर्म सम्भाव को लेकर साथ चलने वाली पार्टी का साथ देने की बात कहकर कांग्रेस खेमे में जाने का इशारा जरूर कर दिया है. वहीं त्रिपाठी के निकलने के आधे घंटे बाद बीजेपी विधायक संजय पाठक निकले. उन्होंने भी कुछ इसी अंदाज में बात की. एक विधायक के इस्तीफा देने की खबरों से कांग्रेस में डर जरूर दिखा लेकिन अब अपने तीन विधायकों को कमलनाथ की शरण में जाते देख बीजेपी चारो खाने चित होती दिख रही है.
इस बात में अब कोई संशय नहीं रहा कि लंबे समय से दिग्विजय सिंह के बीजेपी पर लगाए जा रहे हॉर्स ट्रेंडिंग के आरोप पूरी तरह से सही हैं. हालांकि वे राज्यसभा सांसद हैं लेकिन उनकी नजर हमेशा से प्रदेश की राजनीति पर रही है. 6 कांग्रेस विधायकों को वापिस लाने में भी दिग्गी राजा की अहम भूमिका रही है. हालांकि साथ आए विधायकों ने बाद में अलग अलग बयान देकर मामले को थोड़ा उलझा दिया था लेकिन देर रात हरदीप डंग के इस्तीफा देने के साथ ही पूरी फिल्म साफ साफ नजर आने लगी. यहीं से कमलनाथ ने अपनी राजनीति अनुभव को इस्तेमाल करना शुरु कर दिया और तस्वीर सबके सामने है.
बता दें, संजय पाठक और नारायण त्रिपाठी को मध्य प्रदेश में बड़े खनन कारोबारी के रूप में जाना जाता है. कथित तौर पर विधायकों को खरीदने के लिए पैसा जुटाने की जिम्मेदारी भी इन्हीं दोनों के कंधों पर थी. यहां तक की दिग्विजय सिंह ने संजय पाठक का नाम खुले तौर पर लिया था और माना जा रहा है कि संजय पाठक की जबलपुर सहित कई खदानों पर हुई छापेमारी भी उसी के बाद शुरु हुई. हालांकि दोनों नेता कितना भी अपनी समस्याओं को लेकर सीएम से मिलने की बात कहें लेकिन सियासी ड्रामे पर उनसे किसी भी तरह की चर्चा न हो, ऐसा होना मुमकिन नहीं है.
संजय पाठक बीजेपी से पहले कांग्रेस में रहे हैं और उनके कमलनाथ सहित कई कांग्रेस नेताओं से अभी भी काफी अच्छे रिश्ते रहे हैं. नारायण त्रिपाठी और शरद कोल तो लंबे समय से बागी रुख अख्तियार किए हुए हैं. कमलनाथ से मिलने के बाद अगर पाठक और त्रिपाठी कांग्रेस खेमे में आते हैं तो शरद कोल का आना तो पक्का है.
दोनों बीजेपी नेताओं के मुख्यमंत्री से मिलने की बात सुनकर कांग्रेस नेताओं के हौसले बुलंद हो चले हैं. इसी कड़ी में राज्य के पीडब्ल्यूडी मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने मीडिया से कहा कि अभी हमारा एक विकेट गिरा है लेकिन हम एक के बदले तीन विकेट गिराएंगे. वहीं विधायक के इस्तीफे की बात पर सीएम कमलनाथ ने कहा कि उन्हें हरदीप सिंह की तरफ से न कोई पत्र मिला और न ही इस पर चर्चा हुई. जब तक मैं व्यक्तिगत रूप से नहीं मिल लेता हूं, किसी तरह की टिप्पणी करना ठीक नहीं होगा.
मप्र के स्पीकर एन.पी. प्रजापति ने व्यक्तिगत तौर पर इस्तीफा नहीं सौंपने की बात कही. जबकि सरकार में शामिल निर्दलीय विधायक प्रदीप जायसवाल पहले ही कमलनाथ सरकार के साथ होने की बात कह चुके हैं. उन्होंने ये भी कहा कि भविष्य में अगर सरकार गिर जाती है तो अपने विधानसभा क्षेत्र की जनता के हित को ध्यान में रखते हुए फैसला लूंगा.
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में सरकार गिराने और बचाने की ये लड़ाई 3 मार्च की रात से शुरु हुई जब बीजेपी पर गुरुग्राम के मानेसर के ITC रिजॉर्ट में 4 कांग्रेस सहित 10 विधायकों को बंधक बनाने का आरोप लगा. ये सभी कांग्रेस समर्थित थे. खबर मिलने के साथ ही सरकार में मंत्री जीतू पटवारी और जयवर्धन सिंह विधायकों को वापस लाने पहुंचे. वहीं दिग्विजय सिंह भी होटल पहुंचे.
यहां बीजेपी पर आरोप लगा है कि कुछ पुलिसकर्मी वहां सादे कपड़ों में तैनात थे और जब तीनों नेताओं ने होटल के अंदर घुसने की कोशिश की तो आपस में नोकझोंक हुई. लेकिन अंत में 6 विधायकों को वहां से लाने में सफलता मिली. अन्य तीन विधायकों के कर्नाटक भेजे जाने की खबर है जबकि एक विधायक ने परिचित के यहां शादी होने की बात की. केवल 48 घंटों में पल पल बदलते घटनाक्रम को देखते हुए तो यही कहा जा सकता है कि कहीं न कहीं ऑपरेशन लोट्स खुद ‘कमल’ पर भारी पड़ता नजर आ रहा है.