Politalks.News/Delhi. छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी द्वारा भूपेश बघेल को मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने की अटकलों के बीच दिल्ली पहुंचे बघेल ने कहा है- ‘यदि हाई कमान किसी और को मुख्यमंत्री बनाना चाहता है तो वह इसके लिए तैयार हैं’. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रविवार को दिल्ली में 10 जनपथ पर हाजिरी दी, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के निवास पर प्रियंका गांधी से मुलाकात के बाद बघेल ने मीडिया से चर्चा में यह बात कही. 10 जनपथ में बैठक के बाद बाहर निकले बघेल ने कहा कि उन्होंने हाई कमान के कहने पर ही शपथ ली थी और शीर्ष स्तर से कहे जाने पर हटने को तैयार हैं. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि उनकी मुलाकात सोनिया गांधी से नहीं, महासचिव प्रियंका गांधी के साथ हुई है. अब इस मुलाकात को लेकर सियासी गलियारों में चर्चा का बाजार गर्म हो चला है. सूत्रों की माने तो बघेल के छत्तीसगढ़ बूथ मैनेजमेंट सिस्टम को यूपी में प्रियंका के चेहरे के साथ कांग्रेस उतार सकती है मैदान में.
वहीं, ढाई-ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री बनाए जाने की शर्त को लेकर चल रही अटकलों पर भूपेश बघेल ने साफ कहा कि- ‘हाई कमान ने मुझे मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने को कहा था, इसलिए मैंने शपथ ली, अब जब वे कहेंगे कि कोई और मुख्यमंत्री बनेगा तो ऐसा ही होगा, इस तरह के समझौते गठबंधन सरकार में होते हैं’. साथ ही बघेल ने ये भी कह दिया कि- ‘वह अगले साल उत्तर प्रदेश में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में जिम्मेदारी लेने को तैयार हैं‘, बघेल भी अपने बयानों से संकेत तो यूपी में जाने का दे चुके हैं.
भूपेश सिंह बघेल ने कहा- ‘छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के पास दो-तिहाई बहुमत है, मैंने प्रियंका गांधी जी से मुलाकात की, यदि हाईकमान मुझे आने वाले यूपी चुनाव में जिम्मेदारी देता है तो मैं इसके लिए तैयार हूं’ हालांकि, इस बीच छत्तीसगढ़ के प्रभारी पूनिया ने एएनआई को बताया कि कुछ साल में मुख्यमंत्री बदलने का कोई फॉर्म्यूला नहीं है. छत्तीसगढ़ में ढाई-ढाई साल पर मुख्यमंत्री बदलने को लेकर सवाल उठ रहे हैं, इसी का जवाब देते हुए भूपेश बघेल ने स्पष्ट कर दिया कि फिलहाल प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन जैसी कोई स्थिति नहीं है. हालांकि, उनके सोनिया गांधी के आवास पहुंचने के बाद सूबे का सियासी पारा जरूर चढ़ गया है.
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बूथ स्तर पर पार्टी को मजबूत करने में जुटी प्रियंका गांधी
उत्तर प्रदेश में अगले साल फरवरी में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी बिसात बिछाई जाने लगी है. कांग्रेस भी पार्टी में जान फूंकने की पूरी कोशिश कर रही है, यूपी जिला पंचायत चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन भले ही उम्दा नहीं रहा हो लेकिन आने वाले विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने अपनी सक्रियता बढ़ा दी है, इसी कड़ी में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने विधानसभा चुनाव की तैयारियों और रणनीति को लेकर लगातार बैठकें कर रही हैं. प्रियंका ने चुनावी एजेंडा तय करने के साथ-साथ पार्टी कैडर को सूबे में सक्रिय करने की रणनीति बनाई जाएगी. इसके अलावा जानकारों की मानें तो प्रियंका गांधी यूपी की सियासी जंग फतह करने के लिए कांग्रेस छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल को भी रणनीतिक तौर पर जिम्मेदारी दे सकती हैं.
