Thursday, February 6, 2025
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आज मेरठ से प्रचार का आगाज करेंगे मोदी, रुद्रपुर और जम्मू में भी रैलियां

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लोकसभा चुनाव के रण में भाजपा के सबसे बड़े स्टार प्रचारक नरेंद्र मोदी की आज से एंट्री हो रही है. वे के मेरठ शताब्दी नगर माधवकुंज मैदान से प्रचार अभियान का आगाज करेंगे. वे यहां पार्टी प्रत्याशी और मौजूदा सांसद राजेंद्र अग्रवाल के पक्ष में रैली करेंगे. इसके बाद मोदी उत्तराखंड के रुद्रपुर और जम्मू में चुनावी सभाएं करेंगे. इन सभी जगहों पर पहले चरण में 11 अप्रेल को मतदान होना है.

आपको बता दें कि नरेंद्र मोदी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में भी प्रचार की शुरुआत मेरठ के शताब्दी नगर माधवकुंज मैदान से की थी, जिसमें भारी भीड़ जुटी थी. इसमें मेरठ, सहारनपुर और मुरादाबाद मंडल की 10 लोकसभा सीटों से कार्यकर्ता शामिल हुए थे. बीजेपी ने इन 10 सीटों पर जीत हासिल की थी. 2017 में हुए यूपी विधानसभा के चुनाव में भी मोदी ने इस मैदान पर रैली की थी.

मोदी मेरठ में सभा से सहारनपुर, कैराना, मुजफ्फरपुर, बिजनौर, बागपत, गाजियाबाद और गौतमबुद्ध नगर सीट को भी साधने का प्रयास करेंगे। इन सीटों पर पहले चरण में ही मतदान है. रैली को सफल बनाने के लिए बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह मेरठ पहुंच चुके हैं. उन्होंने पार्टी से नाराज नेताओं को भी मनाने की कोशिश की. शाह ने स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं से कहा है कि हर बूथ पर भाजपा के लिए कम से कम 51 फीसदी वोट सुनिश्चित करें।.

पीएम मोदी शुक्रवार को ओडिशा के कोरापुट, तेलंगाना के महबूबनगर और आंध्रप्रदेश के करनूल में रैलियां करेंगे. गौरतलब है कि चुनाव आयोग की ओर से 10 मार्च को सात चरणों में चुनाव की घोषणा करने के बाद मोदी ने प्रचार अभियान शुरू नहीं किया है. हालांकि वे पहले कई रैलियों को संबोधित कर चुके हैं.

‘धर्म युद्ध में पटनायक महाभारत के युधिष्ठिर और प्रधान दुर्योधन के जैसे हैं’

करीब 30 साल तक बीजेपी के साथ रहे सुभाष चौहान ने बीजेडी का दामन थाम लिया है. बीजेडी में उनका स्वागत करते हुए नवीन पटनायक ने कहा, ‘मुझे खुशी है कि पश्चिमी ओडिशा के एक वरिष्ठ नेता हमसे जुड़े। मैं चौहान का स्वागत करता हूं और उनके शामिल होने से हमारी पार्टी को आगे मजबूती मिलेगी.’ वहीं, चौहान ने मोदी सरकार के मंत्री धर्मेंद्र प्रधान पर करारा हमला बोलते हुए कहा कि धर्म युद्ध में मैं नवीन पटनायक के साथ हूं. वह महाभारत के युधिष्ठिर जैसे हैं जबकि धर्मेन्द्र प्रधान दुर्योधन के जैसे हैं.

‘धर्म युद्ध में मैं नवीन पटनायक के साथ हूं.वह महाभारत के युधिष्ठिर जैसे हैं जबकि धर्मेन्द्र प्रधान दुर्योधन के जैसे हैं.’
— सुभाष चौहान

मिशन शक्ति से जुड़े वैज्ञानिकों से लाइव कॉन्फ्रेंस करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आपने यह संदेश दुनिया को दिया है कि हम किसी से कम नहीं हैं. बता दें कि आज भारत ने मिशन शक्ति के तहत अंतरिक्ष से अंतरिक्ष में मार करने वाली एंट्री मिसाइल का सफल परीक्षण किया है. भारत ऐसी स्पेस पावर रखने वाली दुनिया की चौथी शक्ति बन गया है.

