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बसपा नेता की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या

बहुजन समाज पार्टी के नेता जसराम गुर्जर की सोमवार को कुछ बदमाशों ने दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी. हमले में करीब आधा दर्जन बदमाशों के शामिल होने की बात सामने आयी है. हमलावर लादेन गैंग के बताए जा रहे हैं. वारदात को अंजाम देने के बाद बदमाश वाहन से भाग गए. जसराम गुर्जर राजस्थान के बहरोड़ (अलवर जिला) के पास जैनपुर के रहने वाले थे. उन्होंने बसपा के टिकट पर बहरोड़ विधानसभा सीट से पिछले साल चुनाव लड़ा था. फिलहाल हमलावर फरार हैं.

जानकारी के अनुसार, जसराम गुर्जर सोमवार सुबह बहरोड़ इलाके में जैनपुरवास स्थित होली टीबा पर किसी काम के सिलसिले में आए थे. जहां 2 नकाबपोश बदमाशों ने जसराम पर करीब 10 राउंड फायर किए. इसमें से 6 गोलियां जसराम को लगी और वह गंभीर रूप से घायल हो गया. स्थानीय लोगों ने तुरंत एंबुलेंस बुला जसराम को अस्पताल पहुंचाया जहां डॉक्टर्स ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. हमलावर भी उसी गांव के बताए जा रहे हैं. पुलिस ने आरोपियों को पकड़ने के लिए क्षेत्र में नाकेबंदी करा दी है. परिजनों ने लादेन गैंग के विक्रम गुर्जर उर्फ लादेन, पहाड़ी के मामराज, रामवतार सहित आधा दर्जन लोगों पर हत्या का आरोप लगाया है.

वैसे जसराम गुर्जर बहरोड़ थाने का हिस्ट्रीशीटर है. उसपर कई केस लगे हुए हैं. वह गैंगस्टर भी रह चुका है. उसने खुद की एक गैंग बना रखी थी जिसका पहले भी लादेन गैंग के साथ गैंगवार हो चुका है. मार्च, 2019 में जसराम गुर्जर की गैंग ने लादेन गैंग के एक बदमाश की हत्या कर दी थी. यह हत्या उसी का पलटवार बदला बताया जा रहा है. हालांकि दिनदहाड़े इस तरह किसी की गोली मारकर हत्या करना पुलिस की मृत और लचर कानून व्यवस्था का एक उम्दा उदाहरण पेश करता है.

‘प्रियंका गांधी कांग्रेस पार्टी की बागडोर संभालने के लिए सबसे सही विकल्प’

शशि थरूर के बाद अब पंजाब के मुख्यमंत्री ने कैप्टन अमरिंदर सिंह ने फिर युवा नेतृत्व की वकालत करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए प्रियंका गांधी के नाम की पैरवी की है. कैप्टन ने कहा- ‘कांग्रेस की बागडोर संभालने के लिए वह सही विकल्प होंगी‘. गौरतलब है कि राहुल गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद से ही कांग्रेस को नए अध्यक्ष की तलाश है. कांग्रेस के कई दिग्गज नेता प्रियंका गांधी के नाम की पैरवी कर चुके है.

बता दें, रविवार को कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा था कि उन्हें उम्मीद है कि पार्टी अध्यक्ष पद का चुनाव होने पर महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा इसमें अपनी किस्मत आजमाने को लेकर फैसला करेंगी. लेकिन साथ ही थरुर ने यह भी कहा कि यह गांधी परिवार का फैसला होगा कि प्रियंका इस पद के लिए चुनाव लड़ेंगी या नहीं. शशि थरूर ने कहा, ”प्रियंका गांधी के पास ‘स्वाभाविक करिश्मा’ है जो निश्चित तौर पर पार्टी कार्यकर्ताओं और मतदाताओं को प्रेरित और एकजुट कर सकता है. उनकी इसी खूबी के कारण कई लोग उनकी तुलना उनकी दादी और पूर्व पार्टी अध्यक्ष दिवंगत इंदिरा गांधी से करते हैं.”

