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शिवराज को कांग्रेस ने थमाई 21 लाख किसानों की सूची, कहा- इनको मिली कर्जमाफी

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एमपी के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के आवास पर मंगलवार को एक अनोखा वाकया देखने को मिला. दरअसल, यहां मौजुदा कांग्रेस सरकार पर बीजेपी लगातार ‘जय जवान जय किसान ऋण माफी’ योजना के तहत किसानों को धोखा देने का आरोप लगा रही थी. इस पर आज कांग्रेस नेता जीपों में लादकर 21 लाख किसानों की जिलेवार सूचियां लेकर शिवराज सिंह के आवास पहुंचे. कांग्रेस का कहना है कि इन 21 लाख किसानों को कमलनाथ सरकार की ओर से कर्जमाफी दी गई है. वरिष्ठ कांग्रेसी नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी के नेतृत्व में पूर्व सीएम के आवास पहुंचे दल ने सूचियों के बंडल के अलावा इनके ब्यौरा लॉडेड पेन ड्राईव भी सौंपे.

भोपाल स्थित पूर्व मध्यप्रदेश सीएम शिवराज सिंह के घर कांग्रेस एमपी सरकार द्वारा ऋण माफ किए गए किसानों की सूचियों के बंडल लेकर पहुंची. कांग्रेस नेता सुरेश पचौरी के नेतृत्व में पहुंचे कार्यकर्ताओं ने दावा किया कि इन 21 लाख किसानों को एमपी सरकार द्वारा 2 लाख रुपये की कर्जमाफी प्रदान की गई है. कांग्रेस किसानों की सूची के बंडल खुली जीपों में लेकर यहां पहुंची थी. जिले वार बनाई गई किसानों की सूची का ब्यौरा पेन ड्राईव में भी शिवराज सिंह को दिया गया है. मध्यप्रदेश में कर्ज माफी को लेकर पिछले काफी समय से चल रही बयानबाजी के बीच कांग्रेस ने यह कदम उठाया है.

शिवराज सिंह के आवास पहुंचे कांग्रेस कार्यकर्ताओं का नेतृत्व कर रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री पचौरी ने बताया कि प्रदेश में सरकार बनाने से पूर्व कांग्रेस ने अपने वचन पत्र में किसानों को दो लाख रुपये तक के कर्जे माफ करने का ऐलान किया था. इसे गंभीरता से लेते हुए कमलनाथ सरकार गठन के तुरंत बाद से ही किसानों को ऋण माफी की प्रक्रिया शुरू कर दी गई और अब तक 21 लाख किसानों को ‘जय जवान जय किसान ऋण माफी’ योजना के तहत 2 लाख तक के कर्ज से मुक्ति मिल गई है. इन सभी किसानों की सूची मय पेन ड्राईव में ब्यौरे के साथ पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को सौंप दी गई है.

साथ ही कांग्रेस का दावा है कि मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार की ओर से ‘जय जवान जय किसान ऋण माफी’ योजना के तहत 55 लाख किसानों का कर्ज माफ किया जाएगा. लोकसभा चुनाव के चलते आचार संहिता लगने से पूर्व तक सरकार ने 21 लाख किसानों के कर्ज माफ कर दिए हैं. लाभार्थी किसानों को ऋण माफी के प्रमाण पत्र भी दिए जा चुके हैं. कांग्रेस का कहना है कि चुनाव समापन के बाद आचार संहिता के हटते ही बाकी किसानों को भी इस योजना से जोड़कर लाभ दिया जाएगा. वहीं कांग्रेस ने बीजेपी को किसानों का झूठा हिमायती बताया और कहा कि बीजेपी झूठ परोस कर किसानों को गुमराह करने में लगी है.

