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लोकसभा चुनाव का पहला चरण: किस सीट पर कितनी हुई वोटिंग, जानें

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17वीं लोकसभा के लिए प्रथम चरण का मतदान कुछ छिटपुट घटनाओं को छोड़कर देशभर में शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हो गया. 11 अप्रैल को 18 राज्यों और दो केंद्रशासित प्रदेशों की कुल 91 लोकसभा सीटों पर मतदान हुआ है. इस दौरान वोटिंग मशीनों के क्षतिग्रस्त होने के कुल 15 मामले प्राप्त हुए हैं. हालांकि की छह घटनाएं अकेले आंध्र प्रदेश से हैं. जन सेना के उम्मीदवार मधुसूदन गुप्ता को अनंतपुर जिले के गूटी में एक ईवीएम मशीन तोड़ने के लिए गिरफ्तार किया गया. इसके अलावा, पांच अरुणाचल प्रदेश, दो मणिपुर, और एक-एक बिहार और पश्चिम बंगाल में ईवीएम खराबी संबंधी सूचनाएं प्राप्त हुई हैं. वैसे तो देशभर में वोटिंग अच्छी हुई है लेकिन पिछले चुनावों के मुकाबले मतदान के आंकड़े मामूली से कमजोर हैं.

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सबसे अधिक मतदान त्रिपुरा राज्य में हुई है. यहां 81.8 फीसदी वोटिंग हुई है. दूसरे नंबर पर प.बंगाल है जहां 81 फीसदी मतदान हुआ है. हालांकि दोनों राज्यों में यह आंकड़े पिछले चुनावों के मुकाबले कम हैं. लोकसभा चुनाव का दूसरा चरण 18 अप्रैल को होना है. इस दौरान 13 राज्यों की 97 सीटों पर चुनाव होंगे.

पांच महीने पहले जिन्होंने उम्मीदवार छांटे, आज उन्हें पड़ रहे टिकट के लाले

राहुल गांधी के हाथ कांग्रेस की कमान आने के बाद राज्यों में पार्टी की मजबूती के लिए उन्होंने सहप्रभारियों को लगाने का नया प्रयोग किया. राहुल गांधी ने हर राज्य में दो से चार राष्ट्रीय सचिवों को मुख्य प्रभारियों के साथ सहप्रभारी बनाकर भेजा. राजस्थान में भी इसी तर्ज पर राहुल गांधी ने तरुण कुमार, देवेन्द्र यादव, काजी निजामुद्दीन और विवेक बसंल को सहप्रभारी बनाकर भेजा. चारों ने विधानसभा चुनाव से पहले सर्दी, गर्मी और बारिश में राजस्थान में काम करते हुए आलाकमान के निर्देशों को शिद्दत से निभाया. लेकिन जब चारों ने लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए टिकट की इच्छा जताई तो उन्हें ही दरकिनार कर दिया गया.

दरअसल, राजस्थान के सहप्रभारी देवेन्द्र यादव दिल्ली वेस्ट, तरुण कुमार दिल्ली उत्तर-पश्चिम, विवेक बंसल यूपी की अलीगढ़ और काजी निजामुद्दीन बिजनौर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने की हसरत पाले हुए थे. लेकिन पार्टी ने इनकी हसरतों को दरकिनार करते हुए बिजनौर से नसीमुद्दीन सिद्दकी को टिकट थमा दिया. वहीं अलीगढ़ से विरेन्द्र चौधरी को टिकट दे दिया. टिकट नहीं मिलने से हालांकि बसंल ने नाराजगी भी जाहिर की थी.

वहीं देवेन्द्र यादव और तरुण कुमार की बात करें तो दोनों की इच्छा की सीटों से हालांकि अभी कांग्रेस ने प्रत्याशी घोषित नहीं किए गए है, लेकिन सूत्रो के मुताबिक दोनों का नाम पैनल तक में नहीं जोड़ा गया है. ऐसे में दोनों को टिकट नहीं मिलने के पूरे-पूरे आसार है. हालांकि देवेन्द्र यादव कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाने पर खुलकर इस मुद्दे को चाहकर भी नहीं बोल पा रहे हैं, लेकिन विधायक का चुनाव हारने के चलते मन में पूरी इच्छा थी कि लोकसभा चुनाव लड़ लिया जाए.

