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राज्यसभा से भी पास हुआ तीन तलाक बिल, पॉलिटॉक्स की खबर पर लगी मुहर

देश की संसद ने आज इतिहास रच दिया. लोकसभा के बाद राज्यसभा से तीन तलाक बिल यानि द मुस्लिम वुमन (प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स ऑन मैरिज) बिल, 2019 पास हो गया. यह मोदी सरकार की सबसे बड़ी सफलताओं में से एक कही जा सकती है. सदियों से चली आ रही कुप्रथा आज से खत्म हो गयी है. इससे पहले भी यह बिल दो बार लोकसभा में पास हो चुका है लेकिन राज्यसभा में अटक गया था. 17वीं लोकसभा बीजेपी सरकार द्वारा कुछ बदलावों के साथ यह बिल फिर से सदन में लाया गया. इस बिल में तीन तलाक को गैर कानूनी बनाते हुए 3 साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान शामिल है. ट्रिपल तलाक बिल 26 जुलाई को इसी सत्र में पहले ही लोकसभा से पास हो चुका है.

इसी के साथ पॉलिटॉक्स की उस खबर पर मुहर लग गयी जिसमें हमारी टीम ने यह दावा किया था कि लोकसभा के बाद राज्यसभा से यह बिल आसानी से पास हो जाएगा.

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राज्यसभा में तीन तलाक बिल के पक्ष में 99 और विपक्ष में 84 वोट गिरे. अब इस बिल को राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा. उसके बाद यह पूरी तरह से कानून बन जाएगा. बता दें, मोदी सरकार पहली बार सत्ता में आने के बाद से ही तीन तलाक बिल को पारित कराने की कोशिश में जुटी थी. तीन तलाक बिल पर विपक्ष बिखरा हुआ दिखा बिल का विरोध करने वाली कई पार्टियां वोटिंग के दौरान राज्यसभा से वॉकआउट कर गईं. इससे पहले विपक्ष ने इस बिल को प्रवर समिति को भेजने पर अड़ा था लेकिन यह प्रस्ताव बहुमत न होने के चलते गिर गया. इस बिल के कानून बनने के बाद मुस्लिम महिलाओं को तलाक…तलाक….तलाक रूपी कुप्रथा से मुक्ति मिलेगी.

राज्यसभा में विपक्षी सदस्यों की शिकायत के जवाब में नायडू का पत्र

विपक्षी पार्टियों का आरोप है कि सरकार लोकसभा में मिले बहुमत के आधार पर राज्यसभा में भी जल्दबाजी में विधेयक पारित कराने का प्रयास कर रही है. राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने इसका जवाब देते हुए 14 विभिन्न पार्टियों के 15 राज्यसभा सदस्यों को छह पृष्ठों का एक पत्र लिखा है. इसमें उन्होंने सुझाव दिया है कि संसदीय समितियों द्वारा विधेयकों की संवीक्षा के दिशा-निर्देश संहिताबद्ध करने की जरूरत है.

संसद के मौजूदा सत्र में कई विधेयकों को बगैर संवीक्षा कराए पारित किए जाने पर पीड़ा व्यक्त करते हुए वेंकैया नायडू ने कहा कि चयन समितियों के संदर्भ से आसन का कोई लेना-देना नहीं है और अब तक किसी भी स्थायी समिति का गठन ही नहीं हुआ है. ऐसे में विधेयक को सदन में लाना या नहीं लाना सदन का विशेषाधिकार है. स्थायी समितियों में दोनों सदनों के सदस्य शामिल होते हैं. समितियों में लोकसभा के सदस्यों का मनोनयन अभी तक नहीं हुआ है.

नायडू ने विधेयकों की संवीक्षा के लिए दिशानिर्देश संहिताबद्ध करने की जरूरत बताई. उन्होंने कहा कि इसके लिए किसी समिति का गठन किया जाना चाहिए. प्रत्येक विधेयक को संवीक्षा के लिए किसी संसदीय समिति के पास नहीं भेजा जा सकता. इस प्रकार की संवीक्षा का निर्णय किसी विधायी प्रस्ताव में शामिल ऐसे जटिल विषयों के आधार पर लिया जाना चाहिए, जिनके लिए इस तरह की विस्तृत संवीक्षा की जरूरत हो.

वेंकैया नायडू जब से राज्यसभा के सभापति बने हैं, तब से पिछले पांच वर्षों के दौरान सदन में पहले पेश किए गए दस विधेयकों पर अपनी स्थिति का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इनमें से आठ विधेयकों को स्थायी समितियों के पास भेजा गया था, हालांकि यह अनिवार्य नहीं था. अन्य दो विधेयकों में से एक अनुसूचित जनजातियों की सूची में कुछ और जाति समूहों को शामिल करने से संबंधित था, जिसकी विस्तृत संवीक्षा की जरूरत नहीं थी. दूसरा मोटर वाहन (संशोधन) विधेयक था, जो संबंधित स्थायी समिति द्वारा विस्तार से संवीक्षा किए जाने के बाद लोकसभा से प्राप्त हुआ था. बाद में इसे राज्यसभा क चयन समिति के पास भेजा गया.

