पीएम मोदी पर तेजस्वी यादव का वार, कहा – अगड़े महोदय अचानक हो गए पिछड़े
चुनावी रंग देश की सियासत को हर रोज नए रंग में रंगता जा रहा है. हाल ही की चुनावी रैलियों में पीएम नरेन्द्र मोदी द्वारा कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को “सारे मोदी चोर है ” बयान पर घेरा जा रहा है और राहुल द्वारा खुद सहित पूरे पिछड़े समाज को गाली देने की बात कही जा रही है. इसी को लेकर राष्ट्रीय जनता दल नेता तेजस्वी यादव ने पीएम मोदी पर पलटवार किया है. यादव ने ट्वीट कर पीएम पर तंज कसा है कि पिछले 55 साल तक अगड़ी जाति में रहने वाले मोदी जी एक दिन अचानक पिछड़े बन गए. जिसके बाद देश की सियासत में नया उबाल लाजमी है.
एक ट्वीट के जरिए राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पिछड़े समुदाय को लेकर दिए एक बयान पर तंज कसा है. ट्वीट में तेजस्वी ने लिखा है कि, ‘नरेंद्र मोदी जी नकली पिछड़े हैं. जन्म से लेकर 55 वर्ष तक वे अगड़े थे फिर एक दिन अचानक पिछड़े बन गए. सच्चा, अच्छा और असली जन्मजात पिछड़ा कभी भी झूठा, बनावटी, मिलावटी, सजावटी और दिखावटी नहीं होता.’ वहीं तेजस्वी ने ट्वीट में देशज बोली में सवाल करते हुए ये भी लिख डाला कि, ‘पिछड़ों को बेवकूफ समझे हैं का गुजराती महोदय. क्या किए हैं पिछड़ों के लिए अगड़े महोदय.’
नरेंद्र मोदी जी नक़ली पिछड़े है। जन्म से लेकर 55 वर्ष तक वो अगड़े थे फिर एक दिन अचानक पिछड़े बन गए।
सच्चा, अच्छा और असली जन्मजात पिछड़ा कभी भी झूठा,बनावटी,मिलावटी,सजावटी और दिखावटी नहीं होता।
पिछड़ों को बेवक़ूफ़ समझे है का गुजराती महोदय?
क्या किए है पिछड़ों के लिए अगड़े महोदय?
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) April 18, 2019
राजद नेता तेजस्वी यादव यहीं नहीं रूके और उन्होंने आगे बढ़ते हुए एक अन्य ट्वीट के जरिए फिर पीएम मोदी को निशाना बनाया. तेजस्वी ने तंज कसा कि, ‘पीएमओ (प्रधानमंत्री कार्यालय) में एक भी अधिकारी ओबीसी (पिछड़ा वर्ग) नहीं है. देश में कोई वाइस चांसलर, प्रोफेसर ओबीसी नहीं है. किसी संवैधानिक संस्था का निदेशक ओबीसी नहीं है.’ इसके साथ ही तेजस्वी यादव ने नरेंद्र मोदी से यह भी पूछा है ‘जातीय अनुपात में ओबीसी का आरक्षण क्यों नहीं बढ़ाया.’
प्रिय @narendramodi जी,
आप जन्मजात नहीं नक़ली ओबीसी है। और हाँ आपने चोरी की है। क्या किया है पिछड़ों के लिए?
PMO में एक भी अधिकारी OBC नहीं है।
देश में कोई VC, प्रोफ़ेसर OBC नहीं है।
किसी संवैधानिक संस्था का निदेशक OBC नहीं है। जातीय अनुपात में OBC का आरक्षण क्यों नहीं बढ़ाया?— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) April 18, 2019
बता दें कि, बीते बुधवार को पीएम मोदी ने महाराष्ट्र के सोलापुर में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों को आड़े हाथों लेते हुए उन पर निशाना साधा था और कहा था कि कांग्रेस और उसके साथी दलों ने उन्हें कई बार गालियां दी हैं. क्योंकि वे पिछड़े वर्ग से आते हैं. प्रधानमंत्री का यह भी कहना था, ‘इस बार उन्होंने (कांग्रेस व उसके सहयोगी) मुझे गाली देते-देते पूरे पिछड़े समुदाय को चोर बता दिया है.’ जिसके बाद तेजस्वी ने ये ट्वीट कर मोदी पर अगड़े-पिछड़े समुदाय के नाम राजनीति करने के संबध में तंज कसा है.