लिहाजा पैनल में नाम नहीं आने पर अब यादव टिकट ही नहीं मांगने का दावा कर रहे हैं, लेकिन टिकट नहीं मिलने से सहप्रभारियों के हौसले अब पस्त होते दिख रहे हैं. वहीं अब इनका राजस्थान में काम भी लगभग पूरा हो चुका है. देवेन्द्र यादव के सहप्रभारी का जिम्मा भी विवेक बंसल को दे दिया गया है. ऐसे में चारों सहप्रभारी अब खुद को ठगा सा महसूस कर रहे है. साथ ही सहप्रभारी के प्रयोग को उनके समर्थक ‘यूज एंड थ्रो’ के रुप में मानने लगे हैं.

सेना पर राजनीति रोकने के लिए पूर्व सैनिकों ने राष्ट्रपति को लिखा पत्र

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देश की सेना के शौर्य को राजनीतिक हथकंडों में इस्तेमाल किए जाने को लेकर पूर्व सैनिक नाराज हैं. इसके विरोध में अब खुद पूर्व सैन्य प्रमुख आगे आए हैं. इस संबंध मेें आठ पूर्व सैन्य प्रमुखों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को एक पत्र लिखकर एक स्वर में सेना का राजनीतिक इस्तेमाल करने से रोकने और सेक्युलर मूल्यों को सुरक्षित रखने का आग्रह किया है. साथ ही अपील की है कि राष्ट्रपति सभी राजनीतिक दलों को किसी भी मिलिट्री एक्शन या ऑपरेशन का राजनीतिकरण नहीं करने के लिए निर्देश दें.

पूर्व सेनाध्यक्षों की यह अपील लोकसभा चुनावों पहले चरण के मतदान के बाद सार्वजनिक हो गई. पता चला है कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को लिखे पत्र में कहा गया है, ‘महोदय, राजनेता सीमा पार कार्रवाइयों जैसे मिलिट्री ऑपरेशंस का क्रेडिट ले रहे हैं. इससे भी दो कदम आगे जाते हुए देश की सेना को ‘मोदीजी की सेना’ करार दे रहे हैं. यह बिल्कुल ही असामान्य और अस्वीकार्य है.’ हालांकि, पत्र में किसी भी खास राजनीतिक दल या नेता का नाम नहीं लिया गया है.

राष्ट्रपति को पत्र लिखने वालों की फेहरिस्त में जनरल एसएफ रॉड्रिग्ज, जनरल शंकर रॉय चौधरी, जनरल दीपक कपूर, एडमिरल लक्ष्मीनारायण रामदास, एडमिरल विष्णु भागवत, एडमिरल अरुण प्रकाश, एडमिरल सुरेश मेहता और चीफ मार्शल एनसी सूरी जैसे मिलिट्री वेटरन शामिल हैं. इन पूर्व सैन्य प्रमुखों ने एक स्वर में राष्ट्रपति से देश की सेना के सेक्युलर मूल्यों को सुरक्षित रखने का आग्रह किया है.

गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव के प्रचार कार्य में राजनीतिक पार्टियों के नेताओं के भाषणों व पोस्टर्स में सेना की जवाबी कार्रवाई और सर्जिकल स्ट्राइक जैसी घटनाओं का राजनीतिक इस्तेमाल होता देखा गया है. आलम यह रहा कि इस संबंध में खुद चुनाव आयोग को दखल देना पड़ा और सेना से जुड़े पोस्टरों तथा बैनरों के इस्तेमाल पर रोक लगानी पड़ी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी पहली बार वोट डालने वाले मतदाताओं से अपना मत बालाकोट एयर-स्ट्राइक और पुलावामा के शहीदों को समर्पित करने का आह्वान कर चुके हैं. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी अपने चुनावी भाषण में सुरक्षाबलों को ‘मोदीजी की सेना’ कहकर संबोधित किया था.

इलेक्टोरल बॉन्ड पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, 30 मई तक देनी होगी जानकारी

Karnataka
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चुनावों में अब राजनीतिक पार्टियां चोरी-छिपे चंदा नहीं ले सकेंगी. इसकी जानकारी सांझा करनी होगी. इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने आज बड़ा फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड्स की वैधता पर सवाल उठाने वाली याचिका की सुनवाई के दौरान इन बॉन्ड्स पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. वहीं इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए दान या चंदा देने वालों के नाम, मिलने वाली राशि आदि की जानकारी चुनाव आयोग को देने के लिए कहा है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने तमाम राजनीतिक दलों को आदेश दिया है कि 15 मई तक मिले इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी सभी दल 30 मई तक सीलबंद लिफाफे में चुनाव आयोग को सौंपें. इस जानकारी में चंदा देने वालों का ब्यौरा भी देना होगा.