सनद रहे, राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव में हुई पार्टी की हार की जिम्मेदारी लेते हुए मई के आखिरी सप्ताह में अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था जिसे बाद में जुलाई में ट्वीट पर सार्वजनिक भी किया था. इस्तीफा देने के साथ ही राहुल गांधी ने कहा था कि पार्टी नए अध्यक्ष की तलाश करे, जो गांधी परिवार से बाहर का हो. राहुल गांधी के इस्तीफे के दो महीने बीत जाने के बावजूद कांग्रेस किसी अंतिम निर्णय पर नहीं पहुंच सकी है. हालांकि अब अमरिंदर सिंह और थरूर जैसे वरिष्ठ नेताओं ने प्रियंका गांधी के नाम की पैरवी की है.

सोमवार को पत्रकारों से बात करते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह ने प्रियंका गांधी के नाम की पैरवी की. अमरिंदर सिंह ने कहा, ”पार्टी की बागडोर संभालने के लिए प्रियंका एक सही विकल्प होंगी, लेकिन यह सब कांग्रेस कार्य समिति (CWC) पर निर्भर करेगा, जो इसपर फैसला लेने के लिए अधिकृत है.” जब पत्रकारों ने कैप्टन से पूछा कि प्रियंका गांधी कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए उचित उम्मीदवार होंगी? तो उन्होंने कहा, ”निवर्तमान कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ही उस पर फैसला लेंगे. मुझे यकीन है कि जहां तक प्रियंका जी का संबंध है, उन्हें पार्टी का पूर्ण समर्थन मिलेगा.”

पत्रकारों से बातचीत में एक सवाल का जवाब देते हुए कैप्टन ने कहा कि प्रियंका गांधी पार्टी अध्यक्ष के लिए पूरी तरह उचित हैं, क्योंकि हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में पार्टी की हार के बाद संगठन को युवा व गतिशील नेतृत्व की जरूरत है और प्रियंका गांधी बुद्धिमान हैंं और उनमें किसी भी चुनौती को लेने और जीत के लिए संघर्ष करनेे का हौसला है. कैप्टन ने कहा कि राहुल गांधी द्वारा इस्तीफ़ा वापस लेने से इन्कार करनेे के बाद प्रियंका गांधी को उनकी जगह अध्यक्ष बनाना उचित कदम होगा.

गौरतलब है कि, कैप्टन अमरिंदर सिंह इससे पहले भी पार्टी की बागडोर किसी नौजवान नेता को देने की वकालत कर चुके हैं. उनका कहना है कि इस समय पर भारत की अधिकांश जनसंख्या युवा है और एक युवा नेता ही युवा मन की बात सुन कांग्रेस पार्टी को आगे बढ़ा सकता है.

जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव की आहट

भाजपा के कार्यवाहक अध्यक्ष जेपी नड्डा की अध्यक्षता में मंगलवार को होने वाली जम्मू-कश्मीर कोर ग्रुप की पहली बैठक को जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव की आहट माना जा रहा है. अटकलें लगाई जा रही हैं कि अक्टूबर-नवंबर में हरियाणा, झारखंड, महाराष्ट्र के साथ ही जम्मू-कश्मीर विधानसभा के चुनाव भी कराए जा सकते हैं. जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव लंबे समय से टलते आ रहे हैं. इसको लेकर केंद्र की मोदी सरकार की आलोचना हो रही है. अब संकेत मिल रहे हैं कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया आगे बढ़ सकती है.

भाजपा के जम्मू-कश्मीर ग्रुप में केंद्रीय मंत्री जितेन्द्र सिंह, भाजपा महासचिव राम माधव, जम्मू-कश्मीर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष रवीन्द्र रैना शामिल हैं. राम माधव चुनाव आयोग से मांग कर चुके हैं कि जम्मू-कश्मीर में जल्दी चुनाव कराए जाएं. एक अन्य भाजपा नेता ने कहा कि इस संबंध में जल्द ही अंतिम फैसला लिया जाएगा. गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर में इन दिनों अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती हो रही है. समझा जा रहा है कि यह तैनाती चुनाव की तैयारी के मद्देनजर की जा रही है.

जम्मू-कश्मीर में महबूबा मुफ्ती की पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार गिरने के बाद 20 जून 2018 को राज्यपाल का शासन लागू किया गया था. यह सरकार भाजपा के 25 विधायकों के समर्थन वापस लेने के कारण गिरी थी. राज्यपाल शासन की अवधि पूरी होने के बाद केंद्र सरकार ने संसद में प्रस्ताव पारित करवाकर राष्ट्रपति शासन की अवधि छह माह के लिए बढ़ा दी थी. तब से ही भाजपा जम्मू-कश्मीर में अपनी सरकार बनाने की संभावनाएं देख रही है.