जयपुर ग्रामीण सीट पर जातिगत समीकरणों में उलझे राठौड़-पूनिया
लोकसभा चुनाव में राजस्थान की हॉट सीट में शुमार जयपुर ग्रामीण सीट से देश के दो दिग्गज खिलाड़ी राजनीति के मैदान में आमने-सामने हैं. बीजेपी ने यहां वर्तमान सांसद और केंद्रीय राज्य मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को फिर से मैदान में उतारा है तो वहीं कांग्रेस ने चूरू के सादुलपुर से विधायक कृष्णा पूनिया पर भरोसा जताया है. जयपुर ग्रामीण लोकसभा क्षेत्र में कोटपूतली, बानसूर, विराटनगर, शाहपुरा, जमवारामगढ़, झोटवाड़ा, आमेर और फुलेरा विधानसभा क्षेत्र हैं.
यहां जातीय समीकरण चुनाव के नतीजों पर भारी रहते हैं. ऐसे में राठौड़ के लिए यहां फिर से कमल खिलाना आसान नहीं लग रहा है. जातीय गणित पर गौर करें तो जयपुर ग्रामीण सीट आमतौर पर जाट बाहुल्य मानी जाती है. यहां की जनसंख्या करीब 12 लाख के करीब है. यहां साढ़े 4 लाख जाट, 1 लाख 60 हजार गुर्जर, 1 लाख 50 हजार यादव, एक लाख मुस्लिम वोटर हैं. वहीं तीन लाख से अधिक एसटी-एससी मतदाता मौजूद हैं. जाट बाहुल्य सीट होने से यहां जाटों का प्रतिनिधित्व भी ज्यादा महत्व रखता है.
साल 2009 में परिसीमन के बाद बनी जयपुर ग्रामीण सीट से कांग्रेस प्रत्याशी लालचंद कटारिया से बीजेपी के राव राजेन्द्र सिंह का मुकाबला हुआ था जिसमे कटारिया ने लगभग 51 हजार मतों से जीत हासिल की थी और केंद्र में मंत्री बनाए गए थे. 2014 में हुए लोकसभा के चुनांव में मोदी लहर के चलते लालचंद कटारिया चुनावी मैदान में नहीं उतरे. उनकी जगह कांग्रेस ने पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. सीपी जोशी को उतारा, जिन्हें भाजपा के प्रत्याशी राज्यवर्द्धन सिह राठौड़ से करीब सवा तीन लाख वोटों से करारी हार मिली. इस जीत ने राजनीति में नए नवेले राठौड़ को सीधे दिल्ली का टिकट दे दिया और केंद्र मंत्री की सीट भी संभला दी.
जातिगत समीकरणों का सीधा-सीधाअसर विधानसभा सीटों पर भी देखा जा सकता है. हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव के परिणाम पर एक नजर डाले तो वर्तमान में शाहपुरा से निर्दलीय आलोक बेनीवाल, आमेर से सतीश पूनिया और झोटवाड़ा से लालचन्द कटारिया सहित तीन जाट विधायक हैं. कांग्रेस से दो गुर्जर विधायक इंद्र राज गुर्जर, शकुंतला रावत और एक यादव विधायक है. अगर बात करें 2013 के विधानसभा चुनावों की तो कांग्रेस के टिकट पर कोटपूतली से राजेन्द्र यादव और बानसूर से शकुंतला रावत विजयी होकर विधानसभा पहुंचे जबकि शाहपुरा से राव राजेन्द्र, विराटनगर से फूलचंद भिंडा, जमवारामगढ़ से जगदीश नारायण मीणा, फुलेरा से निर्मल कुमावत, झोटवाड़ा से राजपाल सिंह बीजेपी खेमे से जीते. आमेर से किरोड़ी लाल मीणा की पार्टी से नवीन पिलानिया विजयी रहे थे.