पांच चरण के मतदान के बाद देश में गठबंधन सरकार के आसार

लोकसभा चुनाव 2019 के पांच चरणों का मतदान समाप्त हो गया है. अब सियासी दलों के साथ आमजन भी इस गुणा भाग में जुट गए हैं किस पार्टी को कितनी सीटें मिल सकती है. पॉलिट़ॉक्स न्यूूज़ ने भी वोटिंग ट्रेंड, जानकारों और विभिन्न राज्यों के संभावित परिणाम के आधार पर तह में जाकर संभावित जनादेेश तक पहुंचने की कोशिश की है. इसमें जो बात निकलकर आई है, वो यह है कि इस बार शायद ही किसी सियासी दल को पूर्ण बहुमत मिले. सबके जेहन में बस अब एक ही सवाल है कि अब तक 424 सीटों पर हुआ मतदान क्या कहता है और शेष बची 118 सीटों पर क्या होने वाला है.

एक-दो राज्यों को छोड़कर इस बार मतदान में कोई लहर नहीं दिखी. लहर अगर थी भी तो वह साइलेंंट चल रही होगी, लेकिन पिछली बार की तरह ओपन किसी को नजर नहीं आई. ऐसे में जानकार इसे अंडरकरंट मान रहे हैं. आपको बता दें कि बिना लहर वाले मतदान में वोटर्स सुुस्त रहते हैं. वह वोट इसलिए डालने में रुचि नहीं दिखाता कि उसे वोट देने का कारण नहीं दिखता. लहर वाले मतदान में वोटर्स बेहद एक्टिव रहते हैं और बदलाव की जबरदस्त इच्छा उसकी मंशा होती है.

नहीं दिख रही लहर
इस बार मतदान प्रतिशत के आधार पर लहर गायब होने या लहर रहित चुनाव जैसे फैक्टर का आकलन करना जल्दीबाजी हो सकता है. यानि न तो इस चुनाव में मोदी लहर दिख रही है और न ही मोदी विरोधी लहर दिखती है. 2014 और 2019 के तीन-चार चरणों के हुए मतदान प्रतिशत का आकलन करेंगे तो कईं चीजें निकलकर सामने आएगी. इस बार फर्स्ट फेज में कुल 69.50 फीसदी मतदान हुआ जो 2014 की तुलना में महज 1.5 फीसदी ज्यादा था. दूसरे चरण में बराबर 69.44 वोट पड़े. तीसरे चरण में 2014 की तुलना में 1.8 फीसदी प्रतिशत बढ़कर 68.40 फीसदी वोट पड़े. पांचवें फेज़ में 62.22 फीसदी मतदान हुआ है.

भारत के लोकसभा चुनाव में 1977 में बदलाव की लहर के साथ पहले की तुलना में 5 फीसदी अधिक मतदान हुआ. 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या की सहानुभूति लहर और 2014 में मोदी लहर के चलते पहले की तुलना में 8 फीसदी ज्यादा वोटिंग हुई. अब तक के चरण में उन राज्यों में अच्छा मतदान हुआ है जहां क्षेत्रीय दल प्रभावी हैं. बीजेपी का वोटर मुखर होकर मतदान करता है जबकि क्षेत्रीय दलों के समर्थक कम मुखर होते हुए भी अपने दल के लिए वोटिंग करते हैं.

दो चरणों में क्या होगा?
चुनाव अभी भी खुला हुआ है जहां अभी मतदान बाकी है, वहां कुछ भी हो सकता है. स्थानीय मुद्दे और स्थानीय नेताओं की पकड़ चुनाव को मोड़ सकती है. बीजेपी शासित राज्यों में इस बार मोदी 100 में से 100 नंबर नहीं ला पाएंगे क्योंकि इन सीटों पर क्षेत्रीय दलों का आधार बेहद मजबूत है. लिहाजा बीजेपी को इस नुकसान का अनुमान हो चुका है और पार्टी इसकी भरपाई बंगाल, उड़ीसा और नॉर्थ ईस्ट राज्यों से पूरा करने में जुट गई है.