प्रियंका और बघेल की जोड़ी कर सकती है कमाल
अगर छत्तीसगढ़ के अनुभवी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को यूपी में अगले साल होने वाले चुनाव में रणनीति और बूथ प्रबंधन के साथ कांग्रेस संगठन को तैयार करने की भूमिका मिलती है तो प्रियंका गांधी और बघेल की जोड़ी कोई कमाल कर सकती है. बता दें, भूपेश बघेल के संसदीय सलाहकार राजेश तिवारी को राष्ट्रीय सचिव बनाकर मार्च के महीने में ही यूपी में प्रियंका गांधी की टीम में शामिल किया है. राजेश तिवारी की अगुवाई में छत्तीसगढ़ के कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता यूपी में काम कर रहे हैं. राजेश तिवारी कहते हैं कि छत्तीसगढ़ में हमने बूथ स्तर पर काम किया था, जिसके दम पर 2018 में रिकॉर्ड सीटें जीतकर आए थे. छत्तीसगढ़ मॉडल की तर्ज पर यूपी में भी बूथ स्तर पर काम शुरू कर दिए हैं. हमारा लक्ष्य पंचायत चुनाव नहीं था बल्कि 2022 के विधानसभा चुनाव है. हालांकि, राजेश तिवारी मानते हैं कि यूपी का राजनीतिक माहौल छत्तीसगढ़ से काफी अलग है, लेकिन काम करने का तरीका अलग नहीं है.
असम की तर्ज पर यूपी में भूपेश बघेल को कमान
असम की तर्ज पर यूपी में भी छत्तीसगढ़ के कांग्रेस नेताओं को लगाया गया है. छत्तीसगढ़ के नेताओं को यूपी के एक जिले की कमान सौंपी गई है, जो अपने निर्धारित जिले में रहकर कांग्रेस को बूथ स्तर पर मजबूत करने में लगे हैं.
बघेल ने असम में किया था ‘कमाल’
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री बघेल ने असम में जो काम किया था उसने दिल्ली आलाकमान का दिल जीत लिया था. भूपेश अपनी टीम को लेकर असम गए थे, भूपेश के साथ विनोद वर्मा, रुचिर गर्ग और राजेश तिवारी के अलावा करीब दो दर्जन स्थानीय कांग्रेसी भी असम गए थे. उन्होंने असम में जाकर वहां की हवा कर ली. चुनाव के दौरान बघेल की प्रभारी जितेंद्र सिंह की ट्यूनिंग भी शानदार रही थी. बघेल की उपलब्धि यह रही कि असम में पार्टी के अंदर जो गुटबाजी थी, उसको नियंत्रित किया और सभी का फोकस सिर्फ चुनाव पर रहा. पार्टी में इस समस्या को दूर करने के लिए एक रणनीति ये भी अपनाई है कि वह किसी को मुख्यमंत्री उम्मीदवार नहीं बनाएगी.
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असम में बूथ मैनेजमेंट पर रहा था बघेल का फोकस
असम में कांग्रेस की चुनावी रणनीति में बघेल और उनके छत्तीसगढ़ मॉडल की चर्चा रही थी. बघेल ने उनकी टीम के साथ लंबे समय तक छत्तीसगढ़ की चिंता किए बगैर कैंप किया था. आलाकमान ने सीएम बघेल को यहां कैंपेन मैनेजमेंट का सीनियर ऑब्जर्वर बनाकर भेजा. बघेल ने सबसे पहला काम ये किया था कि बूथ वर्करों के लिए ‘संकल्प शिविर‘ आयोजित करवाने शुरू किए. बघेल का इस कदम ने कार्यकर्ताओं को उत्साहित किया और उनका मनोबल बढ़ाने वाला रहा. कांग्रेस छत्तीसगढ़ में भी इसका सफल प्रयोग कर चुकी है.