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लोकसभा में बोले ओवैसी ‘इस्‍लाम में शादी एक कॉन्ट्रैक्ट, इसे जन्‍मों का बंधन न बनाएं’

गुरुवार को कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने तीसरी बार तीन तलाक बिल को सदन में पेश किया. पूरे दिन चली बहस और हंगामे के बाद शाम को यह विधेयक सदन में पारित हो गया. शाम को हुई वोटिंग में बिल के पक्ष में 303 वोट जबकि विपक्ष में 82 वोट पड़े.

लोकसभा में केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने गुरुवार को तीन तलाक बिल क्या पेश किया, विवादों और हंगामों की झड़ लग गयी. तीन तलाक मुद्दे पर पहले मिनाक्षी लेखी और सपा सांसद अखिलेश यादव भिड़ गए. उसके बाद बीजेपी सांसद रमा देवी के सामने बोली गई शायरी पर सपा सांसद आजम खान घिर गए और उनको सदन छोड़कर जान पड़ा. अब इस लिस्ट में एआईएमआईएम सांसद असदु्द्दीन ओवैसी का नाम न हो, ऐसा तो हो ही नहीं सकता. आवैसी ने तीन तलाक बिल पर बोलते हुए इसे न केवल मुस्लिम महिलाओं के लिए जुर्म की संज्ञा दे दी, साथ ही इस्लाम में शादी को एक कॉन्ट्रैक्ट भी बताया.

तीन तलाक पर बोलते हुए ओवैसी ने कहा कि इस्‍लाम में शादी जन्‍म-जन्‍म का साथ नहीं होता, केवल एक कॉन्ट्रैक्ट होता है और वो भी सिर्फ एक जिंदगी के लिए, हम उसमें खुश हैं. इसकी तकलीफ सबको मालूम है. इस्‍लाम में तलाक भी नौ तरह के होते हैं. तीन तलाक बिल मुस्लिम महिलाओं के पक्ष में नहीं बल्कि उनके खिलाफ जुर्म करेगा. तीन तलाक कानून के अनुसार, अगर आप शौहर को गिरफ्तार करेंगे तो खातून (पत्नी) को मुआवजा कौन देगा क्योंकि जेल में बैठकर तो कोई ऐसा कर नहीं सकता. 3 साल के बाद शौहर जेल से बाहर आएगा तो क्या बीवी उसका स्वागत करेगी, इन सब बातों के लिए बिल में किसी तरह का कोई जिक्र नहीं है. दरअसल तीन तलाक बिल में तीन साल की सजा और मुआवजे का प्रावधान है.

ओवैसी ने कहा कि इस बिल में तीन तलाक को अपराध बना दिया है. तीन तलाक अगर गलती से कहा जाए तो शादी नहीं टूटती और यही सुप्रीम कोर्ट भी कह रहा है. इस कानून के जरिए सरकार मुस्लिम औरतों पर जुर्म कर रही है. ओवैसी ने सत्तापक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि कोर्ट ने समलैंगिकता को गैर अपराधिक बना दिया है और आप तीन तलाक को अपराध बनाकर नया हिन्दुस्तान बनाने जा रहे हैं. ओवैसी ने आगे कहा ये सरकार उस वक्त कहां गई थी जब इनके एक मंत्री पर मीटू का इल्जाम लगा था. 23 लाख हिंदू महिलाएं अपने पति से अलग रह रही हैं और इनके लिए सरकार के पास कुछ नहीं है.

ओवैसी ने अपने संबोधन को मजहबी दिशा में मोड़ते हुए कहा कि मुस्लिमों को तहजीब से दूर करने के लिए यह बिल लाया गया है. तीन तलाक बिल लाकर सरकार शादी खत्‍म कर रही है और मुस्लिम औरतों को सड़क पर ला रही है.

लोकसभा में पास हुए तीन तलाक बिल को राज्यसभा की चुनौती

लोकसभा में लंबी बहस और भारी शोर शराबे के बीच आखिर तीन तलाक बिल पास हो गया. द मुस्लिम वुमन (प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स ऑन मैरिज) बिल, 2019, जिसे तीन तलाक के नाम से जाना जाता है, गुरुवार को लोकसभा में ध्वनिमत से पास किया गया. इस बिल में यह प्रावधान है कि फौरन तीन तलाक देने पर पति को तीन साल तक कैद की सजा हो सकती है. इस विधेयक के कानून बनने से पहले अब राज्यसभा में पास कराना होगा.