बन रहे तीन समीकरण
• पहला समीकरण या आकलन यह मान लिया जाए कि बीजेपी इस चुनाव में 225 से 240 के बीच सीटें जीतेगी. बहुमत के लिए बची सीटों की भरपाई एनडीए के सहयोगी घटक दल करेंगे. अगर ऐसा होता है तो नरेंद्र मोदी की प्रधानमंत्री के तौर पर वापसी निश्चित है.
• दूसरा समीकरण यह बन रहा है कि अगर बीजेपी 180 से 200 सीटों के बीच अटक जाती है तो ऐसे हालात में सत्ता की चाबी अन्य क्षेत्रीय पार्टियों के पास होगी, जो नरेंद्र मोदी के अलावा कोई दूसरा लचीला प्रधानमंत्री बनाने की डिमांड करेंगे. सूत्रों के मुताबिक संघ ने भी बीजेपी की सिंगल 200 सीटें आने की खुफिया रिपोर्ट तैयार की है. संघ नेता राम माधव भी एक विदेशी मीडिया को दिए गए इंटरव्यू में सहयोगी दलों के भरोसे सरकार बनाने का संकेत भी दे चुके हैं. हालांकि अमित शाह एंड टीम को अभी भी 250 सीटें जीतने की उम्मीद है.
• तीसरा समीकरण यह है कि गैर एनडीए और गैर यूपीए दल 150 सीटें जीतें और इमरजेंसी के बाद हुए 1977 जैसी स्थिति बने. तब इंदिरा गांधी को हटाने के लिए सारे क्षेत्रीय नेता, जनता पार्टी के साथ हो गए थे. जब देश में कोई ताकतवर नेता राजनीति को अपनी शर्तों पर परिभाषित करने लगता है और बाकी नेताओं के कद बहुत छोटे हो जाते हैं, तब इस तरह की स्थितियां उत्पन्न होती हैं. इस मामले में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि काफी हद तक मिलती है. यदि इस चुनाव के बाद ऐसा होता है तो देश को गैर यूपीए-एनडीए वाली सरकार देखने को मिल सकती है.

इन तमाम बन रहे समीकरणों के मद्देनजर कांग्रेस और बीजेपी ने गैर यूपीए और एनडीए दलों से संपर्क साधना शुरु कर दिया हैै. टीआरएस, वाइएसआर और बीजद से दोनों दलों के नेता टच में हैं. बीजेपी मजबूरी में ही सही लेकिन टीडीपी और बसपा से संपर्क साध सकती है.

सुप्रीम कोर्ट का EVM-VVPAT पर विपक्ष को झटका, नायडू ने कहा- फिर करेंगे शिकायत

Floor Test in Maharashtra
Floor Test in Maharashtra

मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने लोकसभा चुनाव के बीच ईवीएम-वीवीपैट मामले में विपक्ष को करारा झटका देते हुए उनकी वह याचिका कर दी, जिसमें कोर्ट से मांग की गई थी कि वह निर्वाचन आयोग को आदेश दें कि चुनाव के बाद वीपीपैट मशीन की आधी पर्चियों का ईवीएम के आंकड़ों से मिलान करवाया जाए. कोर्ट ने यह कहते हुए कि बार-बार एक ही मामले पर सुनवाई क्यों की जाए याचिका को नकार दिया. सुनवाई के दौरान कोर्ट में विपक्ष के दिग्गज नेता चंद्रबाबू नायडू, डी. राजा, संजय सिंह और फारूक अब्दुल्ला उपस्थित रहे.

बता दें कि टीडीपी व कांग्रेस सहित विपक्ष के 21 राजनीतिक दलों ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी. जिस पर सुनवाई कर सुप्रीम कोर्ट ने लोकसभा चुनाव के दरमियान इन्हें करारा झटका दिया है. कोर्ट ने विपक्ष की वीवीपैट की 50 फीसदी पर्चियों का ईवीएम से मिलान करने की मांग को सिरे से खारिज कर दिया है. विपक्षी दल सुप्रीम कोर्ट से यह आदेश निर्वाचन आयोग को दिलवाने का कह रहे थे लेकिन याचिका को खारिज कर सीजेआई रंजन गोगोई ने कहा कि कोर्ट इस मामले को बार-बार क्यों सुने. साथ ही कोर्ट ने इस मामले में दखलअंदाजी से मना कर दिया है.

