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अलगाववादी कश्मीरियों के बच्चों को पढ़ने नहीं देते, विदेशों में पढ़ते हैं इनके बच्चे

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बार-बार कश्मीर घाटी में स्कूलों और कालेजों को बंद करने का आह्वान करने और युवाओं को पत्थरबाजी व आतंकवाद के लिए उकसाने वाले अलगाववादी नेताओं के बच्चे न सिर्फ विदेश में पढ़ रहे है, बल्कि वहीं नौकरी भी कर रहे हैं. जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी नेता लगातार युवाओं को भटकाते रहते हैं. अलगाववादी नेता ही सबसे बड़े कारण हैं जिनकी वजह से स्थानीय युवा विरोध करने के लिए सड़कों पर दिखते हैं और देशविरोधी नारेबाजी करते हैं. गृह मंत्रालय ने आज उन अलगाववादी नेताओं की लिस्ट जारी की है, जिनके बच्चे विदेश में पढ़ते हैं और वहीं नौकरी करते हैं.

1.असरफ सेहराईः (चेयरमैन, तहरीक-ए-हुर्रियत)- 2 पुत्र खालिद और आबिद साउदी अरब में काम कर रहे हैं.
2.जीएम. भट्ट (आमिर ए जमात) – बेटा सऊदी अरब में डॉक्टर है.
3.आसिया अंद्राबी (दुख्तरान-ए-मिल्लत) – दोनों बेटे विदेश में पढ़ रहे हैं. एक मलेशिया में और दूसरा बेटा ऑस्ट्रेलिया में पढ़ रहा है.
4. मोहम्मद शफी रेशी – शफी का बेटा अमेरिका में पीएचडी कर रहा है.
5. अशरफ लाया (तहरीक ए हुर्रियत) – बेटी पाकिस्तान में मेडिकल की पढ़ाई कर रही है.
6. जहूर गिलानी (तहरीक ए हुर्रियत) – बेटा सऊदी अरब में एक एयरलाइंस कंपनी में काम करता है.
7. मीरवाइज उमर फारूक (हुर्रियत के चेयरमैन) – मीरवाइज की बहन अमेरिका में रहती है.
8. मोहम्मद युसूफ मीर (मुस्लिम लीग) – युसूफ मीर की बेटी पाकिस्तान में मेडिकल की पढ़ाई कर रही है.
9. निसार हुसैन (वहीदत ए इस्लामी) – बेटा और बेटी ईरान में रह रहे हैं. बेटी ईरान में ही नौकरी करती है.
10. बिलाल लोन – लोन की छोटी बेटी ऑस्ट्रेलिया में पढ़ाई कर रही है.

सिर पर पल्लू रख नुसरत जहां ने खींचा भगवान जगन्नाथ का रथ

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गले में मंगलसूत्र, मांग में सिंदूर और हाथों में लाल चुड़िया पहने नुसरत जहां आज किसी फिल्म की शुटिंग नहीं कर रहीं बल्कि वे रियल लाइल में हिंदू संस्कृति के मुताबिक वेशभूषा में ​थी. जगह थी कोलकाता का इस्कॉन मंदिर, जहां अभिनेत्री से सांसद बनीं नुसरत जहां एक अलग अंदाज में नजर आईं. देश के कई हिस्सों में आज जगन्नाथ रथ यात्रा निकाली गई और कोलकाता में भी ये यात्रा निकल रही है.

आयोजकों ने नुसरत जहां को बतौर मुख्य अतिथि यहां आमंत्रित किया है. यहां नुसरत सिर पर पल्लू लिए मंदिर में पहुंची और न केवल आरती में शामिल हुईं बल्कि भगवान जगन्नाथ का रथ भी खींचा. इस दौरान उनके साथ पश्चिमी बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी उपस्थित रहीं. बता दें कि नुसरत जहां पश्चिम बंगाल की बसीरहाट लोकसभा सीट से तृणमूल कांग्रेस (TMC) की सांसद हैं. उन्होंने हाल ही में लोकसभा सांसद के तौर पर शपथ ग्रहण की है.

