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छत्तीसगढ़ सरकार के महाधिवक्ता का पद एक बार फिर चर्चा में है. बीते कल छतीसगढ़ के महाधिवक्ता कनक तिवारी ने अपने पद से इस्तीफा दिया था. कुछ समय बाद तिवारी का इस्तीफा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की तरफ से मंजूर भी कर लिया गया. साथ ही इस्तीफे के बाद खाली हुए महाधिवक्ता के पद पर सरकार ने अतिरिक्त महाधिवक्ता सतीशचंद वर्मा को नियुक्त कर दिया.

लेकिन सीएम भूपेश बघेल की तरफ से इस्तीफा मंजूर होने के बाद कनक तिवारी की तरफ से बयान आया. जिसने प्रदेश की सियासत में भूचाल ला दिया. तिवारी की तरफ से कहा गया कि उन्होंने जब इस्तीफा ही नहीं दिया तो सीएम ने किसका इस्तीफा मंजूर किया है. आगे तिवारी ने कहा, मैं दृढ़तापूर्वक कह रहा हूं कि मैंने इस्तीफा नहीं दिया है. जब इस्तीफे पर मैंने दस्तखत नहीं किया, तो मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पास उनका इस्तीफा कैसे पहुंच गया.

इधर जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ ने इस मामले की जांच उच्च न्यायालय से कराने का अनुरोध किया है. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी ने कहा कि जब कनक तिवारी इस्तीफा देने से साफ इंकार कर रहे है तो सीएम ने उनका इस्तीफा कैसे मंजूर कर लिया. उनके स्थान पर वर्मा को कैसे नियुक्त कर दिया गया.

जोगी ने आगे कहा कि मुख्यमंत्री का महाधिवक्ता जैसे संवैधानिक पद के साथ खिलवाड़ करना बिल्कुल शोभनीय नहीं है. उन्होंने कहा है कि आखिर क्या वजह है जिससे कनक तिवारी को भूपेश बघेल हटाना चाहते है? इसकी गहराई से जांच की जानी चाहिए.

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