हरियाणा में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस पर शिकंजा
राज्यों के आगामी विधानसभा चुनाव जीतने के लिए भाजपा के भरसक प्रयास जारी है. कुछ महीनों के बाद चार राज्यों के विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, जिनमें हरियाणा, महाराष्ट्र, झारखंड शामिल हैं. हरियाणा में 2014 में पहली बार भाजपा को सरकार बनाने का मौका मिला था. उस समय कांग्रेस के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा की जगह मनोहरलाल खट्टर के नेतृत्व में भाजपा ने सरकार बनाई थी. खट्टर की सरकार का कार्यकाल अब पूरा होने के करीब है. भाजपा को फिर से राज्य में सरकार बनाने की चिंता है, क्योंकि विधानसभा चुनाव में राजनीतिक माहौल लोकसभा चुनाव से अलग होता है.
हरियाणा में भूपेन्द्र सिंह हुड्डा और पूर्व मुख्यमंत्री भजन लाल के परिवारों का काफी असर है. हुड्डा हरियाणा में कांग्रेस की सरकार चला चुके हैं. हरियाणा की जनता अब भूपेन्द्र सिंह हुड्डा के कार्यकाल से मनोहरलाल खट्टर के कार्यकाल की तुलना करने में जुटी है. राहुल गांधी कांग्रेस से इस्तीफा दे चुके हैं. प्रियंका सिर्फ उत्तर प्रदेश में सक्रिय हैं. सोनिया गांधी केंद्रीय राजनीति में व्यस्त हैं. हरियाणा में कांग्रेस भूपेन्द्र सिंह हुड्डा सहित कुछ अन्य स्थानीय कांग्रेस नेताओं के भरोसे है. पूर्व मुख्यमंत्री भजन लाल के परिवार का भी हरियाणा में अच्छा असर है .
विधानसभा चुनाव में भूपेन्द्र सिंह हुड्डा और भजनलाल के बेटे कुलदीप बिश्नोई भाजपा के लिए चुनौती बन सकते हैं, इसलिए इन दोनों को कानून-कायदों के शिकंजे में लाने के प्रयास शुरू हो गए हैं. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के चंडीगढ़ स्थित कार्यालय में शुक्रवार को भूपेन्द्र सिंह हुड्डा से मानेसर जमीन घोटाला और एजेएल को जमीन आवंटन के मामले में छह घंटे से ज्यादा पूछताछ हुई. इससे पहले गुरुवार को उनसे दस घंटे पूछताछ हुई थी. शुक्रवार को दोपहर तीन बजे से शुरू हुई पूछताछ रात नौ बजे तक चली.
हुड्डा से पूछताछ करने से पहले ईडी ने मानेसर जमीन घोटाले में कार्रवाई करते हुए गुरुग्राम में 18.5 एकड़ जमीन सहित करीब 66.57 करोड़ रुपए की संपत्ति अटैच कर ली है. इसके साथ ही आयकर विभाग ने कुलदीप बिश्नोई के ठिकानों पर छापेमारी की है. आयकर विभाग की कार्रवाई चार दिन चली. उसके बाद अधिकारी कुलदीप बिश्नोई के बेटे भव्य को अपने साथ दिल्ली ले गए. उसके बाद अब हुड्डा से लंबी पूछताछ हो रही है. हो सकता है हुड्डा और बिश्नोई के खिलाफ कार्रवाई की गुंजाइश तलाशी जा रही हो.
प्रवर्तन निदेशालय और आयकर विभाग की कार्रवाई से हरियाणा में राजनीतिक हलचल मची हुई है. लोग बात कर रहे हैं कि भाजपा को चुनाव जीतना है, इसलिए छापेमारी, पूछताछ का सिलसिला शुरू हो गया है. हुड्डा के खिलाफ छह अलग-अलग मामलों में जांच चल रही है. गुरुग्राम के पास मानेसर जमीन अधिग्रहण घोटाला करीब 1500 करोड़ रुपए का है. हुड्डा को इस मामले में पंचकूला स्थित सीबीआई की विशेष अदालत में पेश होना था. वह अपने वकीलों के साथ गए भी थे, लेकिन वकीलों की हड़ताल के कारण सुनवाई नहीं हो सकी. अब अगली सुनवाई छह अगस्त को होगी.
शुक्रवार को जब हुड्डा से पूछताछ हो रही थी, तब बड़ी संख्या में उनके समर्थक चंडीगढ़ सेक्टर तीन स्थित उनके सरकारी आवास पर जमा हो गए थे. कुलदीप शर्मा और गीता भुक्कल सहित कई विधायक उनसे मिलने पहुंचे. इस बीच हुड्डा की तबीयत बिगड़ने की अफवाह फैली. लोग कहने लगे कि उनका बीपी और ब्लड शुगर लेवल बढ़ गया है. हुड्डा के ओएसडी एमएस चोपड़ा ने इसे कोरी अफवाह बताया. उन्होंने कहा, पूर्व मुख्यमंत्री पूरी तरह स्वस्थ हैं.
हरियाणा के ताजा घटनाक्रम से संकेत मिलता है कि विधानसभा चुनाव से पहले बड़े कांग्रेस नेताओं पर शिकंजा कसा जाएगा. भूपेन्द्र सिंह हुड्डा पूर्व मुख्यमंत्री हैं. पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत भजनलाल के पुत्र कुलदीप बिश्नोई हिसार के पूर्व सांसद हैं और आदमपुर के विधायक हैं. हुड्डा के खिलाफ सीबीआई अदालत में चार्जशीट पेश हो चुकी है. चुनाव से पहले उनकी मुश्किलें बढ़ना तय है.