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नुसरत 19 जून को कोलकाता के ब‍िजनेसमैन न‍िख‍िल जैन संग टर्की के बोडरम में शादी के बंधन में बंध गई थी. शादी हिंदू और क्रिश्चियन रीति-रिवाज से हुई थी. उनकी शादी काफी विवादों में रही थी, क्योंकि वह खुद मुस्लिम हैं और उन्होंने जैन समाज में शादी की थी. शादी के बाद नुसरत ने​ हिंदू धर्म को भी पूरी तरह अपना लिया है. भगवान जगन्नाथ की इस रथ यात्रा में नुसरत के पति निखिल जैन भी शामिल हुए थे.

मीडिया से बातचीत में नुसरत ने कहा, ‘मैं हर धर्म का सम्मान करती हूं. मैं पैदाइशी मुसलमान हूं और इस्लाम में विश्वास रखती हूं. मुझे लेकर बेवजह विवाद फैलाया गया.’ बता दें, सांसद की शपथ लेने के दौरान लोकसभा पहुंची नुसरत के मांग में सिंदूर लगाने को लेकर फतवा भी जारी किया गया था, मगर उन्होंने इस बात का मुंहतोड़ जवाब दिया था. नुसरत जहां ने कहा था कि वह हर धर्म का सम्मान करती हैं.

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बता दें, आज कोलकाता के आईटीसी रॉयल होटल में नुसरत जहां का ग्रैंड र‍िसेप्शन है. इस र‍िसेप्शन में डेकोरेशन से लेकर खाने तक हर छोटी-बड़ी चीज का खास ख्याल रखा गया है. ड‍िनर में स्पेशल वेजेटेर‍ियन फूड परोसा जाएगा.

BJP का केजरीवाल पर बड़ा हमला, बताया दिल्ली का सबसे बड़ा लुटेरा

MANJINDER SINGH SIRSA
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भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन कर राजनीति में आए अरविंद केजरीवाल पर बीजेपी ने भ्रष्टाचार का बड़ा आरोप लगाया है. बीजेपी नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने अरविंद केजरीवाल पर शिक्षा विभाग में घोटाला करने का आरोप लगाया है. केजरीवाल सरकार के घोटाले पर तंज कसते हुए बीजेपी विधायक मनजिंदर सिंह सिरसा ने दिल्ली में कई जगह पर पोस्टर लगाए हैं, जिसमें  दिल्ली का सबसे बड़ा लुटेरा अरविंद केजरीवाल को बताया है.

आपको बता दें कि केजरीवाल सरकार के शिक्षा विभाग में करोड़ों के घोटाले होने का दावा दिल्ली बीजेपी ने किया है जिसको देखते हुए यह पोस्टर लगाए गए हैं. साथ ही कहा गया है कि भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए राजनीति में आए अरविंद केजरीवाल सबसे बड़े भ्रष्टाचारी बन गए हैं. दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी का कहना है कि केजरीवाल और मनीष सिसोदिया का गठजोड़ शिक्षा के नाम पर भ्रष्टाचार कर रहा है. दिल्ली सरकार ने स्कूलों में नर्सरी कक्षा के 366 कमरों का निर्माण कराया है जिसमें एक कमरे की लागत 28 लाख 70 हजार रुपए आई है.

दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी, सांसद प्रवेश वर्मा और विधयाक विजेंद्र गुप्ता को कानूनी नोटिस जारी किया है. उनका कहना है कि आरोप सोची-समझी साजिश का हिस्सा है और तीनों नेता अभिव्यक्ति की आजादी की सीमा का उल्लंघन कर रहे हैं.

बिहारः नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव आए सामने, इस्तीफे की पेशकश

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राहुल गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष पद छोड़ने के बाद बिहार विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने भी लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार की जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफे की पेशकश की है. लेकिन तेजस्वी यादव के इस्तीफे का राजद विधायकों ने विरोध किया है.

विधायकों ने तेजस्वी यादव के इस्तीफे की पेशकश के बाद एक अहम बैठक की है. जिसमें राष्‍ट्रीय जनता दल (राजद) के विधायकों ने फैसला किया है कि अगर तेजस्वी इस्तीफा देते हैं तो राजद के तमाम विधायक विधानसभा से इस्तीफा दे देंगे. बता दें कि लोकसभा चुनाव 2019 में एनडीए ने बिहार में बड़ी जीत हासिल की है. जीत भी ऐसी की विपक्ष का सूपडा ही साफ हो गया. बिहार की सबसे बड़ी पार्टी राजद का लोकसभा चुनाव में खाता तक नहीं खुला.

