Thursday, February 6, 2025
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राजस्थान की सभी सीटों पर कांग्रेस के उम्मीदवार घोषित, जयपुर ग्रामीण से कृष्णा पूनिया को टिकट

कांग्रेस ने राजस्थान की बाकी बची छह सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है. पार्टी ने गंगानगर से भरतराम मेघवाल, जयपुर ग्रामीण से कृष्णा पूनिया, अजमेर से रिजु झुनझुनवाला, राजसंमद से देवकीनंदन गुर्जर, भीलवाड़ा से रामपाल शर्मा और झालावाड़-बारां से प्रमोद शर्मा को टिकट दिया है. केंद्रीय चुनाव समिति के प्रभारी व पार्टी महासचिव मुकुल वासनिक की ओर से जारी सूची में राजस्थान के अलावा गुजरात के एक व महाराष्ट्र के दो उम्मीदवारों का नाम शामिल है.

यहां पढ़ें पूरी सूची:

आपको बता दें कि कांग्रेस की ओर से जारी राजस्थान की पहली सूची में 18 नाम शामिल थे. बीकानेर से मदनगोपाल मेघवाल, चुरू से रफीक मंडेलिया, झुंझुनूं से श्रवण कुमार, सीकर से सुभाष महारिया, जयपुर से ज्योति खंडेलवाल, अलवर से जितेंद्र सिंह, भरतपुर से अभिजीत कुमार जाटव, करौली-धोलपुर से संजय कुमार जाटव, दौसा से सविता मीणा, टोंक-सवाई माधोपुर से नमोनारायण मीणा, नागौर से ज्योति मिर्धा, पाली से बद्री राम जाखड़, जोधपुर से वैभव गेहलोत, बाड़मेर से मानवेंद्र सिंह, जालोर से रतन देवासी, उदयपुर से रघुवीर सिंह मीणा, बांसवाड़ा से ताराचंद भागौरा, चित्तौड़गढ़ से गोपाल सिंह इडवा और
कोटा रामनारायण मीणा को मैदान में उतारा है.

राजस्थान: कांग्रेस उम्मीदवार पर रार, विधायक ने दी इस्तीफे की चेतावनी

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कांग्रेस में लोकसभा के टिकट वितरण के बाद अब बगावत के सुर उठने लगे हैं. करौली-धौलपुर सीट से जाटव समाज का प्रत्याशी घोषित करने पर बैरवा समाज नाराज हो गया है. बैरवा समाज ने इसको लेकर बसेड़ी विधायक खिलाड़ी बैरवा के नेतृत्व में सीएम अशोक गहलोत से मुलाकात की और प्रत्याशी बदलने की मांग की. विधायक ने मांग न माने जाने पर इस्तीफा की चेतावनी दी है.

विधायक खिलाड़ी बैरवा ने दो टूक लहजे में कहा कि करौली-धौलपुर सीट पर दो लाख से ज्यादा बैरवा समाज के वोट हैं. अगर पार्टी द्वारा प्रत्याशी नहीं बदला गया तो प्रदेश की तकरीबन 14 लोकसभा सीटों पर नतीजे कांग्रेस के खिलाफ आ सकते हैं. खिलाड़ी ने इस संबंध में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को एक खत भी लिखा है. ऐसे में कांग्रेस करौली-धौलपुर सीट पर प्रत्याशी बदलने पर विचार कर रही है.

आपको बता दें कि कांग्रेस ने पिछली कराैली-धौलपुर से लक्खीराम बैरवा को प्रत्याशी बनाया था. देश में मोदी लहर बहने के बावजूद लक्खीराम बहुत कम वोट अंतर से चुनाव हारे थे. ऐसे में इस बार भी लक्खीराम को टिकट मिलने की पूरी संभावना थी. जानकारी के अनुसार जिला प्रभारी विश्वेंद्र सिंह ने खुद लक्खीराम को टिकट देने की पैरवी की थी, लेकिन दोनों जिले के प्रद्युमन सिंह, गिरिराज मलिंगा और रमेश मीणा जैसे वरिष्ठ नेता उनके पक्ष में नहीं थे.

सीएम अशोक गहलोत और पीसीसी चीफ सचिन पायलट ने मलिंगा और मीणा की जिद के आगे झुकते हुए संजय कुमार जाटव को टिकट दे दिया. गौरतलब है कि भरतपुर सीट पर भी कांग्रेस ने जाटव समाज के नेता पर दांव खेला है. यहां से अभिजीत जाटव को टिकट मिला है. जानकारों के मुतााबिक दोनों सीटों पर जाटव को मौका देना कांग्रेस की बड़ी रणनीतिक चूक हो सकती है.