15 साल पुराने मानेसर जमीन घोटाले में हुड्डा सहित 34 अधिकारियों, बिल्डरों और अन्य लोगों के खिलाफ सीबीआई ने 17 सितंबर 2015 को मामला दर्ज किया था. इसके बाद ईडी ने हुड्डा के खिलाफ 2016 में मनी लांड्रिंग का मामला दर्ज किया था. दोनों एजेंसियां हुड्डा के ठिकानों पर छापेमारी कर चुकी है. मानेसर जमीन घोटाले की शुरूआत के समय ओमप्रकाश चौटाला हरियाणा के मुख्यमंत्री थे. चौटाला की इनेलो सरकार ने 27 अगस्त 2004 को गुरुग्राम के मानेसर, लखनौला और नौरंगपुर की 912 एकड़ तमीन पर आईएमटी बनाने के लिए सेक्शन-चार का नोटिस जारी किया था. इसके बाद कांग्रेस की सरकार बनी और भूपेन्द्र सिंह हुड्डा मुख्यमंत्री बने थे.
भूपेन्द्र सिंह हुड्डा की सरकार ने 25 अगस्त 2005 को आईएमटी परियोजना रद्द करते हुए सार्वजनिक कार्यों के लिए जमीन अधिग्रहण के उद्देश्य से सेक्शन-6 का नोटिस जारी किया. जमीन का मुआवजा 25 लाख रुपए प्रति एकड़ तय हुआ. अवार्ड के लिए सेक्शन-9 का नोटिस जारी होने से पहले ही बिल्डरों ने किसानों को अधिग्रहण दिखाकर 400 एकड़ जमीन औने-पौने दामों में खरीद ली. 2007 में बिल्डरों की 400 एकड़ जमीन अधिग्रहण से मुक्त कर दी गई. इससे किसानों को करीब 1500 करोड़ रु. का नुकसान हुआ. हुड्डा सरकार के कार्यकाल में करीब 900 एकड़ जमीन का अधिग्रहण कर उसे बिल्डरों को बेचा गया था.
इस मामले में भूपेन्द्र सिंह हुड्डा भाजपा के निशाने पर हैं. राज्य में विपक्ष पूरी तरह बिखरा हुआ है. कांग्रेस गुटों में बंटी हुई है. भूपेन्द्र सिंह हुड्डा और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अशोक तंवर के अलग-अलग गुट बने हुए हैं. चौटाला परिवार की पार्टी इनेलो भी दो भागों में विभाजित हो चुकी है. इस परिस्थितियों में भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ही भाजपा के सामने चुनौती बने हुए हैं. लोकसभा चुनाव से पहले हरियाणा में प्रचार के दौरान भी प्रधानमंत्री मोदी कह चुके हैं कि इन लोगों को हमने अदालत के दरवाजे पर लाकर खड़ा कर दिया है. अब वह दिन दूर नहीं, जब ये जेल के दरवाजे पर होंगे. उस समय दिए गए भाषण का अब राजनीतिक मतलब निकाला जा रहा है. हुड्डा ने जांच से बचने का कोई प्रयास नहीं किया है. वे पूछताछ में शामिल हो रहे हैं और हर सवाल का जवाब दे रहे हैं. उनका कहना है, मैंने कोई गलती नहीं की है और जो भी प्रश्न पूछा जाएगा, उसका सही जवाब दिया जाएगा. ईडी ने क्या पूछा, मैंने क्या बताया, इस सवाल का जवाब देना उचित नहीं है. बताया जाता है कि हुड्डा से करीब 150 सवाल पूछे जा चुके हैं.
भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने कहा- मैं कुछ नहीं कहना चाहता. भाजपा सरकार की मंशा और नीयत बिलकुल भी साफ नहीं है. पहले दिन से ये लोग मेरे पीछे पड़े हुए हैं. उन्होंने प्रदेश के विकास का कोई काम नहीं किया. राज्य के लोगों से किए गए वादे पूरे नहीं किए. कर्मचारी आंदोलन कर रहे हैं और उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है. हर जगह भ्रष्टाचार व घोटालों भरमार है. यह सरकार सिर्फ हवा में तीर चलाती है. इन्हें जनता के हितों से कोई लेना देना नहीं है. इस तरह के झूठे मामलों से मैं डरने वाला नहीं हूं.
GST काउंसिल की बैठक में मंत्री धारीवाल ने उठाया राजस्व बढ़ाने का मुद्दा
केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट मामले मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में शनिवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जीएसटी परिषद की 36वीं बैठक आयोजित की गई. बैठक में राजस्थान के यूडीएच मिनिस्टर शांति धारीवाल ने भी भाग लिया. इस दौरान शांति धारीवाल ने प्रदेश का प्रतिनिधित्व करते हुए राज्यों के राजस्व बढ़ाने के अहम मुद्दे को सामने रखा. मंत्री धारीवाल ने वित्तमंत्री द्वारा इलेक्ट्रिक वाहनों पर 7 फीसदी जीएसटी घटाने की घोषणा का स्वागत करते हुए इन वाहनों में इलेक्ट्रिक ड्यूटी को भी कम किए जाने की मांग की.