गुरुवार को कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने तीसरी बार तीन तलाक बिल को सदन में पेश किया. पूरे दिन बहस का दौर चलता रहा. शाम को हुई वोटिंग में बिल के पक्ष में 303 वोट जबकि विपक्ष में 82 वोट पड़े. लोकसभा में ध्वनिमत से पास हुए इस बिल के विरोध में कांग्रेस, टीएमसी, जेडीयू और बीएसपी के सांसदों ने लोकसभा से वॉकआउट किया. साथ ही ओवैसी की ओर से लाए गए दो संशोधनों को भी सदन ने ध्वनिमत से खारिज कर दिया.

इससे पहले कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों ने ट्रिपल तलाक बिल पर जमकर विरोध जताया. बिल पर बोलते हुए AIMIM सांसद असदु्द्दीन ओवैसी ने कहा कि इस्‍लाम में शादी जन्‍म-जन्‍म का साथ नहीं होता, केवल एक कॉन्ट्रैक्ट होता है और वो भी सिर्फ एक जिंदगी के लिए. हम उसमें खुश हैं. इसकी तकलीफ सबको मालूम है. इस बिल में तीन तलाक को अपराध बना दिया है. ओवैसी ने कहा कि मुस्लिमों को तहजीब से दूर करने के लिए यह बिल लाया गया है. तीन तलाक बिल लाकर सरकार शादी खत्‍म कर रही है और मुस्लिम औरतों को सड़क पर ला रही है.

लोकसभा में ट्रिपल तलाक बिल के पारित होने के बाद अब इसे राज्यसभा भेजा जाएगा. यहां बीजेपी की अगुवाई वाली एनडीए के लिए इस बिल को पास कराना टेडी खीर साबित होगा. यहां NDA लिए सबसे बड़ी समस्या बहुमत की है. पिछली मोदी सरकार में भी ट्रिपल तलाक बिल को लोकसभा के बाद राज्यसभा में पेश किया जा चुका है लेकिन बहुमत के अभाव के चलते यह ठंडे बस्ते में चला गया था.

245 सदस्यीय वाली राज्यसभा में बहुमत का आंकड़ा 123 है. टीडीपी और इनेलो के पांच राज्यसभा सांसदों को अपने पाले में कर लेने के बाद बीजेपी की अगुवाई वाली एनडीए के राज्यसभा में 117 सदस्य हैं. नीतीश कुमार की जदयू पार्टी के 6 सांसद राज्यसभा में हैं. एनडीए के फैसलों का लगातार विरोध कर रही जदयू राज्यसभा में तीन तलाक बिल का समर्थन करें, इसकी संभावना बिलकुल नहीं लगती है.

अगर तीन तलाक मसले पर जदयू ने एनडीए का साथ छोड़ा जो की लगभग तय है, ऐसे में एनडीए के पास राज्यसभा में केवल 111 सदस्य होंगे जो बिल का समर्थन करेंगे. यह संख्या बहुमत से 12 वोट दूर है. इतने सदस्यों के साथ तो इस बिल को राज्यसभा से पास करा पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है. अगर विपक्ष से कुछ सदस्य अनुपस्थित होते हैं तो उस स्थिति में ये बिल पारित होकर बाहर आ सकता है. हालांकि इस बारे में केवल कयास ही लगाए जा सकते हैं.