अब बात करें वर्तमान लोकसभा चुनावों की तो पहली बार चुनाव लड़कर केंद्र सरकार में पहुंचे राज्यवर्धन सिंह के लगातार बढ़ रहे कद और पॉपुलर्टी को देखते हुए कांग्रेस ने जातिगत रणनीति के साथ मैडल खेल खेलना ही उचित समझा. इसलिए सोची समझी रणनीति के तहत जाट नेता और ओलंपिक मैडल विजेता कृष्णा पूनिया को इस सीट से उतारा. इसके बाद मुकाबला जितना लग रहा था, राठौड़ के लिए उससे कहीं ज्यादा मुश्किल हो गया है. विधानसभा चुनावों में विराटनगर सीट पर दूसरे व तीसरे नम्बर रहे कुलदीप धनकड़ और फूलचंद भिंडा जाट समाज से आते हैं. ऐसे में पूनिया का पलड़ा और भारी होते नजर आ रहा है.
स्थानीय राजनीतिक जानकारों का तो यहां तक मानना है कि गुर्जर नेता होने के कारण अगर खुद सचिन पायलट इस सीट पर आकर कृष्ण पूनिया का समर्थन करते हैं तो गुर्जर वोट बैंक भी पूनिया को मिल जाएगा और जीत निश्चित होती नजर आएगी. ग्रामीण क्षेत्र की इस सीट पर पेयजल की समस्या को देखते हुए वैसे भी इस क्षेत्र की जनता राठौड़ से थोड़ी नाराज है जिसका फायदा भी पूनिया को मिल सकता है. इन सबसे अलावा, कृष्णा पूनिया को एक महिला और स्थानीय होने का फायदा मिलेगा, इसमें तो कोई संशय नहीं होना चाहिए. क्षेत्र में सांसद कोष की पूरी राशि का इस्तेमाल न किए जाने की खबरों से भी राठौड़ को थोड़ी परेशानी हुई है. यही वजह है कि राज्यवर्धन ने अपने चुनावी प्रचार की शुरूआत कोटपुतली और विराटनगर से की है ताकि जनता का रूख जान सकें.
इन सब बातों को देखते हुए अब बीजेपी के पास दलित वोट बैंक हथियाने के अलावा कोई रास्ता शेष नहीं बचा है लेकिन यह आसान काम नहीं है. खैर, जो भी हो परिणाम अगले महीने में सामने आ ही जाएगा. उससे पहले तो चुनावी प्रचार और शक्ति प्रदर्शन के जरिए ही परिणाम सोचना जाना ठीक है. लेकिन फिर भी पिछले लोकसभा चुनावों में आशा के विपरित राठौड़ के सामने सीपी जोशी का जो हश्र हुआ था, उसे देखते हुए पूनिया के आने के बाद कांग्रेसी कार्यकर्ताओं में एक जोश का संचय तो हुआ ही है.
पत्नी के प्रचार पर घिरे शत्रुघ्न सिन्हा, कांग्रेस प्रत्याशी ने जताया एतराज
अक्सर पार्टी विरोधी बयान देने के बाद बीजेपी छोड़ कांग्रेस का हाथ थामने वाले शुत्रुघ्न सिन्हा अब फिर पार्टी की खिलाफत पर उतर आए हैं. दरअसल, यूपी की लखनऊ लोकसभा सीट पर सपा-बसपा-रालोद गठबंधन के प्रत्याशी के रूप में सिन्हा की पत्नी पूनम सिन्हा चुनाव मैदान में हैं और गुरूवार को नामाकंन के दौरान शत्रुघ्न अपनी पत्नी के साथ दिखे और तो और उन्होंने पूनम सिन्हा के रोड़ शो में भी शामिल होकर वोट मांगे. इस पर लखनऊ कांग्रेस प्रत्याशी प्रमोद कृष्णम भड़क गए और शत्रुघ्न सिन्हा को पार्टी धर्म निभाने की सलाह दे डाली.