जातिगत समीकरण बने मुसीबत

इससे पहले प्रदेश की 25 लोकसभा सीटों के लिए कांग्रेस द्वारा घोषित 19 उम्मीदवारों की सूची में एक भी ब्राह्मण और गुर्जर समाज के नेता को टिकट नहीं मिला. इससे दोनों समाज में काफी नाराजगी है. चुनावी माहौल में पार्टी किसी भी समाज को नाराज नहीं करना चाहेगी. ऐसे में कांग्रेस ने शेष 6 सीटों पर ब्राह्मण और गुर्जर समाज के नेता को टिकट देना तय कर लिया है.

समय रहते कांग्रेस को बिगड़े जातिगत समीकऱणों की भनक भी लग चुकी है. लिहाजा समय रहते कांग्रेस अब मजबूत जातिगत समीकरणों की किलेबंदी में जुट गई है. सूत्रो के मुताबिक राजसमंद से गुर्जर और भीलवाड़ा से ब्राह्मण नेता को टिकट दिया जाना तय माना जा रहा है. आगामी समय में पार्टी की ओर से इस तरह के कुछ और फैसले देखे जा सकते हैं.

राजस्थान: बसपा ने जारी की 5 उम्मीदवारों की सूची

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बहुजन समाज पार्टी ने सुप्रीमो मायावती के निर्देश पर राजस्थान में लोकसभा आम चुनाव के 5 प्रत्याशियों की सूची जारी की है. सूची में अलवर, कोटा, झालावाड़-बारां, उदयपुर और अजमेर के उम्मीदवार शामिल हैं. सूची के अनुसार,

प्रदेश में कुल 25 सीटों पर होने वाले लोकसभा आम चुनाव दो चरणों में संपन्न होंगे. पहले चरण के लिए मतदान 29 अप्रैल को होंगे. दूसरे चरण के लिए वोटिंग 6 मई को होगी. चुनावी परिणाम 23 मई को घोषित किए जाएंगे.

लोकसभा चुनाव के लिए देश में पांच गठबंधन, सबकी नजर पीएम की कुर्सी पर

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देश में सत्ता की चौसर पर लोकसभा चुनाव की बिसात बिछ चुकी है. मुहरे भी खड़े हो गए हैं बस इंतजार है तो पासे फेंकने का. इस समय पूरे देश में केवल एक ही चर्चा है कि आखिर देश किसे चुनेगा, नरेंद्र मोदी या राहुल गांधी लेकिन राजनीति की पारखी नजरें रखने वालों का यह कहना भी गलत नहीं है कि देश में दो नहीं बल्कि 5 ऐसे गठबंधन दल चुनावी मैदान में हैं जिनके नेता खिचड़ी सरकार बनने पर प्रधानमंत्री बनने की मनोकांक्षा रखते हैं.

इस लिस्ट में पहला गठबंधन दल है बीजेपी का एनडीए जिसके नेता खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह हैं. दूसरा गठबंधन दल यूपीए है जिसके मुखिया कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी हैं. तीसरा गठबंधन मायावती-अखिलेश यादव का सपा-बसपा महागठबंधन है जिसे अब महापरिवर्तन के नाम से बुलाने लगे हैं. चौथा गठबंधन पं.बंगाल की मुख्यमंत्री व तृणमूल नेता ममता बनर्जी ने बनाया है जिसे वे फेडरल फ्रंट के नाम से बुलाना पसंद करती हैं. पांचवां गठबंधन तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर का है. इन सभी के मुखियाओं की केवल एक ही इच्छा है, प्रधानमंत्री बन सत्ता की कुर्सी हथियाना.

शुरूआत करें एनडीए दल से तो प्रधानमंत्री मोदी इस गठबंधन के मुखिया हैं. पिछले साल देश में चली मोदी लहर में अधिकांश राज्य तो तिनके की भांति उड़ गए. राजस्थान, यूपी इसके उदाहरण हैं. हालांकि दक्षिण भारत में मोदी लहर इतना प्रभाव न दिखा सकी लेकिन सरकार बनने के बाद यहां भी बीजेपी अपने पैर जमाने में कामयाब हो पाई है. इस बार भी मोदी सरकार की लहर का असर कायम है. देश की आबोहवा को समझ अब बीजेपी नेताओं ने पिछले दो महीने में पार्टी ने अपनी रणनीति पूरी तरह बदल दी है.