नायडू ने कहा कि मौजूदा सत्र में अब तक केवल चार विधेयक पहले राज्यसभा में पेश किए गए और पहले से पारित तीन विधेयकों को स्थायी समितियों के पास इसलिए नहीं भेजा जा सकता कि क्योंकि उनका अब तक गठन नहीं हुआ है. चौथे इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्टसी कोड एक्ट में संशोधन विधेयक पर अभी विचार विमर्श जारी है. इस पर सदन सामूहिक रूप से कोई राय बनाएगा. उन्होंने कहा, यह निर्णय करना सदन का काम है कि किसी विधेयक को चयन समिति के पास भेजा जाए या मेरे पास, क्योंकि मैं सभापति हूं.

सदन में सोमवार को सूचीबद्ध अनियमित जमा योजनाओं पर रोक लगाने वाले विधेयक के बारे में नायडू ने कहा कि इस पर स्थायी समिति पहले ही विचार कर चुकी है. स्थायी समिति की संवीक्षा के बाद सात और विधेयक लोकसभा से राज्यसभा में भेजे गए हैं. बड़ी संख्या में विधेयक पारित करने के लिए संसद का सत्र लंबा खींचने की शिकायत पर उन्होंने कहा कि यह सरकार का विशेषाधिकार है. सदन के पीठासीन अधिकारी की इसमें कोई भूमिका नहीं है. सरकार सत्र का कार्यक्रम तय करती है और विधायी कार्यों को देखते हुए सत्र की अवधि बढ़ाती है.

नायडू ने लिखा कि पिछले कुछ वर्षों में संसद की बैठकों की संख्या कम हुई है, जो चिंताजनक है. इसके लिए संसद के सत्र की अवधि बढ़ाने की जरूरत है. हर हफ्ते सदन में एक बहस कराने की परंपरा का उल्लंघन कर राज्यसभा में कम अवधि की अधूरी बहस करवाकर विपक्ष की आवाज दबाने के आरोप पर नायडू ने कहा कि उन्होंने अपने सचिवालय में इसकी पड़ताल की है, जहां प्रत्येक सप्ताह एक बहस की परंपरा की जानकारी नहीं मिली.

राज्यसभा के वर्ष 1978 से लेकर 2013 तक के 36 वर्षों के कार्यकाल का उल्लेख करते हुए नायडू ने कहा कि इस दौरान 16 वर्ष तक हर साल एक से लेकर पांच बहस हुई, जबकि 1984 में इस प्रकार की एक बहस हुई. बाकी 14 वर्षों के दौरान हर साल इस तरह की छह से आठ बार बहस हुई. उन्होंने कहा कि पिछले 30 वर्षों का रिकॉर्ड है कि प्रत्येक सत्र में तीन से भी कम बार राज्यसभा में बहस कराई गई है.

नायडू ने कहा कि राज्यसभा का 40 फीसदी समय रुकावटों के कारण नष्ट होता है. यह सिलसिला रोकने के लिए सदस्यों को आत्मपरीक्षण की जरूरत है. उन्होंने अपील की कि सदन के दोनों पक्ष एक दूसरे की चिंताओं का समाधान करने के लिए सौहार्द्रपूर्ण तरीके अपनाकर यह सुनिश्चित करें कि एक सभापति के रूप में वे सदन से सदस्यों के विशेषाधिकारों और अधिकारों को कम करने की किसी को भी अनुमति न दें.

धारा 35ए, विधानसभा चुनाव, आतंकी घटना या कुछ और..?

जम्मू-कश्मीर के ताजा घटनाक्रम को देखते हुए तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं. दिल्ली में भाजपा की कोर कमेटी की बैठक हो रही है. अर्धसैनिक बलों और सेना की 100 अतिरिक्त कंपनियों की तैनाती के आदेश हो गए हैं और अब वहां की मस्जिदों के बारे में सूचना मांगने के आदेशों को अनुच्छेद 35ए से जोड़कर देखा जा रहा है. इसके मद्देनजर जम्मू-कश्मीर में अटकलों का दौर भी लगातार जारी है.

दरअसल इन सभी अटकलों और अफवाहों का दौर एक अधिकारी के पत्र से हुआ है जिसने अपने कर्मचारियों को बहुत से निर्देश दिए थे. इन निर्देशों में ‘आने वाले दिनों में कश्मीर में हालात खराब हो सकते हैं इसलिए राशन भर लें और गाड़ियों में तेल डलवा लें.’ जैसे निर्देश शामिल हैं. यह चिट्ठी जैसे ही अधिकारियों के हाथों में पहुंची तो मामला लोगों के सामने आ गया और तरह-तरह की बातें वायरल होने लगी. मामला तूल पकड़ने के बाद सरकार ने इस अधिकारी का ट्रांसफर कर दिया.