इसके बाद वरिष्ठ अधिवक्ता व कांग्रेसी नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा है कि चुनाव नतीजों में किसी प्रकार की गलती सामने आने की स्थिति में निर्वाचन आयोग ने कोई नियम जारी नहीं किए हैं. इसी को लेकर हम कोर्ट गए थे. वहीं आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू का कहना है कि जब निर्वाचन आयोग ने उनकी बात को अनसुना किया था तो उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. अब एक बार फिर से आयोग का रूख किया जाएगा. इसके अलावा नायडू ने कहा कि तीसरा व चौथा फ्रंट विपक्ष के साथ हैं और विपक्ष चुनाव के बाद अपना पीएम उम्मीदवार तय करेगा.

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने बीते महीने में ईवीएम-वीवीपैट मामले में एक फैसला दिया था जिसमें हर विधानसभा क्षेत्र के कम से कम पांच मतदान केंद्र पर ईवीएम के साथ वीपीपैट पर्चियों का मिलान करने को कहा था. जिस पर निर्वाचन आयोग ने आदेश की पालना में इस लोकसभा चुनाव में ईवीएम-वीवीपैट की पर्ची मिलान को पांच गुना बढ़ाया. साथ ही कोर्ट के आदेशानुसार हर निर्वाचन क्षेत्र में पांच वीवीपैट की पर्चियों का ईवीएम से मिलान किया जाना है लेकिन फिलहाल एक ही वीवीपैट का ईवीएम से मिलान होता है.

जिसमें निर्वाचन आयोग कुल 4125 ईवीएम और वीवीपैट मशीन के आंकड़ों का मिलान करता है लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद यह संख्या बढ़कर 20625 हो जाएंगी. अभी आयोग द्वारा वीवीपैट पर्ची मिलान के लिए हर एक विधानसभा क्षेत्र में से केवल एक ईवीएम लिया जाता है. कोर्ट के आदेश के बाद चुनाव आयोग को 20625 ईवीएम की वीवीपैट पर्चियां गिननी हैं, यानी प्रति विधानसभा क्षेत्र में पांच ईवीएम की जांच होगी. उधर 21 राजनीतिक दलों के नेताओं ने लगभग 6.75 लाख ईवीएम की वीवीपीएटी पेपर स्लिप के मिलान की मांग की थी.

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू (टीडीपी), शरद पवार (एनसीपी), फारूक अब्दुल्ला (एनसी), शरद यादव (एलजेडी), अरविंद केजरीवाल (आम आदमी पार्टी), अखिलेश यादव (सपा), डेरेक ओ’ब्रायन (टीएमसी) और एम. के. स्टालिन (डीएमके) की ओर से दायर की गई है. याचिका में उन्होंने अदालत से आग्रह किया था कि ईवीएम के 50 फीसदी नतीजों का आम चुनावों के परिणाम की घोषणा किए जाने से पहले वीवीपैट के साथ मिलान किया जाना चाहिए या दोबारा जांच की जानी चाहिए.

बिहार: होटल में ईवीएम मिलने के बाद बवाल, निर्वाचन अधिकारी को नोटिस

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बिहार के एक होटल में ईवीएम मिलने से हड़कंप मच गया है और मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है. सोमवार को मुजफ्फरपुर संसदीय क्षेत्र में वोटिंग के दौरान मतदान कर्मियों को एक स्थानीय होटल में दो ईवीएम होने की भनक लगी. जो सेक्टर मजिस्ट्रेट के संरक्षण में थी. इसके बाद गड़बड़ी की आशंका को देखते हुए मतदान केन्द्र पर उपस्थित लोगों द्वारा खासा हंगामा किया गया. बवाल बढ़ता गया और स्थानीय लोगों ने यहां जमा होना शुरू कर दिया.

होटल में मिली ये ईवीएम सेक्टर मजिस्ट्रेट अवधेश कुमार के आश्रय में थी. उनकी गाड़ी के ड्राईवर ने पास के मतदान केंद्र पर वोट डालने की बात कही तो अवधेश कुमार ने उस पोलिंग बूथ के पास के एक होटल में ईवीएम लेकर उतर गए. इसके बाद मतदान केंद्र पर कुछ लोगों को इस की भनक लग गई. साथ ही मतदान कर्मियों को भी जैसे ही यह सूचना मिली तो बवाल हो गया. सेक्टर मजिस्ट्रेट के पास दो ईवीएम मशीन की जानकारी के बाद उनको भी गड़बड़ी की आशंका हुई और उन्होंने भी हंगामा शुरू कर दिया.