कांग्रेस को महज एक सीट से संतोष करना पड़ा. एनडीए ने बिहार की 40 में से 39 सीटों पर जीत हासिल की. राजद ने तेजस्‍वी यादव के नेतृत्व में चुनाव लड़ा था. ऐसे में हार की जिम्‍मेदारी भी तेजस्‍वी पर आ गई. लोकसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद तेजस्‍वी काफी समय तक राजनीतिक पटल से गायब रहे, हालांकि लंबे समय के बाद बिहार के नेता प्रतिपक्ष और राजद नेता तेजस्‍वी यादव गुरुवार को विधानसभा की कार्यवाही में हिस्‍सा लेने के लिए सदन में पहुंचे.

उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने महासचिव पद से दिया इस्तीफा

harish rawat
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राहुल गांधी के इस्तीफा देने के बाद एक बार फिर कांग्रेस पार्टी में इस्तीफों की झड़ी लगने वाली है. आज इसकी शुरुआत हो चुकी है. आज सुबह पहले हरियाणा के वरिष्ठ नेता कुलदीप विश्नोई ने cwc सदस्य के पद से इस्तीफा दे दिया. कुलदीप के बाद अब उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने राष्ट्रीय महासचिव पद से इस्तीफा दे दिया. इस्तीफा देते हुए हरीश रावत ने कहा कि राहुल गांधी को कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बने रहना चाहिए ताकि 2024 में बीजेपी का मुक़ाबला किया जा सके.

हरीश रावत ने अपने इस्तीफे की जानकारी ट्वीटर अकाउंट के माध्यम से दी. हरीश रावत ने पोस्ट में लिखा, ‘लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी की हार और संगठनात्मक कमज़ोरी के लिए हम सभी पदाधिकारीगण उत्तरदायी हैं. असम में पार्टी उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर पाई. पार्टी को लोकसभा चुनाव में मिली हार के लिए प्रभारी के रूप में मैं उत्तरदायी हूं. मैंने अपनी कमी को स्वीकारते हुए अपने महामंत्री के पद से पूर्व में ही त्यागपत्र दे दिया है.

उन्होंने आगे लिखा, ‘पार्टी के लिए समर्पित भाव से काम करने के लिए मेरी स्थिति के लोगों के लिए पद आवश्यक नहीं है लेकिन प्रेरणा देने वाला नेता आवश्यक है. प्रेरणा देने की क्षमता केवल श्री राहुल गांधी जी में है, उनके हाथ में बागडोर रहे तो यह संभव है कि हम 2022 में राज्यों में हो रहे चुनाव में वर्तमान स्थिति को बदल सकते हैं और 2024 में भाजपा और श्री नरेंद्र मोदी को परास्त कर सकते हैं. इसलिए लोकतांत्रिक शक्तियां व सभी कांग्रेसजन श्री राहुल जी को कांग्रेस अध्यक्ष देखना चाहते हैं.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में पेश किया आर्थिक सर्वेक्षण

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आम बजट से एक दिन पूर्व वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज राज्य सभा में आर्थिक सर्वेक्षण पेश कर दिया है. बता दें कि बजट पेश करने से एक दिन पहले संसद में ऑर्थिक सर्वेक्षण पेश किया जाता है. मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला आम बजट पांच जुलाई यानी कल पेश होगा. बजट से पहले गुरुवार को सरकार ने संसद में आर्थिक सर्वे पेश किया. सर्वे के अनुसार, 2019-2020 में देश की जीडीपी 7 फीसदी तक रह सकती है. इसके अलावा देश का वित्तीय घाटा 5.8 फीसदी तक जा सकता है. पिछले साल वित्तीय घाटे का आंकड़ा 6.4 फीसदी पर था.

सर्वे में बताया गया है कि भारत को वित्‍त वर्ष 2025 तक 5 ट्रिलियन इकोनॉमी के लिए 8 फीसदी की रफ्तार से जीडीपी ग्रोथ जरूरी है. इसके अलावा साल 2019-20 में ऑयल की कीमतों में गिरावट का अनुमान बताया गया है.

