होम ब्लॉग पेज 3185

गहलोत, पायलट, राजे सहित अन्य नेताओं ने दी मदनलाल सैनी को श्रद्धांजलि

PoliTalks news

भारतीय जनता पार्टी के राजस्थान के प्रदेशाध्यक्ष मदनलाल सैनी का सोमवार शाम निधन हो गया. उनके निधन पर बीजेपी में शोक की लहर दौड़ गई है. स्वर्गीय सैनी का पार्थिव शरीर अंतिम दर्शनार्थ जयपुर के बीजेपी कार्यालय लाया गया था जहां सुबह साढ़े सात बजे से 10 बजे तक उन्हें श्रद्धांजलि दी गई. प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, डिप्टी सीएम सचिन पायलट और पूर्व मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे ने उन्हें श्रद्धांजलि देकर भावभीनी अंतिम विदाई दी.

इस मौके पर अन्य नेता भी बीजेपी कार्यालय पहुंचे और पार्थिव शरीर पर श्रद्धासुमन अर्पित किए. यहां से उने पार्थिव शव को उनके निवास सीकर के लिए रवाना किया गया है. दोपहर 12 बजे से 2:00 बजे तक सीकर स्थित उनके निवास पर रखा जाएगा. शाम 4 बजे उनके पैतृक गांव में राजकीय सम्मान के साथ अंत्येष्टि की जाएगी.

अधिक पढ़ें: कौन थे मदनलाल सैनी, जानिए उनके जीवन से जुड़ी 10 बातें

इससे पहले सोमवार रात उप राष्ट्रपति वैंक्या नायडू, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला सहित अन्य प्रमुख नेताओं ने दिल्ली के एम्स अस्पताल पहुंचकर उनके पार्थिव शरीर पर श्रद्धासुमन अर्पित किए.

बता दें, मदनलाल सैनी लंबे समय से फैफड़ों में ​इनफेक्शन से पीड़ित थे और कई दिनों से बीमार चल रहे थे. उन्हें शुक्रवार शाम दिल्ली के एम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था. सैनी बीजेपी के राज्यसभा सांसद थे और पूर्व में उदयपुरवाटी से विधायक भी रह चुके थे.

बेहद साधारण जीवन शैली जीने वाले सैनी प्रदेश के पहले ऐसे प्रदेशाध्यक्ष हैं जिनका पद पर रहते हुए निधन हुआ है. विपक्ष में रहते हुए उनके नेतृत्व में बीजेपी ने हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में राजस्थान की सभी 25 सीटों पर कब्जा जमाया है.

संगठन ही नहीं, अब संदिग्ध व्यक्ति को भी घोषित किया जा सकेगा आतंकी

Politalks News

अब आतंकी गतिविधियों में संलिप्त संदिग्ध व्यक्तियों को आतंकी घोषित कर प्रतिबंधित किया जा सकेगा. दैनिक जागरण में छपी खबर के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) और गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम कानून (यूएपीए) से जुड़े दो संशोधनों को हरी झंडी दे दी है. माना जा रहा है कि इन दोनों संशोधनों से जुड़े विधेयक को इसी सत्र में संसद में पेश किया जाएगा. मौजूदा समय में केवल आतंकी गतिविधियों में शामिल संगठनों को ही प्रतिबंधित करने का प्रावधान है.

अखबार के उच्च स्तरीय सूत्रों के अनुसार पहले संशोधन के तहत एनआइए को और मजबूत किया जाएगा और उसे साइबर अपराध और मानव तस्करी से जुड़े मामलों की जांच के अधिकार भी दिये जाएंगे. मुंबई हमलों के बाद 2009 में बने एनआइए को फिलहाल केवल आतंकी हमलों की जांच का अधिकार है. वहीं यूएपीए की अनुसूची चार में संशोधन संदिग्ध व्यक्तियों को आतंकी घोषित कर प्रतिबंधित करने का रास्ता साफ किया जाएगा. अभी तक केवल वही व्यक्ति आतंकी माना जाता था, जो किसी आतंकी संगठन का सदस्य हो. व्यक्तिगत रूप से आतंकी गतिविधियां चलाने वाले व्यक्ति को आतंकी घोषित करने का कोई प्रावधान नहीं था.