आपने दुनिया को संदेश दिया कि हम भी किसी से कम नहीं हैं
– नरेंद्र मोदी

देशवासियों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत ने मिशन शक्ति के तहत अंतरिक्ष से अंतरिक्ष में मार गिराने वाली एंटी सैटेलाइट मिसाइल का सफल परीक्षण किया है. ऐसी स्पेस पावर हासिल करने वाला भारत दुनिया की चौथी महाशक्ति बन गया है. इससे पहले अमेरिका, रूस व चीन को यह तकनीक हासिल थी. मोदी ने कहा कि स्वदेसी यह तकनीक केवल 130 करोड़ देशवासियों की सुरक्षा के लिए लाई गई है.

यूपीए ने आगे बढ़ने नहीं दिया, पीएम मोदी ने साहस दिया
– पूर्व डीआरडीओ चीफ

मिशन शक्ति की प्रशंसा करते हुए पूर्व डीआरडीओ प्रमुख डॉ.वीके सारस्वत ने यूपीए—कांग्रेस पर राष्ट्रीय सुरक्षा में साथ न देने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि जब इस तरह की चर्चाएं हुईं, हमने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद में प्रस्तुतियां दीं लेकिन दुर्भाग्य से हमें यूपीए से सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली इसलिए हमने नहीं किया। पीएम मोदी ने साहस दिया.

पीएम मोदी को विश्व रंगमंच दिवस की शुभकामनाएं
– राहुल गांधी

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का यह बयान पूरे दिन मीडिया पर छाया रहा. एक तरफ तो राहुल गांधी ने डिफेंस रिसर्च डवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन के काम की तारीफ करते हुए कहा कि हमें DRDO के काम पर बेहद गर्व है. वहीं प्रधानमंत्री को विश्व रंगमंच दिवस शुभकामनाएं देते हुए तंज भी कस दिया.

मिशन शक्ति की चुनाव आयोग में शिकायत करेंगे
– ममता बनर्जी

पश्चिमी बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी नेता ममता बनर्जी ने तीखे अंदाज में कहा कि चुनाव के समय मोदी को क्रेडिट लेने के लिए आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन करने की क्या जरूरत थी. क्या वह वहां काम करता है. क्या वह अंतरिक्ष जा रहा है. उन्होंने आगे कहा कि वैज्ञानिकों को इसकी घोषणा करनी चाहिए थी. यह उनका श्रेय है। यह वैज्ञानिकों का विशेषाधिकार है. हम चुनाव आयोग से शिकायत करेंगे.

हाथ के साथ हनुमान बेनीवाल

‘जल्द ही कुछ और महान सेवक-सेविकाएं देश को बनाने आगे आएंगे’

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यूं तो बॉलीवुड की छम्मा-छम्मा गर्ल उर्मिला मातोंडकर लंबे समय से सिनेमा के पर्दे से गायब हैं लेकिन अब राजनीति के गलियारों में उनकी पारी जल्दी ही शुरू हो जाएंगी.  उर्मिला मातोंडकर ने आज कांग्रेस ज्वॉइन कर ली. उम्मीद जताई जा रही है कि वह मुंबई उत्तर से लोकसभा चुनाव लड़ेंगी. इधर भोजपुरी फिल्मों के स्टार और बिग बॉस कंटेस्टेंट रह चुके दिनेश लाल यादव निरहुआ भी आज बीजेपी में शामिल हुए हैं. हाल ही में जयाप्रदा ने भी बसपा का दामन छोड़ बीजेपी का हाथ थाम लिया. सिनेमाई जगत के​ सितारों के लगातार राजनीति में प्रवेश सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है. इस मामले में सोशल मीडिया पर आईं कुछ मजेदार प्रतिक्रियाएं-

@DrKumarVishwas

@poet_abhi

राजस्थान: कांग्रेस का हाथ थामेंगे हनुमान बेनीवाल, बीजेपी के संपर्क में ज्योति मिर्धा!