मामला बढ़ता देख क्षेत्रीय एसडीओ कुंदन कुमार घटनास्थल पर पहुंचे और ईवीएम मशीनों को कब्जे में लिया. जिसके बाद मुजफ्फरपुर जिलाधिकारी आलोक रंजन घोष ने मामले की जांच कर कार्रवाई की बात कही है. वहीं शुरूआती कार्रवाई में सेक्टर मजिस्ट्रेट अवधेश कुमार को होटल में ईवीएम के पहुंचने पर जवाब मांगने व लापरवाही के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है. मामले में अवेधश कुमार ने अपनी सफाई में कहा कि उनकी टीम 4 ईवीएम मशीनों को बैकअप पर लेकर चल रही थी जिससे अगर किसी पोलिंग बूथ पर ईवीएम खराब हो जाती है तो उसे तत्काल बदला जा सके.

बता दें कि 6 मई को लोकसभा चुनाव के पांचवे चरण में बिहार की मुजफ्फरपुर संसदीय सीट समेत प्रदेश की पांच सीटों पर मतदान हुआ. मुजफ्फरपुर सीट पर 61.27 फीसदी मतदान दर्ज किया गया. वहीं इस चरण में सात राज्यों की कुल 51 लोकसभा सीटों पर वोट डाले गए. जिनमें कुल 674 उम्मीदवारों की किस्मत ईवीएम में कैद हो गई. पांचवें चरण में कुल 60.29 फीसदी वोट पड़े. अब 23 मई चुनावी नतीजे घोषित किए जाएंगे.

बीजेपी के अकेले की बस की बात नहीं है बहुमत हासिल करना: राम माधव

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह चाहें कितना भी खुद के दम पर केंद्र सरकार बनाने का दम भरें लेकिन बीजेपी के खुद के दिग्गज नेताओं को यह दूर की कोड़ी लगती है. बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव को भी यही लगता है. एक टीवी चैनल को दिए गए इंटरव्यू में पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव राम माधव ने कहा है कि बीजेपी अकेले दम पर बहुमत हासिल नहीं कर पाएगी. ऐसे में बीजेपी को नरेंद्र मोदी की अगुवाई में सरकार बनाने के लिए सहयोगियों की जरूरत पड़ सकती है. सत्ता वापसी की संभावनाओं पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि राजनेता के रूप में हमें ध्यान रखना चाहिए कि एंटी इनकंबेंसी की वजह से जो कामयाबी पिछली बार हमने हासिल की थी, जरूरी नहीं कि हम उसे दोहरा पाएं.

राम माधव का यह भी मानना है कि अगर देश के उत्तरी राज्यों में बीजेपी को कुछ नुकसान होता भी है तो पार्टी इसकी भरपाई पूर्वोत्तर और पूर्वी राज्यों यथा पश्चिम बंगाल और ओडिशा से कर लेगी. उन्होंने कहा, ‘पूर्वी भारत में हम लोगों ने अच्छे तरीके से अपना प्रसार किया था, यदि हम ऐसा ही प्रयास दक्षिण भारत में करते तो शायद हम ज्यादा आरामदायक स्थिति में होते. यदि हम अपने बूते 271 सीटें हासिल करते हैं तो हम बहुत खुश होंगे, अन्यथा एनडीए के घटक दलों के साथ मिल कर हम आराम से सरकार बना लेंगे.’

बता दें, राम माधव बीजेपी के कद्दावर नेता और वार्ताकार हैं और पार्टी में उनकी गिनती खास रणनीतिकारों में होती है. संघ की पृष्ठभूमि से आए राम माधव जम्मू-कश्मीर में पीडीपी के साथ बीजेपी की सरकार बनाने में अहम भूमिका निभा चुके हैं. पूर्वोत्तर में पार्टी का विस्तार करने में भी उनकी अहम भूमिका रही है.