पार्टी धर्म निभाएं सिन्हा – कृष्णम
बीजेपी को अलविदा कह कांग्रेस में शामिल हुए शत्रुघ्न सिन्हा को अभी कुछ ही दिन हुए होंगे लेकिन पार्टी नियमों को दरकिनार करने को लेकर उनके खिलाफ कांग्रेसी नेताओं की नाराजगी सामने आने लगी है. गुरूवार को शत्रुघ्न सिन्हा का उनकी पत्नी व गठबंधन प्रत्याशी पूनम सिन्हा के नामांकन व रोड़ शो में जाना कांग्रेसी प्रत्याशी को नागवार गुजरा. कांग्रेसी उम्मीदवार आचार्य प्रमोद कृष्णम इस पर भड़क गए और उन्होंने कहा कि, “शत्रुघ्न सिन्हा अपनी पत्नी के प्रचार के लिए लखनऊ आए हैं, मेरा उनसे यही कहना है कि वे पार्टी धर्म निभाएं.”
हाल ही में छोड़ी थी बीजेपी
गौरतलब है कि, कभी बीजेपी के स्टार प्रचारक रहे शत्रुघ्न सिन्हा ने हाल ही में पार्टी को अलविदा कह कांग्रेस में शामिल हुए हैं. जिसकी बड़ी वजह शीर्ष बीजेपी से उनकी नाराजगी बताई जा रही है. कांग्रेस में आने के बाद उन्हें बिहार की पटना साहिब संसदीय सीट से प्रत्याशी बनाया गया है. जबकि उनकी पत्नी पूनम सिन्हा को भी हाल ही में यूपी गठबंधन के हिस्से सपा ने लखनऊ सीट से गृह मंत्री राजनाथ सिंह के सामने उम्मीदवार बनाया है. तो वहीं कांग्रेस ने लखनऊ सीट से आचार्य प्रमोद कृष्णम को टिकट दे चुनावी मैदान में उतारा है.
लखनऊ सीट की स्थिति
साल 1991 से लगातार बीजेपी के कब्जे में रही लखनऊ संसदीय सीट पार्टी का गढ़ मानी जाती है. जो अब राजनीति का बड़ा अखाड़ा बन गई है. आलम ये है कि सपा व बसपा आज तक यहां अपना खाता भी नहीं खोल पाई हैं. लेकिन इस बार कांग्रेस और यूपी गठबंधन ने अपने-अपने घोड़े दौड़ा दिये हैं और गृह मंत्री राजनाथ सिंह की घेराबंदी करने में कोई कसर नहीं छोड़ने में लगे हैं. कांग्रेस ने आचार्य प्रमोद कृष्णम पर, तो यूपी गठबंधन की हिस्सा सपा ने हाल ही में बीजेपी त्याग कांग्रेस में शामिल शत्रुघ्न सिन्हा की पत्नी पूनम सिन्हा पर दांव खेला है. गौर करने लायक बात ये है कि तीनों बड़े दल के प्रत्याशी लखनऊ क्षेत्र से बाहर के हैं.
दिग्विजय सिंह के सामने कितनी बड़ी चुनौती साबित होंगी साध्वी प्रज्ञा?