अतिरिक्त सैन्य बल की तैनाती के आदेश के बाद स्थानीय राजनीतिज्ञों का कहना है कि केंद्र सरकार के इस फैसले से स्थानीय लोगों में डर का माहौल नजर आने लगा है. जम्मू-कश्मीर पीपल्स मूवमेंट के अध्यक्ष शाह फैसल ने तो यहां तक कहा है कि घाटी में जरूर कुछ बड़ा होने जा रहा है. वहीं पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने भी इस फैसले पर नाराजगी जाहिर की है.

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केंद्र सरकार के इस आदेश के तुरंत बाद श्रीनगर के मदरसों की सूची मुहैया कराने के आदेश ने आग में घी का काम किया है. यह आदेश राज्य प्रशासन की ओर से जारी हुआ है. इसमें सभी 5 जोन के पुलिस अधिकारियों से शहर की सभी मस्जिदों और उनकी प्रबंधन समितियों की पूरी जानकारी के साथ ही मस्जिद प्रबंधन समिति के वैचारिक झुकाव के बारे में भी सूचना मांगी गई है. इस आदेश से स्थानीय लोगों में नाराजगी है.

इससे पहले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल 24 जुलाई को कश्मीर का दौर कर चुके हैं और 25 जुलाई को सेना प्रमुख बिपिन रावत के साथ उनकी बैठक भी हुई. इस घटनाक्रम से इन सभी अटकलों को बल मिल रहा है. बता दें, पिछले साल बीजेपी के समर्थन वापस लेने के बाद पीडीपी चीफ महबूबा मुफ्ती को सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा था. उसके बाद से यहां राष्ट्रपति शासन लगा हुआ है.

स्थानीय नेताओं को आशंका है कि अब प्रदेश में अनुच्छेद 35ए की उलटी गिनती शुरू हो गयी है. इस बारे में नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख फारूख अब्दुल्ला ने कहा, ‘आर्टिकल 35ए और आर्टिकल 370 को नहीं हटाना चाहिए. इसकी वजह से हमारी नींव स्थापित हुई है. हम हिंदुस्तानी हैं लेकिन हमारे लिए ये महत्वपूर्ण है.’ दूसरी ओर, महबूबा मुफ्ती ने इस मामले में सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग की. मुफ्ती ने प्रदेश की मस्जिदों की जानकारी जुटाने के प्रयास को धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप बताया है.

इन दोनों बड़े आदेशों के बीच सूत्रों के हवाले से एक खबर यह भी आ रही है कि केंद्र सरकार अक्टूबर माह में अन्य तीन राज्यों के साथ जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराने की तैयारी कर रही है. पहले यहां विधानसभा चुनाव इसी साल अप्रैल-मई में हुए लोकसभा चुनावों के साथ कराए जाने थे, लेकिन बाद में सुरक्षा कारणों से रद्द कर दिए गए. अक्टूबर में महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड में भी विधानसभा चुनाव होने हैं. कयास लगाए जा रहे हैं कि इन राज्यों के चुनाव के साथ ही जम्मू-कश्मीर में चुनाव कराने के लिए ये कदम उठाए जा रहे हैं.

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इस संबंध में मंगलवार को बीजेपी के कोर ग्रुप की बैठक हो रही है. इससे भी जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव की तैयारियों का संकेत मिल रहा है. कश्मीर पर भाजपा के कोर ग्रुप में केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह, बीजेपी महासचिव राम माधव, पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रवींद्र रैना और राज्य के अन्य वरिष्ठ नेता शामिल हैं.

जम्मू-कश्मीर में चल रही इन सभी अटकलों पर राज्यपाल के सलाहकार के विजय कुमार ने कहा कि वे हर समय अफवाहों और कयासों का जवाब नहीं दे सकते. अगर कोई सोशल मीडिया पर अफवाह या अफरा-तफरी मचा रहा है तो मुझे उसका जवाब नहीं देना चाहिए, यह उचित नहीं होगा.

हालांकि भविष्य के गर्भ में क्या छुपा है, ये कोई नहीं बता सकता लेकिन जिस तरह जम्मू-कश्मीर की सियासतधारियों की धड़कने केंद्र सरकार के हाल के फैसलों पर तेज हो रही है, उससे तो यही संभावना जताई जा रही है कि घाटी में कुछ बड़ा होने की अटकलें पूरी तरह तो गलत नहीं हैं.

कटोरा लेकर भीख मांगूंगा, पर किसी को भूखा नहीं सोने दूंगा: गहलोत

राजस्थान विधानसभा में सोमवार को पक्ष विपक्ष के बीच नोकझोंक का सिलसिला हमेशा की तरह जारी रहा. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत वित्त एवं विनियोग विधेयक 2019 पर हुई बहस का जवाब दे रहे थे. गहलोत ने अपने संबोधन में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया, उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ और भाजपा पर जमकर कटाक्ष किए.