एक वरिष्ठ अधिकारी ने अखबार को कहा कि केवल संगठनों को आतंकी घोषित कर प्रतिबंधित करने से ऐसे लोगों के बचने की संभावना थी, जो बिना किसी संगठन में शामिल हुए ही व्यक्तिगत स्तर पर किसी आतंकी गतिविधि में लिप्त हों. प्रस्तावित संशोधन में एनआइए को किसी की संदिग्ध गतिविधियों के आधार पर आतंकी घोषित करने का अधिकार मिल जाएगा. एक बार आतंकी घोषित होने के बाद उस संदिग्ध व्यक्ति से साथ आर्थिक लेन-देने करने वाले लोगों के खिलाफ शिकंजा कसना आसान हो जाएगा. वरिष्ठ अधिकारी ने अखबार को बताया कि कि आइएसआइएस और अलकायदा जैसे आतंकी संगठनों के प्रेरित होकर आतंकी बनने वालों के खिलाफ शिकंजा कसना आसान होगा.

कौन थे मदनलाल सैनी, जानिए उनके जीवन से जुड़ी 10 बातें

बीजेपी राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष मदनलाल सैनी का आज शाम दिल्ली के एम्स अस्पताल में निधन हो गया. वह कई दिनों से बीमार चल रहे थे. पिछले साल बीजेपी की प्रदेश ईकाई के चीफ बने मदनलाल सैनी को हमेशा साधारण व्यक्तित्व वाला इंसान माना जाता था.. जानिए उनके बारे में 10 खास जानकारी ….

1. मदनलाल सैनी का जन्म 13 जुलाई, 1943 को सीकर के पुरोहितजी की ढाणी में ​हुआ था. सैनी 1952 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक से जुड़े थे. बाद में लगातार संघ के विभिन्न संगठनों में सक्रिय रहे. वह एबीवीपी के प्रदेश मंत्री भी रहे.

2. 1975 तक वकालत के पेशे से जुडऩे के बाद आपातकाल में जेल में भी रहे. बाद में संघ की ओर से सैनी ने भारतीय मजदूर संघ में प्रदेश महामंत्री व अखिल भारतीय कृषि मजदूर संघ के राष्ट्रीय महामंत्री का दायित्व निभाया. एबीवीपी के प्रदेश मंत्री भी रहे.

3. सैनी 1990-92 में झुंझुनूं के उदयपुरवाटी (गुढ़ा) विधानसभा से विधायक रह चुके हैं. 1991 व 1996 में लोकसभा में बीजेपी ने उन्हें झुंझुनूं से प्रत्याशी बनाया लेकिन उन्हें दोनों बार हार का सामना करना पड़ा. 2008 में उन्हें उदयपुरवाटी विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी प्रत्याशी बनाया गया लेकिन वह जीत दर्ज नहीं कर सके.

4. सैनी प्रदेश महामंत्री व अनुशासन समिति के सदस्य भी रह चुके हैं. साथ ही पंडित दीनदयाल उपाध्याय प्रशिक्षण महाअभियान के प्रदेश प्रभारी भी रहे.

5. मार्च, 2018 में राज्यसभा सदस्य के तौर पर निर्वाचित किया गया था.

6. अशोक परनामी के बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद जून, 2018 को मदनलाल सैनी को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी मिली. उनके नेतृत्व में पार्टी ने विधानसभा चुनाव लड़ा जहां बीजेपी को सत्ता खोनी पड़ी.

7. मदनलाल सैनी पूर्व सीएम वसुन्धरा राजे के करीबी माने जाते थे. उनके कहने पर ही सैनी को राजस्थान की बीजेपी ईकाई का प्रदेशाध्यक्ष बनाया गया था. उनके पहले गजेंद्र सिंह का नाम अध्यक्ष पद के लिए सामने आ रहा था.