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लोकसभा चुनाव के रण में जैसे-जैसे मतदान की तारीख नजदीक आ रही है वैसे-वैसे सियासी पारा चढ़ता जा रहा है. एक ओर उम्मीदवारों का एलान किया जा रहा है तो दूसरी ओर बड़े नेताओं की सभाओं का सिलसिला शुरू हो गया है. इस गहमागहमी के बीच राजनीतिक दल स्थानीय स्तर पर समीकरणों को साधने की जद्दोजहद में जुटे हैं. ऐसी ही एक बड़ी कवायद राजस्थान में हो रही है. सूबे में सत्ताधारी कांग्रेस और हनुमान बेनीवाल के बीच गठबंधन की चर्चा है.

सूत्रों के अनुसार कांग्रेस और हनुमान बेनीवाल की आरएलपी यानी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के बीच गठबंधन का फॉर्मूला तय हो गया है. इसके अनुसार कांग्रेस 24 सीटों पर चुनाव लड़ेगी और आरएलपी एक सीट पर अपना प्रत्याशी उतारेगी. गठबंधन के तहत नागौर सीट आरएलपी को मिलेगी. हालांकि बेनीवाल ने कांग्रेस के सामने तीन सीटों की डिमांड रखी थी. इनमें नागौर के अलावा बाड़मेर और पाली सीट शामिल थी, लेकिन कांग्रेस एक सीट देने के लिए ही तैयार हुई है. इस सीट से हुनमान के भाई नारायण बेनीवाल मैदान में उतर सकते हैं.

बता दें कि पिछले दिनों हनुमान बेनीवाल और अशोक गहलोत के बीच लंबी बातचीत हुई थी. इसके बाद बेनीवाल ने विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी से भी मुकालात की थी. कांग्रेस के इन दोनों दिग्गजों के सामने तो बेनीवाल तीन सीटों पर अड़े रहे, लेकिन बाद में मंत्री लालचंद कटारिया, विधायक महेंद्र चौधरी, विधायक चेतन डूडी और रिछपाल मिर्धा की ओर से की गई मान-मनौव्वल के बाद वे मान गए. यह भी चर्चा है कि लोकसभा चुनाव के बाद आरएलपी गहलोत सरकार में शामिल होगी और हनुमान बेनीवाल मंत्री बनेंगे.

कांग्रेस और हनुमान बेनीवाल के बीच गठबंधन की खिचड़ी पकने से खबर ने नागौर की राजनीति में खलबली मचा दी है. आपको बता दें, इस सीट से कांग्रेस की ओर से पूर्व सांसद ज्योति मिर्धा दावेदार हैं. 2009 के चुनाव में उन्होंने यहां से जीत दर्ज की थी. हालांकि 2014 के चुनाव में ज्योति मोदी लहर के सामने टिक नहीं सकीं. उन्हें बीजेपी के सीआर चौधरी ने पटकनी दी. इस बार नागौर से ज्योति का टिकट तय माना जा रहा था, लेकिन हनुमान बेनीवाल से गठबंधन होने की स्थिति में उनका पत्ता साफ होना तय है.

सूत्रों के अनुसार कांग्रेस और आरएलपी के बीच गठजोड़ की भनक लगते ही ज्योति मिर्धा ने बीजेपी से संपर्क साधा है. अपनी सास के जरिए उन्होंने भाजपा नेतृत्व से बात की है. आपको बता दें कि ज्योति मिर्धा इंडिया बुल्स कंपनी की मालकिन हैं और उनकी सास बीजेपी में हैं. चर्चा के अनुसार बीजेपी उन्हें नागौर से मौका देने पर मंथन कर रही है.

गौरतलब है कि बीजेपी ने अभी तक इस सीट से अपना उम्मीदवार घोषित नहीं किया है. मौजूदा सांसद सीआर चौधरी को फिर से मौका देने का पार्टी के ज्यादातर स्थानीय नेता विरोध कर रहे हैं. कांग्रेस के भीतर हनुमान बेनीवाल से गठबंधन का विरोध सिर्फ ज्योति मिर्धा ही नहीं कर रही हैं, बल्कि कई स्थानीय नेता भी इसके खिलाफ हैं. कहा जा रहा है कि विधायक मुकेश भाकर और रामनिवास पार्टी के इस निर्णय के खिलाफ बगावत कर सकते हैं.