इस दौरान जम्मू-कश्मीर में हुए पंचायत और नगर निकाय चुनावों में मिली सफलता से भाजपा का उत्साह भी बढ़ा है. अब आंकड़े जुटाए जा रहे हैं कि किस नेता को विकास कार्यों के लिए कितनी धनराशि आवंटित हुई और उसका सही इस्तेमाल हुआ या नहीं. रविवार को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के मुद्दे पर बैठक कर चुके हैं.

इस बीच श्रीनगर में महबूबा मुफ्ती ने कहा कि अगर जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे के साथ छेड़छाड़ का कोई कदम उठाया गया तो इसका बम धमाके जैसा असर होगा. महबूबा मुफ्ती जम्मू-कश्मीर से धारा 35A और 370 हटाने के सख्त खिलाफ हैं. वह रविवार को अपनी पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के बीसवें स्थापना दिवस समारोह को संबोधित कर रही थी.

बता दें, कश्मीर में आतंकवादियों के खिलाफ राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एएनआई) के छापे जारी हैं. रविवार को बारामूला जिले में उन व्यापारियों के ठिकानों पर छापे मारे गए, जो पाक अधिकृत कश्मीर के साथ कारोबार करते हैं. यह छापेमारी 14 फरवरी को पुलवामा में हुए आतंकी हमले की जांच के सिलसिले में की जा रही है. इसके तहत तनवीर अहमद, आसिफ लोन, तारिक अहमद और बिलाल भट के ठिकानों की तलाशी ली गई. एनआईए ने 23 जुलाई को पुलवामा और श्रीनगर में सात ठिकानों पर छापे मारे थे. जिन लोगों के यहां छापे मारे गए, उनमें क्रॉस-एलओसी ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष तनवीर वानी शामिल हैं.

अब रमा देवी ने अखिलेश यादव को कहा ‘खबरदार’

सप्ताह के पहले ही दिन सदन की शुरूआत हंगामेदार रही. लोकसभा में कार्यवाही शुरू होते ही बीजेपी सांसदों ने ऐसा हंगामा मचाया कि स्पीकर ओम बिड़ला को दखलअंदाजी करनी पड़ी. एक बार तो विरोधाभास इतना बढ़ गया कि एक बीजेपी महिला सांसद ने यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान आजमगढ़ सांसद अखिलेश यादव को ‘खबरदार’ तक कह दिया.

दरअसल हुआ कुछ यूं कि सोमवार को जैसे ही लोकसभा की कार्यवाही शुरू हुई, समाजवादी पार्टी से रामपुर सांसद आजम खान ने गुरूवार को सदन में बीजेपी सांसद और तत्कालीन पाठासीन अध्यक्ष रमा देवी पर की गई टिप्प्णी पर माफी मांगी लेकिन कुछ अलग अंदाज में. इस पर हंगामा शुरू हो गया. सदन की कार्यवाही शुरू होते ही आजम खान ने कहा, ‘मैं चार बार मंत्री रहा हूं. नौ बार विधायक रहा हूं. राज्यसभा सदस्य रहा हूं. मेरे भाषण और मेरे आचरण को पूरा सदन जानता है. इसके बावजूद भी अगर चेयर को मेरे प्रति ऐसा लगता है कि मेरी भावना में कोई गलती हुई है तो मैं क्षमा चाहता हूं. रमा देवी मेरी बहन जैसी हैं.’ इतना कहकर जैसे ही आजम खान बैठने लगे, पूरे सदन में हंगामा शुरू हो गया.

इस बीच स्पीकर ओम बिड़ला ने इस माफीनामे पर रमा देवी से टिप्पणी मांगी तो उन्होंने कहा कि शोर के कारण वे सुन नहीं पाईं. इसके बाद फिर से सदन में हंगामा होने लगा. इस पर सपा चीफ अखिलेश यादव ने उन्नाव की घटना का जिक्र करते हुए मामले को दूसरी ओर मोड़ने का प्रयास करते हुए कहा कि आजम खान को जो कहना था वो कह चुके हैं. उन्होेंने रायबरेली के पास उन्नाव दुष्कर्म पीड़िता की दुर्घटना का जिक्र करते हुए कहा कि एक बेटी के साथ क्या हुआ इस पर भी चर्चा होनी चाहिए.