संसद का मौजूदा सत्र 7 अगस्त तक बढ़ा, बीजेपी की 26 बिल पास कराने की कोशिश

केंद्र सरकार की सिफारिश पर 17वीं लोकसभा का मौजूदा सत्र 7 अगस्त तक बढ़ा दिया गया है. संसदीय मामलों की कैबिनेट समिति ने 7 अगस्त तक संसद सत्र बढ़ाने का फैसला किया है.  सदन सत्र के बढ़ने के संकेत मंगलवार को हुई भाजपा की संसदीय बोर्ड की बैठक में पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने पहले ही दे दिए थे. हालांकि कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी पार्टियों ने सत्र की अवधि बढ़ाने का विरोध किया. संसद का मौजूदा बजट और मानसून सत्र 17 जून से शुरू हुआ था. इसका समापन कल 26 जुलाई को होना था. पॉलिटॉक्स अपनी विशेष रिपोर्ट में पहले ही बता चुका है कि संसद सदन का सत्र 10 से 15 दिनों के लिए बढ़ाया जा सकता है.

यह भी पढ़ें: संसद का मौजूदा सत्र 15 दिन बढ़ने के आसार, कांग्रेस का विरोध

सदन के सत्र को बढ़ाने के पीछे सरकार की एक खास मंशा भी छिपी है. सरकार को आशंका है कि स्थायी समितियों का गठन होने के बाद विधेयकों को पारित कराने में देर लगेगी और विवादास्पद विधेयक पारित होना मुश्किल हो सकता है. सरकार इस परिस्थिति का लाभ उठाते हुए कम से कम 26 विधेयक पारित कराना चाहती है. इनमें तीन तलाक विधेयक भी शामिल है. बता दें, नई लोकसभा का गठन होने के बाद अब तक संसद की स्थायी समितियों का गठन नहीं हो पाया है.

वहीं लोकसभा में कांग्रेस के मुख्य सचेतक के सुरेश ने कहा कि उनकी पार्टी संसद सत्र की अवधि बढ़ाने के सख्त खिलाफ है. संसद का सत्र बढ़ाने का कार्य सरकार का विशेषाधिकार नहीं माना जा सकता. नई लोकसभा के पहले सत्र में बजट ओर वित्त विधेयक पारित होने का कार्य संपन्न हो चुका है.

एक लेख के राइटर का नाम नरेंद्र मोदी बताने पर हुआ हंगामा

तीन तलाक बिल पर लोकसभा में भिड़े मिनाक्षी लेखी और अखिलेश यादव

PoliTalks news

केंद्रीय विधि एवं कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने गुरुवार को तीन तलाक विधेयक लोकसभा में पेश किया. इस बिल पर जब बहस चल रही थी, उसी समय बीजेपी की सांसद मीनाक्षी लेखी और सपा सांसद अखिलेश यादव में तीखी नोकझोंक हो गयी. अपने संबोधन में बार-बार टोके जाने पर नाराज मीनाक्षी लेखी ने सीधे-सीधे अखिलेश यादव पर आरोप लगाते हुए यूपी में मुस्लिम महिलाओं की दयनीय स्थिति के लिए पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को जिम्मेदार ठहराया.

मिनाक्षी ने भरे सदन में कहा कि अखिलेश यादव ने अगर अपने कार्यकाल में उत्तर प्रदेश के अंदर शरिया अदालतें बंद कर दी होती तो वहां की महिलाओं के साथ अन्याय नहीं हुआ होता. उन्होंने कहा कि महिलाओं से अन्याय का सबसे मुख्य कारण वे शरिया अदालते हैं, जो इनके समय चलती रहीं. मुख्यमंत्री थे ये. किस तरह के मुख्यमंत्री थे ये जो मुस्लिम महिलाओं के हकूकों को नहीं बचा सके.

उनकी बात सुनकर अखिलेश यादव गुस्सा हो गए. वह अपनी सीट से उठकर मिनाक्षी लेखी से बहस करने लगे. इस दौरान लोकसभा में उपस्थित सपा सांसदों ने भी हंगामा करना शुरू कर दिया. इस पर स्पीकर ने उन्हें शांत करते हुए कहा कि वह अपनी बारी आने पर बात रखें. अखिलेश यादव फिर भी नहीं माने और अपनी सीट से खड़े होकर विरोध जताने लगे. स्पीकर के समझाने के बाद वे अपनी सीट पर बैठे.