गौरतलब है कि हनुमान बेनीवाल ने आरएलपी का गठन विधानसभा चुनाव से पहले किया था. उन्होंने चुनाव से पहले राजस्थान में आरएलपी को कांग्रेस और भाजपा से मुकाबले की तीसरी शक्ति के तौर पर खड़ी करने का दावा किया था, लेकिन चुनाव में केवल तीन सीटें जीत पाए. हालांकि कई सीटों पर उन्होंने कांग्रेस के समीकरणों को खराब कर दिया. बेनीवाल लोकसभा चुनाव में भी उम्मीदवार उतारने की घोषणा कर चुके हैं. ऐसे में यदि कांग्रेस उन्हें अपने साथ लेने में कामयाब हो जाती है तो पार्टी को चुनाव में इसका फायदा मिल सकता है.

अमित शाह की दो टूक, कहा- बेगूसराय से ही चुनाव लड़ेंगे गिरिराज सिंह

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बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने एक बयान देते हुए कहा है ​कि गिरिराज सिंह बिहार की बेगूसराय लोकसभा सीट पर ही चुनाव लड़ेंगे. वह 2 अप्रैल को नामांकन दाखिल करेंगे. इस सीट को लेकर गिरिराज सिंह और सरकार के बीच पेंच फंसा हुआ था. असल में गिरिराज राज नवादा सीट से टिकट की मांग कर रहे थे लेकिन गठबंधन के चलते नवादा सीट लोजपा के खाते में चली गई. ऐसे में पिछले हफ्ते गिरिराज ने कहा था कि वे चुनाव लड़ेंगे तो नवादा से लड़ेंगे, वरना नहीं लड़ेंगे. लेकिन अब स्थिति पूरी तरह से साफ हो गई है.

अमित शाह ने अपने अधिकारिक ​ट्विटर हैंडल से ट्विट करते हुए कहा, ‘गिरिराज सिंह बिहार के बेगूसराय से लोक सभा चुनाव लड़ेंगे। उनकी सारी बातों को मैंने सुना है और संगठन उनकी सभी समस्याओं का समाधान निकालेगा. मैं चुनाव के लिए उन्हें शुभकामनायें देता हूं.’

इससे पहले कुछ मुद्दों को लेकर गिरिराज सिंह ने पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के समक्ष नाराजगी जाहिर की थी. लेकिन शाह के दखल के बाद गिरिराज सिंह भी बेगूसराय सीट से चुनाव लड़ने को तैयार हो गए हैं. यहां मुकाबला त्रिकोणीय हो रहा है. गिरिराज सिंह के खिलाफ सीपीआई से कन्‍हैया कुमार और महागठबंधन की ओर से आरजेडी ने तनवीर हसन को दोबारा मैदान में उतारा है.

इससे पहले पोलिटॉक्स ने अपनी खास रिपोर्ट में बताया था कि नीतीश कुमार भाजपा के साथ गठजोड़ करने के बाद से अपनी शर्तों पर राजनीति कर रहे हैं. नीतीश भाजपा के साथ रहते हुए भी अपनी सेकुलर छवि पर कोई आंच नहीं आने देना चाहते. नीतीश ने गिरिराज को ठिकाने लगाने का प्रण पिछले साल उस समय लिया था जब रामनवमी पर बिहार के आधा दर्जन जिलों में सांप्रदायिक हिंसा हुई. माना जा रहा है कि नीतीश कुमार के इशारे पर ही नवादा सीट लोजपा को दी गई. उनके साथ गठबंधन की जरूरत को देखते हुए भाजपा नीतीश के कहे को दरकिनार नहीं कर पाई.