बीते बुधवार को बीजेपी ने 22वीं लोकसभा प्रत्याशी सूची में चार उम्मीदवारों की घोषणा की. इनमें सबसे चकित करने वाला नाम भोपाल से साध्वी प्रज्ञा ठाकुर था. साध्वी प्रज्ञा ने कल ही बीजेपी की सदस्यता ग्रहण की थी और भोपाल से चुनाव लड़ने की इच्छा जताई थी. बीजेपी ने यहां हिंदुत्व कार्ड खेला है.जिसके बाद अब साध्वी का मुकाबला दिग्गज कांग्रेसी दिग्विजय सिंह से होगा. भोपाल संसदीय सीट बीजेपी का गढ़ मानी जाती है. पिछले 3 दशक से बीजेपी का इस सीट पर एक क्षत्र राज है. उससे पहले ये सीट कांग्रेस के लिए मुफीद मानी जाती थी. लेकिन साल 1984 के बाद कांग्रेस कभी यहां विजयी पताका नहीं पहरा पायी है.
लंबे समय से बीजेपी के दबदबे वाली भोपाल लोकसभा सीट पर इस बार कांग्रेस ने मजबूत उम्मीदवार को मैदान में उतारा है. यहां से दिग्गज कांग्रेसी व पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को कांग्रेस ने प्रत्याशी बनाया है. इसके बाद से ही बीजेपी दमदार कांग्रेस प्रत्याशी दिग्विजय के खिलाफ किसी मजबूत चेहरे की तलाश में थी. बीजेपी की तलाश साध्वी प्रज्ञा ठाकुर पर आकर रूकी. बीजेपी ने साध्वी प्रज्ञा को टिकट देकर देश में हिंदुत्व के मुद्दे को हवा दी है. वहीं, पीएम मोदी अक्सर चुनावी रैली में बीजेपी पर हिंदु आतंकवाद के आरोप को लेकर कांग्रेस को घेरते आए हैं.
साध्वी प्रज्ञा ने क्यों चुना भोपाल?
साध्वी प्रज्ञा ठाकुर देश की राजनीति में तो नया चेहरा है लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी दिग्विजय सिंह से उनकी अदावत पुरानी है. बता दें कि, साध्वी प्रज्ञा पर साल 2008 के मालेगांव धमाकों में शामिल होने के आरोप है. वो इस मामले मे 10 साल जेल में भी रहकर आई है. प्रज्ञा आरोप लगाती हैं कि हिंदुओं को बदनाम करने के लिए कांग्रेस ने उनको इस मामले में फंसाया और दिग्विजय सिंह ने इसमें अहम भूमिका निभाई थी. दिग्विजय पर प्रज्ञा यह भी आरोप लगाती हैं कि उनके कारण उनकी जिंदगी बर्बाद हुई है. NIA ने दिग्विजय के इशारे पर ही उन्हें कड़ी यातनाएं दी थी.
दिग्विजय ने किया प्रज्ञा का स्वागत
वहीं, बीजेपी द्वारा साध्वी प्रज्ञा का भोपाल से लोकसभा प्रत्याशी के रूप में नाम घोषित करने के बाद दिग्विजय सिंह ने ट्विट जारी कर उनकी उम्मीदवारी का स्वागत किया. दिग्विजय ने ट्विट में कहा कि, “मैं साध्वी प्रज्ञा जी का भोपाल में स्वागत करता हूँ. आशा करता हूँ कि इस रमणीय शहर का शांत, शिक्षित और सभ्य वातावरण आपको पसंद आएगा. मैं माँ नर्मदा से साध्वी जी के लिए प्रार्थना करता हूँ और नर्मदा जी से आशीर्वाद माँगता हूँ कि हम सब सत्य, अहिंसा और धर्म की राह पर चल सकें. नर्मदे हर !