इससे पहले केंद्र की चुनाव तक हस्तक्षेप नहीं करने की याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर पारदर्शी राजनीतिक चंदे के लिए शुरू किए गए चुनावी बॉन्ड के क्रेताओं की पहचान नहीं है तो चुनावों में कालाधन पर अंकुश लगाने का सरकार का प्रयास निरर्थक होगा. सुप्रीम कोर्ट ने एक एनजीओ की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया जिसने इस योजना की वैधता को चुनौती दी है और मांग की है कि या तो चुनावी बॉन्ड जारी किए जाने पर रोक लगा दी जाए या चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिये चंदा देने वालों के नाम सार्वजनिक किए जाएं.

इससे पहले केंद्र ने प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ से कहा था कि जहां तक चुनावी बॉन्ड योजना का सवाल है तो यह सरकार का नीतिगत फैसला है और नीतिगत फैसला लेने के लिए किसी भी सरकार को दोष नहीं दिया जा सकता है. पीठ ने सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल से पूछा कि क्या बैंक को चुनावी बॉन्ड जारी करने के समय क्रेताओं की पहचान का पता होता है.

इस पर वेणुगोपाल ने सकारात्मक जवाब दिया और तब कहा कि बैंक केवाईसी का पता लगाने के बाद बॉन्ड जारी करते हैं, जो बैंक खातों को खोलने पर लागू होते हैं. पीठ ने कहा कि जब बैंक चुनावी बांड जारी करते हैं तो क्या बैंक के पास ब्योरा होता है कि किसे ‘एक्स’ बॉन्ड जारी किया गया और किसे ‘वाई’ बॉन्ड जारी किया गया. वेणुगोपाल ने कहा कि चुनावों में ऐतिहासिक रूप से काला धन इस्तेमाल होता रहा है. यह सुधारात्मक कदम है. इस योजना का चुनाव के बाद परीक्षण किया जा सकता है.

राजस्थान: कांग्रेस नेतृत्व को 8 से 10 सीटों पर जीत की उम्मीद

राजस्थान में लोकसभा चुनाव के रण में प्रचार परवान पर है. चिलचिलाती धूप में उम्मीदवार जीत के लिए पसीना बहा रहे हैं. इस गहमागहमी के बीच सबके मन में एक ही सवाल है कि सूबे में कांग्रेस और बीजेपी की कितनी-कितनी सीटें आ रही हैं. वहीं, मिशन-25 में जुटी कांग्रेस के दिग्गज नेता लगातार हर सीट का लेटेस्ट फीडबैक लेने में लगे हैं. प्रचार के मौजूदा वक्त में अगर संभावित परिणाम की बात करें तो कांग्रेस को 25 में से आठ से दस सीटें ही मिलने की संभावना है.

यह दावा हम नहीं कर रहे, बल्कि कांग्रेस और उसके आलाकमान को अब तक मिली रिपोर्ट के आधार पर यह सामने आया है. जिसके तहत कांग्रेस पांच सीटों पर जीत तय, दस सीटों पर टक्कर और बाकी बची दस सीटों पर मुकाबले में अभी खुद को बाहर मानकर चल रही है. आइए अब आपको बताते है कि कांग्रेस किन सीटों पर जीत की स्थित में और किन पर कमजोर हालात में है.

पांच सीटों पर जीत लगभग तय:
बात करें कांग्रेस और उसके आलाकमान को फील्ड से मिल रहे फीडबैक की तो राजस्थान में कांग्रेस की सबसे मजबूत स्थिति सीकर लोकसभा सीट पर है. उसके बाद टोंक-सवाईमाधोपुर पर जीत मानी जा रही है. इसके बाद बाड़मेर, जोधपुर और भरतपुर में भी अच्छी जीत का फीडबैक मिला है.

10 सीटों पर आमने-सामने की टक्कर :
वहीं, बात करें प्रदेश की अन्य लोकसभा सीटों की तो झुंझुनूं, अलवर, जयपुर ग्रामीण, बीकानेर, नागौर, श्रीगंगानगर-हनुमानगढ़, डूंगरपुर-बांसवाड़ा, करौली-धौलपुर, दौसा और उदयपुर सीटों पर मुकाबला रोचक और बराबरी की टक्कर का है. इन सीटों के परिणाम कह सकते है कि 25 हजार से 50 हजार के बीच रहने के पूरे आसार है. यानी जो प्रत्याशी ढंग से प्रचार और मतदाताओं को प्रभावित करने में कामयाब हो जाएगा जीत उतनी ही करीब आती जाएगी.

