राजस्थान (Rajasthan) में बहुजन समाज पार्टी (BSP) के छह विधायक बगैर किसी दबाव या प्रलोभन के कांग्रेस में शामिल हो गए हैं, ऐसा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) का कहना है. बहरहाल राज्य के सभी BSP विधायकों ने कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर ली और अब मंत्रिमंडल के विस्तार और फेरबदल की अटकलें जोर पकड़ रही हैं. समझा जाता है कि पार्टी बदलने वाले विधायकों को इसमें पुरस्कृत किया जाएगा. मंत्रिमंडल विस्तार में सात-आठ नए मंत्री बन सकते हैं. इनमें बसपा विधायकों और निर्दलीयों को जगह मिल सकती है. लगता है पिछले 8-9 महीनों से प्रदेश में इन राजनीतिक नियुक्तियों को भी बसपा के उक्त विधायकों का ही इंतजार था. उक्त सभी पूर्व बसपा विधायकों ने सत्ताधारी सरकार को समर्थन दे रखा था. फेरबदल के तहत दो-तीन मंत्री हटाए जा सकते हैं और कुछ मंत्रियों के विभाग बदले जा सकते हैं.

लगता है दस साल पहले का घटनाक्रम दोहराया जा रहा है. उस समय भी गहलोत सरकार का बहुमत सुनिश्चित करने के लिए बसपा के छह विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए थे. उनमें से तीन को मंत्री और तीन को संसदीय सचिव बनाया गया था. इस बार जो विधायक कांग्रेस में शामिल हुए हैं, उनको विभिन्न निगमों, बोर्डों का अध्यक्ष भी बनाया जा सकता है. फिलहाल 12 निर्दलीय विधायक भी गहलोत सरकार को समर्थन दे रहे हैं. इनमें से दो विधायकों को मंत्री बनाए जाने की संभावना है. सूत्रों के मुताबिक मंत्रिमंडल विस्तार और फेरबदल की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं.

मौजूदा सरकार में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) सहित 15 कैबिनेट और 10 राज्यमंत्री हैं. सरकार में मंत्री और संसदीय सचिवों की अधिकतम संख्या 30 हो सकती हैं. इसका मतलब यह कि पांच पद खाली हैं. उनको भरा जाएगा. इसके साथ ही दो-तीन मंत्रियों से इस्तीफा लेकर उनकी जगह अन्य विधायकों को मंत्री बनाया जाएगा. इस तरह सात-आठ नए मंत्री बनने की संभावना है. मंत्रिमंडल विस्तार और फेरबदल के साथ ही विभिन्न निगम, आयोग और बोर्डों में भी नियुक्तियां शुरू हो जाएंगी. समझा जाता है कि ये नियुक्तियां बसपा विधायकों के कांग्रेस में प्रवेश के इंतजार में रुकी हुई थी.

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मंत्रिमंडल विस्तार-फेरबदल की संभावना के बीच कई वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं की धड़कनें बढ़ गई हैं. वे मंत्री बनने की संभावनाएं देखने लगे हैं. ऐसे नेताओं ने गहलोत और पायलट के पास चक्कर लगाने शुरू कर दिए हैं. कुछ कांग्रेस नेता यह मानते हैं कि बसपा से आए विधायकों को ज्यादा तवज्जो मिलेगी. समर्पित कांग्रेस विधायकों की उपेक्षा करते हुए उन्हें ही मंत्री बनाया जाएगा. जिन दो-तीन मंत्रियों से इस्तीफे लिए जाएंगे, उनमें जयपुर और भरतपुर संभाग के विधायक शामिल हो सकते हैं.

जो बसपा विधायक कांग्रेस में शामिल हुए हैं, वे अपने विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस के उम्मीदवारों को हराकर चुनाव जीते हैं. वे हारे हुए उम्मीदवार क्षेत्र में कांग्रेस की कमान संभाले हुए हैं. ऐसे कांग्रेस नेताओं को मौजूदा घटनाक्रम से निराशा हो रही है. माना जा रहा है कि इन क्षेत्रों में कांग्रेस कार्यकर्ताओं का उत्साह कम हो जाएगा.

गौरतलब है कि बसपा प्रमुख मायावती (Mayawati) ने अपनी पार्टी के विधायकों के दलबदल के बाद लगातार तीन ट्वीट किए. एक ट्वीट में उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी राजस्थान में कांग्रेस सरकार को पहले ही बिना शर्त दे रही थी. इसके बावजूद कांग्रेस ने बसपा विधायकों को तोड. इस तरह कांग्रेस ने एक बार फिर धोखेबाज पार्टी होने का प्रमाण दिया है. यह बसपा मूवमेंट के साथ विश्वासघात है. दूसरे ट्वीट में मायावती ने लिखा है कि कांग्रेस अपनी कटु विरोधी पार्टी/संगठनों से लड़ने के बजाय हर जगह उन पार्टियों को ही सदा आघात पहुंचाने काम करती है जो उन्हें सहयोग/समर्थन देते हैं. कांग्रेस इस प्रकार एससी, एसटी, ओबीसी विरोधी पार्टी है. तीसरे ट्वीट में उन्होंने लिखा है, कांग्रेस हमेशा ही अंबेडकर विरोधी रही. इसी कारण अंबेडकर को देश के पहले कानून मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था. कांग्रेस ने उन्हें न तो कभी लोकसभा में चुनकर जाने दिया और न ही भारत रत्न से सम्मानित किया. जो अति दुखद एवं शर्मनाक है.

इस पर मायावती के ट्वीट के जवाब में गहलोत ने छह ट्वीट किए. पहले-दूसरे ट्वीट में लिखा, बसपा विधायकों ने स्टेबल गवर्नमेंट की सोच से फैसला किया. मैं स्वागत करता हूं. तीसरा ट्वीट था, मायावतीजी का ऐसा रिएक्शन स्वाभाविक है… परंतु उनको यह भी समझना पड़ेगा कि यह सरकार में बैठे हुए लोगों ने मैनेज नहीं किया है. कोई प्रलोभन नहीं दिया है. गहलोत ने चौथे ट्वीट में लिखा, पहले भी हम लोग सरकार में थे, तब भी बीएसपी 6 लोग साथ आए थे. आज तक हमने कभी किसी को प्रलोभऩ नहीं दिया है. पांचवां ट्वीट था, हमने उन पर दबाव नहीं बनाया, उसके बाद फैसला होना स्वाभाविक फैसला है. छठा ट्वीट था, देश में जब कभी एलायंस हुआ है तो हम उन लोगों में हैं जो सोनिया गांधी, राहुलजी की भावना को समझते हुए हमेशा मायावतीजी के साथ में खड़े मिले हैं….इस बात वे स्वयं मेरे बारे में जानती हैं.

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