राहुल गांधी के हाथ कांग्रेस की कमान आने के बाद राज्यों में पार्टी की मजबूती के लिए उन्होंने सहप्रभारियों को लगाने का नया प्रयोग किया. राहुल गांधी ने हर राज्य में दो से चार राष्ट्रीय सचिवों को मुख्य प्रभारियों के साथ सहप्रभारी बनाकर भेजा. राजस्थान में भी इसी तर्ज पर राहुल गांधी ने तरुण कुमार, देवेन्द्र यादव, काजी निजामुद्दीन और विवेक बसंल को सहप्रभारी बनाकर भेजा. चारों ने विधानसभा चुनाव से पहले सर्दी, गर्मी और बारिश में राजस्थान में काम करते हुए आलाकमान के निर्देशों को शिद्दत से निभाया. लेकिन जब चारों ने लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए टिकट की इच्छा जताई तो उन्हें ही दरकिनार कर दिया गया.

दरअसल, राजस्थान के सहप्रभारी देवेन्द्र यादव दिल्ली वेस्ट, तरुण कुमार दिल्ली उत्तर-पश्चिम, विवेक बंसल यूपी की अलीगढ़ और काजी निजामुद्दीन बिजनौर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने की हसरत पाले हुए थे. लेकिन पार्टी ने इनकी हसरतों को दरकिनार करते हुए बिजनौर से नसीमुद्दीन सिद्दकी को टिकट थमा दिया. वहीं अलीगढ़ से विरेन्द्र चौधरी को टिकट दे दिया. टिकट नहीं मिलने से हालांकि बसंल ने नाराजगी भी जाहिर की थी.

वहीं देवेन्द्र यादव और तरुण कुमार की बात करें तो दोनों की इच्छा की सीटों से हालांकि अभी कांग्रेस ने प्रत्याशी घोषित नहीं किए गए है, लेकिन सूत्रो के मुताबिक दोनों का नाम पैनल तक में नहीं जोड़ा गया है. ऐसे में दोनों को टिकट नहीं मिलने के पूरे-पूरे आसार है. हालांकि देवेन्द्र यादव कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाने पर खुलकर इस मुद्दे को चाहकर भी नहीं बोल पा रहे हैं, लेकिन विधायक का चुनाव हारने के चलते मन में पूरी इच्छा थी कि लोकसभा चुनाव लड़ लिया जाए.

लिहाजा पैनल में नाम नहीं आने पर अब यादव टिकट ही नहीं मांगने का दावा कर रहे हैं, लेकिन टिकट नहीं मिलने से सहप्रभारियों के हौसले अब पस्त होते दिख रहे हैं. वहीं अब इनका राजस्थान में काम भी लगभग पूरा हो चुका है. देवेन्द्र यादव के सहप्रभारी का जिम्मा भी विवेक बंसल को दे दिया गया है. ऐसे में चारों सहप्रभारी अब खुद को ठगा सा महसूस कर रहे है. साथ ही सहप्रभारी के प्रयोग को उनके समर्थक ‘यूज एंड थ्रो’ के रुप में मानने लगे हैं.

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