इससे पहले मीनाक्षी लेखी ने कहा कि PM मोदी देश के प्रधानमंत्री होने का हक अदा कर रहे हैं जो जवाहर लाल नेहरू के बाद राजीव गांधी ने नहीं अदा किया था. विपक्ष मानता है कि हिंदू पीएम मोदी मुस्लिम महिलाओं का भाई नहीं हो सकते.

आरटीआई कानून संशोधन विधेयक राज्यसभा में पारित होना मुश्किल

आरटीआई कानून संशोधन विधेयक लोकसभा में पारित हो चुका है, लेकिन राज्यसभा में इसके पारित होने में दिक्कत है. विपक्षी पार्टियों सहित 14 पार्टियां इस विधेयक का विरोध कर रही हैं. तृणमूल कांग्रेस ने इसके खिलाफ नोटिस दिया है. नोटिस पर दस्तखत करने वालों में कांग्रेस के 48, तृणमूल कांग्रेस के 13, द्रमुक के 3, सपा के 12, राकांपा के 4, भाकपा के 2, माकपा के 5, आम आदमी पार्टी के 3, बसपा के 4, पीडीपी के 2, तेदेपा के 2, बीजद के 7, आईयूएमएल का एक और राजद के 5 राज्यसभा सांसद शामिल हैं.

बुधवार को राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने इस विधेयक को प्रवर समिति (सलेक्ट कमेटी) के पास भेजने की मांग की थी. उन्होंने कहा कि आरटीआई कानून में जो संशोधन लाया जा रहा है, उससे राज्य सरकारों के अधिकारों पर भी असर पड़ रहा है. आजाद की मांग पर सरकार ने कोई जवाब नहीं दिया. सदन के नेता थावरचंद गहलोत ने कहा कि अभी विधेयक सदन में पेश नहीं हुआ है. इस पर आगे कुछ कहने का फिलहाल कोई औचित्य नहीं है.

गौरतलब है कि आरटीआई कानून संशोधन विधेयक पर बुधवार को ही हंगामा होने लगा था. विपक्ष ने आरोप लगाया कि सरकार सूचना का अधिकार कानून को कमजोर करना चाहती है. लोकसभा में भी वह समितियों से समीक्षा कराए बगैर महत्वपूर्ण विधेयक पारित करा रही है. राज्यसभा में यह नहीं चलेगा. सरकार को कई विधेयक संसद से पारित कराना है. इसके लिए सत्र की अवधि भी बढ़ाई जा रही है. विपक्ष इनमें से आरटीआई कानून संशोधन, तीन तलाक सहित सात विधेयकों को पारित करने से पहले जांच पड़ताल जरूरी मानता है.

इस मुद्दे पर यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी ने विपक्षी पार्टियों के साथ बैठक की थी. बैठक में सपा और तृणमूल कांग्रेस के सदस्य शामिल नहीं हुए. बाद में विपक्षी नेताओं की बैठक गुलाम नबी आजाद के कक्ष में हुई. विपक्ष इन विधेयकों को प्रवर समिति के पास या स्थायी समिति के पास भेजने की मांग करेगा. राजद नेता मनोज झा ने कहा कि सूचना का अधिकार कानून के तहत जो अधिकार लोगों को मिला था, उससे उनका सशक्तिकरण हुआ था, उन सबको इस बिल के जरिए ध्वस्त किया जा रहा है. हम चाहते हैं कि यह बिल सलेक्ट कमेटी को भेजा जाए. भाजपा सांसद राकेश सिन्हा ने कहा कि आरटीआई कानून को और मजबूत किया जा रहा है, जिससे उसका रचनात्मक और पारदर्शी तरीके से उपयोग किया जा सके और इसका दुरुपयोग भी रोका जा सके.

आरटीआई कानून में संशोधन का विरोध संसद से बाहर भी शुरू हो गया है. बुधवार को पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त और पूर्व चुनाव आयुक्त आरटीआई कानून में संशोधन के खिलाफ एक ही मंच पर दिखे और सरकार की पहल का विरोध किया. इसके अलावा देश के विभिन्न शहरों में विरोध शुरू हो चुका है.