सीएम गहलोत ने कहा, एक समय था, राजस्थान में लगातार तीन चार अकाल पड़े थे. हम लोगों का शानदार वित्तीय प्रबंधन रहा. उस समय के अकाल सूखे का हमने मुकाबला किया. हम घबराए नहीं. आपके नेताओं द्वारा बदनामी की गई. भाजपा की पूर्व मुख्यमंत्री और नेता यहां नहीं हैं. पता नहीं आज वे भाजपा की नेता हैं भी या नहीं. उन्होंने कहा था, राजस्थान का मुख्यमंत्री अशोक गहलोत दिल्ली की सड़कों पर कटोरा लेकर वाजपेयी सरकार से भीख मांग रहा है. मैंने कहा, वसुंधरा जी, मुझे गर्व होगा, राजस्थान की जनता की भूख मिटाने के लिए मैं भीख मांगूं, मुझे शर्म नहीं आएगी. … भूखे मेरेंगे, इतना भयंकर अकाल पड़ गया है. भूखे मरने की बात छोड़ो, मेरी सरकार रहते हुए एक आदमी को भूखा नहीं सोने दूंगा.

मुख्यमंत्री गहलोत ने उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ से बार-बार कहा, उस समय आप ही वसुंधरा के मुख्य सलाहकार थे. ऐसे शब्द आपने ही बताए होंगे, जब मुझे लापरवाह मुख्यमंत्री कहकर बजट भाषण में पिछली सरकार ने कोसा था. उन्होंने कटारिया से कहा, आपकी नेता को तो बुला लेते. भाजपा पर हमला करते हुए गहलोत ने कहा, मेरी सरकार को हर बार बदनाम किया कि अशोक गहलोत आते हैं तो अकाल पड़ते हैं. आपको फिर से बधाई. मानसून की बारिश इस बार अच्छी हुई है.

बता दें, सोमवार को बजट पर हुई बहस पर मुख्यमंत्री के जवाब से पहले नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया ने कहा कि ‘उप मुख्यमंत्री सदन में हैं नहीं. जब सीएम बोलते हैं तो डिप्टी सीएम नहीं रहते. जब वे होते हैं तो सीएम उपस्थित नहीं रहते. दुर्भाग्य है. ये है इनका डिसिप्लिन.’ कटारिया सोमवार दोपहर बाद 4.35 बजे संबोधित कर रहे थे. कटारिया के तंज कसते ही हंगामा शुरू हो गया. कांग्रेस विधायकों ने कहा, आपकी नेता को भी बुलाके देख लो. इसके एक मिनट बाद उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट भी सदन में पहुंच गए. पायलट के पहुंचते ही कांग्रेस विधायकों हंगामा शुरू कर दिया कि अब वसुंधरा को भी बुलाओ. उत्तेजित सदस्यों को सभापति ने नई परंपरा नहीं लाने की हिदायत देकर चुप कराया.

बहस में भाग लेते हुए उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने भी गहलोत सरकार को निशाने पर लिया. उन्होंने पीडब्ल्यूडी ठेकेदारों के 2600 करोड़ रुपए के बकाया बिलों का मुद्दा उठाते हुए कहा कि अडानी का पैसा चुकाने में तो सरकार ने फुर्ती दिखाई, लेकिन पीडब्ल्यूडी ठेकेदारों ने आपका क्या बिगाड़ा है? कांग्रेस नेता अडानी का नाम भाजपा से जोड़ते थे. अब लोकसभा चुनाव के बाद वही अडानी आपको क्यों प्यारे लगने लगे? बजट में कहा कि जनता पर नया टैक्स नहीं लगाया, जबकि आपने तो जजिया कर लगाया है.

राठौड़ ने कहा, पेट्रोल-डीजल पर वैट बढ़ाने के बाद सरकार वित्त एवं विनियोग विधेयक में संशोधन लाई और डिपो पॉइंट की जगह यूजर पॉइंट पर वैट लागू कर दिया. आज उत्तर भारत में राजस्थान में पेट्रोल-डीजल की कीमत सबसे ज्यादा है. सरकार ने बजट में प्राकृतिक गैस पर भी वैट 5.5 से बढ़ाकर 10 प्रतिशत कर दिया है. बिजली खरीद में वेरिएबल कास्ट पर लगने वाले फ्यूल चार्ज को भी कांग्रेस सरकार ने 18 पैसे से बढ़ाकर 55 पैसे प्रति यूनिट कर दिया है.

‘कटोरा लेकर भीख मांगूंगा, पर किसी को भूखा नहीं सोने दूंगा’

उन्नाव मामले में बीजेपी की अखरने वाली चुप्पी

उप्र के भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर रेप का आरोप लगाने वाली लड़की के ट्रक-कार हादसे में गंभीर घायल होने के बाद यह मामला राजनीतिक रूप से इतना तूल पकड़ चुका है कि अब इस पर कोई बड़ा फैसला होना तय है. यह देखने वाली बात होगी कि विधायक के बचाव में कौन आगे आता है. चार जून 2017 को रेप हुआ था. साल भर बाद 2018 में लड़की ने मुख्यमंत्री निवास के सामने आत्मदाह का प्रयास किया, तब उच्च स्तरीय जांच शुरू हुई. उसके बाद से लड़की के परिवार पर मुसीबतों का पहाड़ टूटा हुआ है. कांग्रेस ने यह मामला राज्यसभा में उठाया और सुप्रीम कोर्ट से इस हादसे की जांच अपनी निगरानी में कराने की मांग की है.