बता दें, वित्तमंत्री निर्मला सीतारण ने इलेक्ट्रिक वाहनों पर जीएसटी 12 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी कर दी है. जीएसटी दरों में बदलाव 1 अगस्त, 2019 से प्रभावी होंगे. विद्युत चालित वाहनों के चार्जरों या चार्जिंग स्टेशनों पर जीएसटी दर 18 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत की गई. स्थानीय प्राधिकरणों द्वारा विद्यत चालित बसों (12 से अधिक यात्रियों को ढोने की क्षमता वाली बसें) को किराए पर लेने की दर को जीएसटी से छूट दी गई है.
The 36th GST council decided to reduce GST rate on all EVs from 12% to 5%.
For more details: https://t.co/9T32blywp0@nsitharamanoffc @nsitharaman @ianuragthakur@Anurag_Office pic.twitter.com/C0Bq5t3Tf7— Ministry of Finance (@FinMinIndia) July 27, 2019
इस बैठक में मंत्री शांति धारीवाल ने बताया कि 2010 में यूपीए सरकार की ओर से इलेक्ट्रिक वाहनों पर लगने वाला वैट माफ किया गया था. इस पर केंद्रीय वित्त मंत्री ने तत्कालीन सरकार के इस फैसले की प्रशंसा की और इसे अच्छा कदम बताया.
मंत्री शांति धारीवाल ने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से इलेक्ट्रिक वाहनों पर जीएसटी 12 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी कर दिया लेकिन इलेक्ट्रिक चार्जेज को पहले की तरह 12 प्रतिशत ही रखा है. उन्होंने इलेक्ट्रिक चार्जेज भी कम किए जाने की डिमांड की है. मंत्री धारीवाल ने बताया कि 2010 में जब इलेक्ट्रिक वाहनों पर वैट 12.5 फीसदी था तब यूपीए सरकार ने इसे पूरी तरह माफ कर दिया था.
मंत्री धारीवाल ने बैठक में एक सवाल भी उठाया. उन्होंने कहा कि अगर हर वस्तु पर जीएसटी घटती गई तो राज्यों के राजस्व का क्या होगा. इस पर वित्तमंत्री निर्मला सीतारण ने राज्यों की ओर से इस तरह की मांग करने की बात कही. इस पर मंत्री ने कहा कि कुछ चीजों पर जीएसटी बढ़ानी भी चाहिए लेकिन कुछ में कम भी हो.
मंत्री धारीवाल ने कोटा कोचिंग इंस्टीट्यूट्स पर लगाई जाने वाली 18 फीसदी जीएसटी को पूरी तरह माफ करने का अनुरोध भी किया. इस मौके पर केंद्रीय वित्त सचिव राजस्व डॉ.पृथ्वीराज, केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट मामले राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर और राजस्व सचिव अजय भूषण पांडे सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहे.
तो क्या ज्योतिष और तंत्र-मंत्र के दम पर मुख्यमंत्री बने येदियुरप्पा?
कर्नाटक के प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बीएस येदियुरप्पा ने चौथी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली है. पहली बार वह 2007 में 12 नवंबर से 19 नवंबर तक आठ दिनों के लिए मुख्यमंत्री बने थे. दूसरी बार 30 मई 2008 से 31 जुलाई 2011 तक तीन वर्ष दो माह मुख्यमंत्री रहे. तीसरी बार 2018 में 17 मई से 19 मई तक तीन दिन मुख्यमंत्री रहे. अब चौथी बार 26 जुलाई 2019 को उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली.
चौथी बार मुख्यमंत्री बनने के लिए येदियुरप्पा ने भरसक प्रयास किए. तंत्र-मंत्र के अलावा ज्योतिषीय उपायों का भी सहारा लिय़ा. इसके तहत उन्होंने अपने उपनाम में शामिल ‘D’ को ‘I’ अक्षर से बदल लिया है. अपने ट्विटर हैंडल पर भी उन्होंने अपने उपनाम में आंशिक बदलाव कर लिया है. येदियुरप्पा ने 1975 में स्थानीय निकाय का पहला चुनाव जीता था. उसके बाद 12 साल तक उन्होंने अपने उपनाम में परिवर्तन नहीं किया था. इसके बाद देवगौड़ा की पार्टी जनता दल-एस के साथ मिलकर भाजपा ने सरकार बनाई थी और येदियुरप्पा पहली बार मुख्यमंत्री बने थे. उसके कुछ दिन बाद उन्होंने अपने उपनाम की स्पैलिंग में आई हटाकर डी कर लिया था. बताया जाता है कि अंक ज्योतिषियों की सलाह पर उन्होंने नाम का एक अक्षर बदला था. अब उन्होंने एक बार फिर एक अक्षर बदलते हुए वापस वही उपनाम लिखना शुरू कर दिया है, जो पहले लिखा करते थे.
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इसके बाद येदियुरप्पा ने बेंगलुरु स्थित अपने घर कई पूजा-अनुष्ठान कराए थे. इसके साथ ही तुमकुर जिले में स्थित अपने गांव येदिपुर में उन्होंने ग्राम देवता को प्रसन्न करने के लिए यज्ञ करवाया था. येदियुरप्पा भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को प्रसन्न करने के साथ ही ज्योतिषियों, अंक ज्योतिषियों और टैरो कार्ड पढ़ने वालों से भी गुप्त परामर्श करते रहे हैं.