मिशन 400 पर काम कर रहे पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने पुराने सहयोगियों को किसी भी कीमत पर रोकने और नए सहयोगियों को ढूंढने का काम करीब-करीब पूरा कर लिया है. ऐसा सीधे प्रधानमंत्री के निर्देश पर हुआ है. इसी का नतीजा है कि भाजपा ने अपने सबसे पुराने सहयोगी शिवसेना की करीब करीब सभी मांगें मांन लीं और नई एवं छोटी सहयोगी पार्टी अपना दल को भी दो सीटें दे दीं.’

बात करें कांग्रेस की यूपीए दल की तो यहां पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी अपने आपको प्रधानमंत्री का दावेदार घोषित कर चुके हैं. पिछली बार मोदी लहर में कांग्रेस की नैया ढूबते-ढूबते बची. यहां तक की केवल 3 राज्यों तक सिमट कर रह गई. हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में 3 बड़े राज्य जीतने के बाद फिर से इस पार्टी ने हुंकार भरी है. नए और युवा नेताओं के दम पर यूपीए देश की सत्ता फिर से हासिल करने का सपना लेकर चुनावी मैदान में है. यही वजह रही कि बिहार में तेजस्वी यादव से कांग्रेस ने जमकर मोलभाव किया और एक-एक सीट के लिए पूरी ताकत लगाई.

देश का तीसरा बड़ा दल है सपा-बसपा दल जिसकी मजबूत जड़े अब उत्तर प्रदेश तक सीमित नहीं रह गई हैं. राजस्थान, मध्यप्रदेश राज्यों के विधानसभा चुनावों में इसकी छवि सभी ने देखी है. इसी पार्टी के साथ गठबंधन कर कांग्रेस ने दो राज्यों में अपनी सरकार बनाई है. हालांकि बसपा पहले सभी राज्यों में कांग्रेस से हाथ मिलाने को तैयार थी लेकिन मायावती खुद प्रधानमंत्री भी बनने का इरादा रखती हैं. वह खुद को अब एक प्रदेश नेता नहीं बल्कि राष्ट्रीय नेता मानकर चल रही हैं. कांग्रेस राहुल को प्रधानमंत्री का दावेदार घोषित कर चुकी है.

ऐसे में बसपा सुप्रीमो को कांग्रेस के साये में यह सपना पूरा होते नहीं दिख रहा. ऐसे में उन्होंने भतीजे अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी के साथ पूरे देश में गठबंधन बनाया है जिसे वे अब महापरिवर्तन के नाम से बुलाने लगे हैं. दोनों ने यूपी में कुल 80 में से 70 सीटें जीतने का लक्ष्य निर्धारित किया है. देश में दलित वोट बैंक के चलते अब खिचड़ी सरकार भी बनती है तो मायावती सत्ता में एक अहम रोल अदा करेंगी.

चौथा गठबंधन ममता बनर्जी ने बनाया है जिसे वे फेडरल फ्रंट के नाम से बुलाना पसंद करती हैं. पं.बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ‘दीदी’ ने पिछले कुछ समय में अपनी छवि एक राष्ट्रीय नेता के तौर पर कायम की है. यहां तक की कई मौकों पर केन्द्र सरकार भी उनके फैसलों के खिलाफ जाने का साहस नहीं जुटा पाई. इससे ममता की छवि एक राष्ट्रीय नेता के तौर पर उभर कर सामने आई है. ममता की पार्टी को भी लगता है कि मोदी के बाद अगर किसी नेता का सबसे ज्यादा प्रधानमंत्री बनने का चांस है तो वह हैं ममता बनर्जी. तृणमूल कांग्रेस पार्टी (TMC) ने पं. बंगाल की कुल 42 लोकसभा सीटों में से 40 सीटें जीतने का टारगेट उन्होंने रखा है. बाकी देश से दस सीटें जीतने का पुखता प्लान भी ममता ने बनाया है.

तृणमूल मानती है कि अगर उसकी 50 सीटें अकेले दम पर आ गई तो खिचड़ी सरकार का नेतृत्व ममता कर सकती हैं. यही वजह रही ​जब राहुल गांधी ने साथ मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ने का न्योता ममता बनर्जी को दिया तो उन्होंने अपने अंदाज़ में कहा कि उन्हें अपने गठबंधन का नाम बदलना होगा. यह बात सच में एक बेहद चुभने वाली बात थी क्योंकि फेडरल फ्रंट में जाने का मतलब था राहुल गांधी खुद ही ममता बनर्जी को नेता मान लें जो नामुमकिन है. ममता को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का भी सहयोग प्राप्त है.