हादसे वाले दिन रविवार को सबसे पहले यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने इस मामले में बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा राज में उन्नाव की रेप पीड़िता को न्याय मिलने की उम्मीद नहीं है. उन्होंने इस मामले की जांच सीबीाआई से कराने के साथ ही पीड़ित परिवार को मुआवजा देने की मांग भी उठाई. वहीं मायावती ने ट्वीट कर कहा कि उन्नाव रेप पीड़िता के कार की रायबरेली में कल ट्रक से टक्क्र प्रथम दृष्टया उसे जान से मारने का षडयंत्र लगता है जिसमें उसकी चाची व मौसी की मौत हो गई तथा वह स्वंय व उसके वकील गंभीर रूप से घायल हैं. सुप्रीम कोर्ट को इसका संझान लेकर दोषियों पर सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करनी चाहिए.

सोमवार को राज्यसभा में कांग्रेस के छह सांसदों ने शून्य काल के दौरान यह मामला उठाया और उत्तर प्रदेश में कानून-व्यवस्था की स्थिति पर बहस के लिए स्थगन प्रस्ताव पेश किया. सपा के रामगोपाल यादव ने आरोप लगाया कि यह पीड़िता की हत्या की साजिश थी. यादव के यह कहते ही सपा, बसपा, कांग्रेस, आप सहित विपक्ष के सभी सदस्य अपनी सीटों से खड़े होकर उनका समर्थन करने लगे. सभापति वेंकैया नायडू ने कहा कि वह केंद्रीय गृहमंत्री से इस मामले में हस्तक्षेप करने के लिए कहेंगे. लेकिन इससे विपक्षी सदस्य संतुष्ट नहीं हुए. इस वजह से वेंकैया नायडू ने दोपहर बाद तक सदन की बैठक स्थगित कर दी. कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट से इस मामले में स्वप्रेरित संज्ञान लेने की मांग की है.

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस मुद्दे पर अंग्रेजी में ट्वीट किया है, जिसका हिंदी अनुवाद इस तरह है- ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ..भारतीय महिलाओं की शिक्षा के लिए विशेष बुलेटिन. अगर कोई भाजपा विधायक रेप का आरोपी है, तो उसके बारे में सवाल मत करो.’ इसके साथ ही उन्होंने हादसे की मीडिया रिपोर्ट भी संलग्न की है. वहीं प्रियंका गांधी वाड्रा ने मंगलवार को आरोपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए कहा, ‘हम कुलदीप सेंगर जैसे लोगों को राजनीतिक शक्ति और संरक्षण क्यों देते हैं, जबकि पीड़ितों को अकेले अपने जीवन की लड़ाई लड़ने के लिए छोड़ देते हैं?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील करते हुए प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा, ‘मुकदमे में साफ है कि परिवार को धमकी मिल रही थी. उन्होंने एक्सीडेंट का अंदेशा भी जताया था. भगवान की खातिर प्रधानमंत्री जी, इस अपराधी और उसके भाई को आपकी पार्टी से मिल रहे राजनीतिक संरक्षण को देना बंद कीजिए.’ ट्वीट करते हुए प्रियंका ने सवाल किया कि भाजपा ने आरोपी विधायक को अब तक पार्टी से क्यों नहीं निकाला, जबकि उस पर रेप का आरोप है और एफआईआर में आरोपी के रूप में उसका नाम है?

बता दें, उन्नाव रेप पीड़िता के साथ रविवार को हुए हादसे की एफआईआर लड़की के चाचा ने दर्ज करवाई है. इसमें विधायक सेंगर सहित 15 से ज्यादा लोगों को आरोपी बनाया गया है. चाचा का आरोप है कि उन्नाव पुलिस के जो पुलिसकर्मी पीड़िता की सुरक्षा में तैनात थे वह उसकी और उसके परिवार के लोगों की गतिविधियों की सूचना विधायक के लोगों तक पहुंचाते थे. संदेह है कि पीड़िता के रायबरेली जाने की सूचना भी पुलिस कर्मचारियों ने ही दी होगी. इसके बाद विधायक सेंगर के इशारे पर पीड़िता और उसके परिवार को खत्म करने की साजिश रची गई.