अगर सूचना का अधिकार कानून संशोधन विधेयक पारित हो गया तो मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों के वेतन, भत्ते और सेवा शर्तें मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्तों के बराबर होंगी. मुख्य सूचना आयुक्त को सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश के समान वेतन भत्ते का प्रावधान है. कानून में संशोधन के बाद वेतन-भत्ते केंद्र सरकार तय करेगी. मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों का कार्यकाल भी पांच से घटकर तीन साल रह जाएगा.

तीन तलाक विरोधी विधेयक पर सियासत शुरू

केंद्रीय विधि एवं कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने गुरुवार को तीन तलाक विधेयक लोकसभा में पेश कर दिया. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक से आजादी दिलाने का जो वादा किया था, यह उसे पूरा करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है. प्रसाद ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने भी तीन तलाक पर कानून बनाने के लिए कहा है. सामाजिक परिस्थितियों को देखते हुए यह कानून एक जरूरी कदम है.

रविशंकर प्रसाद ने कहा, सुप्रीम कोर्ट इसे गलत बता चुका है. कानून बनाने का भी आदेश दिया है. अब क्या कोर्ट के फैसले को पीड़ित बहनें घर में टांगें, कोई कार्रवाई नहीं होगी. महिलाओं के साथ न्याय भारतीय संविधान का मूल दर्शन है. न्याय हमारी सरकार का महत्वपूर्ण विषय है. इस सदन की आवाज खामोश नहीं रहेगी. महिलाओं को न्याय दिलाकर रहेगी. मेरी सदन से गुजारिश है कि इसे सियासी चश्मे से न देखे. यह इंसाफ और इंसानियत का मामला है और इसे ऐसे ही देखें. यह मामला नारी न्याय, नारी सम्मान और नारी गरिमा का है. पहले जब हम इस बिल को लेकर आए थे, तब कुछ आशंकाएं थीं, हमने उन आशंकाओं को दूर किया है.

गौरतलब है कि तीन तलाक विधेयक अत्यंत विवादास्पद मुद्दा है और लंबे समय से विचाराधीन है. फिलहाल जो तीन तलाक विधेयक लोकसभा में पेश किया गया है, उस पर भाजपा की सहयोगी पार्टी जदयू को भी एतराज है. हालांकि लोकसभा में भाजपा का स्पष्ट बहुमत होने से विधेयक पारित हो जाएगा, लेकिन राज्यसभा में इसे पारित कराना मुश्किल है. लोकसभा में तीन तलाक विधेयक पर बहस शुरू हो चुकी है और बहस के बाद यह पारित हो जाएगा.

मोदी सरकार ने अपने पिछले कार्यकाल में भी इस विधेयक को पारित कराने का प्रयास किया था, लेकिन राज्यसभा में विधेयक पारित नहीं हो पाया. लोकसभा भंग होने के बाद नई लोकसभा में फिर से यह विधेयक पेश किया गया है. राज्यसभा में एनडीए के पास बहुमत नहीं है. करीब आधा दर्जन सदस्यों की कमी है. ऐसे में अगर कुछ और दल विधेयक के विरोध में आ गए तो राज्यसभा में यह विधेयक फिर अटक सकता है. जदयू का कहना है कि इस विधेयक को लाने से पहले मोदी सरकार ने कोई चर्चा नहीं की है. वहीं यह भी आपत्ति है कि तीन तलाक का अपराधीकरण होने से पीड़ित महिलाओं की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. विधेयक लाने से पहले आम लोगों की राय लेनी थी और राजनीतिक दलों से भी बातचीत करनी चाहिए थी. राज्यसभा में जदयू तीन तलाक विधेयक को स्थायी समिति के पास भेजने की मांग कर सकती है. विपक्षी पार्टियों का भी कहना है कि विधेयक के कई प्रावधान ठीक नहीं है.

