राजस्थान में लोकसभा चुनाव के रण में प्रचार परवान पर है. चिलचिलाती धूप में उम्मीदवार जीत के लिए पसीना बहा रहे हैं. इस गहमागहमी के बीच सबके मन में एक ही सवाल है कि सूबे में कांग्रेस और बीजेपी की कितनी-कितनी सीटें आ रही हैं. वहीं, मिशन-25 में जुटी कांग्रेस के दिग्गज नेता लगातार हर सीट का लेटेस्ट फीडबैक लेने में लगे हैं. प्रचार के मौजूदा वक्त में अगर संभावित परिणाम की बात करें तो कांग्रेस को 25 में से आठ से दस सीटें ही मिलने की संभावना है.
यह दावा हम नहीं कर रहे, बल्कि कांग्रेस और उसके आलाकमान को अब तक मिली रिपोर्ट के आधार पर यह सामने आया है. जिसके तहत कांग्रेस पांच सीटों पर जीत तय, दस सीटों पर टक्कर और बाकी बची दस सीटों पर मुकाबले में अभी खुद को बाहर मानकर चल रही है. आइए अब आपको बताते है कि कांग्रेस किन सीटों पर जीत की स्थित में और किन पर कमजोर हालात में है.
पांच सीटों पर जीत लगभग तय:
बात करें कांग्रेस और उसके आलाकमान को फील्ड से मिल रहे फीडबैक की तो राजस्थान में कांग्रेस की सबसे मजबूत स्थिति सीकर लोकसभा सीट पर है. उसके बाद टोंक-सवाईमाधोपुर पर जीत मानी जा रही है. इसके बाद बाड़मेर, जोधपुर और भरतपुर में भी अच्छी जीत का फीडबैक मिला है.
10 सीटों पर आमने-सामने की टक्कर :
वहीं, बात करें प्रदेश की अन्य लोकसभा सीटों की तो झुंझुनूं, अलवर, जयपुर ग्रामीण, बीकानेर, नागौर, श्रीगंगानगर-हनुमानगढ़, डूंगरपुर-बांसवाड़ा, करौली-धौलपुर, दौसा और उदयपुर सीटों पर मुकाबला रोचक और बराबरी की टक्कर का है. इन सीटों के परिणाम कह सकते है कि 25 हजार से 50 हजार के बीच रहने के पूरे आसार है. यानी जो प्रत्याशी ढंग से प्रचार और मतदाताओं को प्रभावित करने में कामयाब हो जाएगा जीत उतनी ही करीब आती जाएगी.
10 सीटों पर भाजपा मजबूत :
अब बात करें प्रदेश की बाकी बची लोकसभा सीटों की तो कांग्रेस के पसीने छूटे हुए हैं. कह सकते है कि फिलहाल इन सीटों पर मुकाबला एकतरफा बरकरार है. जिसके चलते बारां-झालावाड़, भीलवाड़ा, अजमेर, चूरू, राजसमंद, चितौड़गढ़, कोटा-बूंदी, जयपुर शहर, जालौर-सिरोही और पाली पर भाजपा मजबूत बढ़त बनाए हुए हैं.
दरअसल, जिन सीटों पर कांग्रेस पहले से कमजोर थी वहां कमजोर प्रत्याशी उतारकर और स्थिति खराब कर ली है. अजमेर और झालावाड़ में पैराशूटर को मौका देने से स्थानीय नेता साथ नहीं रहने से गणित बिगड़ गया. बाकी जगह जातिगत समीकरण और मोदी फैक्टर भारी पड़ रहा है. खैर अब देखना होगा कि कांग्रेस इस फीडबैक के आधार पर जीत के लिए अब क्या रणनीति अपनाती है. अगर कांग्रेस की सर्वे रिपोर्ट के आधार पर अगर आठ से दस सीटें आती है तो यह पहली बार होगा कि राज्य में सरकार होने के बावजूद कोई पार्टी दस के आंकड़े में सिमट जाएगी.