इस पर संसदीय कार्यमंत्री प्रहलाद जोशी ने कहा कि आजम खान के बयान से महिला समाज का अपमान हुआ है. उन्हें ठीक शब्दों में क्षमा मांगनी चाहिए. बाद में स्पीकर ओम बिड़ला ने बीच बचाव करते हुए आजम खान को एक बार फिर अपनी बात कहने के लिए कहा. इस बार आजम खान ने अपने शब्दों को तोलते हुए कहा, ‘मान्यवर. मैंने पहले भी कहा था वे हमारी बहन समान हैं. एक बार कहें या हजार बार कहें, बात वही रहेगी. चेयर के प्रति मेरे मन में कोई गलत भावना नहीं थी. अगर फिर भी उन्हें कोई ऐसा एहसास है तो मैं क्षमा चाहता हूं.’

इस पर हंगामा तो शांत हो गया. बाद में रमा देवी ने आजम खान के माफी मांगने पर कहा, आजम खान के बयान से पूरे देश को तकलीफ हुई और वे इसे नहीं समझ पाएंगे. आजम खान बाहर भी ऐसा बोलते हैं और उनकी आदत जरूरत से ज्यादा बिगड़ी हुई है.’

सदन में रमा देवी बोल ही रही थीं, तभी अखिलेश यादव फिर खड़े होकर कुछ बोलने लगे. इस पर रमा देवी भड़क गईं और अखिलेश यादव को टोकते हुए ‘खबरदार’ तक कह दिया. रमा देवी ने कहा, ‘अखिलेशजी उनके मुंह में जुबान है. आप क्यों बोल रहे हैं. आप उसका सपोर्ट क्यों कर रहे हैं. खबरदार, मैं बोल रही हूं.’ इस पर अखिलेश यादव चुपचाप अपनी सीट पर बैठ गए.

रमा देवी ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि आजम खान की आदत सुधरनी चाहिए. ऐसा नहीं है कि उनकी जो मर्जी हो वो बोल दें. वे इस तरह के बयान सुनने के लिए यहां नहीं आईं हैं.’

बता दें, 25 जुलाई को लोकसभा में जब तीन तलाक बिल पर चर्चा चल रही थी, रमा देवी सदन की अध्यक्षता कर रहीं थीं. इसी दौरान आजम खान ने उनको लेकर विवादास्पद टिप्पणी कर दी. आजम की टिप्पणी के बाद सदन में हंगामा होने लगा. सभी महिला सांसदों ने एक सुर में माफी की मांग की और उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की. इस बीच स्पीकर ने कार्यवाही को स्थगित कर दिया.

अगले दिन भी माहौल कुछ ऐसा ही रहा जिसपर आजम खान के साथ सभी सपा सांसद सदन को छोड़कर चले गए. बाद में ओम बिरला ने इस मुद्दे को लेकर सभी दलों के नेताओं के साथ बैठक की. इस बैठक में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी, जयदेव गल्ला, सुप्रिया सुले और अन्य नेता मौजूद रहे. बैठक में तय हुआ कि आजम खान को सदन में माफी मांगनी चाहिए. अन्यथा उनपर सख्त कार्यवाही की जाएगी. इसी के तहत सोमवार को सदन की शुरुआत में ही सांसद आजम खान ने दो बार माफी तब सदन की कार्यवाही सुचारू रूप से चल पाई.

राठौड़ ने सदन में की पायलट के मुख्यमंत्री की सीट पर बैठने की दुआ

उन्नाव रेप पीड़िता की हत्या की साजिश या इत्तेफाक?

उत्तरप्रदेश के उन्नाव जिले की बांगरमऊ विधानसभा से विधायक कुलदीप सेंगर के खिलाफ रेप का आरोप लगाने वाली पीड़िता और उसका वकील रविवार को हुए एक सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल हो गए. हादसे में पीड़िता की मौसी, चाची और ड्राइवर की मौत हो गई जबकि पीड़िता गम्भीर रूप से घायल हो गई. हादसा उस समय हुआ जब पीडिता रायबरेली जेल में बंद अपने चाचा से मिलकर परिवार के साथ कार में लौट रही थी.