याद दिला दें कि हाल ही में बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने भी इससे मिलती-जुलती बात कही थी. उन्होंने कहा ​था कि अगर बालाकोट में भारत ने एयर स्ट्राइक नहीं किया होता तो बीजेपी को बमुश्किल 160 सीटें मिल पाती. हालांकि इस बातचीत को बीजेपी अध्यक्ष ने उनका निजी आकलन बताया था.

राजस्थान में 62 साल बाद टूटा वोटिंग का रिकॉर्ड, 25 सीटों पर करीब 66 फीसदी मतदान

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राजस्थान में दूसरे चरण का मतदान समाप्त हो गया है. दूसरे चरण की 12 सीटों पर करीब 63.76 फीसदी मतदान हुआ. इन सीटों पर वोटिंग का 62 साल का रिकॉर्ड टूटते हुए पहली बार इतनी वोटिंग हुई है. सबसे ज्यादा मतदान बॉर्डर इलाके की सीट श्रीगंगानगर-हनुमानगढ़ में 74.18 फीसदी मतदान हुआ. सबसे कम करौली-धौलपुर में 54.78 प्रतिशत वोटिंग हुई. इन 12 सीटों पर 2014 मेंं 61.80 फीसदी वोटिंग हुई थी. ऐसे में पिछली बार की तुलना में दो फीसदी वोटिंग इन सीटों पर ज्यादा हुई. सुबह सात बजे से लेकर दोपहर तीन बजे तक मतदाताओं में मतदान को लेकर बेहद जोश देखा गया जिसकी बदौलत तीन बजे तक मतदान 50.60 फीसदी हो गया. हालांकि कईं जगह मतदान शुरू होते ही ईवीएम खराब हो गई जिससे दो दर्जन बूथों पर देरी से मतदान शुरु हुआ. सीकर सहित कुछ जगहों पर हल्की मारपीट के अलावा मतदान शांतिपूर्वक हुआ. खास बात रही कि फर्स्ट टाइमर वोटर्स और महिलाओं में मतदान को लेकर ज्यादा उत्साह देखा गया. मतदान के बाद बीजेपी और कांग्रेस अपने पक्ष में मतदान प्रतिशत बढते हुए जीत का दावा कर रहेे हैं.

सीट मतदान प्रतिशत
श्रीगंगानगर – 74.38
बीकानेर – 59.72
चूरु – 65.87
झुंझुनूं – 62.26
सीकर – 64.45
जयपुर ग्रामीण – 64.93
जयपुर शहर – 67.94
अलवर – 66.78
भरतपुर – 58.69
करौली – 55.01
दौसा – 61.31
नागौर – 62.13

राज्य में पहले चरण की 13 सीटों पर 29 अप्रैल को रिकॉर्ड 68.22 फीसदी वोटिंग हुई थी. यह 1952 से लेकर अब तक हुए 17 लोकसभा चुनाव में सबसे ज्यादा थी. पिछली बार राजस्थान में तमाम सीटों पर 63.02 फीसदी मतदान हुआ था. ऐसे में इस बार 3 फीसदी से ज्यादा वोटिंग हुई है.

लोकसभा चुनाव: 7 राज्यों की 51 सीटों पर हुआ 62.46 फीसदी मतदान

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देश में लोकसभा चुनाव के पांचवें चरण में सात राज्यों की 51 सीटों पर हुए मतदान में 62.46 फीसदी वोटिंग हुई. छुटपुट हिंसा को छोड़कर अधिकतर राज्यों में मतदान शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुआ. सबसे अधिक मतदान पश्चिमी बंगाल में हुआ है. यहां 74.42 फीसदी वोटिंग हुई है. जम्मू-कश्मीर में सबसे कम मतदान हुआ है. यहां केवल 17.07 फीसदी वोटिंग हुई है. इसके बावजूद पांचों चरणों में से इस बार सबसे अधिक मतदान हुआ है.

