राज्यों के आगामी विधानसभा चुनाव जीतने के लिए भाजपा के भरसक प्रयास जारी है. कुछ महीनों के बाद चार राज्यों के विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, जिनमें हरियाणा, महाराष्ट्र, झारखंड शामिल हैं. हरियाणा में 2014 में पहली बार भाजपा को सरकार बनाने का मौका मिला था. उस समय कांग्रेस के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा की जगह मनोहरलाल खट्टर के नेतृत्व में भाजपा ने सरकार बनाई थी. खट्टर की सरकार का कार्यकाल अब पूरा होने के करीब है. भाजपा को फिर से राज्य में सरकार बनाने की चिंता है, क्योंकि विधानसभा चुनाव में राजनीतिक माहौल लोकसभा चुनाव से अलग होता है.
हरियाणा में भूपेन्द्र सिंह हुड्डा और पूर्व मुख्यमंत्री भजन लाल के परिवारों का काफी असर है. हुड्डा हरियाणा में कांग्रेस की सरकार चला चुके हैं. हरियाणा की जनता अब भूपेन्द्र सिंह हुड्डा के कार्यकाल से मनोहरलाल खट्टर के कार्यकाल की तुलना करने में जुटी है. राहुल गांधी कांग्रेस से इस्तीफा दे चुके हैं. प्रियंका सिर्फ उत्तर प्रदेश में सक्रिय हैं. सोनिया गांधी केंद्रीय राजनीति में व्यस्त हैं. हरियाणा में कांग्रेस भूपेन्द्र सिंह हुड्डा सहित कुछ अन्य स्थानीय कांग्रेस नेताओं के भरोसे है. पूर्व मुख्यमंत्री भजन लाल के परिवार का भी हरियाणा में अच्छा असर है .
विधानसभा चुनाव में भूपेन्द्र सिंह हुड्डा और भजनलाल के बेटे कुलदीप बिश्नोई भाजपा के लिए चुनौती बन सकते हैं, इसलिए इन दोनों को कानून-कायदों के शिकंजे में लाने के प्रयास शुरू हो गए हैं. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के चंडीगढ़ स्थित कार्यालय में शुक्रवार को भूपेन्द्र सिंह हुड्डा से मानेसर जमीन घोटाला और एजेएल को जमीन आवंटन के मामले में छह घंटे से ज्यादा पूछताछ हुई. इससे पहले गुरुवार को उनसे दस घंटे पूछताछ हुई थी. शुक्रवार को दोपहर तीन बजे से शुरू हुई पूछताछ रात नौ बजे तक चली.
हुड्डा से पूछताछ करने से पहले ईडी ने मानेसर जमीन घोटाले में कार्रवाई करते हुए गुरुग्राम में 18.5 एकड़ जमीन सहित करीब 66.57 करोड़ रुपए की संपत्ति अटैच कर ली है. इसके साथ ही आयकर विभाग ने कुलदीप बिश्नोई के ठिकानों पर छापेमारी की है. आयकर विभाग की कार्रवाई चार दिन चली. उसके बाद अधिकारी कुलदीप बिश्नोई के बेटे भव्य को अपने साथ दिल्ली ले गए. उसके बाद अब हुड्डा से लंबी पूछताछ हो रही है. हो सकता है हुड्डा और बिश्नोई के खिलाफ कार्रवाई की गुंजाइश तलाशी जा रही हो.
प्रवर्तन निदेशालय और आयकर विभाग की कार्रवाई से हरियाणा में राजनीतिक हलचल मची हुई है. लोग बात कर रहे हैं कि भाजपा को चुनाव जीतना है, इसलिए छापेमारी, पूछताछ का सिलसिला शुरू हो गया है. हुड्डा के खिलाफ छह अलग-अलग मामलों में जांच चल रही है. गुरुग्राम के पास मानेसर जमीन अधिग्रहण घोटाला करीब 1500 करोड़ रुपए का है. हुड्डा को इस मामले में पंचकूला स्थित सीबीआई की विशेष अदालत में पेश होना था. वह अपने वकीलों के साथ गए भी थे, लेकिन वकीलों की हड़ताल के कारण सुनवाई नहीं हो सकी. अब अगली सुनवाई छह अगस्त को होगी.
शुक्रवार को जब हुड्डा से पूछताछ हो रही थी, तब बड़ी संख्या में उनके समर्थक चंडीगढ़ सेक्टर तीन स्थित उनके सरकारी आवास पर जमा हो गए थे. कुलदीप शर्मा और गीता भुक्कल सहित कई विधायक उनसे मिलने पहुंचे. इस बीच हुड्डा की तबीयत बिगड़ने की अफवाह फैली. लोग कहने लगे कि उनका बीपी और ब्लड शुगर लेवल बढ़ गया है. हुड्डा के ओएसडी एमएस चोपड़ा ने इसे कोरी अफवाह बताया. उन्होंने कहा, पूर्व मुख्यमंत्री पूरी तरह स्वस्थ हैं.