उन्नाव रेप पीड़िता के साथ ये दुर्घटना जिस समय और जिन हालात में हुई है उसमें इस हादसे को पीड़िता की हत्या का प्रयास भी बताया जा रहा है. पीड़िता की कार जब रायबरेली के गुरबख्श गंज इलाके में पहुंची, तब सामने से आ रहे एक ट्रक ने जोरदार टक्कर मारी, जिससे कार के परखच्चे उड़ गए. पीड़िता और उसके परिवार को केस वापस लेने के लिए लगातार धमकियां मिल रही थीं. पीड़िता और वकील की हालत किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में गंभीर बनी हुई है. दोनों को रविवार को इस अस्पताल में भर्ती कराया गया है. दोनों फिलहाल लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर हैं. डाक्टरों का कहना है कि पीड़िता की कई हड्डियां टूट गई हैं.

एक जो अंदेशा सबसे बड़ा है वह यह कि पीड़ित परिवार को शासन की तरफ़ से 9 पुलिसकर्मियों की सुरक्षा दी गई है लेकिन हादसे के दौरान उनके साथ एक भी सुरक्षाकर्मी नहीं था. इस पर लखनऊ के एडीजी राजीव कृष्णा का कहना है कि पीड़ित परिवार ने सुरक्षाकर्मियों को खुद ही साथ आने से मना कर दिया था.

डीजीपी ने कहा कि पीड़ित परिवार को सुरक्षा के लिए 10 पुलिसकर्मी दिए गए थे. जिसमें 7 गॉर्ड घर में तैयार किए गए थे और तीन गार्ड 24 घंटे इनके साथ रखे गए थे जिसमें 2 महिला और 1 पुरुष गार्ड है. डीजीपी ने सुरक्षा में कमी की बात को नकारते हुए कहा कि कल पीड़ित परिवार की ओर कहा गया कि घर में रहें क्योंकि उनको रास्ते में किसी और को भी लेना है इसलिए में सुरक्षा में कोई चूक नहीं हुई है. उन्होंने कहा कि परिवार की ओर से हत्या की कोशिश की बात कही जा रही है अगर पीड़ित परिवार सीबीआई जांच की मांग करेगा तो हम तैयार हैं. हमने चश्मदीदों के बयान लिए हैं और ऐसा लग रहा है कि ट्रक की स्पीड बहुत ज्यादा थी.

पीड़िता के साथ रेप की घटना उन्नाव की है. आरोप है कि 2017 में 16 वर्षीय पीड़िता नौकरी के लिए भाजपा विधायक कुलदीप सेंगर के घर गई थी, तब उसके साथ दुष्कर्म किया गया था. इसके एक साल बाद अप्रैल 2018 में पीड़िता ने लखनऊ में मुख्यमंत्री निवास के सामने प्रदर्शन किया था और योगी आदित्यनाथ के घर के सामने आत्मदाह का प्रयास किया था, जिससे यह मामला देशभर में चर्चा में आ गया.

उत्तरप्रदेश के डीजीपी ओपी सिंह ने कहा कि जांच के मुताबिक यह पूरी तरह ट्रक के कारण हुई दुर्घटना थी. ट्रक ड्राइवर और मालिक को गिरफ्तार कर लिया गया है. उनसे पूछताछ जारी है. मामले की निष्पक्ष जांच की जाएगी. फिर भी अगर पीड़ित परिवार सीबीआई जांच की मांग करेगा तो मामला सीबीआई को सौंपा जा सकता है. ट्रक को जब्त कर उसके चालक और मालिक को गिरफ्तार किया जा चुका है. ट्रक और कार की फोरेंसिक जांच कराई जाएगी.

बता दें, जब पीड़िता के पिता अपने बेटी को न्याय दिलाने के लिए संघर्ष कर रहे थे, तब बताया जाता है कि कुलदीप सेंगर के भाई ने उनके साथ मारपीट की थी, जिससे उनकी मौत हो गई. सेंगर के भाई के खिलाफ पुलिस ने आर्म्स एक्ट के तहत मामला दर्ज कर दो दिन हिरासत में भी रखा था. इस घटनाक्रम से आहत और पुलिस की निष्क्रियता से निराश पीड़िता मुख्यमंत्री निवास के सामने आत्मदाह करने पहुंच गई थी. बाद में कुलदीप सिंह सेंगर के खिलाफ मामला दर्ज हुआ. वह रेप के मामले में मुख्य आरोपी हैं और फिलहाल सीतापुर जेल में बंद हैं.