येदियुरप्पा का ज्योतिष, तंत्र-मंत्र आदि पर बहुत भरोसा है. वह कोई भी कार्य ज्योतिषियों से मुहूर्त पूछकर करते हैं. महत्वपूर्ण दस्तावेजों पर दस्तखत करने से पहले भी वह अपने ज्योतिषी से सलाह लेना नहीं भूलते. शुक्रवार शाम को सवा छह बजे मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने का समय भी ज्योतिषी की सलाह पर तय किया था. जिस दिन कुमारास्वामी सरकार गिरी उसी रात येदियुरप्पा ने अपने ज्योतिषों को आवास पर बुलाया. सूत्रों की माने तो ज्योतिषों ने शुक्रवार 26 जुलाई नहीं टलने देने की सलाह येदियुरप्पा को दी थी. इसके लिए ज्योतिषों ने उसी रात एक हवन भी करवाया. येदियुरप्पा जब पिछली बार मुख्यमंत्री थे, तब केरल के कई ऐसे मंदिरों में जाया करते थे, जहां काला जादू किया जाता है. वह जब अपनी कर्नाटक जनता पार्टी को लांच करने वाले थे, तब भी उन्होंने केरल के चार मंदिरों के दर्शन कर वहां पूजा-अनुष्ठान किए थे.
येदियुरप्पा का जन्म कर्नाटक में मांड्या जिले के बुकानाकेरे में 27 फरवरी 1943 को लिंगायत परिवार में हुआ था. जब वह चार वर्ष के थे, तब उनकी मां का देहांत हो गया था. वह छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय हो गए थे. उनका पूरा नाम है बूकानाकेरे सिद्धलिंगप्पा येदियुरप्पा. वह बीएस येदियुरप्पा के नाम से लोकप्रिय हैं. 1965 में वह समाज कल्याण विभाग में प्रथम श्रेणी लिपिक नियुक्त हुए थे, लेकिन सरकार नौकरी उन्हें रास नहीं आई. वह नौकरी छोड़कर शिकारीपुर चले गए, जहां उन्होंने वीरभद्र शास्त्री की शंकर चावल मिल में क्लर्क के रूप में काम किया. कॉलेज की पढ़ाई के दौरान येदियुरप्पा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए थे. 1970 में वह सामाजिक गतिविधियों से जुड़ गए और शिकारीपुर के प्रभारी बने. फिलहाल उनके दो पुत्र और तीन पुत्रियां हैं.
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कर्नाटक में 2007 में राजनीतिक उलटफेर के बाद राष्ट्रपति शासन लगा था. उसके बाद जनता दल-एस और भाजपा के मतभेदों को दूर करने में येदियुरप्पा काफी सहायक रहे और 12 नवंबर 2007 को पहली बार भाजपा को कर्नाटक का शासन संभालने का नौका मिला. येदियुरप्पा के दम पर भाजपा ने पहली बार दक्षिणी राज्य में अपनी सरकार बनाई. येदियुरप्पा का कार्यकाल उनके कार्यों के कारण कम, विवादों के कारण ज्यादा सुर्खियों में रहा. तीन साल बाद वह खनन घोटाले में फंसे और उनकी सरकार चली गई.
येदियुरप्पा 1983 से शिकारीपुर विधानसभा सीट से चुनाव जीतते आ रहे हैं. वह सिर्फ एक बार 1999 में विधानसभा चुनाव हारे थे. उन्हें कांग्रेस के महालिंगप्पा ने हराया था. मुख्यमंत्री पद छोड़ने के साथ ही येदियुरप्पा ने भाजपा भी छोड़ दी थी और अपनी अलग कर्नाटक जनता पार्टी बनाई थी. यह दौर ज्यादा समय तक नहीं चला. भाजपा के लिए येदियुरप्पा का पार्टी में बने रहना महत्वपूर्ण था.
जब नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार बने थे तब 2013 येदियुरप्पा की भाजपा में वापसी हो गई. 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने येदियुरप्पा को ही कर्नाटक में मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया था. उन्होंने फिर मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, लेकिन तीसरे दिन विधानसभा में बहुमत साबित नहीं कर पाए और इस्तीफा देना पड़ा. उसके बाद कुमारस्वामी ने जदएस-कांग्रेस गठबंधन सरकार बनाई थी.
इस तरह येदियुरप्पा के जीवन में एक के बाद एक संकट आते रहे और वह उनसे उबरते रहे. उन्होंने कभी हार मानना नहीं सीखा है. भाजपा में खुद को धुरंधर साबित करते हुए वह एक बार फिर कर्नाटक के मुख्यमंत्री बन गए हैं. येदियुरप्पा के लिए भाजपा ने पिचत्तर प्लस का नियम भी तोड़ दिया है. भाजपा की नीति है कि 75 वर्ष की उम्र पार करने वाले नेताओं को सक्रिय राजनीति से बाहर रखा जाए. लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, सुषमा स्वराज, सुमित्रा महाजन, कलराज मिश्र सहित कई बड़े नेता भाजपा के इस नियम के आधार पर संसद से बाहर हो गए हैं.