मैं साध्वी प्रज्ञा जी का भोपाल में स्वागत करता हूँ। आशा करता हूँ कि इस रमणीय शहर का शांत, शिक्षित और सभ्य वातावरण आपको पसंद आएगा।
मैं माँ नर्मदा से साध्वी जी के लिए प्रार्थना करता हूँ और नर्मदा जी से आशीर्वाद माँगता हूँ कि हम सब सत्य, अहिंसा और धर्म की राह पर चल सकें।
नर्मदे हर! pic.twitter.com/LYAbpTObgY— digvijaya singh (@digvijaya_28) April 17, 2019
भोपाल संसदीय सीट की स्थिति
भोपाल लोकसभा क्षेत्र में प्रदेश की आठ विधानसभा सीटें आती हैं, जिनमें भोपाल उत्तर, भोपाल दक्षिण पश्चिम, भोपाल मध्य, गोविंदपुरा, सिहोर, हुजूर और बैरासिया शामिल है. हाल ही हुए विधानसभा चुनाव में यहां की 5 सीटों पर बीजेपी का कब्जा है. वहीं, 3 सीट कांग्रेस के पास है. बता दें कि, भोपाल संसदीय सीट पर बीजेपी का कब्जा पिछले तीन दशक से है. वर्तमान में इस सीट से बीजेपी के आलोक संजर सांसद है. उन्होंने कांग्रेस के पीसी शर्मा को हराया था. इस सीट पर कांग्रेस के आखिरी सासंद केएन प्रधान थे. गौरतलब है कि, देश के राष्ट्रपति शंकरदयाल शर्मा ने भी इस सीट का प्रतिनिधित्व किया है. वो दो बार 1971 और 1980 में सांसद चुने गए थे. वहीं, बीजेपी नेता उमा भारती भी यहां से सन 1999 में सांसद बनी थी.
‘मोदी’ ने राहुल गांधी के खिलाफ दर्ज कराया मानहानि का मुकदमा
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी प्रधानमंत्री मोदी पर किए गए तंज और बयानबाजी के चलते बड़ी परेशानी में फंसते दिख रहे हैं. बिहार में बीजेपी ने वरिष्ठ नेता और उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने राहुल गांधी के खिलाफ हाईकोर्ट में मानहानि का केस दर्ज कराया है. दरअसल, राहुल गांधी ने महाराष्ट्र के नांदेड़ में एक चुनावी जनसभा में कहा था, ‘मुझे एक बात बताएं…. नीरव मोदी, ललित मोदी, नरेन्द्र मोदी… सभी के नाम में मोदी कैसे है? कैसे सभी चोरों के नाम में मोदी है?’
इससे पहले उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में रहने वाले जगदीप कुमार मोदी भी स्थानीय न्यायालय में कांग्रेस अध्यक्ष के खिलाफ मानहानि की शिकायत दर्ज करा चुके हैं. अपनी शिकायत पर जगदीप ने कहा कि राहुल की टिप्पणी से उन्हें और उनके परिवार की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची है क्योंकि कई लोगों ने उनका मजाक उड़ाया. जगदीप ने कहा कि राहुल गांधी ने मोदी सरनेम वालों को बदनाम करने की मंशा से बयान दिया, जबकि वे जानते हैं कि यह सही नहीं है.
Criminal Complaint for defamation filed against Rahul Gandhi by Sri Sushil Kumar Modi pic.twitter.com/Yt6jJGsesU
— Chowkidar Sushil Kumar Modi (@SushilModi) April 18, 2019
बता दें, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी राहुल गांधी के ‘सारे मोदी चोर है’ वाले बयान को लेकर राहुल पर हमला बोल चुके हैं. पीएम मोदी ने गांधी की आलोचना करते हुए कहा, ‘नामदार ने पहले ‘चौकीदार चोर है’ कहा था. अब वे एक पिछड़े समुदाय (मोदी समुदाय) की छवि खराब करने की कोशिश कर रहे हैं. कांग्रेस पिछड़े समुदाय की मेरी पृष्ठभूमि को लेकर कई वर्षों से मेरा अपमान करती आई है’
उन्होंने आगे कहा, ‘पिछड़े समुदाय से होने के कारण मैं इस पीड़ा का आदी हो गया हूं. अब वे मुझे बदनाम करते हुए पूरे समुदाय की छवि खराब कर रहे हैं. यदि आप पूरे समुदाय को अपमानित करने की कोशिश करते हैं तो मैं यह नहीं सहूंगा. मुझे चोर कह कर पूरे पिछड़े समुदाय को यह तमगा क्यों दिया जाए.’
