आखिर लंबे सियासी घमासान के बाद कर्नाटक में मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा सरकार ने विधानसभा में बहुमत भी हासिल कर लिया. येदियुरप्पा ने विधानसभा में ध्वनिमत से बहुमत साबित किया, इस दौरान विपक्ष ने मत विभाजन की मांग नहीं की. बहुमत परीक्षण में बहुमत हासिल करते हुए मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने कहा कि वो हर मिनट राज्य के विकास के लिए काम करेंगे. इस बीच, विधानसभा स्पीकर केआर. रमेशकुमार ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है.
सोमवार को विधानसभा की कार्यवाही शुरू हुई और सदन में जब सभी विधायक घुसे तो सबसे पहले मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने कांग्रेस नेता सिद्धारमैया से हाथ मिलाया. हालांकि, बहुमत परीक्षण के दौरान विधानसभा में सिद्धारमैया ने कहा कि येदियुरप्पा के पास कभी जनादेश नहीं रहा. चाहे बात 2008 की हो या 2018 की या अभी की आपके पास ना तो पहले बहुमत था, और ना ही अब. सिद्धारमैया ने कहा कि येदियुरप्पा मुख्यमंत्री तो रहेंगे, लेकिन उसकी भी कोई गारंटी नहीं है, मैं आपके विश्वास मत के प्रस्ताव का विरोध करता हूं.
खैर, कर्नाटक से बीजेपी के लिए बड़ी और अच्छी खबर है. मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने ध्वनिमत से विधानसभा में बहुमत साबित कर दिया है. एक सौ छह विधायकों ने सरकार का समर्थन किया जबकि सौ विधायक विरोध में रहे. कुमारस्वामी के नेतृत्व वाले विपक्ष ने मत विभाजन की मांग भी नहीं की. एचडी कुमारस्वामी ने कहा कि आप अब लोग सरकार में हैं, इसलिए विधायकों पर इस्तीफे का दबाव बनाना खत्म कीजिए. उन्होंने कहा कि अगर सरकार बढ़िया काम करती है तो वह सरकार को समर्थन करेंगे.
कर्नाटक विधानसभा में बहुमत परीक्षण के दौरान मुख्यमंत्री येदियुरप्पा ने कहा कि मैं किसी के खिलाफ बदले की राजनीति के साथ काम नहीं करता हूं इसलिए अब भी नहीं करूंगा. हमारी सरकार किसानों के लिए काम करना चाहती है, इसलिए मैं सभी से अपील करता हूं कि सरकार के विश्वास मत प्रस्ताव का समर्थन करें. इसके बाद बिना वोटिंग किये बीजेपी सरकार ने 106 विधायकों के समर्थन से विधानसभा में ध्वनिमत से बहुमत हासिल कर लिया.
बता दें, कर्नाटक विधानसभा के 17 बागी विधायकों को स्पीकर द्वारा अयोग्य ठहराने के बाद से ही येदियुरप्पा की राह में कोई रोड़ा नजर नहीं आ रहा था. इस तह अगर सदन में आज वोटिंग भी होती तो भी बीएस येदियुरप्पा आज बहुमत साबित कर ही देते. मौजूदा समय में कर्नाटक विधानसभा में विधासभा में कुल 225 विधायक हैं. 225 में 17 अयोग्य करार होने के बाद विधानसभा का आंकड़ा 208 पर पहुंच गया. अगर वोटिंग होती भी तो येदियुरप्पा को बहुमत साबित करने के लिए सिर्फ 105 विधायकों की जरूरत पड़ती जबकि एक निर्दलीय विधायक के समर्थन के साथ ही बीजेपी को 106 विधायकों का समर्थन हासिल है. जबकि कांग्रेस और जेडीएस के पास महज 100 विधायक ही हैं. ऐसे में येदियुरप्पा बहुत आसानी से बहुमत के मैजिक को नंबर हासिल कर लेते.
इन सबके बीच अब बागी 17 विधायकों के अयोग्य ठहराने के बाद उनके राजनीतिक भविष्य पर सवाल खड़ा हो गया है. स्पीकर रमेश कुमार ने 25 जुलाई को 3 बागी विधायकों जिनमें आर शंकर (केपीजेपी विधायक जिसने कांग्रेस के साथ विलय किया था) और रमेश जर्किहोली (कांग्रेस), महेश कुमठल्ली (कांग्रेस) को अयोग्य ठहराया था. 28 जुलाई, रविवार को स्पीकर ने बाकी के 14 और विधायकों आनंद सिंह (कांग्रेस), प्रताप गौड़ा पाटिल (कांग्रेस), बीसी पाटिल (कांग्रेस), शिवराम हेब्बार (कांग्रेस), एस टी सोमशेखर (कांग्रेस), बायरती बसवराज (कांग्रेस), रोशन बैग (कांग्रेस), मुनीरतना (कांग्रेस), के सुधाकर (कांग्रेस), एमटीबी नागराज (कांग्रेस), श्रीमंत पाटिल (कांग्रेस) और ए एच विश्वनाथ (जेडीएस), नारायण गौड़ा (जेडीएस), के गोपलाईया (जेडीएस) को अयोग्य करार दे दिया था.
हालांकि, स्पीकर के आर रमेश के अयोग्य करार दिए जाने के फैसले को कांग्रेस-जेडीएस के बागियों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का फैसला किया है. जेडीएस नेता और बागी विधायक एएच विश्वनाथ ने कहा कि फैसला ‘कानून के विरुद्ध’ है और वह वो अब असंतुष्ट विधायक के साथ सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करेंगे. विश्वनाथ ने कहा, ”अयोग्यता विधि विरुद्ध है… मात्र उन्हें जारी व्हिप के आधार पर आप विधायकों को सदन में आने के लिए बाध्य नहीं कर सकते.’
येदियुरप्पा सरकार के बहुमत हासिल करने के बाद विधानसभा स्पीकर केआर रमेश कुमार ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. रमेशकुमार ने कहा, “मैं पद को छोड़ना चाहता हुं और जो डिप्टी स्पीकर हैं अब वो इस पद को संभालेंगे”. रविवार को भाजपा के वरिष्ठ नेता ने बयान दिया था कि हमनें रमेश कुमार को पद छोड़ने के लिए कहा है, पारंपरिक रूप से स्पीकर का पद सत्तारूढ़ दल के किसी सदस्य के पास होता है, इसलिए अगर रमेश कुमार स्वयं पद नहीं छोड़ते हैं तो उनके खिलाफ सरकार अविश्वास प्रस्ताव ला सकती है.