राज्यसभा का गणित यह है कि तेलुगु देशम पार्टी और इनेलो के पांच सदस्य एनडीए के साथ आने के बाद एनडीए का संख्याबल 117 है. राज्यसभा में कुल 245 सदस्य हैं. बहुमत के लिए 123 सदस्य होना चाहिए. तीन तलाक मुद्दे पर अगर जदयू ने एनडीए का साथ नहीं दिया तो एनडीए के सदस्यों की संख्या 111 रह जाएगी. इससे सरकार को विधेयक पारित कराना मुश्किल होगा. राज्यसभा में आरटीआई कानून संशोधन विधेयक के मुद्दे पर तृणमूल कांग्रेस ने नोटिस दिया है, जिस पर 14 राजनीतिक पार्टियां एकसाथ हैं. इसमें बीजद भी शामिल है, जिसके सात सदस्य हैं. तृणमूल कांग्रेस के नोटिस पर दस्तखत करने वालों में कांग्रेस के 48, तृणमूल कांग्रेस के 13, द्रमुक के 3, सपा के 12, राकांपा के 4, भाकपा के 2, माकपा के 5, आम आदमी पार्टी के 3, बसपा के 4, पीडीपी के 2, तेदेपा के 2, बीजद के 7, आईयूएमएल का एक और राजद के 5 राज्यसभा सांसद शामिल हैं.

आतंकवाद के खिलाफ यूएपीए बिल लोकसभा में पारित, कांग्रेस ने किया सदन से वाकआउट

विधि विरुद्ध क्रियाकलाप निवारण संशोधन विधेयक 2019 (UAPA बिल) बुधवार को लोकसभा में पारित हो गया. इसके पक्ष में 288 जबकि विरोध में सिर्फ आठ वोट पड़े. विधेयक पर मत विभाजन से पहले ही कांग्रेस के सदस्य सदन से बाहर चले गए थे. विधेयक पारित होने से पहले सदन में जोरदार बहस हुई. गृहमंत्री अमित शाह ने बहस का जवाब दिया. उन्होंने कहा कि आतंकवाद से निबटने के लिए देश में कठोर कानून की जरूरत है.

अमित शाह ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय संघ के अलावा अमेरिका, पाकिस्तान, चीन और इजराइल जैसे देशों में व्यक्ति विशेष को आतंकवादी घोषित करने का प्रावधान है, लेकिन हमारे यहां के विपक्षी दल कहते हैं कि इस कानून की क्या जरूरत है? हमें ध्यान रखना चाहिए कि जब हम किसी संगठन को आतंकवादी घोषित करते हैं तो वह उस संगठन को बंद करके दूसरा संगठन शुरू कर देता है. इससे निबटने के लिए कानून की जरूरत है. आतंकवाद बंदूक से नहीं बल्कि प्रचार और उन्माद से पैदा होता है. अगर ऐसा करने वालों को आतंकवादी घोषित किया जाता है तो भला इससे किसी को क्या आपत्ति हो सकती है? आतंकवाद के खिलाफ सरकार लड़ाई लड़ती है. ऐसे में कौनसी पार्टी उस वक्त सत्ता में है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ना चाहिए.

विधेयक पर बहस के दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने कहा कि सरकार इस विधेयक को लेकर जल्दबाजी कर रही है. कांग्रेस के मनीष तिवारी ने उसे देश को पुलिस राज्य में तब्दील करने वाला बताया. एआईएमआईएम सांसद असदउद्दीन ओवैसी ने विधेयक में कई संशोधन करने की मांग की, जो सदन में ध्वनिमत से नामंजूर कर दिए गए. ओवैसी ने कहा कि निष्ठुर कानूनों का पहले कांग्रेस ने दुरुपयोग किया और अब भाजपा सरकार दलितों और मुसलमानों के खिलाफ इसका उपयोग कर रही है. उन्होंने कहा, मैं इसके लिए कांग्रेस को दोषी मानता हूं. इस कानून को लाने के लिए वे मुख्य दोषी हैं. जब वे सत्ता में होते हैं तो भाजपा के बड़े भाई बनते हैं और जब वे सत्ता खो देते हैं तो मुसलमानों के बड़े भाई बन जाते हैं.

यूएपीए अधिनिया का उद्देश्य देश की अखंडता और संप्रभुता के खिलाफ होने वाली गतिविधियों पर अंकुश लगाना है. इस विधेयक के अनुसार सरकार किसी संगठन को पहली अनुसूची में शामिल कर आतंकी संगठन घोषित कर सकती है. पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सरकार के दौरान यह कानून लाया गया था. इसमें संशोधन कर चौथी अनुसूची जोड़ी गई है. इसके तहत व्यक्तियों के नाम भी इसमें शामिल किए जा सकेंगे.