आर्थिक सर्वे के मुताबिक देश में पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार है और आगे इसमें कमी की कोई आशंका नहीं है. सर्वे में बताया गया है कि  विदेशी निवेशकों का भरोसा घरेलू बाजार में बढ़ा है. वित्त वर्ष 2018-19 में नेट एफडीआई में 14.1 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है. सर्वे के मुताबिक एनपीए की समस्या सरकारी बैंकों में ज्यादा है, जिससे उनकी बैलेंसशीट पर असर पड़ा है. हालांकि अच्छी बात यह है कि क्रेडिट ग्रोथ में तेजी देखी जा रही है. साल 2018 की दूसरी छमाही से क्रेडिट ग्रोथ में अच्छी तेजी देखने को मिल रही है.

बता दें कि आम बजट से एक दिन पूर्न सदन में आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया जाता है. अक्सर देश का आर्थिक सर्वे आम बजट के लिए नीति दिशा-निर्देश के रूप में कार्य करता है. इस सर्वे को वित्त और कॉरपोरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्यसभा में पेश किया.

 

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बनेंगे कांग्रेस अध्यक्ष!

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कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से सार्वजनिक तौर पर राहुल गांधी इस्तीफा दे चुके हैं. कल उन्होंने अपना इस्तीफा ट्वीटर पर शेयर कर दिया था. हालांकि, कांग्रेसी दिग्गजों की तरफ से राहुल को मनाने की कई बार कोशिशे की गई. लेकिन राहुल आखिर तक अपने फैसले पर अड़े रहे. राहुल के इस्तीफे के बाद अब पार्टी के भीतर नए अध्यक्ष को लेकर चर्चा शुरु हो गई है. यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी के साथ पार्टी के तमाम वरिष्ठ नेता इस पद के लिए उपयूक्त चेहरे की तलाश में लग गए हैं. वहीं कांग्रेस के नए अध्यक्ष को लेकर कयासों का बाजार भी गर्म है.

कांग्रेस के नए अध्यक्ष को लेकर कई नामों की चर्चा है और इन नामों में सबसे ऊपर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का नाम हैं. गहलोत के कांग्रेस अध्यक्ष बनने को लेकर पार्टी के सबसे उम्रदराज महासचिव मोतीलाल वोरा ने भी बड़ा बयान दिया है.  कांग्रेस महासचिव मोतीलाल वोरा से जब नए अध्यक्ष को लेकर सवाल पूछा गया तो उनका जवाब था कि इस समय कई लोगों के नाम पर चर्चा चल रही है. जिसमें राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का नाम भी शामिल है.

कांग्रेस महासचिव मोतीलाल वोरा के इस बयान के बाद प्रदेश में अशोक गहलोत के पार्टी अध्यक्ष के रूप में कयासों की चर्चा भी जोर पकड़ने लगी है. लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद से ही राहुल गांधी ने अध्यक्ष पद से हटने का मन बना लिया था.

बता दें कि अशोक गहलोत को अध्यक्ष बनाने की चर्चा पहले भी चली थी. लेकिन उन चर्चाओं पर पिछले कुछ समय से विराम लग गया था. कल राहुल के इस्तीफे के बाद एक बार फिर अशोक गहलोत का नाम कांग्रेस अध्यक्ष की दौड़ में आ गया है. बता दें कि कुछ समय पूर्व खबर आई थी कि अशोक गहलोत को कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया जाएगा और साथ ही राजस्थान के मुख्यमंत्री पद पर भी बने रहेंगे. अब कांग्रेस किस नेता को अध्यक्ष पद की कमान सौंपेगी यह तो भविष्य के गर्भ में है, लेकिन सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी यह चाहती हैं कि अशोक गहलोत राहुल गांधी के बाद कांग्रेस की कमान संभाले.

 

‘राहुल जी का इस्तीफा दुर्भाग्यपूर्ण, वो हमारे नेता हैं और हमेशा रहेंगे’ – अहमद पटेल

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल ने कल देर रात ट्वीट किया जिसमें लिखा, ‘राहुल जी का इस्तीफा दुर्भाग्यपूर्ण है. इस हार के लिए हम सभी जिम्मेदार हैं. उन्होंने कम वक्त में ही पार्टी में जबर्दस्त योगदान दिया है और हम सभी मानते हैं कि उनका प्रयास आगे भी चलना चाहिए.’ इसके बाद अहमद पटेल ने राहुल गांधी के लिए ट्वीट किया, ‘वे मेरे और हमारे नेता हैं और हमेशा रहेंगे और कांग्रेस को मजबूत करने का काम करते रहेंगे.’