हादसे के बाद लखनऊ जोन के एडीजी राजीव कृष्ण ने कहा कि पीड़िता गंभीर रूप से घायल है. सिर में चोट आई है. कई हड्डियां टूट गई हैं. पीड़िता के परिवार से इस मामले में एफआईआर दर्ज कराने के लिए कहा गया है. जिस ट्रक से कार की टक्कर हुई, उसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है. ट्रक की नंबर प्लेट पर काला रंग पोत दिया गया था.

राजीव कृष्ण ने यह भी बताया कि हादसे के समय बारिश हो रही थी. कार में जगह कम होने से सुरक्षा कर्मी साथ में नहीं था. पीड़िता ने ही सुरक्षा कर्मी को साथ आने से रोक दिया था. इसकी भी जांच की जाएगी. कार में पीड़िता के साथ उसकी चाची, मौसी और वकील थे. पीड़िता और उसके परिवार को विधायक के खिलाफ दर्ज मुकदमा वापस लेने के लिए धमकाया जा रहा था. धमकियों के कारण पीड़िता दिल्ली में रह रही थी. 20 जुलाई को वह सीबीआई को बयान देने के लिए गांव पहुंची थी. रविवार को रायबरेली जेल में बंद चाचा से मिलने के बाद वह दिल्ली लौटने वाली थी.

दुष्कर्म मामले के मुख्य आरोपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर ने राजनीति की शुरुआत कांग्रेस में शामिल होकर की थी. वह 2002 में कांग्रेस के टिकट पर उन्नाव से विधायक बने थे. 2007 में उन्होंने बसपा के टिकट पर बांगरमऊ से चुनाव जीता. बाद में वह बसपा छोड़कर सपा में चले गए और 2012 में भगवंत नगर सीट से सपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीते. इसके बाद राजनीतिक माहौल देखते हुए वह सपा छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए. 2017 के विधानसभा चुनाव में कुलदीप सेंगर ने बांगरमऊ से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और चौथी बार विधायक बने.

कुलदीप सेंगर ने 2007 में चुनावी घोषणा पत्र में अपनी संपत्ति 36 लाख रुपए बताई थी. 2012 में उन्होंने एक करोड़ 27 लाख रुपए की संपत्ति बताई. 2017 में सेंगर की संपत्ति दो करोड़ 14 लाख रुपए तक पहुंच गई थी. वह फिलहाल सीतापुर जेल में बंद हैं.

फिर फिसली मेनका गांधी की जुबान, एसडीओ को सुनाई खरी खोटी

लोकसभा चुनाव में अपने बिगड़े बोल से सुर्खियों में आयी बीजेपी की सुलतानपुर सांसद मेनका गांधी अपने गुस्सेल रवैये की वजह से फिर से चर्चा में है. इस बार उन्होंने अपना गुस्सा बिजली विभाग के एसडीओ पर निकाला. बीजेपी सांसद ने न केवल उन्हें डांट लगाई, बल्कि वहां मौजूद कई अधिकारियों के साथ जमकर खरी खोटी सुनाई.

दरअसल मेनका गांधी अपने संसदीय क्षेत्र के दो दिवसीय दौरे पर हैं. यहां बीजेपी सांसद एक गांव में विद्युत व्यवस्था को लेकर की गई शिकायत पर कलेक्ट्रेट में अधिकारियों से सवाल-जवाब कर ही रही थी कि अचानक से फूटे गुस्से के दौरान उनकी जुबान फिर से फिसल गयी. पहले तो उन्होंने इलाके में लचर बिजली व्‍यवस्‍था को लेकर अधिकारियों की जमकर क्‍लास ली. उसके बाद बिजली विभाग के एसडीओ से यहां तक कह दिया कि तुम कोई राजा हो…छोटे-मोटे कर्मचारी…तुम हमारी भीख पर टिके हो.

मेनका गांधी के ये कटु वचन सुनकर अधिकारी सहित अन्य अफसर भी बगले झांकने लगा लेकिन थोड़ी ही देर बार उनका अधिकारियों को डांट पिलाने का ये वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने लगा. इसी के साथ चर्चाओं का दौर भी शुुरू हो गया. कई यूजर्स उनके अधिकारियों को इस तरह जलील करने की आलोचना कर रहे हैं तो कुछ जनता की समस्याओं पर ध्यान देने के लिए उनके इस एक्शन की सराहना कर रहे हैं.