पांचवां गठबंधन तेलंगाना के मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव (केसीआर) का है जिसका अभी सिर्फ नेता तय हुआ है. नाम और पार्टनर नहीं मिल रहे हैं. यहां केसीआर और उनकी पार्टी टीआरएस का एकछत्र राज लंबे समय से कायम है. हाल ही में विधानसभा चुनावों में केसीआर की पार्टी ने 119 में से 88 सीटों पर कब्जा किया है. कांग्रेस को 21, बीजेपी को एक और अन्य को 9 सीटों पर जीत हासिल हुई है. क्षेत्र में अपनी एक खास छवि रखने वाले राव के साथ बीजेपी गठबंधन कर सकती है. तेलंगाना में 17 लोकसभा सीटें हैं. अगर यहां सभी सीटों पर टीआरएस जीत दर्ज करती है तो केन्द्र की सत्ता पर इस राज्य का असर पड़ना निश्चित है.

क्या कांग्रेस उम्मीदवार टिकट मिलने के बाद दरगाह में हाजिरी लगाने गईं?

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जैसे-जैसे उम्मीदवारों का एलान होता जा रहा है वैसे-वैसे देश लोकसभा चुनाव के खुमार में डूबता जा रहा है. एक ओर बड़े नेता धुंआधार सभाएं कर रहे हैं तो दूसरी ओर कार्यकर्ता मतदाताओं को अपनी पार्टी के पक्ष में करने के लिए जमकर मेहनत कर रहे हैं. वहीं, सोशल मीडिया पर राजनीतिक दलों के प्रशंसकों की सक्रियता बढ़ गई है. ये साइबर लड़ाके तरह-तरह से दावे कर रहे हैं, जिनमें से कई तेजी से वायरल हो रहे हैं.

सोशल मीडिया पर इन दिनों जयपुर शहर से कांग्रेस की उम्मीदवार ज्योति खंडेलवाल से जुड़ा एक फोटो वायरल हो रहा है. इसमें दावा किया जा रहा है कि ज्योति कांग्रेस का टिकट मिलने के बाद मंदिर जाने की बजाय दरगाह गईं. फेसबुक पर विकास जायसवाल  नाम के एक यूजर ने लिखा है, ‘ज्योति खंडेलवाल को जयपुर लोकसभा का टिकट मिलते ही दरगाह में हाज़री लगाई. देख लो क्या होने वाला है जयपुर में. सोच समझ कर वोट दें. नमो इज बेक.’

फेसबुक पर ही देवेंद्र शर्मा ने लिखा है, ‘ज्योति खंडेलवाल को जयपुर से टिकट मिलते ही सब से पहले दरगाह पर ढोक लगाई सोचिए विचार करिए जयपुर में क्या होने वाला है.’ और कई फेसबुक यूजर्स ने भी इस फोटो पर इसी तरह की पोस्ट लिखी हैं. ट्विटर और दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर भी इस दावे के साथ यह फोटो वायरल हो रही है.

‘पॉलिटॉक्स’ ने जब इस फोटो की पड़ताल की तो चौंकाने वाली सच्चाई सामने आई. वायरल फोटो ज्योति खंडेलवाल की है, लेकिन उन्हें लोकसभा का टिकट मिलने के बाद की नहीं, बल्कि पिछले साल दिसंबर में हुए विधानसभा चुनाव से पहले की है. ज्योति उस समय किशनपोल विधानसभा से कांग्रेस का टिकट मांग रही थीं. पार्टी के बड़े नेताओं के सामने दावेदारी पेश करने के अलावा वे कई धार्मिक स्थलों पर  भी गई थीं. वायरल फोटो उसी दौरान की है.

‘पॉलिटॉक्स’ की पड़ताल में सामने आया कि वायरल फोटो पिछले साल 5 अक्टूबर की है. इस दिन ज्योति खंडेलवाल जयपुर के चार दरवाजा स्थित हजरत सैयद मीर मौलाना जियाउद्दीन की दरगाह पर चादर चढ़ाने गई थीं. इस दौरान कांग्रेस के कई स्थानीय कार्यकर्ता उनके साथ थे. ज्योति खंडेलवाल ने दरगाह में जियारत की और चादर चढ़ाई. प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता सादिक चौहान ने इससे जुड़ी फोटो 8 अक्टूबर को साझा की थीं. इनमें वो फोटो भी शामिल है जो फिलहाल सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है.

यानी ज्योति खंडेलवाल जो फोटो सोशल मीडिया पर इस दावे के साथ वायरल हो रहा है कि वे लोकसभा का टिकट मिलने के बाद शुक्रिया अदा करने मंदिर जाने की बजाय दरगाह गईं, झूठा साबित हुआ. हकीकत में जिस दिन ज्योति की उम्मीदवारी का एलान हुआ उस दिन वे अपने पति शरद खंडेलवाल के साथ दिल्ली में थीं. वे सुबह तीन बजे जयपुर पहुंचीं और सबसे पहले खोले के हनुमान मंदिर गईं. इसके बाद उन्होंने गोविन्ददेव जी मंदिर और गढ़ गणेश मंदिर में पूजा अर्चना की.