येदियुरप्पा की उम्र 76 वर्ष हो चुकी है. शुक्रवार शाम उनके शपथ ग्रहण समारोह में भाजपा के किसी भी केंद्रीय नेता की मौजूदगी नहीं थी. हालांकि भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने दिल्ली में प्रेस कांफ्रेंस में अवश्य कहा कि कर्नाटक में येदियुरप्पा के नेतृत्व में भाजपा की स्थायी सरकार बन रही है. उन्होंने कहा कि कर्नाटक सरकार अपने कारणों से गिरी है. वहां येदियुरप्पा आगे बढ़े हैं. भाजपा वहां स्वच्छ प्रशासन देने के लिए कटिबद्ध है. येदियुरप्पा की उम्र आदि विषयों पर पार्टी बाद में विचार करेगी.
सोमवार को होगा आजम खान का निलम्बन!
लोकसभा में पीठासन सभापति रमा देवी पर की गई टिप्पणी को लेकर समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और रामपुर सांसद आजम खान अब फंसते जा रहे हैं. विपक्ष में होते हुए भी उन्हें विपक्षी दलों का साथ नहीं मिल रहा है. सभी दलों ने एक स्वर में आजम खान के व्यवहार की निंदा करते हुए उन्हें सदन से निलंबित करने की मांग की.
सदन में गुरुवार को तीन तलाक पर रोक लगाने के प्रावधान वाले विधेयक पर चर्चा के दौरान बीजेपी सांसद पीठासन सभापति के तौर पर आसन पर विराजमान थी. जैसे ही आजम खान को संबोधन शुरू हुआ, सत्ताधारी पक्ष से किसी ने कुछ कहा. इस पर आजम खान उनकी तरफ देखकर बोलने लगे. रमा देवी ने तुरंत आजम खान को टोकते हुए अपनी तरफ देखकर बोलने के लिए कहा जिस पर आजम खान ने शायराना अंदाज में रमा देवी पर एक टिप्पणी कर दी. इस पर बीजेपी के रवि शंकर प्रसाद और अन्य सांसदों ने हंगामा करना शुरू कर दिया. मामला बढ़ते देख स्पीकर ओम बिड़ला ने आसन संभाला और आजम खान को स्पष्टीकरण देने को कहा. साथ ही उन्हें माफी मांगने को भी कहा. इस पर आजम अड़ गए और ‘ऐसे अपमानित होकर बोलने से कोई फायदा नहीं है’ कहकर सदन से उठकर चले गए.
आजम का पक्ष लेकर सपा चीफ और आजमगढ़ सांसद अखिलेश यादव ने अपना पक्ष रखा और उन्हें सही बताया. लेकिन बीजेपी सांसद हंगामा करते रहे. मामले को भांपते हुए स्पीकर बिड़ला ने इस कार्यवाही को सदन के वीडियो से हटवा दिया.
अगले दिन शुक्रवार को जैसे ही आजम खान ने सदन में बोलना शुरू किया, रमा देवी सहित बीजेपी के सांसद फिर खड़े हो गए और आजम खान को माफी मांगने के लिए कहने लगे. इस पर आजम सहित अन्य सपा सांसद वॉकआउट कर सदन से बाहर चले गए. स्मृति ईरानी, निर्मला सीतारण ने आजम खान पर कड़ी कार्यवाही की मांग की. वहीं रमा देवी ने जयाप्रदा का उदाहरण देते हुए सदन में कहा कि आजम खान का व्यवहार सभी जानते हैं. उन्हें माफी मांगनी चाहिए या फिर सदन से निलंबित कर देना चाहिए. इस मामले पर बीजेपी सहित विपक्ष भी लामबंध दिखा.
एमसी सांसद मिमि चक्रवर्ती ने कहा कि आजम का बयान बेहद आपत्तिजनक है और इस पर कार्रवाई होनी चाहिए. वहीं एनसीपी सांसद सुप्रिया सूले ने कहा कि इस तरह की भाषा कतई स्वीकार्य नहीं है. उनका सिर शर्म से झुक गया है. इस तरह के व्यवहार के प्रति ‘जीरो टॉलरेंस’ की वकालत करते हुए उन्होंने कहा कि यदि आज इसे स्वीकार कर लिया जाता है तेा यह भविष्य के लिए गलत उदाहरण पेश करेगा.
मामले पर बीजेपी के अनुराग ठाकुर ने कहा कि आजम खान पर कार्रवाई होनी चाहिए ताकि अगले 100 सालों तक इसकी नजीर बने. बीजेपी की संघमित्रा ने कहा कि गुरुवार को अध्यक्ष के आसन पर पीठासीन रमा देवी के बारे में जो टिप्पणी की गई, वह अशोभनीय है. खान को इसके लिए माफी मांगनी पड़ेगी.
इसी बीच कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि वह इस घटना का समर्थन नहीं करते लेकिन उनका पक्ष भी जानना चाहिए. उन्होंने मामले को एथिक्स कमेटी के पास भेजने की सलाह दी. लेकिन हंगामा समाप्त नहीं हुआ और स्पीकर को सदन की कार्यवाही आधे घंटे के लिए स्थगित करनी पड़ी.