भारत की बड़ी कामयाबी, एंटी सेटेलाइट मिसाइल की ‘शक्ति’ हासिल

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भारत ने मिशन शक्ति ऑपरेशन का सफल परीक्षण कर स्पेस पावर के रूप में अपनी बड़ी उपस्थिति दर्ज कराई है. भारत ने स्पेस के लो अर्थ ऑर्बिट एरिया में 300 किलाेमीटर दूर से एक लाइव सैटेलाइट को मार गिराने का परीक्षण सफलतापूर्वक किया है. इस परीक्षण के साथ भारत अंतरिक्ष में जासूसी सैटेलाइट के डर से पूरी तरह मुक्त हो गया है. अमेरिका, रूस व चीन के अलावा ऐसी सिद्धि हासिल करने वाला भारत दुनिया का चौथा देश बन गया है. यह जानकारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के नाम संबोधन में दी.

उन्होंने देश के साथ जानकारी सांझा करते हुए कहा कि आज 27 मार्च कुछ समय पूर्व भारत ने अतंरिक्ष में एक एंटी सैटेलाइट मिसाइल के जरिए एक लाइव सैटेलाइट को मार गिराया. यह सिद्धि हासिल करने वाला भारत दुनिया का चौथा देश बन गया है. प्रधानमंत्री ने भारत के वैज्ञानिकों को बधाई देते हुए कहा कि हालांकि यह कठिन लक्ष्य था. मिशन शक्ति में बहुत ही उच्च कोटी की तकनीकी क्षमता की जरूरत थी लेकिन भारतीय वैज्ञानिकों ने कठिन लक्ष्य को केवल 3 मिनिट में सभी लक्ष्य हासिल किए हैं.

माेदी ने कहा कि हर हिंदुस्तानी के लिए इससे बड़ा गर्व पल नहीं हो सका. हमें हमारे वैज्ञानिकों पर गर्व है. अब देश के पास पर्याप्त संख्या में उपग्रह है जो विभिन्न क्षेत्रों में अपना योगदान दे रहे हैं. प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि भारत हमेशा से अंतरिक्ष में हथियारों की होड़ के विरूद्ध रहा है और इस नीति में अभी तक कोई बदलाव नहीं आया है. आज का यह परीक्षण किसी भी तरह के अंतराष्ट्रीय नीतियों का उल्लंघन नहीं करता है. यह परीक्षण केवल 130 करोड़ लोगों की सुरक्षा के लिए किया गया है. भारत की कोशिश किसी देश को नुकसान पहुंचाने के लिए नहीं है, बल्कि रक्षात्मक रवैया अपनाने के लिए है.

पीएम बोले कि हमारा ये ऑपरेशन किसी भी तरह की संधि का उपयोग भी नहीं करता है. हमारी कोशिश शांति बनाए रखना है ना कि युद्ध का माहौल बनाना. मिशन शक्ति सभी देशवासियों के सपनों को सुरक्षित करने की ओर एक अहम कदम है. सभी देशवासियों को इस महान उपलब्धि के लिए बहुत बधाई व शुभकामनाएं.

कांग्रेस में शामिल हुईं एक्ट्रेस उर्मिला मातोंडकर, मुंबई उत्तर से लड़ सकती हैं चुनाव

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बॉलीवुड की छम्मा-छम्मा गर्ल और अभिनेत्री उर्मिला मातोंडकर आज कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गई हैं. राहुल गांधी ने उन्हें गुलदस्ता भेंट कर पार्टी में स्वागत किया. अब राजनीति की नई पारी खेलने को पूरी तरह तैयार है. चर्चा है कि उन्हें मुंबई उत्तर से लोकसभा चुनाव लड़ाया जा सकता है. बता दें, लोकसभा चुनाव करीब आते ही राजनीतिक गलियारों में सेलिब्रिटिज़ की राजनीति में एंट्री औ दलबदल की प्रक्रिया बदस्तूर जारी है. मंगलवार को अभिनेत्री जयाप्रदा ने बसपा का साथ छोड़ भाजपा क दामन थामा था. वहीं हाल में पूर्व भारतीय क्रिकेटर गौतम गंभीर ने भी भाजपा की सदस्यता ग्रहण की थी.