बीजेपी प्रवक्ता जीवीएल नरसिम्हा राव पर प्रेस कॉन्फ्रेंस में फेंका जूता
दिल्ली में बीजेपी की प्रेस कॉन्फ्रेंस में पार्टी प्रवक्ता पर जूता फेंकने का मामला सामने आया है. मीडिया को संबोधित कर रहे बीजेपी प्रवक्ता जीवीएल नरसिम्हा राव पर एक शख्स ने जूता दे मारा. गनीमत रही कि जूता उनके कंधे को छूकर निलक गया. जूता फेंकने वाले व्यक्ति को बीजेपी कार्यकर्ताओं ने तुरंत दबोच लिया. इसके बाद उसे पुलिस को सौंप दिया.
#WATCH Delhi: Shoe hurled at BJP MP GVL Narasimha Rao during a press conference at BJP HQs .More details awaited pic.twitter.com/7WKBWbGL3r
— ANI (@ANI) April 18, 2019
पुलिस पूछताछ में सामने आया है कि जूता फेंकने वाले शख्स का नाम डॉ. शक्ति भार्गव है और वो उत्तर प्रदेश के कानपुर का निवासी है. प्रेस कांफ्रेंस शुरू होने के बाद जैसे ही बीजेपी प्रवक्ता जीवीएल नरसिम्हा राव ने बोलना शुरू किया इस शख्स ने जूता निकालकर उनकी ओर फेंक दिया. जूता सीधा जीवीएल राव के मुंह की तरफ फेंका गया, लेकिन वे बाल-बाल बच गए और जूता उनके दाहिने कंधे को छूते हुए नीचे गिर गया.
आज होंगे दिग्गजों के नामांकन, अखिलेश-मेनका-पूनम दाखिल करेंगे पर्चा
आज लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण के लिए मतदान हो रहे हैं. इसी बीच दिग्गजों का नामांकन दाखिल करने का सिलसिला बदस्तूर जारी है. उत्तर प्रदेश की राजनीति में तीन बड़े दिग्गज आज नामांकन करा रहे हैं. इस सूची में सपा चीफ अखिलेश यादव, मेनका गांधी और हाल ही में कांग्रेस में शामिल हुए शत्रुध्न सिन्हा के पत्नी पूनम सिन्हा के नाम शामिल हैं. पूनम ने सपा प्रत्याशी के तौर पर लखनऊ से नामांकन दाखिल किया है. उनके सामने बीजेपी के राजनाथ सिंह हैं. पूनम सिन्हा ने हाल ही में सपा ज्वॉइन की है.
वहीं मेनका गांधी पर चुनाव आयोग की ओर से लगाई गई 48 घंटे रोक की अवधि पूरी हो गई है. इसके बाद उन्होंने पूजा अर्चना करके अपने रोड शो की शुरुआत की. इसके बाद वे अपना नामांकन दाखिल करेंगी. मेनका गांधी यूपी की सुलतानपुर से बीजेपी प्रत्याशी हैं. बात करें समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव की तो वह आजमगढ़ लोकसभा सीट से नामांकन दाखिल कर रहे हैं. इसके बाद वह एक जनसभा को संबोधित करेंगे. अखिलेश के पिता मुलायम यादव पहले ही मैनपुरी सीट से पर्चा दाखिल कर चुके हैं.