इसके बाद स्पीकर ओम बिड़ला ने सभी दलों के फ्लोर लीडर्स की बैठक हुई जिसमें दानिश अली, सुप्रिया सुले, अधीर रंजन चौधरी और अन्य पार्टी के नेता शामिल रहे. बैठक में सभी दलों के नेताओं ने आजम खान की टीका टिप्पणी की निंदा की और एक्शन लेने की मांग रखी. हालांकि इस विवाद पर अभी कोई फैसला नहीं हुआ है लेकिन सोमवार को सदन में इस पर विचार जरूर किया जाएगा. सूत्रों के मुताबिक, सदन में आजम खान को सार्वजनिक तौर पर माफी मांगनी पड़ेगी. अगर वे ऐसा करने से इनकार कर देते हैं तो उन्हें निलंबित किया जा सकता है.
इस मामले में बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी आजम खान को दोषी माना है. उन्होंने सोशल मीडिया पर कहा, ‘यूपी से सपा सांसद आजम खान द्वारा कल लोकसभा में पीठासीन महिला के खिलाफ जिस प्रकार की अशोभनीय भाषा का इस्तेमाल किया गया वह महिला गरिमा व सम्मान को ठेस पहुंचाने वाला है तथा अति-निन्दनीय है. इसके लिए उन्हें संसद में ही नहीं बल्कि समस्त महिलाओं से माफी मांगनी चाहिए.’
पूरे घटनाक्रम के बीच आजम खान की पत्नी ताजीम फातिमा ने उनका समर्थन किया है. फातिमा ने कहा कि आजम खान के खिलाफ ये एक साजिश है, जिससे कि वो संसद में बोल नहीं पाएं. उन्होंने ऐसा कुछ नहीं कहा जिसके लिए उनपर ऐसे आरोप लगाए जा रहे हैं. सदन में बोलने से रोकने के लिए सत्ताधारी पक्ष ऐसी साजिश कर रहा है.
समाजवादी पार्टी के सांसद आजम खान की विवादित टिप्पणी को लेकर शुक्रवार को स्पीकर ओम बिड़ला के साथ विपक्ष के नेताओं की बैठक हुई. बैठक में स्पीकर और विपक्ष के नेता इस निर्णय पर पहुंचे कि पीठासीन महिला सांसद रमा देवी के खिलाफ टिप्पणी के लिए आजम खान माफी मांगें. यदि वह माफी नहीं मांगते हैं तो स्पीकर सोमवार को उनके खिलाफ कार्रवाई पर फैसला करेंगे.
एपीजे अब्दुल कलाम विशेष: एक ऐसा कर्मवीर जो मरते दम तक देश के लिए काम करता रहा
”ख़्वाब वह नहीं होते जो हम सोते में देखते हैं,
बल्कि ख़्वाब वह होते हैं जो हमें सोने ही न दें”
ये विचार हैं देश के महान व्यक्तित्वधारी मिसाइल मैन डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के. देश के पूर्व राष्ट्रपति रहे एपीजे अब्दुल कलाम (15 अक्टूबर, 1931–27 जुलाई, 2015) की आज पुण्यतिथि है. एक महान विचारक, लेखक और वैज्ञानिक अबुल पाकिर जैनुलअब्दीन अब्दुल कलाम मसऊदी का देश के प्रत्येक क्षेत्र अहम योगदान रहा. उन्हें किसी एक दायरे में सीमित नहीं किया जा सकता क्योंकि उन्हें जो भी दायित्व सौंपा गया, उस पर हमेशा खरे उतरे. एपीजे अब्दुल कलाम का देश हमेशा आभारी रहेगा. 2020 तक भारत को आर्थिक रूप से समृद्ध बनाने का सपना देखने वाला ये कर्मवीर योद्धा मरते दम तक देश के लिए काम करता रहा.
एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म रामेश्वरम (तमिलनाडु) के धनुषकोडी गांव में 15 अक्टूबर, 1931 को एक मध्यमवर्गीय मुस्लिम परिवार में हुआ था. उनका परिवार नाव बनाने का काम करता था और कलाम के पिता मछुआरों को नाव किराए पर दिया करते थे. उनके परिवार की परिस्थितियां इतनी अच्छी नहीं थी वह स्कूल से आने के बाद कुछ देर तक अपने बड़े भाई मुस्तफा कलाम की दुकान पर भी बैठते थे जो कि रामेश्वरम रेलवे स्टेशन पर थी. वे घर घर अखबार बांटने में अपने भाई की मदद करते थे.
अपने पिता की सादगी और रिश्तों की आत्मियता से जुड़े एक किस्से ने उन्हें बड़ा प्रभावित किया. किस्सा तब का है जब कलाम करीब आठ-नौ साल के थे. एक शाम उनके पिता काम से घर लौटने के बाद खाना खा रहे थे. थाली में एक रोटी जली हुई थी. रात में बालक कलाम ने अपनी मां को पिता से जली रोटी के लिए माफी मांगते सुना. तब पिता ने बड़े प्यार से जवाब दिया- मुझे जली रोटियां भी पसंद हैं. कलाम ने इस बारे में पिता से पूछा तो उन्होंने कहा- जली रोटियां किसी को नुकसान नहीं पहुंचाती हैं, कड़वे शब्द जरूर नुकसान पहुंचाते हैं. इसलिए रिश्तों में एक दूसरे की गलतियों को प्यार से लो और जो तुम्हें नापसंद करते हैं, उनके लिए संवेदना रखो. इन बातों ने कलाम के बाल मन में दूसरों के लिए संवेदना का समुंदर भर दिया.
