विधि विरुद्ध क्रियाकलाप निवारण संशोधन विधेयक 2019 (UAPA बिल) बुधवार को लोकसभा में पारित हो गया. इसके पक्ष में 288 जबकि विरोध में सिर्फ आठ वोट पड़े. विधेयक पर मत विभाजन से पहले ही कांग्रेस के सदस्य सदन से बाहर चले गए थे. विधेयक पारित होने से पहले सदन में जोरदार बहस हुई. गृहमंत्री अमित शाह ने बहस का जवाब दिया. उन्होंने कहा कि आतंकवाद से निबटने के लिए देश में कठोर कानून की जरूरत है.

अमित शाह ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय संघ के अलावा अमेरिका, पाकिस्तान, चीन और इजराइल जैसे देशों में व्यक्ति विशेष को आतंकवादी घोषित करने का प्रावधान है, लेकिन हमारे यहां के विपक्षी दल कहते हैं कि इस कानून की क्या जरूरत है? हमें ध्यान रखना चाहिए कि जब हम किसी संगठन को आतंकवादी घोषित करते हैं तो वह उस संगठन को बंद करके दूसरा संगठन शुरू कर देता है. इससे निबटने के लिए कानून की जरूरत है. आतंकवाद बंदूक से नहीं बल्कि प्रचार और उन्माद से पैदा होता है. अगर ऐसा करने वालों को आतंकवादी घोषित किया जाता है तो भला इससे किसी को क्या आपत्ति हो सकती है? आतंकवाद के खिलाफ सरकार लड़ाई लड़ती है. ऐसे में कौनसी पार्टी उस वक्त सत्ता में है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ना चाहिए.

विधेयक पर बहस के दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने कहा कि सरकार इस विधेयक को लेकर जल्दबाजी कर रही है. कांग्रेस के मनीष तिवारी ने उसे देश को पुलिस राज्य में तब्दील करने वाला बताया. एआईएमआईएम सांसद असदउद्दीन ओवैसी ने विधेयक में कई संशोधन करने की मांग की, जो सदन में ध्वनिमत से नामंजूर कर दिए गए. ओवैसी ने कहा कि निष्ठुर कानूनों का पहले कांग्रेस ने दुरुपयोग किया और अब भाजपा सरकार दलितों और मुसलमानों के खिलाफ इसका उपयोग कर रही है. उन्होंने कहा, मैं इसके लिए कांग्रेस को दोषी मानता हूं. इस कानून को लाने के लिए वे मुख्य दोषी हैं. जब वे सत्ता में होते हैं तो भाजपा के बड़े भाई बनते हैं और जब वे सत्ता खो देते हैं तो मुसलमानों के बड़े भाई बन जाते हैं.

यूएपीए अधिनिया का उद्देश्य देश की अखंडता और संप्रभुता के खिलाफ होने वाली गतिविधियों पर अंकुश लगाना है. इस विधेयक के अनुसार सरकार किसी संगठन को पहली अनुसूची में शामिल कर आतंकी संगठन घोषित कर सकती है. पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सरकार के दौरान यह कानून लाया गया था. इसमें संशोधन कर चौथी अनुसूची जोड़ी गई है. इसके तहत व्यक्तियों के नाम भी इसमें शामिल किए जा सकेंगे.

विधेयक का विरोध कर रहे सदस्यों को व्यक्ति विशेष को आतंकवादी घोषित करने पर एतराज है. यह कानून बनने के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनआईए) किसी को भी आतंकवादी बताकर उसकी संपत्ति जब्त कर सकती है. इसके लिए उससे राज्य सरकार से अनुमति लेने की जरूरत नहीं होगी. इससे नागरिकों के अधिकारों का उल्लंघन होगा और संविधान के तहत देश के संघीय ढांचे को नुकसान को पहुंचेगा.

ओवैसी ने कहा कि यह विधेयक संविधान की धारा 15 और 21 का उल्लंघन है. उम्मीद है कि सरकार अन्याय के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर चलेगी. अक्सर ऐसा देखा गया है कि आतंक विरोधी कानून के तहत कई मुसलमानों को जेल में डाल दिया जाता है, जो बाद में अदालत से बेगुनाह बरी होते हैं. देश में चाहे कांग्रेस की सरकार हो या भाजपा की, इस तरह के खतरनाक कानूनों का उपयोग मुसलमानों और दलितों के खिलाफ ही होता रहा है.

तृणमूल कांग्रेस की महुआ मोइत्रा ने कहा कि जो भी सरकार का विरोध करता है, उसे राष्ट्र द्रोही बताया जा रहा है. विपक्षी नेता, सामाजिक कार्यकर्ता, अल्पसंख्यक आदि इनमें शामिल हैं. जो भी एक विशेष विचारधारा की आलोचना करता है, वह सरकार के निशाने पर है. राष्ट्र द्रोही का ठप्पा लगने का जोखिम उठाते हुए भी हम हमेशा इस तरह के विधेयक का विरोध करते रहेंगे. महुआ की बात पर भाजपा सदस्यों ने जमकर हंगामा किया. संसदीय कार्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने महुआ मोइत्रा से अपने शब्द वापस लेने की मांग की. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की सुप्रिया सुले ने भी बहस में भाग लेते हुए विधेयक के कुछ प्रावधानों का विरोध किया.

बहस के जवाब में अमित शाह ने कहा कि देश में आतंकवाद के खिलाफ सख्त कानून बनाने की जरूरत है. नक्सलियों के मददगार शहरी नक्सलियों के खिलाफ भी कानून जरूरी है. आतंकवादी गतिविधियों में शामिल किसी संगठन को आतंकवादी घोषित करने का प्रावधान तो एनआईए कानून में है, लेकिन आतंकी वारदात को अंजाम देने वाले या इसकी साजिश रचने वाले लोगों को आतंकवादी घोषित करने का अधिकार एनआईए के पास नहीं है. इसी लिए कानून में संशोधन किया जा रहा है.

अमित शाह ने उदाहरण देते हुए कहा कि एनआईए ने यासीन भटकल के संगठन इंडियन मुजाहिदीन को आतंकवादी संगठन घोषित किया था, लेकिन उसे आतंकवादी घोषित नहीं किया, जिसका फायदा उठाते हुए उसने 12 आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया था. शहरी नक्सलियों को लेकर उन्होंने कहा कि सामाजिक जीवन में देश के लिए काम करने वाले बहुत से लोग हैं, लेकिन जो लोग शहरी माओवाद के लिए काम करते हैं उनके लिए हमारे दिल में बिलकुल भी संवेदना नहीं है.

 

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