तेलंगाना हाईकोर्ट ने तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव के सचिवालय और विधानसभा परिसर के नवनिर्माण के प्रस्ताव पर रोक लगा दी है. तेलंगाना राष्ट्र समिति के प्रमुख और मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव वास्तु शास्त्र पर बहुत भरोसा करते हैं. इसके तहत उन्होंने मौजूदा सचिवालय परिसर को गिराकर नया भवन बनाने का प्रस्ताव रखा था. वे एरम मंजिल को भी गिराना चाहते थे, जो कि ऐतिहासिक विरासत की दृष्टि से महत्वपूर्ण इमारत है. इसके अलावा विधानसभा भवन के पुनर्निर्माण का प्रस्ताव भी रखा था. सरकार के इस फैसले पर कई लोगों ने हाईकोर्ट में याचिकाएं दायर की थीं.
नवनिर्माण के तहत सरकार की तरफ से 500 करोड़ रुपए खर्च करने का प्रस्ताव था. इसमें 400 करोड़ की लागत से नया सचिवालय भवन बनाने की योजना थी और 100 करोड़ की लागत से नया विधानसभा भवन बनाने का प्रस्ताव था. चंद्रशेखर राव मानते हैं कि पुराना सचिवालय भवन औऱ विधानसभा भवन वास्तु के हिसाब से ठीक नहीं है. इसी वजह से चंद्रशेखर राव 2014 से जब से तेलंगाना के मुख्यमंत्री बने हैं, पुराने भवन में उन्होंने बहुत कम समय गुजारा है.
आंध्र प्रदेश की स्थापना 1956 में हुई थी. इसके बाद आंध्र प्रदेश का विभाजन होने के बाद के चंद्रशेखर राव तेलंगाना के पहले मुख्यमंत्री बने.
आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत एनटी रामाराव भी सचिवालय भवन को वास्तु के हिसाब से ठीक नहीं मानते थे, लेकिन वह इसके पुनर्निर्माण का प्रस्ताव लेकर नहीं आए. चंद्रशेखर राव वास्तु को लेकर सजग और संवेदनशील हैं. पहली बार मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने दो साल के भीतर 50 करोड़ रुपए की लागत से नौ एकड़ जमीन पर विशाल मुख्यमंत्री निवास और कार्यालय का निर्माण कर लिया था.
हाईकोर्ट में याचिकाएं दायर करने वालों का कहना है कि मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव निजी हितों के लिए सरकार का धन खर्च कर रहे हैं. दो साल पहले भी चंद्रशेखर राव ने तिरुपति मंदिर में 5.5 करोड़ रुपए के स्वर्ण आभूषण अर्पित किए थे. ये आभूषण सरकारी खजाने से खरीदे गए थे. विवाद होने पर चंद्रशेखर राव ने सफाई दी थी कि ये आभूषण उस धन से खरीदे गए थे, जो राज्य के मंदिर में चढ़ावे के रूप में आता है. अब सवाल यह उठ रहा है कि चंद्रशेखर राव व्यक्तिगत तौर पर वास्तु पर भरोसा कर सकते हैं, लेकिन इसके लिए भवनों के पुनर्निमाण पर सरकारी धन खर्च करना कहां उचित है.