हरियाणा के ताजा घटनाक्रम से संकेत मिलता है कि विधानसभा चुनाव से पहले बड़े कांग्रेस नेताओं पर शिकंजा कसा जाएगा. भूपेन्द्र सिंह हुड्डा पूर्व मुख्यमंत्री हैं. पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत भजनलाल के पुत्र कुलदीप बिश्नोई हिसार के पूर्व सांसद हैं और आदमपुर के विधायक हैं. हुड्डा के खिलाफ सीबीआई अदालत में चार्जशीट पेश हो चुकी है. चुनाव से पहले उनकी मुश्किलें बढ़ना तय है.
15 साल पुराने मानेसर जमीन घोटाले में हुड्डा सहित 34 अधिकारियों, बिल्डरों और अन्य लोगों के खिलाफ सीबीआई ने 17 सितंबर 2015 को मामला दर्ज किया था. इसके बाद ईडी ने हुड्डा के खिलाफ 2016 में मनी लांड्रिंग का मामला दर्ज किया था. दोनों एजेंसियां हुड्डा के ठिकानों पर छापेमारी कर चुकी है. मानेसर जमीन घोटाले की शुरूआत के समय ओमप्रकाश चौटाला हरियाणा के मुख्यमंत्री थे. चौटाला की इनेलो सरकार ने 27 अगस्त 2004 को गुरुग्राम के मानेसर, लखनौला और नौरंगपुर की 912 एकड़ तमीन पर आईएमटी बनाने के लिए सेक्शन-चार का नोटिस जारी किया था. इसके बाद कांग्रेस की सरकार बनी और भूपेन्द्र सिंह हुड्डा मुख्यमंत्री बने थे.
भूपेन्द्र सिंह हुड्डा की सरकार ने 25 अगस्त 2005 को आईएमटी परियोजना रद्द करते हुए सार्वजनिक कार्यों के लिए जमीन अधिग्रहण के उद्देश्य से सेक्शन-6 का नोटिस जारी किया. जमीन का मुआवजा 25 लाख रुपए प्रति एकड़ तय हुआ. अवार्ड के लिए सेक्शन-9 का नोटिस जारी होने से पहले ही बिल्डरों ने किसानों को अधिग्रहण दिखाकर 400 एकड़ जमीन औने-पौने दामों में खरीद ली. 2007 में बिल्डरों की 400 एकड़ जमीन अधिग्रहण से मुक्त कर दी गई. इससे किसानों को करीब 1500 करोड़ रु. का नुकसान हुआ. हुड्डा सरकार के कार्यकाल में करीब 900 एकड़ जमीन का अधिग्रहण कर उसे बिल्डरों को बेचा गया था.
इस मामले में भूपेन्द्र सिंह हुड्डा भाजपा के निशाने पर हैं. राज्य में विपक्ष पूरी तरह बिखरा हुआ है. कांग्रेस गुटों में बंटी हुई है. भूपेन्द्र सिंह हुड्डा और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अशोक तंवर के अलग-अलग गुट बने हुए हैं. चौटाला परिवार की पार्टी इनेलो भी दो भागों में विभाजित हो चुकी है. इस परिस्थितियों में भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ही भाजपा के सामने चुनौती बने हुए हैं. लोकसभा चुनाव से पहले हरियाणा में प्रचार के दौरान भी प्रधानमंत्री मोदी कह चुके हैं कि इन लोगों को हमने अदालत के दरवाजे पर लाकर खड़ा कर दिया है. अब वह दिन दूर नहीं, जब ये जेल के दरवाजे पर होंगे. उस समय दिए गए भाषण का अब राजनीतिक मतलब निकाला जा रहा है. हुड्डा ने जांच से बचने का कोई प्रयास नहीं किया है. वे पूछताछ में शामिल हो रहे हैं और हर सवाल का जवाब दे रहे हैं. उनका कहना है, मैंने कोई गलती नहीं की है और जो भी प्रश्न पूछा जाएगा, उसका सही जवाब दिया जाएगा. ईडी ने क्या पूछा, मैंने क्या बताया, इस सवाल का जवाब देना उचित नहीं है. बताया जाता है कि हुड्डा से करीब 150 सवाल पूछे जा चुके हैं.
भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने कहा- मैं कुछ नहीं कहना चाहता. भाजपा सरकार की मंशा और नीयत बिलकुल भी साफ नहीं है. पहले दिन से ये लोग मेरे पीछे पड़े हुए हैं. उन्होंने प्रदेश के विकास का कोई काम नहीं किया. राज्य के लोगों से किए गए वादे पूरे नहीं किए. कर्मचारी आंदोलन कर रहे हैं और उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है. हर जगह भ्रष्टाचार व घोटालों भरमार है. यह सरकार सिर्फ हवा में तीर चलाती है. इन्हें जनता के हितों से कोई लेना देना नहीं है. इस तरह के झूठे मामलों से मैं डरने वाला नहीं हूं.