8. बेहद साधारण जीवन शैली जीने वाले सैनी प्रदेश के पहले ऐसे प्रदेशाध्यक्ष थे जिनका पद पर रहते हुए निधन हुआ है. विपक्ष में रहते हुए उनके नेतृत्व में बीजेपी ने हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में राजस्थान की सभी 25 सीटों पर कब्जा जमाया है.

9. मदनलाल सैनी संगठन के जमीन से जुड़े कार्यकर्ता थे. वह सीकर से जयपुर का सफर रोडवेज बस में तय किया करते थे. वहीं पार्टी कार्यकर्ताओं के कहने पर अपने निजी वाहन को छोड़ बस में यात्रा करते थे.

10. मदनलाल सैनी तीन पर बीजेपी प्रदेश महामंत्री रह चुके हैं. छात्र जीवन में वह न केवल एबीवीपी से जुड़े बल्कि प्रदेश महामंत्री भी रहे.

राजस्थान बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष मदनलाल सैनी का निधन

PoliTalks news

बीजेपी के लिए एक बड़ी दुखद खबर आयी है. राजस्थान बीजेपी के अध्यक्ष मदनलाल सैनी का निधन हो गया है. वह कई दिनों से बीमार चल रहे थे और दिल्ली के एम्स अस्पताल में भर्ती थे. सैनी फैफड़ों में ​इनफेक्शन से पीड़ित थे. तबीयत ज्यादा खराब होने पर मदनलाल सैनी को मालवीय नगर स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती करवाया गया था जहां उनका उपचार चल रहा था. उसके बाद सैनी को शुक्रवार को दिल्ली के एम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था.

बीजेपी के आला नेताओं ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है.  बीजेपी के पीपी चौधरी और सीपी चौधरी सहित कई बीजेपी नेता एम्स पहुंच चुके हैं. पूर्व मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे के जल्दी ही एम्स पहुंचने की उम्मीद है. कल सैनी की पार्थिव देह को जयपुर लाया जाएगा. इसके बाद उनकी देह को सीकर ले जाया जाएगा. वहीं राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा.

बता दें, सैनी बीजेपी के राज्यसभा सांसद भी थे. वह पूर्व में उदयपुरवाटी से विधायक भी रह चुके हैं. बेहद साधारण जीवन शैली जीने वाले सैनी प्रदेश के पहले ऐसे प्रदेशाध्यक्ष हैं जिनका पद पर रहते हुए निधन हुआ है. विपक्ष में रहते हुए उनके नेतृत्व में बीजेपी ने हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में राजस्थान की सभी 25 सीटों पर कब्जा जमाया है.

मदनलाल सैनी के निधन पर प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने टवीट कर गहरा शोक जताया है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने ट्वीटर हैंडल से पोस्ट कर मदनलाल सैनी के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है.

केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने भी ट्वीट पोस्ट कर बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष के निधन पर शोक व्यक्त किया है. उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के माननीय प्रदेशाध्यक्ष श्री मदनलाल सैनी जी के निधन की सूचना से स्तब्ध हूं. भारतीय जनता पार्टी परिवार के लिए अपूर्णीय क्षति है.

राजसमंद सांसद दीया कुमारी ने भी उनके निधन पर शोक जताया है. उन्होंने कहा कि भाजपा प्रदेशाध्यक्ष व राज्यसभा सांसद, हमारे मार्गदर्शक मदनलाल सैनीजी के निधन का समाचार बेहद दुखद है. आदरणीय सैनी जी का निधन संपूर्ण भाजपा परिवार के लिए एक बड़ी क्षति है. शोकाकुल परिजनों के साथ मेरी गहरी संवेदनाएं व दिवंगत आत्मा को ईश्वर शान्ति प्रदान करें.

ffff

 

‘आदिवासी महिलाओं का उत्पीड़न करते हैं मुस्लिम युवक, काट दो गला’