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष और राहुल गांधी की मां सोनिया गांधी के विशेष सलाहकार रह चुके हैं. अहमद पटेल ने पार्टी के अन्य नेताओं को भी लोकसभा चुनाव में मिली हार की जिम्मेदारी लेने का कहा है.

आपको बता दें कल 49 वर्षीय राहुल गांधी ने आम चुनावों में मिली हार की जिम्मेदारी लेते हुए ट्विटर के जरिये अपना इस्तीफा सार्वजनिक किया और कहा कि उन्होंने पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है, वे अब कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष नहीं हैं. इसके साथ ही राहुल ने कहा कि कांग्रेस को अपना नया अध्यक्ष चुनने में अब और देर नहीं करनी चाहिए. उनका यह भी कहना था कि वे इस प्रक्रिया का हिस्सा नहीं हैं क्योंकि उन्होंने पहले ही इस्तीफा दे दिया है. ट्वीटर के जरिये अपना चार पृष्ठीय इस्तीफे में उन्होंने लिखा है कि वे अब पार्टी के मुखिया नहीं हैं और कांग्रेस को जल्द अपनी वर्किंग कमेटी की बैठक बुलानी चाहिए.

कांग्रेस के साथ कुछ भी नहीं हो रहा है सही, अब गुजरात में विधायकों पर पड़ रहा ‘डाका’

जब से लोकसभा चुनाव के नतीजे आए हैं, लगता है कांग्रेस की किस्मत सो गई है. कुछ भी पार्टी के लिए सही नहीं हो रहा है. एक तो पहले से ही राहुल गांधी अध्यक्ष पद से इस्तीफा देकर बैठे हैं, जिससे पार्टी की बागड़ौर कमजोर हो गई है. वहीं दूसरी ओर, लगातार कांग्रेस शासित प्रदेशों में विधायकों पर हो रही डकैती दिल्ली में बैठे नेताओं की नींदे हराम कर रही है. आए दिन कोई न कोई कांग्रेसी विधायक पार्टी से इस्तीफा दे रहा है या फिर गायब हो रहा है. ऐसे में कांग्रेस पर चुनिंदा राज्यों में सरकार खोने का खतरा भी मंडराने लगा है.

फिलहाल राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, पंजाब और पांडिचेरी में कांग्रेस सरकार है जबकि कर्नाटक में जेडीएस के कुमार स्वामी के साथ साझा सरकार है. मध्यप्रदेश में भी पार्टी की सरकार बसपा विधायकों के सहारे टिकी हुई है. लोकसभा चुनाव में करारी शिख्स्त के बाद करीब-करीब सभी राज्यों में कांग्रेस के विधायकों के इस्तीफे और पार्टी छोड़ने का दौर लगातार जारी है. इनमें से अधिकतर विधायक बीजेपी की ओट में जाकर छिप रहे हैं.

यह घटनाक्रम गुजरात और कर्नाटक में ज्यादा देखा जा रहा है. हाल ही में कर्नाटक में तीन कांग्रेसी विधायकों पार्टी से इस्तीफा दे दिया. शेष बचे विधायकों को बचाने के लिए पूर्व सीएम सिद्धारमैया प्रयासों में लगे हैं. अब यह दिक्कत गुजरात में भी आ खड़ी हुई है. गुजरात विधानसभा से लेकर अब तक कांग्रेस के 7 विधायक पार्टी से इस्तीफा दे चुके हैं. अब खबर आ रही है कि 18 अन्य विधायक भी इसी लाइन में खड़े हैं.

हाल ही में कांग्रेस के पूर्व सदस्य अल्पेश ठाकोर ने एक नया बयान देकर कांग्रेस खेमे की मुश्किलों को और हवा दे दी है. दरअसल अल्पेश ने कहा है कि गुजरात में 18 कांग्रेसी विधायक पार्टी छोड़ने का मन बना रहे हैं. इससे कांग्रेसी खेमा एकदम से एक्टिव हो गया है और अपने शेष विधायकों को बचाने की कोशिशों में जुट गया है. इस बयान को बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के गुजरात दौरा करने की खबर से और हवा मिल रही है.