बता दें, मुंबई उत्तर लोकसभा सीट को भाजपा का गढ़ माना जाता है लेकिन 2004 के लोकसभा चुनाव में बॉलीवुड अभिनेता गोविंदा ने पूर्व पेट्रोलियम मंत्री राम नाईक को इस सीट से पराजित किया था. 2014 में भी यह सीट भाजपा के पाले में गिरी थी. ऐसे में कांग्रेस को भी इस सीट पर भाजपा के खिलाफ एक प्रभावी उम्मीदवार चाहिए जिसकी भरपाई उर्मिला पूरी कर सकती हैं. हालांकि इस सीट से बिग बॉस फेम शिल्पा शिंदे और असावरी जोशी भी टिकट के दावेदारों की लिस्ट में शामिल हैं.

उर्मिला ने फिल्मी दुनिया में ‘जाकोल 1988’ से सात साल की उम्र में एक बाल कलाकार के रूप में प्रवेश किया था. शेखर कपूर की फिल्म ‘मासूम’ में भी वह बाल कलाकार के तौर पर दिखीं. बाद में उन्होंने रंगीला, नरसिम्हा, चमत्कार और पिंजर जैसी बड़ी हिट फिल्मों में काम किया.

मध्यप्रदेश: भोपाल में ‘कमल’ चुनौती के भंवर में फंसे दिग्विजय सिंह

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चार महीने पहले तक चौराहे पर पस्तहाल पड़ी कांग्रेस को खड़ा करके सत्ता के शिखर पर पहुंचाने के लिए पसीना बहाते रहे पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने शायद सपने में भी यह नहीं सोचा होगा कि मौजूदा मुख्यमंत्री कमलनाथ उन्हें चुनौती के भंवर में फंसा सकते हैं. दिग्विजय राज्य की सबसे मुश्किल और बीजेपी का गढ़ कहे जाने वाली भोपाल सीट से चुनावी मैदान में हैं. वह भी तब जबकि राज्यसभा के उनके कार्यकाल में अभी तीन साल शेष हैं.

दिग्विजय भले कहते रहे हो कि पार्टी जहां से टिकट देगी, वह लड़ने को तैयार हैं मगर हकीकत तो यह है कि राजगढ़ उनकी पसंदीदा सीट रही है. इस क्षेत्र के सौंघिया, गुर्जर, दांगी और यादव उनके परंपरागत वोटर बन चुके हैं, जो आंख मूंदकर उन्हें वोट डालते हैं, लेकिन भोपाल के साथ ऐसा नहीं है. ऐसी सीट जहां पिछले तीन दशक से कांग्रेस खाता तक न खोल पाई हो, वहां से दिग्विजय को चुनाव लड़वाने की क्या वजह हो सकती है?

पूर्व मंत्री विश्वास सारंग का कहना है कि कमलनाथ ने बड़ी सफाई से अपने रास्ते का कांटा साफ किया है. पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी इसे कांग्रेस के भीतरी घमासान का नतीजा बताते हैं. कांग्रेसी हलकों में भी इस बात के चर्चे हैं कि विधानसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री पद को लेकर ज्योतिरादित्य, कमलनाथ और दिग्विजय सिंह खेमें में जो खींचतान मची थी, यह फैसला उसी की देन है. सरकार बनने के बाद दिग्विजय का ‘पावर सेंटर’ बनकर उभरना कमलनाथ को नागवार गुजरा.

दिग्गी को किसी बड़ी चाल में फंसाने का संकेत तो तभी मिल गए थे जब दिग्विजय सिंह ने कमलनाथ कैबिनेट के कुछ मंत्रियों की कार्यशैली को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर की. तब मंत्री उनके खिलाफ उठ खड़े हुए, लेकिन कमलनाथ खामोशी की चादर ओढ़े रहे. दिग्गी को भोपाल से टिकट मिलने पर भी वे सतही बातें बोल रहे हैं. उनका कहना है कि दिग्विजय सिंह को इंदौर, भोपाल या जबलपुर में से कोई एक क्षेत्र को चुनने के लिए कहा गया. तय हुआ कि वे भोपाल से चुनाव लड़ेंगे.