PoliTalks news

लोकसभा चुनाव तो समाप्त हो चुके हैं लेकिन कुछ नेताओं की तीखी बयानबाजी अभी तक खत्म नहीं हुई है. धुर-विरोधी पार्टियों न केवल विपक्ष पर ​बल्कि कई बार अपने कटाक्ष बयान रूपी तीर से ऐसा निशाना साधती है कि सामने वाला पानी तक न मांगे. पार्टी आलाकमान के लाख समझाने के बाद भी कई बार ऐसे विवादित बयान सामने आ जाते हैं जो न केवल लंबे समय तक छाए रहते हैं बल्कि कई विवादों को भी अंजाम दे जाते हैं. आज की बयानबाजी में तेलंगाना के आदिलाबाद से बीजेपी सांसद सोयम बापू राव दिनभर छाए रहे. कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी का कमाण्डर अभिनंदन की मूछों पर दिया गया बयान भी सुर्खियों में बना रहा.

‘आदिवासी महिलाओं का उत्पीड़न करते हैं मुस्लिम युवक, काट दो गला’
– सोयम बापू राव, बीजेपी सांसद

तेलंगाना के आदिलाबाद से बीजेपी सांसद सोयम बापू राव ने मुस्लिम युवकों को गला काटने की धमकी दी है. बीजेपी सांसद का आरोप है कि आदिवासी जिले में मुस्लिम युवक आदिवासी महिलाओं का उत्पीड़न कर रहे हैं और वह इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे. धमकी देने के मामले में अल्पसंख्यक नेताओं ने बीजेपी सांसद सोयम बाबू राव के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है.

‘विंग कमाण्डर अभिनंदन की मूछें घोषित हों राष्ट्रीय मूंछ’
– अधीर रंजन चौधरी, कांग्रेस नेता

लोकसभा में पक्ष और विपक्ष की तीखी बहस के बीच कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने विंग कमाण्डर अभिनंदन की मूछों को राष्ट्रीय मूंछ घोषित करने की अजीबोगरीब मांग रखी. असल में चौधरी ने लोकसभा चुनावों में बीजेपी द्वारा अभिनंदन के नाम का बार—बार इस्तेमाल करने को लेकर सत्ताधारी पक्ष पर टिप्पणी की थी.

‘जेडीएस के साथ गठबंधन से हुआ पार्टी को नुकसान’
केएच मुनियप्पा, कांग्रेस नेता

लोकसभा चुनाव में कर्नाटक में मिली करारी हार के लिए कांग्रेस नेता केएच मुनियप्पा ने प्रदेश की सत्ताधारी जेडीएस के गठबंधन को उत्तरदायी ठहराया है. मुनियप्पा ने कहा कि गठबंधन सिर्फ कांग्रेस के लिए महंगा साबित नहीं हुआ है, बल्कि जेडीएस को भी नुकसान हुआ है. पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा जैसे नेता को भी हार का सामना करना पड़ा.

‘कहां मां गंगा और कहां गंदी नाली’
– अधीर रंजन चौधरी, कांग्रेस नेता

सदन में महामहीम रामनाथ कोविंद के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर बोलते हुए कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तुलना गंदी नाली से कर दी. उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद से प्रधानमंत्री की तुलना गलत है क्योंकि सिर्फ नाम नरेंद्र होने से किसी व्यक्ति की महापुरुष से तुलना नहीं की जा सकती है. मां गंगा की तुलना किसी गंदी नाली से नहीं की जा सकती है. चौधरी के इस बयान पर सदन में हंगामा मच गया.

 

पश्चिम बंगाल: तृणमूल कांग्रेस के एक और विधायक बीजेपी में होंगे शामिल

Politalks News

तृणमूल कांग्रेस के नेताओं का बीजेपी में शामिल होना लगातार जारी है. एक और टीएमसी विधायक बीजेपी में शामिल होने की तैयारी कर रहे हैं. अलीपुरदुआर के कालचीनी निर्वाचन क्षेत्र से टीएमसी विधायक विल्सन चामपामारी ने मीडिया को बताया कि मेरे साथ पार्टी के 18 पार्षद भाजपा में शामिल होने की तैयारी में हैं. उन्होंने कहा कि कई और बीजेपी में शामिल होंगे और पार्टी हाईकमान के संपर्क में हैं.