विधेयक का विरोध कर रहे सदस्यों को व्यक्ति विशेष को आतंकवादी घोषित करने पर एतराज है. यह कानून बनने के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनआईए) किसी को भी आतंकवादी बताकर उसकी संपत्ति जब्त कर सकती है. इसके लिए उससे राज्य सरकार से अनुमति लेने की जरूरत नहीं होगी. इससे नागरिकों के अधिकारों का उल्लंघन होगा और संविधान के तहत देश के संघीय ढांचे को नुकसान को पहुंचेगा.

ओवैसी ने कहा कि यह विधेयक संविधान की धारा 15 और 21 का उल्लंघन है. उम्मीद है कि सरकार अन्याय के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर चलेगी. अक्सर ऐसा देखा गया है कि आतंक विरोधी कानून के तहत कई मुसलमानों को जेल में डाल दिया जाता है, जो बाद में अदालत से बेगुनाह बरी होते हैं. देश में चाहे कांग्रेस की सरकार हो या भाजपा की, इस तरह के खतरनाक कानूनों का उपयोग मुसलमानों और दलितों के खिलाफ ही होता रहा है.

तृणमूल कांग्रेस की महुआ मोइत्रा ने कहा कि जो भी सरकार का विरोध करता है, उसे राष्ट्र द्रोही बताया जा रहा है. विपक्षी नेता, सामाजिक कार्यकर्ता, अल्पसंख्यक आदि इनमें शामिल हैं. जो भी एक विशेष विचारधारा की आलोचना करता है, वह सरकार के निशाने पर है. राष्ट्र द्रोही का ठप्पा लगने का जोखिम उठाते हुए भी हम हमेशा इस तरह के विधेयक का विरोध करते रहेंगे. महुआ की बात पर भाजपा सदस्यों ने जमकर हंगामा किया. संसदीय कार्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने महुआ मोइत्रा से अपने शब्द वापस लेने की मांग की. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की सुप्रिया सुले ने भी बहस में भाग लेते हुए विधेयक के कुछ प्रावधानों का विरोध किया.

बहस के जवाब में अमित शाह ने कहा कि देश में आतंकवाद के खिलाफ सख्त कानून बनाने की जरूरत है. नक्सलियों के मददगार शहरी नक्सलियों के खिलाफ भी कानून जरूरी है. आतंकवादी गतिविधियों में शामिल किसी संगठन को आतंकवादी घोषित करने का प्रावधान तो एनआईए कानून में है, लेकिन आतंकी वारदात को अंजाम देने वाले या इसकी साजिश रचने वाले लोगों को आतंकवादी घोषित करने का अधिकार एनआईए के पास नहीं है. इसी लिए कानून में संशोधन किया जा रहा है.

अमित शाह ने उदाहरण देते हुए कहा कि एनआईए ने यासीन भटकल के संगठन इंडियन मुजाहिदीन को आतंकवादी संगठन घोषित किया था, लेकिन उसे आतंकवादी घोषित नहीं किया, जिसका फायदा उठाते हुए उसने 12 आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया था. शहरी नक्सलियों को लेकर उन्होंने कहा कि सामाजिक जीवन में देश के लिए काम करने वाले बहुत से लोग हैं, लेकिन जो लोग शहरी माओवाद के लिए काम करते हैं उनके लिए हमारे दिल में बिलकुल भी संवेदना नहीं है.

 

धारीवाल ने नरेन्द्र मोदी को बताया सफाईकर्मियों को पीड़ा पहुंचाने वाली पुस्तक का लेखक, सदन में हंगामा

राजस्थान विधानसभा में बुधवार को मंत्री शान्ति धारीवाल के एक बोल पर जोरदार हंगामा हो गया. जिसके चलते विधानसभा अध्यक्ष सी.पी. जोशी को सदन की कार्यवाही को गुरुवार तक के लिए स्थगित करना पड़ा.