बता दें, इसी महीने में गुजरात राज्यसभा की दो सीटों पर उपचुनाव होने हैं. अमित शाह और स्मृति ईरानी के लोकसभा पहुंचने से यह सीटें खाली हुई हैं. पहले भी इन दोनों सीटों पर एक साथ चुनाव कराने को लेकर कांग्रेस हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटा चुकी है लेकिन उनकी याचिका खारिज कर दी गई. अब बीजेपी कांग्रेसी विधायकों को अपनी तरफ करने का प्रयास कर रही होगी, इस बात में कोई संदेह नहीं है.

राहुल गांधी के कांग्रेस पद से इस्तीफा देने के बाद से पार्टी एक तरह से नेतृत्व विहीन हो चुकी है. ऐसे में पार्टी के दिग्गज़ नेता अहमद पटेल ने कांग्रेस में आए इस प्रवाह को रोकने की जिम्मेदारी राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को सौंपी हैं. गहलोत को अनुभवी राजनीतिज्ञ और रणनीतिकार के तौर पर जाना जाता है जिनका कोई वार कभी खाली नहीं गया. गुजरात विधानसभा चुनावों में भी उन्होंने अपने अनुभव से बीजेपी को कड़ी टक्कर दी थी.

अब अशोक गहलोत ने गुजरात में कांग्रेसी विधायकों की बाड़बंदी गुजरात में नहीं बल्कि राजस्थान में करने की योजना बनाई है. उन्होंने गुजरात में उपस्थित सभी कांग्रेसी विधायकों को माउंट आबू पहुंचने का फरमान सुनाया है. यहां उन्हें सैर सपाटे के लिए बल्कि दो दिन की घेराबंदी के लिए बुलाया है. सभी विधायकों को अचलगढ़ की एक निजी होटल में रखा जाने की सूचना है.

अब गहलोत की यह रणनीति कितनी काम आएगी, इसका तो पता नहीं लेकिन यह पता जरूर चल गया है कि सच में कांग्रेस का अब कोई ठोर-ठिकाना नहीं बचा है. कांग्रेस अध्यक्ष का चयन भी खटाई में पड़ा हुआ है. आगामी कुछ महीनों में हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड में विधानसभा चुनाव भी होने हैं. ऐसे में कांग्रेस का लोकसभा चुनाव की हार भूल फिर खड़े होकर बीजेपी की आंधी का सामना करना आसान काम नहीं लग रहा है.

पूर्व नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर डूडी को मुख्यधारा में लाने को लेकर सक्रिय हुए समर्थक

सात महीने पहले राजस्थान विधानसभा चुनाव के समय मुख्यमंत्री पद की दावेदारी को लेकर अशोक गहलोत और सचिन पायलट के साथ एक नाम बड़ा सुर्खियों में रहा था. वो नाम था रामेश्वर डूडी. पिछले पांच साल राजस्थान की विधानसभा में कांग्रेस के कम सदस्य होने के बावजूद भी सदन में सरकार को घेरने के लिए जिस व्यक्ति अपनी ताकत दिखाई वो नाम था रामेश्वर डूडी.

विधानसभा चुनाव में श्रीगंगानगर जिले और जयपुर की फुलेरा सीट को लेकर सचिन पायलट से एआईसीसी में राहुल गांधी के सामने भिड़ने और बाद में नोखा से विधायक रहे कन्हैयालाल झंवर को बीकानेर पूर्व से टिकट दिलाने और बाद में झंवर का टिकट कटने के बाद खुद के चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा करने वाले डूडी ने आलाकमान तक को उनके आगे झुकने को मजबूर कर दिया था.

इतना ही नहीं विधानसभा चुनाव के दौरान प्रदेश में किसान मुख्यमंत्री की मांग करते हुए खुद को गहलोत और पायलट के समकक्ष बताते हुए कहीं ना कहीं डूडी ने खुद को मुख्यमंत्री के रूप में प्रोजेक्ट तक करने में कोई कसर नहीं छोड़ी. लेकिन विधानसभा चुनाव में नोखा से चुनाव हारना डूडी के राजनीतिक जीवन की सबसे बड़ी क्षति साबित हुई.