आपको बता दें कि हाल के हफ्तों में कई टीएमसी नेताओं ने बीजेपी का दामन थामा है. लोकसभा चुनाव में भाजपा ने बंगाल में प्रभावशाली बढ़त बनाई है. पार्टी ने 18 सीटों पर जीत दर्ज की है. इसके बाद एक के बाद एक विधायक और कई पार्षद बीजेपी में शामिल हुए. बीजेपी नेता कैलाश विजयवर्गीय ने कहा था कि जिस तरीक से चुनाव 7 चरणों में हुए उसी तरह टीएमसी के नेताओं की ज्वॉइनिंग भी 7 चरणों में होगी.

अब तक टीएमसी के तीन विधायक और 100 के करीब पार्षद बीजेपी में शामिल हो चुके हैं. इस पर टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी ने कहा था, ‘टीएमसी कमजोर पार्टी नहीं है. मुझे इस बात की परवाह नहीं है कि कैश के बदले पार्षद टीएमसी छोड़ रहे हैं. यदि कोई विधायक पार्टी छोड़ता है तो वो छोड़ सकता है. हम अपनी पार्टी में चोर नहीं चाहते हैं. यदि एक शख्स टीएमसी छोड़ता है तो वो 500 लोगों को तैयार कर लेंगी.’

BSP के साथ गठबंधन कर बड़ी चूक कर गए अखिलेश यादव

उत्तर प्रदेश की सियासत में लोकसभा चुनाव से पहले भी समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का गठबंधन चर्चा में था. लोकसभा चुनाव के बाद भी गठबंधन से जु़ड़ी चर्चाएं भरपूर हो रही हैं. बस फर्क सिर्फ इतना है कि चुनाव से पहले गठबंधन होने की बातें हो रही थीं और अब चुनाव के बाद इसके टूट जाने की.

गठबंधन टूटने के बयान अभी सिर्फ बसपा सुप्रीमो मायावती की तरफ से आ रहे है. अभी तक समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव और उनकी पार्टी अभी तक इस मुद्दे पर खामोशी बरत रखी है. हालांकि अखिलेश यादव ने इन चुनावों में बसपा के साथ गठबंधन कर बहुत बड़ी गलती की थी, उन्हें इसका आभास मायावती के बयान के बाद हो गया होगा.

अखिलेश के गठबंधन ने दी बसपा को संजीवनी
बसपा सुप्रीमो मायावती भले ही लोकसभा चुनाव मे मिली हार के लिए अखिलेश यादव और सपा को जिम्मेदार ठहरा रही है लेकिन मायावती का यह दावा हकीकत से परे है. मायावती के लिए 2019 के लोकसभा चुनाव में गठबंधन संजीवनी साबित हुआ. यह चुनाव खत्म हो रही पार्टी को जिंदा कर गया. 2014 के चुनाव में बसपा को एक सीट पर भी जीत नसीब नहीं हुई और 2017 के विधानसभा चुनाव में पार्टी सिर्फ 19 सीटों पर सिमटकर रह गई.

विधानसभा चुनाव के बाद बसपा में भारी भगदड़ की स्थिति थी और उसके नेता नया सियासी ठिकाना तलाश रहे थे. इसमें उनकी पहली पसंद सपा बन रही थी. उन दिनों उत्तर प्रदेश के राजनीतिक हलकों में बसपा के वजूद नहीं रहने की चर्चा ने जोड़ पकड़ा. लगने लगा कि जातीय आंदोलन के दम पर खड़ी हुई बसपा के दिन अब लद चुके है.

उसी समय योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री और केशव प्रसाद मौर्य के उपमुख्यमंत्री बनने के बाद गोरखपुर और फुलपुर सीट पर उपचुनाव हुए. बसपा उस समय तक उपचुनाव में हिस्सा नहीं लेती थी. बसपा ने चुनाव में सपा के प्रत्याशियों को समर्थन करने का ऐलान किया. दोनों सीटों पर सपा को जीत मिली. उन नतीजों के बाद अखिलेश यादव ने मायावती के लखनऊ स्थित घर जाकर उनसे मुलाकात कर समर्थन के लिए धन्यवाद दिया था.