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सात में से 4 राज्यों में 60 फीसदी से अधिक वोटिंग दर्ज हुई है. मध्य प्रदेश मतदान के मामले में दूसरे नंबर पर रहा है. यहां 64.61 फीसदी और झारखंड में 64.60 फीसदी मतदान हुआ है. चौथे नंबर पर राजस्थान है जहां 63.69 फीसदी वोटिंग हुई है. बिहार में 57.76 फीसदी और उत्तर प्रदेश में 57.06 फीसदी मतदान दर्ज हुआ है.

राजस्थान में 12 सीटों पर मतदान संपन्न, 63.77 फीसदी वोटिंग हुई

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राजस्थान में लोकसभा चुनावों के दूसरे चरण के मतदान पर तीन दिन का लंबा अवकाश और भीषण गर्मी भारी पड़ गई. शाम 6 बजे तक ओवरआॅल मतदान 63.77 फीसदी दर्ज किया हुआ है. हालांकि पोलिंग बूथ पर प्रवेश कर चुके मतदाताओं की वोटिंग जारी है लेकिन इससे वोटिंग प्रतिशत में एक या दो फीसदी बढ़ोतरी की उम्मीद ही की जा सकती है. हालांकि वोटिंग की शुरूआत को देखते हुए यही कयास लगाए जा रहे थे कि अगर इसी स्पीड से वोटिंग हुई तो पहले चरण की 68 फीसदी मतदान के रिकॉर्ड को पार कर जाएगी लेकिन तेज गर्मी के चलते यह न हो सका.

12 सीटों पर हुए मतदान में प्रदेश की श्रीगंगानगर संसदीय सीट पर सबसे अधिक वोटिंग हुई है. यहां 73.51 फीसदी रिकॉर्ड मतदान हुआ है. दूसरे नंबर पर जयपुर शहर रहा है जहां 68 फीसदी मतदान हुआ है. यहां बीजेपी के रामचरण बोहरा और कांग्रेस की ज्योति खंडेलवाल के बीच मुकाबला है. चूरू, अलवर व सीकर क्रमश: तीसरे, चौथे व पांचवें नंबर पर रहे हैं. यहां क्रमश: 65.99 फीसदी, 65.93 फीसदी और 65.27 फीसदी वोटिंग हुई है.

राजस्थान में हुए इस चुनावी दंगल में सबसे कम मतदान करौली-धौलपुर में दर्ज हुआ है. यहां 53.73 फीसदी वोटिंग हुई है. लिस्ट में जयपुर ग्रामीण छठे नंबर पर है. यहां 63.04 फीसदी मतदान हुआ है. यहां मुकाबला दो ओ​लंपियन्स में है. बीजेपी की ओर से राज्यवर्धन सिंह राठौड़ और कांग्रेस की तरफ से कृष्णा पूनिया मैदान में हैं. दौसा सातवें नंबर पर है और नागौर आठवें नंबर पर है. यहां क्रमश: 60.97 फीसदी और 60.83 फीसदी मतदान हुआ है. झुंझुनूं नवें नंबर पर, बीकानेर 10वें और भरतपुर 11वें नंबर पर है. यहां क्रमश: 60.75 फीसदी, 59.85 फीसदी और 58.01 फीसदी वोटिंग हुई है.

प्रदेश की 12 सीटों पर इस तरह रहा मतदान का प्रतिशत

  • श्रीगंगानगर – 73.51 फीसदी
  • जयपुर शहर – 68.00 फीसदी
  • चूरू – 65.99 फीसदी
  • अलवर – 65.93 फीसदी
  • सीकर – 65.27 फीसदी
  • जयपुर ग्रामीण – 63.04 फीसदी
  • दौसा – 60.97 फीसदी
  • नागौर – 60.83 फीसदी
  • झुन्झूनूं – 60.75 फीसदी
  • बीकानेर – 59.85 फीसदी
  • भरतपुर – 58.01 फीसदी
  • करौली-धौलपुर – 53.73 फीसदी

CJI रंजन गोगोई को राहत, यौन उत्पीडन आरोप मामले में क्लीन चिट

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भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई को सुप्रीम कोर्ट ने यौन उत्पीड़न आरोप मामले राहत प्रदान की है. कोर्ट की तीन सदस्यीय इन हाउस कमेटी ने यौन उत्पीड़न के आरोप झेल रहे सीजेआई गोगोई को में क्लीन चिट दे दी है. कमेटी की ओर से कहा गया कि पूरे मामले की जांच के बाद यह निकल कर सामने आया है कि चीफ जस्टिस गोगोई पर लगाए गए आरोप बेबुनियाद है. साथ ही इन आरोपों में कमेटी को उनके खिलाफ कोई साक्ष्य ही नहीं मिले हैं.

