देश की सेना के शौर्य को राजनीतिक हथकंडों में इस्तेमाल किए जाने को लेकर पूर्व सैनिक नाराज हैं. इसके विरोध में अब खुद पूर्व सैन्य प्रमुख आगे आए हैं. इस संबंध मेें आठ पूर्व सैन्य प्रमुखों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को एक पत्र लिखकर एक स्वर में सेना का राजनीतिक इस्तेमाल करने से रोकने और सेक्युलर मूल्यों को सुरक्षित रखने का आग्रह किया है. साथ ही अपील की है कि राष्ट्रपति सभी राजनीतिक दलों को किसी भी मिलिट्री एक्शन या ऑपरेशन का राजनीतिकरण नहीं करने के लिए निर्देश दें.
पूर्व सेनाध्यक्षों की यह अपील लोकसभा चुनावों पहले चरण के मतदान के बाद सार्वजनिक हो गई. पता चला है कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को लिखे पत्र में कहा गया है, ‘महोदय, राजनेता सीमा पार कार्रवाइयों जैसे मिलिट्री ऑपरेशंस का क्रेडिट ले रहे हैं. इससे भी दो कदम आगे जाते हुए देश की सेना को ‘मोदीजी की सेना’ करार दे रहे हैं. यह बिल्कुल ही असामान्य और अस्वीकार्य है.’ हालांकि, पत्र में किसी भी खास राजनीतिक दल या नेता का नाम नहीं लिया गया है.

राष्ट्रपति को पत्र लिखने वालों की फेहरिस्त में जनरल एसएफ रॉड्रिग्ज, जनरल शंकर रॉय चौधरी, जनरल दीपक कपूर, एडमिरल लक्ष्मीनारायण रामदास, एडमिरल विष्णु भागवत, एडमिरल अरुण प्रकाश, एडमिरल सुरेश मेहता और चीफ मार्शल एनसी सूरी जैसे मिलिट्री वेटरन शामिल हैं. इन पूर्व सैन्य प्रमुखों ने एक स्वर में राष्ट्रपति से देश की सेना के सेक्युलर मूल्यों को सुरक्षित रखने का आग्रह किया है.
गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव के प्रचार कार्य में राजनीतिक पार्टियों के नेताओं के भाषणों व पोस्टर्स में सेना की जवाबी कार्रवाई और सर्जिकल स्ट्राइक जैसी घटनाओं का राजनीतिक इस्तेमाल होता देखा गया है. आलम यह रहा कि इस संबंध में खुद चुनाव आयोग को दखल देना पड़ा और सेना से जुड़े पोस्टरों तथा बैनरों के इस्तेमाल पर रोक लगानी पड़ी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी पहली बार वोट डालने वाले मतदाताओं से अपना मत बालाकोट एयर-स्ट्राइक और पुलावामा के शहीदों को समर्पित करने का आह्वान कर चुके हैं. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी अपने चुनावी भाषण में सुरक्षाबलों को ‘मोदीजी की सेना’ कहकर संबोधित किया था.



