10 सीटों पर भाजपा मजबूत :
अब बात करें प्रदेश की बाकी बची लोकसभा सीटों की तो कांग्रेस के पसीने छूटे हुए हैं. कह सकते है कि फिलहाल इन सीटों पर मुकाबला एकतरफा बरकरार है. जिसके चलते बारां-झालावाड़, भीलवाड़ा, अजमेर, चूरू, राजसमंद, चितौड़गढ़, कोटा-बूंदी, जयपुर शहर, जालौर-सिरोही और पाली पर भाजपा मजबूत बढ़त बनाए हुए हैं.

दरअसल, जिन सीटों पर कांग्रेस पहले से कमजोर थी वहां कमजोर प्रत्याशी उतारकर और स्थिति खराब कर ली है. अजमेर और झालावाड़ में पैराशूटर को मौका देने से स्थानीय नेता साथ नहीं रहने से गणित बिगड़ गया. बाकी जगह जातिगत समीकरण और मोदी फैक्टर भारी पड़ रहा है. खैर अब देखना होगा कि कांग्रेस इस फीडबैक के आधार पर जीत के लिए अब क्या रणनीति अपनाती है. अगर कांग्रेस की सर्वे रिपोर्ट के आधार पर अगर आठ से दस सीटें आती है तो यह पहली बार होगा कि राज्य में सरकार होने के बावजूद कोई पार्टी दस के आंकड़े में सिमट जाएगी.

मोदी ने धर्म के नाम पर सिर्फ झूठी बातें की हैं: गहलोत

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राजस्थान लोकसभा चुनाव की तारीख जिस तरह करीब आती जा रही है, कांग्रेस के चुनावी तेवर धार पकड़ रहे हैं. आज एक ही दिन में कांग्रेस ने जयपुर सहित झुंझूनूं और लूणकरणसर (बीकानेर) में  3 चुनावी सभाओं का आयोजन किया और जमकर विपक्ष पर धावा बोला. राजधानी के सिविल लाइंस इलाके में जयपुर शहर की कांग्रेस प्रत्याशी ज्योति खंडेलवाल के समर्थन में हुए एक जनसभा में प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पीएम नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि नरेन्द्र मोदी सरकार हिंदुत्व और राष्ट्रप्रेम की बातें करती है. क्या हम हिंदू नहीं हैं या राष्ट्रप्रेम नहीं है. राष्ट्रप्रेमी कौन नहीं है. मोदी ने धर्म के नाम पर सिर्फ झूठी बातें की हैं लेकिन इस बार ये नहीं होगा.

उन्होंने कहा कि बीजेपी कहती है कि देश व प्रदेश में पिछले 50 सालों में कांग्रेस ने कुछ नहीं किया. जबकि सच तो यह है कि कांग्रेस ने ही प्रदेश में विकास की गंगा बहाई है. पीएम पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि मोदीजी ने पिछले लोकसभा चुनावों से पहले भारी भरकम वादे जनता से किए थे. कालाधन लाएंगे, बेरोजगारी दूर करेंगे लेकिन उनमें से एक भी वादा नहीं पूरा नहीं हुआ. उन सब वादों पर मोदीजी ने इस बार कोई चर्चा नहीं की.

उन्होंने कहा कि कांग्रेस मिशन 25 पर एकजूट होकर ढृढता से काम कर रही है. निश्चित तौर पर कांग्रेस प्रदेश की सभी सीटों पर अपना कब्जा जमाने में सफल होगी. गहलोत के साथ डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने भी विपक्ष को जमकर कोसा और कांग्रेस के पक्ष में समर्थन देने की बात कही. मंच को संबोधित करते हुए ज्योति खंडेलवाल ने कहा कि वह शहर की बेटी और बहु हैं और शहर को भली-भांति जानती-पहचानती हैं. ऐसे में उन्हें शहरवासियों के प्यार की सख्त जरूरत है.

ज्योति के बारे में गहलोत ने बताया कि ज्योति एक पूर्व महापौर रहने के नाते शहर की हर परेशानियों से पूरी तरह अवगत हैं. वह हर तरीके से शहरवासियों के दुख—दर्द में लोगों के साथ खड़ी रहेंगे. गहलोत, सचिन समेत सभी कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने शहर की जनता को ज्योति के समर्थन में वोट देने की बात कही.

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