राजस्थान की बात करें तो यहां बीकानेर से बीजेपी प्रत्याशी अर्जुनराम मेघवाल, दौसा से बीजेपी की जसकौर मीणा और चूरू से कांग्रेस उम्मीदवार रफीक मंडेलिया नामांकन दाखिल करने पहुंचे हैं. अर्जुनराम मेघवाल के सामने कांग्रेस के मदन गोपाल मेघवाल चुनौती पेश करेंगे. बीजेपी की जसकौर मीणा के सामने कांग्रेस की सविता मीणा हैं जबकि कांग्रेस के रफीक मंडेलिया को बीजेपी के राहुल कस्वां चुनौती दे रहे हैं. श्रीगंगानगर से बीजेपी के निहाल चंद चौहान ने भी आज अपना नामांकन दाखिल करा दिया है. उनके सामने कांग्रेस के भारतराम मेघवाल चुनावी मैदान में हैं.
पश्चिम बंगाल में वोटिंग के दौरान हिंसा, सांसद के काफिले पर पथराव
आज लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण के लिए देशभर में मतदान हो रहा है. इसी बीच पं.बंगाल के रायगंज में वोटिंग के दौरान झड़प और हिंसा की खबर आ रही है. यहां एक बीजेपी उम्मीदवार ने दावा किया कि टीएमसी समर्थक यहां बूथ कैप्चरिंग की कोशिश कर रहे हैं. वह मुस्लिमों के बीच कैंपेन कर रहे हैं जबकि वोटिंग के दौरान यह नहीं होना चाहिए. इसके बाद बीजेपी-टीएमसी कार्यकर्ताओं में झड़प हो गई. इसके बाद पुलिस ने लाठीचार्ज कर भीड़ को तितर-बितर किया.
वहीं रायगंज से सीपीएम सांसद मोहम्मद सलीम की गाड़ी पर इस्लामपुर में हमला और पत्थरबाजी की गई है. हालांकि किसी को चोट नहीं लगी है. उधर दार्जिलिंग में क्रूड बम बरामद होने की सूचना मिली जिसके बाद सुरक्षा दस्ता मौके पर पहुंचकर मामले की जांच कर रहा है. इधर, उत्तर प्रदेश की अमरोहा लोकसभा सीट पर बसपा के उम्मीदवार दानिश अली ने आरोप लगाया है कि बीजेपी के कार्यकर्ता बुर्का पहनकर फर्जी वोट डाल रहे हैं.
दानिश अली ने कहा कि बीजेपी हर बार ऐसा ही करती है, लेकिन इस बार उनकी नहीं चलेगी. वहीं अमरोहा सीट पर बीजेपी के मौजूदा सांसद कंवर सिंह तंवर ने भी यही आरोप लगाते हुए कहा कि बुर्का पहनकर फर्जी वोटिंग की जा रही है, जिसको लेकर हमने डीएम से शिकायत की है. खबर है कि यहां से एक व्यक्ति को बुर्के में वोटिंग करते हुए पुलिस ने पकड़ा है.
बता दें, देश के 12 राज्यों और एक केन्द्र शासित प्रदेश की 97 सीटों पर 17वीं लोकसभा के लिए दूसरे चरण का मतदान हो रहा है. इस दौरान तमिलनाडु की 39, कर्नाटक की 14, महाराष्ट्र की 10, यूपी की आठ, बिहार और ओडिशा की पांच-पांच, छतीसगढ़ की तीन, जम्मू-कश्मीर की दो और मणिपुर, त्रिपुरा और पुडुचेरी की एक-एक सीट पर वोट डाले जा रहे हैं. वोटिंग सुबह 8 बजे से शाम 6 बजे तक होगी.
इससे पहले 11 अप्रैल को हुए पहले चरण में 18 राज्यों एवं दो केंद्र शासित प्रदेशों की 91 लोकसभा सीटों पर मतदान हुआ था और 68 फीसदी वोटिंग हुई थी. देश में सबसे बड़े लोकतंत्र पर्व लोकसभा चुनाव कुल 7 चरणों में संपन्न होंगे. आखिरी चरण की वोटिंग 19 मई होगी. चुनावी परिणाम 23 मई को घोषित किए जाएंगे.