पॉलिटॉक्स न्यूज/मध्यप्रदेश. मध्यप्रदेश का सियासी घमासान अब सुप्रीम अदालत के फेर में फंसता नजर आ रहा है. सत्ता के उठापटक का यह खेल पहले पहुंचा राज्यपाल लालजी टंडन के पास और उसके बाद शिवराज सिंह इस मुद्दे को लेकर पहुंचे सुप्रीम कोर्ट. जिस पर पहले दिन सुप्रीम कोर्ट ने फैसले को टालते हुए सरकार को अपनी बात रखने का मौका दिया. इसके बाद कांग्रेस के बैंगलुरू में रुके बागी 16 विधायक भी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए. अब इसी राह पर चलते हुए कांग्रेस ने भी शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया है. संभवत: ये कांग्रेस का कलमनाथ सरकार को बचाने का अंतिम दांव है. अगर ये दांव सटीक बैठा तो निश्चित तौर पर बीजेपी के लिए ये एक बड़ा झटका साबित होगा. वहीं इस सियासी घटनाक्रम के बीच सीएम कमलनाथ ने राज्यपाल के पत्र के जवाब में एक भावुक पत्र लिखते हुए खेद जताया है.
कमलनाथ सरकार की ओर से कांग्रेस के चीफ व्हिप गोविंद सिंह की सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को दाखिल की गई याचिका में सत्तारूढ़ पार्टी ने दावा किया है कि कांग्रेस के 15 विधायकों को बीजेपी ने जबरन बेंगलुरु के एक होटल में रखा गया है. याचिका के जरिए विधायकों से संपर्क कराने के लिए केन्द्र और कर्नाटक सरकार को निर्देश देने का अनुरोध किया गया है. याचिका में ये भी कहा गया है कि सभी विधायकों की मौजूदगी के बिना फ्लोर टेस्ट नहीं हो सकता है. अगर 22 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है तो पहले उनकी सीट पर दोबारा चुनाव कराने की मांग भी याचिका में की गई है. साथ ही कांग्रेस पार्टी ने कोर्ट से अनुरोध किया कि केन्द्र, कर्नाटक सरकार और मध्य प्रदेश बीजेपी द्वारा उसके विधायकों को ‘गैरकानूनी तरीके से बंधक’ बनाया गया घोषित किया जाए.
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ऐसे में कांग्रेस के याचिका दर्ज करने के बाद अब इस सियासी संघर्ष में रोचक मोड़ आ खड़ा हुआ है. सुप्रीम कोर्ट में बीजेपी के जल्द फ्लोर टेस्ट कराने को लेकर सुनवाई बुधवार को सुबह 10:30 बजे होनी है. वहीं बागी 16 विधायकों ने भी अपने इस्तीफे को स्वीकार करने की मांग के संबंध में याचिका दाखिल की हुई है जिसकी सुनवाई भी बुधवार को होनी है. आज सुप्रीम कोर्ट में दो जजों की बैंच के समक्ष हुई बीजेपी की सुनवाई में अदालत ने एक नोटिस जारी कर सरकार और विधानसभा अध्यक्ष से इस बारे में जवाब मांगा है. अदालत ने कांग्रेस के पक्ष को भी सुनने की बात आज अदालत में कही है. शिवराज सिंह चौहान और उनके 9 विधायकों ने याचिका दायर कर कहा है कि राज्य की कांग्रेस सरकार अपने 22 विधायकों के इस्तीफे के चलते बहुमत खो चुकी है लेकिन बहुमत परीक्षण से बचने की कोशिश कर रही है.
इससे पहले प्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज सिंह ने एक बार फिर राज्यपाल से राजभवन जाकर मुलाकात की. बाद में मीडिया के समक्ष शिवराज सिंह ने कमलनाथ सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि मप्र में टाइम काटू कार्यक्रम चल रहा है. सरकार के पास बहुमत नहीं है इसलिए जल्दबाजी में संवैधानिक पदों पर असवैंधानिक नियुक्तियां की जा रही है, आधी रात में फैसला लिए जा रहे हैं. कांग्रेस सरकार को लूटेरी सरकार बताते हुए बीजेपी नेता शिवराज सिंह ने कहा कि कमलनाथ सरकार जाते-जाते ‘जितना लूट सकते हो लूट लो’ जैसे काम को बखूबी अंजाम दे रही है.
वहीं मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मंगलवार को राज्यपाल के एक दिन पहले फ्लोर टेस्ट कराने के आदेश देने सम्बन्धी पत्र के जवाब में पत्र लिखते हुए खेद जताया कि संसदीय परंपराओं का पालन नहीं करने जैसी उनकी मंशा नहीं थी. राज्यपाल को लिखे खत में कमलनाथ ने लिखा, ‘मैंने अपने 40 साल के लंबे राजनैतिक जीवन में हमेशा सम्मान और मर्यादा का पालन किया है. आपके पत्र दिनांक 16 मार्च 2020 को पढ़ने के बाद मैं दुखी हूं कि आपने मेरे ऊपर संसदीय मर्यादाओं का पालन न करने का आरोप लगाया है. मेरी ऐसी कोई मंशा नहीं थी, फिर भी यदि आपको ऐसा लगा है तो, मैं खेद व्यक्त करता हूं.’
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पत्र में ये भी लिखा है ‘मैं पुनः आश्वस्त करना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश के बंदी बनाए गए 16 कांग्रेसी विधायकों को स्वतंत्र होने दीजिए और पांच-सात दिन खुले वातावरण में बिना किसी डर-दबाव अथवा प्रभाव के उनके घर पर रहने दीजिए ताकि वे स्वतंत्र मन से अपना निर्णय ले सकें. आपका यह मानना कि दिनांक 17 मार्च 2020 तक मध्यप्रदेश विधानसभा में, मैं फ्लोर टेस्ट करवाऊं और अपना बहुमत सिद्ध करूं अन्यथा यह माना जाएगा कि मुझे वास्तव में विधानसभा में बहुमत प्राप्त नहीं है, पूर्णतः आधारहीन होने से असंवैधानिक होगा..’