गौरतलब है कि पीड़िता द्वारा अपने साथ हुए रेप की घटना पर केस दर्ज करवाने के बाद लड़की के पिता को पुलिस ने अवैध हथियार के मामले में दो दिन हवालात में रखा. बाद में सरेबाजार उसकी पिटाई हुई, जिससे उसकी मौत हो गई. कुलदीप सिंह सेंगर के भाई पर आरोप लगा. लड़की के पिता का निधन होने के बाद उसके चाचा ने मुकदमा आगे बढ़ाया. वह किसी अन्य मामले में गिरफ्तार होने के बाद रायबरेली जेल में है. लड़की को मुकदमा वापस लेने के लिए लगातार धमकियां मिल रही थी, इसलिए वह दिल्ली में रहने लगी थी. सीबीआई को बयान दर्ज कराने गांव पहुंची थी. वहां से चाची, मौसी और वकील के साथ कार में चाचा से मिलने रायबरेली गई थी. रास्ते में एक संदिग्ध ट्रक ने कार को कुचल दिया. चाची और मौसी की मौत हो गई. लड़की और वकील घायल हो गए. लखनऊ के अस्पताल में उनकी जान बचाने के प्रयास हो रहे हैं.

फ़िलहाल, कुलदीप सिंह सेंगर रेप के आरोप में पहले ही सीतापुर जेल में बंद हैं. अब उनके खिलाफ हत्या का साजिश और हत्या का एक और मामला दर्ज हो गया है. उन्नाव जिले में लड़की के गांव में पांच पुलिस थानों से पुलिस बुलाई गई है. अतिरिक्त पुलिस बल तैनात है. लड़की की मां अपनी तीन अन्य बेटियों गांव से 70 किलोमीटर दूर लखनऊ में किंग जॉर्ज अस्पताल में बैठी है और अपनी घायल बेटी के बोलने का इंतजार कर रही है. सोमवार को हादसे की जानकारी लेने सीबीआई के अधिकारी भी अस्पताल पहुँचे थे.

इधर पीड़िता लड़की की मां बहुत दुखी और नाराज है. अस्पताल में उन्होंने हादसे के पीछे कुलदीप सिंह सेंगर और उसके परिवार का हाथ बताया और हादसे की सीबीआई से जांच कराने की मांग की. उनके शब्द थे- जब तक सब लोगन को सजा नहीं होती…तब तक हम पीछे नहीं हटेंगे…नहीं तो अपन जा दे देंगे. उप्र के पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह का कहना है पीड़िता खतरे से बाहर है. उसकी मां अगर सीबीआई जांच की मांग करती है तो सरकार को इसकी मंजूरी देने में एतराज नहीं है.

पीड़िता की मां ने बताया कि करीब 15 दिन पहले सेंगर के सहयोगियों ने उसे धमकी दी थी, जिसकी शिकायत अधिकारियों से वकील के जरिए की थी. गांव के एक रिश्तेदार सहित सेंगर के सहयोगियों ने कहा था कि सेंगर के खिलाफ एफआईआर कराने वाला चाचा आज जेल में है. मुकदमा वापस नहीं लिया तो ठीक नहीं होगा. गांव के लोगों ने बताया कि पीड़िता अपने वकील और चाची, मौसी के साथ रविवार सुबह 10 बजे कार से रवाना हुई थी. पीड़िता की सुरक्षा में तैनात पुलिस कर्मी छुट्टी लेकर चले गए थे.

गांव में पीड़िता के पड़ोस में रहने वाली एक महिला ने कहा, कई बातें सुनने में आ रही है. क्या सही है क्या गलत, हम नहीं जानते, लेकिन जो सिलसिला शुरू हुआ है, वह जल्दी नहीं रुकेगा. उसके (सेंगर) चेले कुछ भी कर सकते हैं. लड़की की मां अपने बेटियों के साथ यहां रहती है. रेप का आरोप लगाने के बाद लड़की के पिता की मौत हो गई. कुलदीप के भाई जलदीप सिंह पर आरोप लगा. उससे सीबीआई ने पूछताछ की.

इस घटनाक्रम के बाद से गांव में पुलिस तैनात है. सुरक्षा कर्मियों को एक ईंटों से बने कच्चे घर की सुरक्षा करनी पड़ रही है, जबकि दूसरी तरफ कुलदीप सिंह सेंगर का लंबी चौड़ी जमीन पर बना हवेली नुमा बंगला है. यहां से करीब आधा किलोमीटर दूर वकील का मकान है. वह भी हादसे में गंभीर रूप से घायल है. वकील के परिजनों ने बताया कि वह सुबह यह कहकर निकले थे कि गांव से बाहर जा रहा हूं. बाद में जब हमने फोन किया तो किसी अन्य ने फोन पर उनके घायल होने की सूचना दी.

उन्नाव रेप पीड़िता के साथ कार हादसे में गम्भीर घायल वकील की मां का कहना है कि वकील का काम लोगों को न्याय दिलाना है, साजिश रचना नहीं. उन्हें यह हादसा साजिश का नतीजा मालूम पड़ता है. उन्होंने कहा कि अगर कोई साजिश नहीं थी तो ट्रक की नंबर प्लेट काले रंग से क्यों पोती गई थी? वह अपने बेटे से बार-बार बात करती थी कि वह किन मामलों में वकालत कर रहा है, लेकिन वह यही कहता था कि यह उसके काम का हिस्सा है. हादसे के बाद पुलिस ने जांच के लिए एक विशेष टीम बना दी है.