इससे पहले चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने उनपर लगे आरोपों पर अपना पक्ष रखा था जिसमें उन्होंने इन आरोपों को सिरे से नकारते हुए इसे कोई बड़ी साजिश बताया था. उन्होंने कहा था कि कोई सीजेआई कार्यालय को निष्क्रिय करने की मंशा लिए बड़ी साजिश रच रहा है. इसके लिए कोई बड़ी ताकत काम कर रही है. इसके बाद से सुप्रीम कोर्ट की तीन न्यायाधीशों की कमेटी ने मामले की जांच करनी शुरू की. जिसमें जस्टिस गोगोई पहले ही अपना पक्ष रख चुके हैं.

सीजेआई गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीडन के आरोपों की जांच जस्टिस एसए बोबड़े की अध्यक्षता वाली तीन जजों की कमेटी ने की है. कमेटी ने जस्टिस गोगोई पर लगाए गए आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए उन्हें क्लीन चिट दे दी है. सुप्रीम कोर्ट की इस इन हाउस कमेटी में जस्टिस बोबड़े के अलावा दो अन्य सदस्य जस्टिस इंदु मल्होत्रा और जस्टिस इंदिरा बनर्जी भी शामिल हैं. इस कमेटी ने पूरे मामले पर जांच के बाद अपनी रिपोर्ट जमा कर दी है जो सीजेआई के अलावा वरिष्ठ न्यायाधीशों को भी दी गई है.

वहीं दूसरी ओर सीजेआई गोगोई पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली महिला ने सुप्रीम कोर्ट की इन हाउस कमेटी पर ही सवाल खड़े किए थे. जिसमें महिला कमेटी पर यौन उत्पीड़न अधिनियम के नियम-कायदों को ताक पर रखने का आरोप लगा चुकी है. जिसमें महिला ने कहा कि जांच कमेटी द्वारा उससे बार-बार यही पूछा जा रहा था कि उनसे यौन उत्पीड़न की शिकायत करने में कितना समय क्यों लगाया. इधर मामले पर सुप्रीम कोर्ट के वकील भी सवाल उठा रहे हैं. वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने कमेटी की रिपोर्ट को जनहित में सार्वजनिक करने की मांग करते हुए इसे घोटाला बताया है. इस पर उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल पर एक ट्विट पोस्ट किया है.

बता दें कि इससे पहले सीजेआई रंजन गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच के लिए गठित तीन जजों की आंतरिक जांच समिति पर आरोप लगाने वाली महिला ने सवाल उठाए थे. जिसके बाद जस्टिस एनवी रमण ने खुद को जांच समिति से अलग कर लिया था. दरअसल, आरोप लगाने वाली महिला कर्मचारी ने जस्ट‍िस एनवी रमण को जांच समिति में शामिल करने पर ऐतराज जताया था.
गौरतलब है सुप्रीम कोर्ट की एक पूर्व महिला कर्मचारी ने चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था. महिला कर्मचारी ने शपथ पत्र देकर सुप्रीम कोर्ट के सभी जजों को आरोप लगाने वाला यह पत्र भेजा था. पूरे मामले की सुनवाई के लिए इन हाउस कमेटी का गठन किया गया था. जिसके बाद कमेटी ने पूरे मामले की जांच कर अपनी रिपोर्ट सीजेआई सहित सुप्रीम कोर्ट के जजों को सौंप दी है. इसमें जस्टिस गोगोई पहले ही अपनी सफाई पेश कर चुके थे.

 

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