जब उन्होंने अपने पिता से रामेश्वरम से बाहर जाकर पढ़ाई करने की बात कही तो उन्होंने कहा कि हमारा प्यार तुम्हें बांधेगा नहीं और न ही हमारी जरूरतें तुम्हें रोकेंगी. इस जगह तुम्हारा शरीर तो रह सकता है, लेकिन तुम्हारा मन नहीं.
इसके बाद कलाम ने 1950 में इंटरमीडिएट की पढ़ाई के लिए त्रिची के सेंट जोसेफ कालेज में दाख़िला लिया. यहां से उन्होंने बीएससी की लेकिन उनका सपना कुछ और था. वे इंजीनियर बनना चाहते थे. उन्होंने मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग में एरोनॉटिकल विभाग में एडमीशन लिया. कॉलेज की फीस भरने के लिए उनकी बड़ी बहन ने अपने गहने गिरवीं रखे.
पढ़ाई पूरी करने के बाद कलाम दिल्ली आकर एक वैज्ञानिक के पद पर काम करने लगे. तब उनका मासिक वेतन दो सौ पचास रुपये था. यहां वह विमान बनाने का काम किया जाता था. फिर तीन साल बाद ‘वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान’ का केन्द्र बंगलुरू में बनाया गया और उन्हें इस केन्द्र में भेज दिया गया. यहां उन्हें स्वदेशी एयरक्राफ़्ट बनाने की ज़िम्मेदारी दी गई जो काफी मुश्किल मानी जाती थी. लेकिन कलाम ने यह भी कर दिखाया.
उन्होंने और उनके सहयोगियों ने एयरक्राफ़्ट में पहली उड़ान भरी. रक्षा मंत्री कृष्णमेनन ने कलाम की खूब तारीफ की और कहा कि इससे भी शक्तिशाली विमान तैयार करो. उन्होंने वादा किया कि वह ऐसा करेंगे लेकिन जल्द कृष्णमेनन रक्षा मंत्रालय से हटा दिए गए और कलाम उन्हें दोबारा कमाल कर के नहीं दिखा पाए.
इसके बाद कलाम ने ‘इंडियन कमेटी फॉर स्पेस रिसर्च’ का इंटरव्यू दिया. यहां उनका इंटरव्यू विक्रम साराभाई ने लिया लिया और वह चुन लिए गए. उनको रॉकेट इंजीनियर के पद पर चुना गया. यहां से कलाम के ख्वाब को पंख मिला. उन्हें नासा भेजा गया. नासा से लौटने के बाद उन्हें ज़िम्मेदारी मिली भारत के पहले रॉकेट को आसमान तक पहुंचाने की. उन्होंने भी इस ज़िम्मेदारी को पूरी तरह निभाया.
रॉकेट को पूरी तरह से तैयार कर लेने के बाद उसकी उड़ान का समय तय कर दिया गया, लेकिन उड़ान से ठीक पहले उसकी हाईड्रोलिक प्रणाली में कुछ रिसाव होने लगा. फिर असफ़लता के बादल घिर कर आने लगे, मगर कलाम ने उन्हें बरसने न दिया. रिसाव को ठीक करने का वक़्त न हो पाने की वजह से कलाम और उनके सहयोगियों ने रॉकेट को अपने कंधों पर उठाकर इस तरह सेट किया कि रिसाव बंद हो जाए. फिर भारत के सबसे पहले उपग्रह ‘नाइक अपाची’ ने उड़ान भरी. रोहिणी रॉकेट ने उड़ान भरी और स्वदेशी रॉकेट के दम पर भारत की पहचान पूरी दुनिया में बन गई.
1992 से 1999 तक कलाम रक्षा मंत्री के रक्षा सलाहकार रहे. तब वाजपेयी सरकार ने पोखरण में दूसरी बार न्यूक्लियर टेस्ट किए और भारत परमाणु हथियार बनाने वाले देशों में शामिल हो गया. इसी के तहत कलाम ने भारत को विजन 2020 दिया. इसके तहत कलाम ने भारत को विज्ञान के क्षेत्र में तरक्की के जरिए 2020 तक आत्याधुनिक करने की खास सोच दी गई.
उनकी लाइफ का एक किस्सा बड़ा मशहूर है. 2002 में देश के 11वें राष्ट्रपति बनने के बाद डॉ.कलाम पहली बार केरल गए थे. उस वक्त केरल राजभवन में राष्ट्रपति के मेहमान के तौर पर दो लोगों को न्योता भेजा गया. पहला था जूते-चप्पल की मरम्मत करने वाला और दूसरा एक ढाबा मालिक. तिरुवनंतपुरम में रहने के दौरान इन दोनों से उनकी मुलाकात हुई थी.
डॉ. कलाम ने कभी अपने या परिवार के लिए कुछ बचाकर नहीं रखा. राष्ट्रपति पद पर रहते ही उन्होंने अपनी सारी जमापूंजी और मिलने वाली तनख्वाह एक ट्रस्ट के नाम कर दी. उऩ्होंने कहना था कि चूंकि मैं देश का राष्ट्रपति बन गया हूं, इसलिए जब तक जिंदा रहूंगा, सरकार मेरा ध्यान रखेगी. फिर मुझे तन्ख्वाह और जमापूंजी बचाने की क्या जरूरत.