सीएम गहलोत ने ‘जय श्री राम’ के नारे के साथ विपक्ष पर साधा निशाना, सौगातों का खोला पिटारा

राजस्थान विधानसभा में सोमवार को वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से पेश किया गया बजट पारित किया गया. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विधानसभा में ‘जय श्रीराम’ के नारे के साथ अपने भाषण की शुरुआत की. जय श्री राम का नारा सुनकर एक बार सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के सदस्य अचंभित हो गए.

गहलोत ने आगे कहा कि ‘श्रीराम का नाम मर्यादा पुरुषोत्तम का नाम है. अगर उनके नाम को भी इस रूप में लोगों के बीच लेकर जाएं कि लोगों में अशांति और गुस्सा पैदा हो तो यह अच्छी बात नहीं है.’ उन्होंने कहा कि ‘अगर कोई ‘अल्लाह हू अकबर’ बोल जाए और कोई एतराज करे और कहे कि जबरदस्ती बोलना पड़ेगा तो यह गलत है. अगर ज़बरदस्ती जय श्रीराम बोलने को लेकर हम यह माहौल पैदा करेंगे तो यह देश कहां जाएगा?’

सीएम गहलोत ने सदन में विपक्ष पर कटाक्ष करते हुए कहा की, ‘जय श्री राम’ पर आपने कब्जा कर लिया है. यह दुर्भाग्य है, भगवान सभी के है. जय श्री राम बोलने से सभी को खुशी मिलती है, जैसे यहाँ बैठे सभी सदस्यों को मिल रही है. आप कब्जा कर लेते हो कब्जा कर लेना गलत बात है.’

सीएम अशोक गहलोत आगे अपने भाषण में कहा, ‘प्रदेश में अच्छी बारिश की आप सबको बधाई, इंद्रदेव की प्रदेश में बड़ी कृपा हुई है. फिर विपक्ष से प्रसन्न मुद्रा में चुटकी लेते हुए गहलोत ने पूछा कि ‘इंद्रदेव का नाम ले सकता हूं न मैं, उन पर तो कब्जा नहीं है ना आपका. जय श्रीराम, पर आपने कब्जा कर लिया.’

सीएम गहलोत ने सदन में बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व पर निशाना साधते हुए कहा कि ‘देश पर दो नेता राज कर रहे है. बीजेपी के भीतर इस समय डर का माहौल है. लोकसभा चुनाव में इतनी बड़ी जीत के बावजूद खुशी क्यों नहीं मना रहे? इतनी बड़ी जीत के बाद भी चेहरे पर रौनक क्यो नही है?

सीएम गहलोत ने फिर खोला घोषणाओं का पिटारा

सीएम गहलोत ने चालू वित्तीय वर्ष 2019-20 में प्रदेश के विकास के लिए 235 घोषणाएं की हैं. इन बजट घोषणाओं के क्रियान्वयन के लिए 2 लाख 32 हजार करोड़ रुपए का बजट प्रावधान किया गया है.

मुख्यमंत्री गहलोत की बडी घोषणाएं

  • बांदीकुई, बहरोड़, तिंवरी, मथानिया, प्रतापगढ़ और हनुमानगढ़ में नवीन कन्या कॉलेज खोला जाएगा
  • बाबा मोहनराम किसान महाविद्यालय भिवाड़ी बनेगा कॉलेज
  • राजकीय महाविद्यालय घोषित किया जाएगा
  • रेलमगरा, जमवारामगढ़, शाहबाद, नावां में कृषि कॉलेज खुलेंगे
  • कामां, ब्यावर राजकीय महाविद्यालय और
  • नागौर कन्या कॉलेज,डेगाना में उर्दू साहित्य विषय शुरू होगा
  • डीडवाना में भी उर्दू साहित्य विषय शुरू होगा
  • कालीबाई भील के नाम से नई स्कूटी वितरण योजना की सौगात
  • 7000 छात्राओं को प्रतिवर्ष मिलेगी स्कूटी
  • स्व.राजीव गांधी की 75वीं जयंती मनाई जाएगी
  • 500 उ.प्रा. स्कूलों को माध्यमिक में क्रमोन्नत किया जाएगा
  • लोहावट, मालाखेड़ा में नवीन उपखंड कार्यालयों की सौगात
  • मनिया, सीकरी, नारायणपुर और सूरौठ बनेंगे तहसील
  • प्रतापगढ़ जिले में चिकित्सा सुविधाओं का विस्तार
  • जिला अस्पताल की 150 बैड की संख्या को 300 किया जाएगा
  • 50 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को CHC में कन्वर्ट किया जाएगा
  • प्रदेश में 10 नवीन ट्रोमा सेंटर खोले जाएंगे
  • 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस मनाया जाएगा
  • विश्व आदिवासी दिवस पर ऐच्छिक अवकाश देने की घोषणा
  • समारोहपूर्वक आदिवासी दिवस मनाए जाने की घोषणा
  • मंडोर उद्यान में विभिन्न सौंदर्यीकरण कार्य होंगे
  • जोधपुर के लिए भी कई सौगात
  • राईकाबाग फल सब्जी मंडी की जगह नया बस स्टैंड बनाया जाएगा
  • भरतपुर-आगरा हाईवे को 20मी.चौड़ा करने के लिए DPR बनेगी
  • राजस्थान सीमा तक 20मीटर चौड़ा करने के लिए DPR बनेगी
  • बूंदी के पास नया टाइगर रिजर्व बनाने के सुझाव का परीक्षण होगा
  • भामाशाह योजना की जांच के लिए मंत्री समूह का गठन होगा
  • भादरा-15, नोहर-13 बारानी गांव सिद्धमुख नहर परियोजना में शामिल होंगे
  • बिजली शुल्क 1 रुपए से घटाकर किया 60 पैसे प्रति यूनिट
  • कैपटिव पावर प्लांट लगाने पर 40 पैसे प्रति यूनिट के बजाय 60 पैसे
  • धरोहर संरक्षण,प्रोन्नति प्राधिकरण को मिलेगा एक करोड़
  • इस वित्तीय वर्ष में 48 स्मारकों के पैनोरमा के संरक्षण के लिए 1 करोड़ का बजट
  • गिरी पाली में बनेगा 50 लाख की लागत से पैनोरमा