इससे पहले रविवार को सांसद मेनका गांधी ने एक फायर स्टेशन के भूमि पूजन कार्यक्रम में अधिकारियों ने कहा कि फायर स्टेशन एक साल में चालू नहीं हुआ केंद्र तो किसी न किसी की नौकरी जानी पक्की है. सुल्‍तानपुर पहुंचने से पहले मेनका गांधी ने लखनऊ में सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाकात भी की. मेनका गांधी ने जिले के लिए विभिन्न विकास योजनाओं से लेकर बिजली, कानून व्यवस्था, अस्पताल की खराब स्थिति पर बातचीत कर उसे दूर कराने का आग्रह किया.

लोकसभा चुनाव के प्रचार कैंपेन में भी सुलतानपुर की जनता उनका ये गुस्सैल रवैया देख चुकी है. चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने अपने संसदीय क्षेत्र के एक मुस्लिम इलाके अमहट के तुराबखानी में जाकर लोगों को संबोधित किया था, ‘अगर आप मुझे वोट नहीं देंगे तो भी मैं जीतूंगी लेकिन उसके बाद अगर कोई काम के लिए मेरे पास आता है तो उनके लिए भी उनके कार्य करना मुश्किल होगा. मेरा रुख भी वैसा ही रहेगा.’

मेनका के इस बयान से जमकर बवाल हुआ था. उसके ऐसे ही बिगड़े बोल के चलते बीते लोकसभा चुनाव में चुनाव आयोग ने मेनका गांधी पर 48 घण्टे का बैन भी लगाया था. इसके बाद वे दो दिन तक किसी चुनाव प्रचार में भाग नहीं ले पायी थी.

राजस्थान विधानसभा में गहलोत ने प्रदेश को दी नयी सौगातें

भारी खींचतान के बाद येदियुरप्पा ने हासिल किया बहुमत, स्पीकर ने दिया इस्तीफा

आखिर लंबे सियासी घमासान के बाद कर्नाटक में मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा सरकार ने विधानसभा में बहुमत भी हासिल कर लिया. येदियुरप्पा ने विधानसभा में ध्वनिमत से बहुमत साबित किया, इस दौरान विपक्ष ने मत विभाजन की मांग नहीं की. बहुमत परीक्षण में बहुमत हासिल करते हुए मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने कहा कि वो हर मिनट राज्य के विकास के लिए काम करेंगे. इस बीच, विधानसभा स्पीकर केआर. रमेशकुमार ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है.

सोमवार को विधानसभा की कार्यवाही शुरू हुई और सदन में जब सभी विधायक घुसे तो सबसे पहले मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने कांग्रेस नेता सिद्धारमैया से हाथ मिलाया. हालांकि, बहुमत परीक्षण के दौरान विधानसभा में सिद्धारमैया ने कहा कि येदियुरप्पा के पास कभी जनादेश नहीं रहा. चाहे बात 2008 की हो या 2018 की या अभी की आपके पास ना तो पहले बहुमत था, और ना ही अब. सिद्धारमैया ने कहा कि येदियुरप्पा मुख्यमंत्री तो रहेंगे, लेकिन उसकी भी कोई गारंटी नहीं है, मैं आपके विश्वास मत के प्रस्ताव का विरोध करता हूं.

खैर, कर्नाटक से बीजेपी के लिए बड़ी और अच्छी खबर है. मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने ध्वनिमत से विधानसभा में बहुमत साबित कर दिया है. एक सौ छह विधायकों ने सरकार का समर्थन किया जबकि सौ विधायक विरोध में रहे. कुमारस्वामी के नेतृत्व वाले विपक्ष ने मत विभाजन की मांग भी नहीं की. एचडी कुमारस्वामी ने कहा कि आप अब लोग सरकार में हैं, इसलिए विधायकों पर इस्तीफे का दबाव बनाना खत्म कीजिए. उन्होंने कहा कि अगर सरकार बढ़िया काम करती है तो वह सरकार को समर्थन करेंगे.