चुनाव परिणाम के बाद बसपा में हो रही भगदड़ थम गई. फिर आया कैराना लोकसभा उपचुनाव. बसपा तो उपचुनाव लड़ती नहीं है इसलिए गठबंधन में नए साझेदार की एंट्री हुई. पार्टी थी चौधरी अजित सिंह की राष्ट्रीय लोकदल. संयुक्त विपक्ष के उम्मीदवार के तौर पर सपा नेता तब्बसुम हसन ने रालोद के टिकट पर चुनाव लड़ा.

गठबंधन फिर बीजेपी को पटकनी देने में कामयाब रहा. तब्बसुम हसन यूपी की पहली मुस्लिम सांसद निर्वाचित होकर सदन में पहुंची. अखिलेश का गठबंधन का गणित काम करने लगा था. अखिलेश को लगा कि इस फार्मुले के आधार पर बीजेपी को मात दे सकते हैं. लेकिन तीन चुनावों में मिली फतह का सबसे ज्यादा फायदा बसपा को हुआ.

बसपा पुनः जीवित होने लगी. पार्टी में मची भगदड़ रुक गई और 2019 के लोकसभा चुनाव में मिलकर लड़ने के कयास लगने लगे थे. अखिलेश इसी गलती ने बसपा को फिर से उत्तर प्रदेश में अपनी पकड़ मजबूत करने का मौका दे दिया.

सीट बंटवारे में खा गए गच्चा
सपा ने 2014 के लोकसभा चुनाव में 5 सीटों पर जीत दर्ज की थी. अब कायदे के अनुसार सपा को गठबंधन में ज्यादा सीटें मिलनी चाहिए थी. लेकिन बसपा के साथ गठबंधन को लेकर इतने लालायित थे कि उन्होंने बसपा सुप्रीमो के सामने इस तथ्य को रखा ही नहीं. सीट बंटवारे में मायावती की धमक देखने को मिली. मायावती ने गठबंधन में एक सीट ज्यादा हासिल की.

मायावती ने अखिलेश को सीटों की संख्या ही नहीं, बल्कि इनके बंटवारे में भी गच्चा दिया. गठबंधन के गणित के हिसाब से मजबूत मानी जाने वाली ज्यादा सीटें मायावती अपने हिस्से में ले गई. अखिलेश को ज्यादातर शहरी सीटें थमाई गई. अखिलेश यादव ने कई ऐसी सीटें बसपा को दीं जिन पर सपा का कैडर बहुत मजबूत था.

इन सीटों पर सपा की जीत बिना बसपा के भी तय लग रही थी. बसपा ने इस चुनाव में जिन सीटों पर जीत दर्ज की है, उनमें बिजनौर, अमरोहा, गाजीपुर, जौनपुर और सहारनपुर सीटों पर दावेदारी सपा की थी लेकिन अखिलेश ने यह सीटें भी बसपा को दे दी.

संसद में बोले मोदी के मंत्री- देश विरोधी नारेबाजी करने वालों को यहां रहने का हक नहीं

राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर बीजेपी की तरफ से केंद्रीय मंत्री प्रताप सिंह सारंगी ने सरकार का पक्ष रखा. इस दौरान केंद्रीय मंत्री सारंगी ने देश विरोधी नारेबाजी करने वालों पर बड़ा हमला बोला है. सारंगी ने कहा कि जो लोग भारत में रहकर भारत के टुकड़े-टुकड़े करने के नारे लगाते है, पाकिस्तान जिंदाबाद कहते है, संसद हमले के आरोपी अफजल गुरु की जय-जयकार करते है, क्या ऐसे लोगों को देश में रहने का अधिकार है?

उन्होंने कहा कि सरकार ने पिछले कार्यकाल में ऐसे देश विरोधी लोगों से सख्ती से निपटा है और आने वाले समय में भी ऐसी कुठिंत मानसिकता वाले लोगों से अच्छी तरह से निपटा जाएगा. बता दें कि फरवरी 2016 में दिल्ली स्थित जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय में छात्रों ने देश-विरोधी नारेबाजी की थी. नारों के आरोप में कन्हैंया कुमार, उमर खालिद और अर्निबान को गिरफ्तार किया गया था. हालांकि वर्तमान में यह मामला कोर्ट में विचाराधीवन है और सभी आरोपी जमानत पर बाहर हैं.