डॉ.कलाम को अपनी जिंदगी में बहुत सारे पुरस्कारों और उपाधियों से नवाजा गया. कलाम को 1981 में भारत सरकार ने पद्म भूषण दिया गया. 1982 में कलाम को अन्ना यूनिवर्सिटी से डॉक्टर की उपाधि से सम्मानित किया. उन्हें 1990 में पद्म विभूषण और 1997 में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया.
कलाम देश के तीसरे ऐसे राष्ट्रपति थे जिन्हे भारत के सर्वोच्च पद पर नियुक्ति से पहले भारत रत्न दिया गया. उनसे पहले यह सम्मान सर्वपल्ली राधाकृष्णन और जाकिर हुसैन को दिया गया था.
अपनी जिंदगी के अंतिम पलों में भी डॉ. कलाम देश का भविष्य तैयार करने में लगे थे. 27 जुलाई 2015 को मेघालय के शिलांग के आईआईएम में लेक्चर देने के दौरान उन्हें दिल का दौरा पड़ा. उन्हें अस्पताल ले जाया गया लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. इस तरह 83 वर्ष की आयु में डॉ.कलाम देश को हमेशा के लिए अलविदा कह गए.
डॉ. कलाम ने सदा भारत-अमेरिका के मजबूत संबंधों की वकालत की. उनके निधन पर शोक जताते हुए संयुक्त राज्य अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा, ‘अमेरिकी लोगों की ओर से, मैं पूर्व भारतीय राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के निधन पर भारत के लोगों के लिए अपनी गहरी संवेदना का विस्तार करना चाहता हूं एक वैज्ञानिक और राजनेता, कलाम ने अपनी विनम्रता से घर में और विदेशों में सम्मान कमाया और भारत के सबसे महान नेताओं में से एक बने.’
निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा को ज्यादा समय देने पर भाजपा विधायक भड़के
राजस्थान विधानसभा में शुक्रवार को भाजपा के सदस्य इस बात पर भड़क गए कि निर्दलीय सदस्य को बोलने के लिए ज्यादा समय क्यों दिया जा रहा है? भाजपा विधायकों के हंगामे के कारण सदन की बैठक आधा घंटे के लिए स्थगित करनी पड़ी. इसके बाद सदन की बैठक शुरू हुई तो कांग्रेस के अमीन खान और भाजपा के अभिनेष महर्षि भिड़ गए. दोनों ने एक दूसरे के खिलाफ आस्तीनें चढ़ा लीं. अन्य विधायकों ने दोनों को अलग ले जाकर समझाया.
विधानसभा में शुक्रवार को सिंचाई, लघु सिंचाई एवं भूमि संरक्षण विभाग की अनुदान मांगों पर बहस हो रही थी. भूजल विभाग के मंत्री बीडी कल्ला ने बहस का जवाब दिया. इसके साथ ही विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने अन्य विभागों की अनुदान मांगों को भी पारित करवा लिया. सिंचाई, लघु सिंचाई एवं भूमि संरक्षण विभाग की अनुदान मांगों पर बहस के दौरान निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा ने मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान को लेकर भाजपा पर आरोप लगाए. उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने विरोध किया तो लोढ़ा उनसे बहस करने लगे.
नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि जांच करा लो, पहले माथुर आयोग बनाया था, उसका क्या हुआ. लोढ़ा ने कहा आयोग का अध्यक्ष मुझे बनाओ, फिर देखो क्या होता है. इस पर भाजपा विधायक हंगामा करने लगे. पीठासीन सभापति जितेन्द्र सिंह ने समझाइश की कोशिश की जो बेअसर रही. सभापति ने एक भाजपा विधायक का नाम पुकारा तो संयम लोढ़ा ने एक मिनट का समय और मांग लिया. सभापति ने मंजूरी दी तो कई भाजपा विधायक आसन के सामने पहुंच गए. हंगामा बढ़ने पर पहले राजेन्द्र पारीक आसन पर पहुंचे. फिर विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने स्थिति को संभालने का प्रयास किया. फिर भी शोर-शराबा जारी रहा तो जोशी ने आधा घंटे के लिए कार्यवाही स्थगित कर दी.
दुबारा फिर से बैठक शुरू होने पर सीपी जोशी ने कहा कि बोलने का समय देने में त्रुटि हुई है तो उसे दिखवा लेंगे. लेकिन भाजपा विधायक नहीं माने. गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि हमें तीन मिनट में घंटी बजाकर रोकते हैं, जबकि हमें गाली देने वालों को एक घंटे तक बोलने की अनुमति है. प्रोसीडिंग निकालो, कैसे-कैसे शब्दों का प्रयोग किया है. ऐसा कब तक चलेगा? यह बर्दाश्त नहीं होगा. आसन के सामने नारेबाजी की ओर इशारा करते हुए जोशी ने कहा कि क्या यह बर्दाश्त हो जाएगा?
जोशी ने कहा कि भाजपा को एक घंटा 36 मिनट, कांग्रेस को एक घंटा 14 मिनट का समय दिया गया है. मैं यहां न्याय करने के लिए बैठा हूं. सुनना चाहोगे या नहीं? नहीं में जवाब मिलने पर जोशी ने बहस समाप्त करते हुए मंत्री बीडी कल्ला को जवाब देने के लिए कह दिया. कल्ला ने हंगामे के बीच जवाब दिया. इसके बाद अध्यक्ष ने अन्य विभागों की अनुदान मांगें पारित करवाकर सदन सोमवार सुबह तक स्थगित कर दिया.