सोमवार को राजस्थान विधानसभा में पारित हुआ बजट 1 अगस्त 2019 से लागू हो जाएगा. इस बजट में सरकार ने कोई नया टैक्स नहीं लगाया है. वहीं अपने संबोधन में सीएम गहलोत ने कहा कि, ‘6 महीने बाद वापस से पूरा बजट पेश करना है, इस बीच हमारी सरकार की कोशिश होगी सभी घोषणाओं को पूरा किया जाए’

BJP सांसद रमा देवी से ‘अभद्र’ बात कहने पर आजम खान ने मांगी माफी

‘दम मारो दम, बोलो सुबह शाम, हरे कृष्णा हरे राम – क्या मैं यह गाना गा सकती हूं…’

देश के शीर्ष फिल्मकारों, कलाकारों, बुद्धिजीवियों ने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखा है जिसमें भीड़ की हिंसा और जय श्रीराम के नारे के दुरुपयोग पर चिंता जाहिर की है. इस पत्र पर श्याम बेनेगल, अदूर गोपालकृष्णन, अपर्णा सेन, रामचंद्र गुहा सहित 62 गणमान्य लोगों के दस्तखत हैं. इसके जवाब में प्रसून जोशी की अगुवाई में कंगना रनौत सहित कई कलाकारों ने भी पत्र जारी करते हुए मोदी सरकार के साथ एकजुटता दिखाई. अब इस मामले में मशहूर सिंगर आशा भोसलें का नाम भी शामिल हो गया है. मौजूदा माहौल पर कटाक्ष करते हुए आशा भोसले ने ट्वीट किया, ‘दम मारो दम, बोलो सुबह शाम, हरे कृष्णा हरे राम… क्या मैं इस सदाबहार गाने को गा सकती हूं?’

यह 70 के दशक में बनी देव आनंद की फिल्म हरे रामा हरे कृष्णा का सुपरहिट गीत है. इस गीत को आशा भोसलें ने आवाज दी है. अब आशा भोसलें के मौजूदा ट्वीट के अलग-अलग अर्थ लगाए जा रहे हैं. बड़ी संख्या में कई प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं. उनके ट्वीट के बाद राजनीति में थोड़ी बहुत हलचल भी शुरू हो गयी है.

कई लोग आशा भोसलें के ट्वीट को मौजूदा माहौल में संवेदनाहीन मानते हैं. उनका कहना है कि धर्म के नाम पर हिंसा की घटनाएं हो रही हैं और आशा भोसले को मजाक सूझ रहा है. ज्यादातर लोगों का कमेंट यह है कि धर्म के मामलों को राजनीति से अलग रखना चाहिए. एक कमेंट यह भी है कि आरडी बर्मन का संगीतबद्ध किया गाना दम मारो दम…संगीतकारों के लिए एक मिसाल है. आशाजी आप आगे बढ़ें. हम आपके साथ हैं.

एक शख्स ने लिखा है कि आशाजी, आपसे ऐसी उम्मीद नहीं थी. हम प्रभु का नाम आदर सम्मान से लेते हैं. उन्माद पैदा करने के लिए प्रभु का नाम लेना ठीक नहीं है. एक ने लिखा, आप भी अंधेरे को बढ़ावा देने वालों में शामिल हो गईं. बहरहाल आशा भोसले का ट्वीट सोशल मीडिया पर जबर्दस्त तरीके से हिट हो रहा है. डेढ़ लाइन के कमेंट पर हजारों प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. आशा भोसले की तरफ से इस पर कोई प्रतिक्रिया सोमवार तक नहीं आई थी.

@SwamiGeetika

@theskindoctor13

@pankhuripathak

@kapsology

@HM_rathi

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