नारेबाजी के आरोपी कन्हैंया कुमार ने हाल में हुए लोकसभा चुनाव में भाग लिया था. वो बिहार की बेगूसराय लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में थे. यहां उनको बीजेपी के गिरिराज सिंह के हाथों बड़ी हार का सामना करना पड़ा है.

‘गंदी नाली’ पर विवाद बढ़ने के बाद अधीर रंजन चौधरी ने मांगी माफी

धन्यवाद प्रस्ताव पर कांग्रेस पार्टी की तरफ से अधीर रंजन चौधरी ने संबोधित करते हुए कहा कि राष्ट्रपति का अभिभाषण सत्ताधारी दल की ओर से तैयार किया गया था. संसदीय प्रणाली में राष्ट्रपति का अभिभाषण सरकार की आगामी नीतियों की झलक होता है. मुझे आज इस पर अपने विचार रखने का मौका मिला है. चौधरी ने कहा कि प्रधानमंत्री सिर्फ आपके नहीं बल्कि पूरे देश के हैं.

स्वामी विवेकानंद से प्रधानमंत्री की तुलना गलत है क्योंकि सिर्फ नाम नरेंद्र होने से किसी व्यक्ति की महापुरुष से तुलना नहीं की जा सकती है. कांग्रेस सांसद ने कहा कि आपकी तुलना बिल्कुल गलत है. मां गंगा की तुलना किसी गंदी नाली से नहीं की जा सकती है. चौधरी के इस बयान पर सदन में हंगामा मच गया. दोनों तरफ के सांसद हंगामा करने लगे.

चौधरी ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि 2जी और कोयला घोटाले को आज 6 साल हो गए है. अब तो सरकार भी आपकी है. दोषियों पर कारवाई क्यों नही हो रही है. चौधरी ने पीएम मोदी से सीधा सवाल पूछा कि क्या वह 2जी और कोयला घोटाले में किसी को भी पकड़ पाए हैं.

इतना ही नहीं, चौधरी ने कहा कि आज तक क्यों सोनिया गांधी और राहुल गांधी बाहर हैं. आप उनको चोर कहते हुए सत्ता में आए तो अब वो संसद में कैसे बैठे हैं. क्यों नहीं इन्हें जेल में नहीं डाल देते. हम तो चाहते हैं कि देश का कानून मजबूत हो और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई हो. अंत में कांग्रेस ने नेता ने तंज मारते हुए कहा कि इस सरकार को दूसरे के किए गए कार्यों का श्रेय लेने की आदत है. सरकार हरी और नीली क्रांति का नारा दे रही है लेकिन यह सब योजनाएं कांग्रेस सरकारों की देन है.

चौधरी के ‘गंदी नाली’ शब्द पर विवाद बढ़ने के बाद उन्होंने माफी मांग ली. उन्होंने कहा, ‘यह गलतफहमी है, मैंने ‘नाली’ नहीं कहा, यदि प्रधानमंत्री इससे आहत हैं तो मैं माफी मांगता हूं. उन्हें दुख पहुंचाने का मेरा कोई इरादा नहीं था. यदि प्रधानमंत्री को दुख पहुंचा है तो मैं व्यक्तिगत रूप से उनसे माफी मांगूंगा. मेरी हिंदी अच्छी नहीं है, नाली से मेरा मतलब चैनल से था.’

कांग्रेस के वे नेता ​जो नहीं मानते खुद को हार का जिम्मेदार

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा है. 542 सीटों में से पार्टी को सिर्फ 52 सीटों पर जीत मिली. सीटें भी इतनी कम कि लोकसभा में पार्टी की हैसियत मुख्य विपक्षी दल बनने की भी नहीं रही. हालांकि ऐसा तो कांग्रेस के साथ 2014 के चुनाव में भी हो चुका है लेकिन इस बार कुछ अलग हुआ है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाधी ने चुनाव में मिली हार की जिम्मेदारी लेते हुए अपना इस्तीफा कांग्रेस कार्य समिति को सौंप दिया.