वे विधानसभा चुनाव के बाद पूरी तरह से राजनीतिक गलियारों में अचानक ही गायब हो गए. लेकिन लोकसभा चुनाव में एक बार फिर उन्होंने अपने आलोचकों को जवाब दे दिया. अपनी पसंदीदा व्यक्ति मदनगोपाल मेघवाल को बीकानेर लोकसभा से टिकट दिलाकर डूडी ने जिले में अपने धुर विरोधियों को भी यह मैसेज दे दिया कि वे हारने के बाद भी कमजोर नहीं है.

दरअसल जिले में खाजूवाला से विधायक गोविन्द डूडी विरोधी माने जाते हैं और गोविन्द अपनी पुत्री सरिता के लिए बीकानेर लोकसभा का टिकट मांग रहे थे. लेकिन कांग्रेस आलाकमान ने डूडी को तवज्जो देते हुए उनकी सिफारिश पर मदनगोपाल को टिकट दिया. लेकिन लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद कांग्रेस में मची उथलपुथल से सब समीकरण बिगड़ गए.

डूडी के नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद पिछले पांच सालों से उनके समर्थक उन्हें किसानों का सच्चा हितैषी बताते हुए उन्हें किसान केसरी की उपाधि देते हुए उनके जन्मदिन को जोरशोर से मनाते हैं. लेकिन इस बार एक जुलाई को डूडी के जन्मदिन पर उनके समर्थकों ने प्रदेशभर में पौधारोपण किया. साथ ही बीकानेर में भी पौधरोपण किया और प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री और डूडी के प्रबल समर्थक माने जाने वाले भंवर सिंह भाटी, जिला प्रमुख सुशीला सींवर की अगुवाई में पीबीएम अस्पताल के कैंसर वार्ड में पंखे और कूलर भेंट किए.

इस बार डूडी का जन्मदिन मनाकर उनके समर्थकों ने आलाकमान को डूडी की ताकत होने का संकेत दिया. बताया जा रहा है कि डूडी समर्थक फिर से डूडी को राजनीतिक मुख्यधारा में देखना चाहते हैं और इसके लिए डूडी को राजनीतिक रूप से सरकार में भागीदारी दिलाने के लिए बड़ी राजनीतिक नियुक्ति की जल्द घोषणा हो ऐसी उनकी इच्छा है. वहीं सोशल मीडिया में उनके समर्थक उन्हें हाल ही में नागौर की खींवसर और झुंझुनूं की मंडावा विधानसभा सीट के खाली होने पर उन्हें उपचुनाव में उम्मीदवार बनाने को लेकर सक्रिय हो गए हैं. उनका मानना है कि उपचुनाव में जीतकर डूडी विधानसभा में पहुंचेंगे तो फिर से राजनीतिक रूप से मजबूत हो जाएंगे. वहीं कुछ समर्थक उन्हें राजनीतिक नियुक्ति देने की मांग भी कर रहे हैं।

दरअसल कांग्रेस में राहुल गांधी के इस्तीफे की घोषणा के बाद कांग्रेस में उथलपुथल मची हुई है और प्रदेश में भी सियासी पॉलिटिकल ड्रामा चल रहा है ऐसे में उनके समर्थकों को लगता है कि इस भूमिका में डूडी का होना जरूरी है और इसके लिए उन्हें राजनीतिक रूप से मजबूत होना होगा.

प्रदेश में आने वाले समय में निकाय के चुनाव हैं और उसके बाद फरवरी तक पंचायतराज के चुनाव होने हैं, प्रदेश में जाट राजनीति में डूडी का एक बड़ा कद है और पंचायत चुनाव में पार्टी को इसका लाभ मिले इसको लेकर डूडी समर्थक आलाकमान को यह संदेश देना चाहते हैं कि उन्हें मुख्यधारा में लाया जाए और इसलिए इस बार जन्मदिन को ताकत दिखाते हुए मनाया गया. अब डूडी के समर्थकों की इच्छा कब पूरी होगी या आलाकमान की क्या मर्जी है यह तो वक्त बताएगा लेकिन डूडी के समर्थक जल्द ही उनकी ताजपोशी की कवायद में जुट गए हैं

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