स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल के एक बोल पर बुधवार को विधानसभा में दोनों पक्षो के बीच जोरदार हंगामा हो गया. दरअसल मंत्री शान्ति धारीवाल ने नगर आयोजना व प्रादेशिक विकास की अनुदान मांगों पर जवाब देते हुए कहा कि सफाईकर्मियों के लिए पूर्ववर्त्ती सरकारों ने कुछ नहीं किया. कुछ पुस्तकों में सफाईकर्मियों के किये पीड़ादायक शब्दों का प्रयोग किया गया है. मंत्री धारीवाल ने एक पुस्तक का हवाला देते हुए सदन में कहा कि एक पुस्तक के लेखक ने लिखा है कि वाल्मीकि समाज जो काम करता है उसको वाल्मीकि समाज अच्छा मानता है और ऐसा काम करने से उनको आध्यात्म की प्राप्ति होती है. इस पर उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ द्वारा इस पर आपत्ति की तो मंत्री धारीवाल ने कहा कि इसके लेखक की निन्दा करनी चाहिए.

इसके बाद नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया ने लेखक का नाम पूछा, फिर मंत्री धारीवाल ने विधायकों से पूछा कि आप इसके लेखक की निंदा करेंगे या तारीफ. इस पर विधायक बोले निन्दा करेंगे. तब धारीवाल ने जवाब दिया कि यह भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लिखा है. मंत्री शान्ति धारीवाल द्वारा इतना कहते ही विपक्ष सदन में खड़ा हो गया और मंत्री धारीवाल से अपनी बात को टेबल करने की मांग की. विपक्ष के सभी विधायकों ने नरेन्द्र मोदी का नाम लिए जाने पर गहरी आपत्ति जताते हुए जोरदार हंगामा किया. विपक्ष ने शान्ति धारीवाल से पुस्तक का नाम दिखाने को कहा. साथ ही विपक्ष के कुछ नेताओं ने मंत्री धारीवाल से इस्तीफा देने की मांग भी की.

हंगामा बढ़ता देख स्पीकर सी. पी. जोशी को सदन की कार्यवाही को गुरुवार तक के लिए स्थगित करना पड़ा. अध्यक्ष द्वारा सदन स्थगित किये जाने के बाद भी विपक्ष के विधायकों का विरोध खत्म नहीं हुआ. विपक्ष के विधायकों ने वैल में धरने पर बैठकर नारेबाजी की. विधानसभा अध्यक्ष के गुरुवार को मामला दिखवाने के आश्वासन के बाद विपक्ष ने धरना समाप्त कर दिया.

‘राहुल गांधी इमरान खान के चीयरलीडर की तरह व्यवहार कर रहे हैं’

लगता है, कर्नाटक में जेडीएस-कांग्रेस सरकार गिरने के बाद बीजेपी के सभी नेताओं के हौसले काफी मजबूत हो गए हैं. शायद यही वजह रही कि सरकार गिरने के सिर्फ कुछ घंटों के भीतर बीजेपी नेताओं के ऐसे ऐसे बयान आने शुरू हो गए जो न केवल अजीबोगरीब हैं बल्कि राजनीति गलियारों में हलचल मचाने वाले भी हैं. शिवराज सिंह और एमपी में नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव के बयान ऐसी ही कैटेगिरी में रखे जा सकते हैं.

आज सदन में कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता को लेकर डोनाल्ड ट्रंप का विवादित बयान भी छाया रहा. विपक्ष का कई बार वॉकआउट हुआ. इसी संबंध में राहुल गांधी ने भी पीएम नरेंद्र मोदी से सवाल किया कि अगर ट्रंप का दावा सही है तो प्रधानमंत्री मोदी ने भारत के हितों के साथ धोखा किया है. प्रधानमंत्री को बताना चाहिए कि ट्रंप और उनके बीच की बैठक में आखिर क्या बात हुई थी. इस पर बिहार के बेगुसराय सांसद गिरिराज सिंह ने राहुल गांधी को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की चीयर लीडर बताया है. अब उनकी यह पोस्ट सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही है. कई नेताओं ने गिरिराज को लेकर जमकर कमेंट किए हैं.

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Evden eve nakliyat şehirler arası nakliyat