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केरल के वायनाड से राहुल गांधी के सामने वेलापल्ली होंगे एनडीए के उम्मीदवार

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कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी इस बार लोकसभा चुनाव में अपनी परम्परागत उत्तर प्रदेश की अमेठी लोकसभा सीट के साथ केरल की वायनाड सीट से भी चुनाव लड़ रहे हैं. अमेठी लोकसभा सीट से बीजेपी ने स्मृति ईरानी को प्रत्याशी बनाया है. वहीं एनडीए ने तुषार वेलापल्ली को वायनाड सीट से उम्मीदवार घोषित किया है. तुषार वेल्लापल्ली भारत धर्म जन सेना पार्टी के अध्यक्ष हैं. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने ट्वीट करके एनडीए उम्मीदवार के नाम का ऐलान किया है. अमित शाह ने ट्वीट में कहा, ‘मैं गर्व से तुषार वेल्लापल्ली को केरल की वायनाड सीट से एनडीए का उम्मीदवार घोषित करता हूं.’

इससे पहले राहुल गांधी ने दिल्ली में पार्टी मुख्यालय में कहा कि केरल की वायनाड सीट का चयन का फ़ैसला दक्षिण भारत के चार राज्यों, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक में कांग्रेस को मज़बूत करने के लिए लिया गया है. राहुल गांधी इस सीट से चुनाव लड़कर तीन राज्यों केरल, तमिलनाडु और कर्नाटक का प्रतिनिधित्व करेंगे.


गौरत​लब है कि अमेठी सीट से स्मृति ईरानी के फिर से बीजेपी प्रत्याशी घोषित करने के बाद राहुल गांधी को एक और सुरक्षित सीट की जरूरत पड़ी. किसी अन्य सीट से चुनाव लड़ने की बात पर राहुल गांधी ने कहा था कि अमेठी उनकी कर्मभूमि है. अमेठी से उनका रिश्ता परिवार के सदस्य का है. इसलिए अमेठी को छोड़ नहीं सकते.
अमेठी सीट से समृति ईरानी को लगातार तीसरी बार बीजेपी की उम्मीदवार बनाया गया है.

बात करें वायनाड लोकसभा सीट की, 2008 में परिसीमन के बाद यह सीट वजूद में आई. इस लोकसभा सीट के अन्तर्गत केरल के तीन जिलों कोझिकोड, वायनाड और मलप्पुरम की सात विधानसभा सीटें आती हैं. 2009 और 2014 के चुनाव में इस सीट से कांग्रेस के एमवाई शनावास ने जीत दर्ज की थी.

ओडिसा: बीजेपी ने जारी की 14 उम्मीदवारों की सूची, 11 विधानसभा प्रत्याशी शामिल

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बीजेपी ने ओडिसा में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए 5वीं सूची जारी की है. इस लिस्ट में 11 उम्मीदवारों के नाम हैं. इसी लिस्ट में 3 लोकसभा चुनाव के प्रत्याशी भी शामिल हैं. बता दें, ओडिसा में 21 सीटों पर लोकसभा चुनाव और 147 सीटों पर विधानसभा चुनाव होने हैं. सूची के अनुसार, मयूबगंज सीट से बिस्वेसर टुडू, भद्रक से अभिमन्यु सेठी और जैजपुर से अमिया मल्लिक को लोकसभा प्रत्याशी बनाया गया है.

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विधानसभा चुनावों के लिए आनंदापुर सीट से आलोक सेठी, रायरंगपुर से नबा चरन माझी, मोरादा से कृष्णा मोहपात्रा, नीलगिरि से सुकंता नायक, अत्थामलिक से भागीरथी प्रधान, बनकी से शुभरांशु शेखर पधी, अथागढ़ से ब्रजेंद्र रॉय, पटकुरा से बिजय मोहापात्रा, पुरी से जयंता सरांगी और भुवनेश्वर उत्तर सीट से अपरांजति मोहंती को टिकट दिया गया है.

गौरतबल है कि ओडिसा में 4 चरणों में लोकसभा चुनाव संपन्न होंगे. पहले चरण के लिए वोटिंग 11 अप्रैल को होगी. दूसरे चरण के लिए मतदान 18 अप्रैल को, तीसरे चरण के लिए 23 अप्रैल को और अंतिम चरण के लिए वोटिंग 29 अप्रैल को होगी.

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