लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा है. 542 सीटों में से पार्टी को सिर्फ 52 सीटों पर जीत मिली. सीटें भी इतनी कम कि लोकसभा में पार्टी की हैसियत मुख्य विपक्षी दल बनने की भी नहीं रही. हालांकि ऐसा तो कांग्रेस के साथ 2014 के चुनाव में भी हो चुका है लेकिन इस बार कुछ अलग हुआ है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाधी ने चुनाव में मिली हार की जिम्मेदारी लेते हुए अपना इस्तीफा कांग्रेस कार्य समिति को सौंप दिया.
हार की जिम्मेदारी लेते हुए अब तक विभिन्न राज्यों से 13 वरिष्ठ नेताओं ने अपना इस्तीफा कांग्रेस अध्यक्ष को भेज दिया है. उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राज बब्बर, ओडिशा कांग्रेस अध्यक्ष निरंजन पटनायक और महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष अशोक चव्हाण राज्य में पार्टी को मिली करारी हार के बाद नैतिकता के आधार पर अपने इस्तीफे की पेशकश कर चुके हैं.
वहीं पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने लोकसभा चुनाव में गुरदासपुर संसदीय क्षेत्र में मिली हार के बाद अपना इस्तीफा पार्टी आलाकमान भेज दिया. झारखंड कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार और असम कांग्रेस अध्यक्ष रिपुन बोरा ने भी अपने इस्तीफे कांग्रेस अध्यक्ष को भेजे हैं.
ये सभी वे नेता है जिन्होंने हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने पदों से इस्तीफे की पेशकश की हैं. हालांकि अभी तक इन सभी के इस्तीफों पर कोई फैसला नहीं किया गया है. लेकिन कांग्रेस के भीतर कुछ ऐसे भी नेता है जो राज्यों में मिली पार्टी की हार के लिए जिम्मेदार तो हैं लेकिन न तो उन्होंने कभी हार की जिम्मेदारी ली और न ही पार्टी आलाकमान से इस्तीफे की पेशकश की. इस खास रिपोर्ट में पेश हैं कांग्रेस के उन सभी नेताओं के बारे में कुछ खास ….
अशोक तंवरः
हरियाणा में पार्टी को बड़ी हार का सामान करना पड़ा है. हार भी इतनी बुरी कि पार्टी का प्रदेश में खाता तक नहीं खुल पाया. अब कायदे से हार की जिम्मेदारी को प्रदेशाध्यक्ष अशोक तंवर को लेनी चाहिए थी. लेकिन उन्होंने कहा कि हार की जिम्मेदारी मेरे अकेले की नहीं है. इस हार के लिए प्रदेश के सभी बड़े नेता जिम्मेदार हैं.
अशोक गहलोतः
राजस्थान के हालात भी हरियाणा जैसे ही रहे हैं. यहां भी पार्टी का खाता तक नहीं खुल सका. हालांकि खाता तो पिछले लोकसभा चुनाव में भी नहीं खुला था लेकिन इस बार परिस्थितियां 2014 से बिल्कुल अलग थी. इस बार प्रदेश की सत्ता पर कांग्रेस काबिज थी. लेकिन उसके बावजूद कांग्रेस शून्य के अपने पुराने आंकड़े में सुधार नहीं कर पायी.
हालात इतने बुरे कि सीएम अशोक गहलोत अपने गृहक्षेत्र से अपने पुत्र वैभव गहलोत तक को चुनाव नहीं जीता पाये. इसके बाद चुनावी हार के बाद हार की जिम्मेदारी लेना तो दूर गहलोत हार के जिम्मेदारी सचिन पायलट की बता रहे हैं. कांग्रेसी रवायत के अनुसार प्रदेश में हार के लिए मुख्यमंत्री जिम्मेदार होता है न कि प्रदेश अध्यक्ष. प्रदेश अध्यक्ष तो हार के लिए तब जिम्मेदार होता है जब पार्टी विपक्ष में होती है.
प्रीतम सिंहः
उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष प्रीतम सिंह को लोकसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा. वहीं प्रदेश की सभी 4 सीटों पर पार्टी को हार नसीब हुई. लेकिन इन सब के बावजूद प्रीतम सिंह ने हार की जिम्मेदारी लेना मुनासिब नहीं समझा. प्रीतम सिंह को विधानसभा चुनाव के बाद किशोर उपाध्याय को हटाकर प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई थी.