बता दें कि लोकसभा चुनाव की घोषणा होने के बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा था कि प्रदेश के बड़े नेताओं को कठिन सीटों से चुनाव लड़ना चाहिए. उन्होंने दिग्विजय सिंह का नाम लेते हुए कहा था कि उन्हें भोपाल या इंदौर से चुनाव लड़ना चाहिए. इसके जवाब में दिग्विजय सिंह ने एक ट्वीट करके कहा था कि मेरे नेता राहुल गांधी हैं. वे जहां से कहेंगे मैं चुनाव लड़ने के लिए तैयार हूं. साथ ही उन्होंने चुनाव के लिए आमंत्रित करने के लिए कमलनाथ का आभार जताया था.

राजनीतिक प्रेक्षकों का मानना है कि कमलनाथ की ओर कठिन सीट से चुनाव लड़ने की ‘चुनौती’ देना और दिग्विजय सिंह का इसे ‘स्वीकार’ करना सूबे की राजनीति पर दूरगामी असर डालेगा. इसका असर लोकसभा चुनाव के बाद खुलकर दिखेगा. दिग्विजय सिंह को लेकर जो हिंदू विरोधी छवि गढ़ी जा चुकी है, उसका भोपाल के चुनावी समर में भारी पड़ना तय है. दिग्विजय चुनाव हारें या जीतें, दोनों ही स्थितियों में राज्य में कांग्रेस की अंतरकलह, घात-प्रतिघात और कुनबा परस्ती में इजाफा होगा.

शिवराज सिंह चौहान दिग्गी के भोपाल से चुनाव लड़ने के फैसले को ‘बंटाधार रिर्टन’ का दर्जा दे रहे हैं. 15 साल पहले ‘मिस्टर बंटाधार’ का फतवा देकर उमा भारती ने दिग्विजय सिंह से सत्ता छीनी थी. जहां तक भोपाल संसदीय क्षेत्र के इतिहास का सवाल है यहां सरकारी कर्मचारी और कायस्थ मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते रहे हैं. कुछ क्षेत्रों में मुस्लिम मतों का ध्रुवीकरण भी जबरदस्त असर डालता है.

30 साल से भाजपा के कब्जे में रही इस सीट पर पिछले 8 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के तमाम चेहरों को पराजय झेलनी पड़ी. 1989 में रिटायर्ड नौकरशाह सुशील चंद्र वर्मा के हाथों केएन प्रधान की शिकस्त से शुरू हुए इस सिलसिले के बाद कांग्रेस ने धीरे-धीरे इस सीट को अपने लिए मुश्किल मान लिया. पिछले लोकसभा चुनावों की बात करें तो बीजेपी उम्मीदवार आलोक संजर को सात लाख से ज्यादा वोट मिले जबकि कांग्रेस के पीसी शर्मा को महज साढ़े तीन लाख.

इससे पहले भाजपा से कांग्रेस में आए आरिफ बेग को भी भोपाल ने नकार दिया. यहां तक कि इस सीट पर भाग्य आजमाने वाले मंसूर अली खां पटौदी भी कांग्रेस को जीत नहीं दिलवा सके. हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में भले ही कांग्रेस ने जीत दर्ज की हो, लेकिन भोपाल लोकसभा की 8 विधानसभा सीटों में भाजपा के पास लगभग 60 हजार मतों की बढ़त है. अंतर की इस गहरी खाई को पाटना कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती है.

इसमें कोई संदेह नहीं है कि दिग्विजय सिंह के मैदान में होने से कांग्रेस एकजुट होगी, लेकिन यह देखना रोचक होगा कि नरेंद्र मोदी का जादू और दिग्विजय सिंह की पुरानी छवि भोपाल के 21 लाख मतदाताओं के दिलो-दिमाग में कितना असर करती है. ये दोनों फैक्टर जीत और हार में बड़ी भूमिका तय करेंगे.

भाजपा की ओर से साध्वी प्रज्ञा इस सीट पर दावेदारी जता रही हैं. कैलाश विजयवर्गीय ने भी यहां के चुनावी रण में उतरने की मंशा जाहिर की है, लेकिन सबकी नजर शिवराज सिंह चौहान की तरफ है. क्या वे दिग्गी के सामने मैदान में उतरेंगे. यदि भोपाल में मुकाबला दिग्विजय सिंह बनाम शिवराज सिंह हुआ तो यह और रोचक हो जाएगा.

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)

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