हार की जिम्मेदारी लेते हुए अब तक विभिन्न राज्यों से 13 वरिष्ठ नेताओं ने अपना इस्तीफा कांग्रेस अध्यक्ष को भेज दिया है. उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राज बब्बर, ओडिशा कांग्रेस अध्यक्ष निरंजन पटनायक और महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष अशोक चव्हाण राज्य में पार्टी को मिली करारी हार के बाद नैतिकता के आधार पर अपने इस्तीफे की पेशकश कर चुके हैं.

वहीं पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने लोकसभा चुनाव में गुरदासपुर संसदीय क्षेत्र में मिली हार के बाद अपना इस्तीफा पार्टी आलाकमान भेज दिया. झारखंड कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार और असम कांग्रेस अध्यक्ष रिपुन बोरा ने भी अपने इस्तीफे कांग्रेस अध्यक्ष को भेजे हैं.

ये सभी वे नेता है जिन्होंने हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने पदों से इस्तीफे की पेशकश की हैं. हालांकि अभी तक इन सभी के इस्तीफों पर कोई फैसला नहीं किया गया है. लेकिन कांग्रेस के भीतर कुछ ऐसे भी नेता है जो राज्यों में मिली पार्टी की हार के लिए जिम्मेदार तो हैं लेकिन न तो उन्होंने कभी हार की जिम्मेदारी ली और न ही पार्टी आलाकमान से इस्तीफे की पेशकश की. इस खास रिपोर्ट में पेश हैं कांग्रेस के उन सभी नेताओं के बारे में कुछ खास ….

अशोक तंवरः
हरियाणा में पार्टी को बड़ी हार का सामान करना पड़ा है. हार भी इतनी बुरी कि पार्टी का प्रदेश में खाता तक नहीं खुल पाया. अब कायदे से हार की जिम्मेदारी को प्रदेशाध्यक्ष अशोक तंवर को लेनी चाहिए थी. लेकिन उन्होंने कहा कि हार की जिम्मेदारी मेरे अकेले की नहीं है. इस हार के लिए प्रदेश के सभी बड़े नेता जिम्मेदार हैं.

अशोक गहलोतः
राजस्थान के हालात भी हरियाणा जैसे ही रहे हैं. यहां भी पार्टी का खाता तक नहीं खुल सका. हालांकि खाता तो पिछले लोकसभा चुनाव में भी नहीं खुला था लेकिन इस बार परिस्थितियां 2014 से बिल्कुल अलग थी. इस बार प्रदेश की सत्ता पर कांग्रेस काबिज थी. लेकिन उसके बावजूद कांग्रेस शून्य के अपने पुराने आंकड़े में सुधार नहीं कर पायी.

हालात इतने बुरे कि सीएम अशोक गहलोत अपने गृहक्षेत्र से अपने पुत्र वैभव गहलोत तक को चुनाव नहीं जीता पाये. इसके बाद चुनावी हार के बाद हार की जिम्मेदारी लेना तो दूर गहलोत हार के जिम्मेदारी सचिन पायलट की बता रहे हैं. कांग्रेसी रवायत के अनुसार प्रदेश में हार के लिए मुख्यमंत्री जिम्मेदार होता है न कि प्रदेश अध्यक्ष. प्रदेश अध्यक्ष तो हार के लिए तब जिम्मेदार होता है जब पार्टी विपक्ष में होती है.

प्रीतम सिंहः
उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष प्रीतम सिंह को लोकसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा. वहीं प्रदेश की सभी 4 सीटों पर पार्टी को हार नसीब हुई. लेकिन इन सब के बावजूद प्रीतम सिंह ने हार की जिम्मेदारी लेना मुनासिब नहीं समझा. प्रीतम सिंह को विधानसभा चुनाव के बाद किशोर उपाध्याय को हटाकर प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई थी.

Evden eve nakliyat şehirler arası nakliyat