कर्नाटक विधानसभा में बहुमत परीक्षण के दौरान मुख्यमंत्री येदियुरप्पा ने कहा कि मैं किसी के खिलाफ बदले की राजनीति के साथ काम नहीं करता हूं इसलिए अब भी नहीं करूंगा. हमारी सरकार किसानों के लिए काम करना चाहती है, इसलिए मैं सभी से अपील करता हूं कि सरकार के विश्वास मत प्रस्ताव का समर्थन करें. इसके बाद बिना वोटिंग किये बीजेपी सरकार ने 106 विधायकों के समर्थन से विधानसभा में ध्वनिमत से बहुमत हासिल कर लिया.

बता दें, कर्नाटक विधानसभा के 17 बागी विधायकों को स्पीकर द्वारा अयोग्य ठहराने के बाद से ही येदियुरप्पा की राह में कोई रोड़ा नजर नहीं आ रहा था. इस तह अगर सदन में आज वोटिंग भी होती तो भी बीएस येदियुरप्पा आज बहुमत साबित कर ही देते. मौजूदा समय में कर्नाटक विधानसभा में विधासभा में कुल 225 विधायक हैं. 225 में 17 अयोग्य करार होने के बाद विधानसभा का आंकड़ा 208 पर पहुंच गया. अगर वोटिंग होती भी तो येदियुरप्पा को बहुमत साबित करने के लिए सिर्फ 105 विधायकों की जरूरत पड़ती जबकि एक निर्दलीय विधायक के समर्थन के साथ ही बीजेपी को 106 विधायकों का समर्थन हासिल है. जबकि कांग्रेस और जेडीएस के पास महज 100 विधायक ही हैं. ऐसे में येदियुरप्पा बहुत आसानी से बहुमत के मैजिक को नंबर हासिल कर लेते.

इन सबके बीच अब बागी 17 विधायकों के अयोग्य ठहराने के बाद उनके राजनीतिक भविष्य पर सवाल खड़ा हो गया है. स्पीकर रमेश कुमार ने 25 जुलाई को 3 बागी विधायकों जिनमें आर शंकर (केपीजेपी विधायक जिसने कांग्रेस के साथ विलय किया था) और रमेश जर्किहोली (कांग्रेस), महेश कुमठल्ली (कांग्रेस) को अयोग्य ठहराया था. 28 जुलाई, रविवार को स्पीकर ने बाकी के 14 और विधायकों आनंद सिंह (कांग्रेस), प्रताप गौड़ा पाटिल (कांग्रेस), बीसी पाटिल (कांग्रेस), शिवराम हेब्बार (कांग्रेस), एस टी सोमशेखर (कांग्रेस), बायरती बसवराज (कांग्रेस), रोशन बैग (कांग्रेस), मुनीरतना (कांग्रेस), के सुधाकर (कांग्रेस), एमटीबी नागराज (कांग्रेस), श्रीमंत पाटिल (कांग्रेस) और ए एच विश्वनाथ (जेडीएस), नारायण गौड़ा (जेडीएस), के गोपलाईया (जेडीएस) को अयोग्य करार दे दिया था.

हालांकि, स्पीकर के आर रमेश के अयोग्य करार दिए जाने के फैसले को कांग्रेस-जेडीएस के बागियों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का फैसला किया है. जेडीएस नेता और बागी विधायक एएच विश्वनाथ ने कहा कि फैसला ‘कानून के विरुद्ध’ है और वह वो अब असंतुष्ट विधायक के साथ सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करेंगे. विश्वनाथ ने कहा, ”अयोग्यता विधि विरुद्ध है… मात्र उन्हें जारी व्हिप के आधार पर आप विधायकों को सदन में आने के लिए बाध्य नहीं कर सकते.’

येदियुरप्पा सरकार के बहुमत हासिल करने के बाद विधानसभा स्पीकर केआर रमेश कुमार ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. रमेशकुमार ने कहा, “मैं पद को छोड़ना चाहता हुं और जो डिप्टी स्पीकर हैं अब वो इस पद को संभालेंगे”. रविवार को भाजपा के वरिष्ठ नेता ने बयान दिया था कि हमनें रमेश कुमार को पद छोड़ने के लिए कहा है, पारंपरिक रूप से स्पीकर का पद सत्तारूढ़ दल के किसी सदस्य के पास होता है, इसलिए अगर रमेश कुमार स्वयं पद नहीं छोड़ते हैं तो उनके खिलाफ सरकार अविश्वास प्रस्ताव ला सकती है.

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