जम्मू-कश्मीर के ताजा घटनाक्रम को देखते हुए तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं. दिल्ली में भाजपा की कोर कमेटी की बैठक हो रही है. अर्धसैनिक बलों और सेना की 100 अतिरिक्त कंपनियों की तैनाती के आदेश हो गए हैं और अब वहां की मस्जिदों के बारे में सूचना मांगने के आदेशों को अनुच्छेद 35ए से जोड़कर देखा जा रहा है. इसके मद्देनजर जम्मू-कश्मीर में अटकलों का दौर भी लगातार जारी है.
दरअसल इन सभी अटकलों और अफवाहों का दौर एक अधिकारी के पत्र से हुआ है जिसने अपने कर्मचारियों को बहुत से निर्देश दिए थे. इन निर्देशों में ‘आने वाले दिनों में कश्मीर में हालात खराब हो सकते हैं इसलिए राशन भर लें और गाड़ियों में तेल डलवा लें.’ जैसे निर्देश शामिल हैं. यह चिट्ठी जैसे ही अधिकारियों के हाथों में पहुंची तो मामला लोगों के सामने आ गया और तरह-तरह की बातें वायरल होने लगी. मामला तूल पकड़ने के बाद सरकार ने इस अधिकारी का ट्रांसफर कर दिया.
अतिरिक्त सैन्य बल की तैनाती के आदेश के बाद स्थानीय राजनीतिज्ञों का कहना है कि केंद्र सरकार के इस फैसले से स्थानीय लोगों में डर का माहौल नजर आने लगा है. जम्मू-कश्मीर पीपल्स मूवमेंट के अध्यक्ष शाह फैसल ने तो यहां तक कहा है कि घाटी में जरूर कुछ बड़ा होने जा रहा है. वहीं पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने भी इस फैसले पर नाराजगी जाहिर की है.
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केंद्र सरकार के इस आदेश के तुरंत बाद श्रीनगर के मदरसों की सूची मुहैया कराने के आदेश ने आग में घी का काम किया है. यह आदेश राज्य प्रशासन की ओर से जारी हुआ है. इसमें सभी 5 जोन के पुलिस अधिकारियों से शहर की सभी मस्जिदों और उनकी प्रबंधन समितियों की पूरी जानकारी के साथ ही मस्जिद प्रबंधन समिति के वैचारिक झुकाव के बारे में भी सूचना मांगी गई है. इस आदेश से स्थानीय लोगों में नाराजगी है.
इससे पहले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल 24 जुलाई को कश्मीर का दौर कर चुके हैं और 25 जुलाई को सेना प्रमुख बिपिन रावत के साथ उनकी बैठक भी हुई. इस घटनाक्रम से इन सभी अटकलों को बल मिल रहा है. बता दें, पिछले साल बीजेपी के समर्थन वापस लेने के बाद पीडीपी चीफ महबूबा मुफ्ती को सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा था. उसके बाद से यहां राष्ट्रपति शासन लगा हुआ है.
स्थानीय नेताओं को आशंका है कि अब प्रदेश में अनुच्छेद 35ए की उलटी गिनती शुरू हो गयी है. इस बारे में नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख फारूख अब्दुल्ला ने कहा, ‘आर्टिकल 35ए और आर्टिकल 370 को नहीं हटाना चाहिए. इसकी वजह से हमारी नींव स्थापित हुई है. हम हिंदुस्तानी हैं लेकिन हमारे लिए ये महत्वपूर्ण है.’ दूसरी ओर, महबूबा मुफ्ती ने इस मामले में सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग की. मुफ्ती ने प्रदेश की मस्जिदों की जानकारी जुटाने के प्रयास को धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप बताया है.
इन दोनों बड़े आदेशों के बीच सूत्रों के हवाले से एक खबर यह भी आ रही है कि केंद्र सरकार अक्टूबर माह में अन्य तीन राज्यों के साथ जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराने की तैयारी कर रही है. पहले यहां विधानसभा चुनाव इसी साल अप्रैल-मई में हुए लोकसभा चुनावों के साथ कराए जाने थे, लेकिन बाद में सुरक्षा कारणों से रद्द कर दिए गए. अक्टूबर में महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड में भी विधानसभा चुनाव होने हैं. कयास लगाए जा रहे हैं कि इन राज्यों के चुनाव के साथ ही जम्मू-कश्मीर में चुनाव कराने के लिए ये कदम उठाए जा रहे हैं.
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इस संबंध में मंगलवार को बीजेपी के कोर ग्रुप की बैठक हो रही है. इससे भी जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव की तैयारियों का संकेत मिल रहा है. कश्मीर पर भाजपा के कोर ग्रुप में केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह, बीजेपी महासचिव राम माधव, पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रवींद्र रैना और राज्य के अन्य वरिष्ठ नेता शामिल हैं.
जम्मू-कश्मीर में चल रही इन सभी अटकलों पर राज्यपाल के सलाहकार के विजय कुमार ने कहा कि वे हर समय अफवाहों और कयासों का जवाब नहीं दे सकते. अगर कोई सोशल मीडिया पर अफवाह या अफरा-तफरी मचा रहा है तो मुझे उसका जवाब नहीं देना चाहिए, यह उचित नहीं होगा.
हालांकि भविष्य के गर्भ में क्या छुपा है, ये कोई नहीं बता सकता लेकिन जिस तरह जम्मू-कश्मीर की सियासतधारियों की धड़कने केंद्र सरकार के हाल के फैसलों पर तेज हो रही है, उससे तो यही संभावना जताई जा रही है कि घाटी में कुछ बड़ा होने की अटकलें पूरी तरह तो गलत नहीं हैं.