Politalks.News/Delhi. देश में सबसे लंबे समय तक सत्ता का सिंहासन संभालने वाली कांग्रेस पार्टी पर अभी तक सिमटता जनाधार और दिशाहीन होती जा रही राजनीति और कमजोर नेतृत्व के आरोप लग रहे थे, लेकिन फिर भी पार्टी को उम्मीद थी जल्द ही इस समस्या का समाधान कर लिया जाएगा. इतिहास साक्षी रहा है कि कांग्रेस अपने ‘अधिवेशनों’ (कार्यसमिति या कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक) में पार्टी के अंदरूनी विवाद-कलह, समझौते के साथ आगे की दिशा भी तय करती रही है. लेकिन सोमवार को हुई वर्किंग कमेटी की बैठक में जिस प्रकार से कांग्रेस की पुरानी और नई पीढ़ी नेताओं के बीच ‘विश्वासघात’ का गुबार फूटा वह उन लोगों के लिए बहुत पीड़ादायक रहा जो कि आज भी इस पार्टी को लेकर कहते हैं, ‘हम तो आज भी पक्के कांग्रेसी हैं’.
यहां आपको बता दें कि वर्किंग कमेटी की बैठक बुलाने का कांग्रेस का मुख्य उद्देश्य था कि पार्टी नेतृत्व पर बदलाव और चर्चा की जाए. लेकिन सोमवार को कार्यसमिति की बैठक में राहुल गांधी ने तल्ख तेवरों के साथ पार्टी के वरिष्ठ नेताओं पर भाजपा की मिलीभगत के गंभीर आरोप लगाने के बाद बात बढ़ती चली गई. राहुल के तल्ख आरोप वरिष्ठ नेताओं को नागवार गुजरे और बगावत शुरू हो गई. सात घंटे चली कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में छह घंटे तक पार्टी में घमासान चलता रहा और नए अध्यक्ष पद पर चर्चा को लेकर बुलाई गई वर्किंग कमेटी की बैठक अपने उद्देश्यों से भटक गई.
इस बार कांग्रेसी नेताओं ने आपसी फूट को इतना अधिक सार्वजनिक कर दिया कि ‘राजनीति के बाजार’ में कांग्रेस बदनाम हो गई. कांग्रेस में आस्था रखने वाले कार्यकर्ताओं ने कहा कि पार्टी में ‘यह क्या हो रहा है’. सोमवार शाम होते-होते जब पार्टी को एहसास हुआ कि कार्यसमिति की बैठक में कांग्रेसियों के झगड़े का जनता में खराब संदेश चला गया है तब आनन-फानन में सुलह-सफाई के दौर शुरू हो गए. बाद में राहुल गांधी, गुलाम नबी आजाद और कपिल सिब्बल ने अपने-अपने बयान वापस लेने शुरू कर दिए और ‘जो हुआ सो हुआ’ कहकर खेद जताते हुए पार्टी में एकजुटता का संदेश देने की कोशिश की, लेकिन जब तक बहुत देर हो चुकी थी.
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मामला इतना गर्म था कि संभव ही नहीं था कि पार्टी अपने नए लीडरशिप पर चर्चा करें. आखिर में थक हार कर कई वरिष्ठ नेताओं ने सोनिया गांधी को ही अंतरिम अध्यक्ष बने रहने का अनुरोध किया और मीटिंग का समापन भी कर दिया. दूसरी ओर वर्किंग कमेटी की बैठक को लेकर टकटकी लगाए बैठी भाजपा को एक और देश के सामने कांग्रेस की कमजोरियों को उजागर करने का मौका मिल गया .
वर्किंग कमेटी में कांग्रेसी नेताओं के बीच उठा भूचाल अभी खत्म नहीं हुआ-
सोमवार को कांग्रेस वर्किंग कमेटी में नेताओं के बीच उठा भूचाल अभी खत्म नहीं हुआ है. यह मामला आने वाले दिनों में और बढ़ सकता है. कांग्रेस नेताओं ने भले ही रात जैसे-तैसे गुजार ली हो, लेकिन सुबह से ही एक बार फिर बयान आने शुरू हो गए हैं. राहुल गांधी के भाजपा से मिलीभगत के आरोपों से आहत कपिल सिब्बल ने मंगलवार को एक और ट्वीट करके पार्टी में चिंगारी फिर बढ़ा दी है. दूसरी और अभी कुछ दिनों पहले कांग्रेस से निष्कासित संजय झा ने भी नेताओं के बीच हुई खींचतान को पार्टी के अंत की शुरुआत बता दी है.
बता दें कि कपिल सिब्बल के आज के ट्वीट पर सियासी पंडितों में कई तरह के कयासबाजियों का दौर शुरू हो गया है. सिब्बल ने ट्वीट कर लिखा कि, ‘यह किसी पद की बात नहीं है, यह मेरे देश की बात है जो सबसे ज्यादा जरूरी है.’ भले ही सोमवार को राहुल गांधी ने अपनी तल्ख टिप्पणी पर खेद जताया हो लेकिन पार्टी के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल, गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, मनीष तिवारी ने भी गांधी परिवार को साफ संदेश दे दिया है कि अब वह ऐसी बयानबाजी सुनने के लिए तैयार नहीं हैं.
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इन नेताओं के असंतोष के कारण ही सोनिया गांधी को दोबारा अंतरिम अध्यक्ष पद संभालने की मजबूरी भी कही जा सकती है. बहरहाल कांग्रेस नेताओं में उठा तूफान शांत हो गया है, इसके आसार बहुत कम हैं.
कांग्रेसी नेताओं में हुई सार्वजनिक कलह पर भाजपा को मिला मौका-
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह कांग्रेस पार्टी को पनपने के लिए कोई मौका छोड़ना नहीं चाहते हैं. जब कांग्रेस वर्किंग कमेटी में भाजपा का नाम उछाला जाए तब बीजेपी नेताओं ने इसे अपनी साख खराब होने पर कांग्रेस पार्टी को आड़े हाथों लिया. कांग्रेस की गुटबाजी पर बीजेपी नेताओं की ओर से प्रतिक्रियाओं का दौर आना शुरू हो गया है. फिलहाल इस मामले में पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है लेकिन ऐसी उम्मीद की जा रही है कि दोनों नेता आने वाले दिनों में कोई सार्वजनिक बयान देते हैं तो कांग्रेस पार्टी में नेताओं के बीच उठे भूचाल को जनता को जरूर बताएंगे.
दूसरी ओर सोनिया गांधी को पत्र लिखने वाले कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं पर भाजपा से साठगांठ का आरोप लगाने के बयान को लेकर भाजपा नेताओं ने राहुल गांधी पर निशाना साधा है. भाजपा के महासचिव भूपेंद्र यादव ने कहा कि राहुल पर भाजपा का ऐसा जुनून सवार है कि उन्होंने कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं पर भी भाजपा से साठगांठ का आरोप लगा दिया है.
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वर्षों तक कांग्रेस पार्टी में रहे और पिछले साल भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए टॉम वडक्कन ने कांग्रेसी नेताओं की गुटबाजी पर कहा कि, “शीशा चटक गया है’, शीशा चटकने के बाद उसे जोड़ने का कोई तरीका नहीं है, आपको उसे फेंकना ही होता है.’ उन्होंने कहा कि जिन नेताओं ने सोनिया गांधी को पत्र लिखा है, वे राहुल से ज्यादा कांग्रेस के लिए समर्पित हैं.